इसे सुनेंरोकेंतमिल पृथकतावाद श्रीलंका में तमिल समुदाय के खिलाफ भेदभाव एवं शोषण की नीतियों का परिणाम है। 1948 में राज की समाप्ति के बाद बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के नेतृत्व में श्रीलंका का राज्य संभाला गया। शुरू से ही श्रीलंका सरकार ने जातीय भेदभाव की नीति अपनाकर बहुसंख्यक सिंहली वोट जीतने की राजनीति खेली। Show
श्रीलंका में तमिलों की क्या मांगे थे?इसे सुनेंरोकेंइसमें भारत सरकार से संयुक्त राष्ट्र के सामने श्रीलंका में अलग तमिल ईलम राज्य बनाने के उद्देश्य से एक प्रस्ताव लाकर जनमत संग्रह कराने की मांग की गई। इस जनमत संग्रह में श्रीलंका में रह रहे तमिल और दूसरे देशों में निवास कर रहे श्रीलंकाई मूल के अन्य तमिलों को भी शामिल करने की मांग की गई। पढ़ना: विश्व का भूगोल क्या है? श्रीलंका में निम्नलिखित जातीय समुदायों में से कौन सा बहुसंख्यक है? इसे सुनेंरोकेंश्रीलंका की जनसंख्या में बहुत विविधता है। सिंहली समुदाय बहुसंख्यक है (74%), फिर तमिलों का नंबर है, जिनकी आबादी कुल जनसंख्या में 18% है। ये द्वीप के उत्तर तथा पूर्वी प्रांतों में आबाद हैं। अन्य समुदायों में मुस्लिम सम्मिलित हैं। श्रीलंका में बहुसंख्यक वाद के तहत कौन कौन से कदम उठाए गए?इसे सुनेंरोकेंसिंहली समुदाय का प्रभुत्व कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक – परस्ती के तहत कई कदम उठाए। जैसे 1956 में एक कानून बनाया गया । जिसमें सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दी गई । विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहली को प्राथमिकता देने की नीति । श्रीलंका में तमिलों के कितने उप समूह है?इसे सुनेंरोकें(ii) चार श्रीलंका में गृह युद्ध के प्रमुख कारण क्या थे? इसे सुनेंरोकेंदो समुदायों के बीच अविश्वास, सिंहली और तमिल संघर्ष में बदल गया । तमिलों की आबादी प्रांतों के लिए अधिक स्वायत्तता के लिए उनकी मांग को इनकार कर दिया गया था । शिक्षा हासिल करने में एक आधिकारिक भाषा के रूप में तमिल को मान्यता देने, क्षेत्रीय स्वायत्तता और अवसर की समानता के लिए संघर्ष। पढ़ना: सुजान कौन थी किस राजा के दरबार में उसे नर्तकी का स्थान मिला था? श्रीलंका में गृह युद्ध की स्थिति क्यों बन गई?इसे सुनेंरोकेंश्रीलंकाई सरकार की गलत नीतियों और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण श्रीलंका के तमिलों में गहरा असंतोष पैदा हो गया। जो तमिल पार्टियां १९७३ तक राष्ट्र विभाजन के विरुद्ध थी, वो भी अब अगल राष्ट्र की मांग करने लगीं। सरकार की नीतियों के कारण बहुसंख्यक सिंहला समुदाय को जहां लाभ हुआ, वहीं अल्पसंख्यक तमिलों को हानि। श्रीलंका में तमिल और सिंहली समुदाय के संबंध क्यों बिगड़ते चले गए?इसे सुनेंरोकें(घ) श्रीलंकाई तमिलों को लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए। कोलंबो, एजेंसी । श्रीलंका के 72वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में तमिल भाषा में राष्ट्रगान नहीं होगा। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रगान केवल सिंहली भाषा में होगा। सरकार के इस कदम को बहुसंख्यक सिंहली समुदाय को प्राथमिकता दिए जाने के तौर पर देखा जा रहा है। वर्ष 2015 में तत्कालीन श्रीलंका सरकार ने तमिल अल्पसंख्यक समुदाय से सामंजस्य स्थापित करने के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तमिल राष्ट्रगान को भी शामिल किया था। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने नवंबर में अपने शपथ ग्रहण समारोह के बाद बौद्ध धर्म को प्राथमिकता देने की बात कही थी। श्रीलंका की 2.1 करोड़ की आबादी में बौद्ध धर्म को मानने वाले सिंहली बहुसंख्यक है। देश में 12 फीसद हिंदू हैं, जिनमें ज्यादातर तमिल मूल के हैं। श्रीलंका का संविधान सिंहली और तमिल दोनों में ही राष्ट्रगान की अनुमति देता है। राष्ट्रगान का तमिल संस्करण 'श्रीलंका थये' सिंहली भाषा के 'नमो-नमो माता' का अनुवाद है। तमिलों के राष्ट्रीय स्तर के नेता मनो गणेशन ने कहा कि तमिल राष्ट्रगान तमिल भाषी समुदाय की पहचान है। गृह राज्य मंत्री मनिंदा समरसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में राष्ट्रगान केवल सिंहली में होगा, लेकिन राज्यस्तरीय समारोहों में राष्ट्रगान के तमिल संस्करण की अनुमति होगी। अध्याय : 1. सत्ता की साझेदारीसिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा और इसके लिए उन्होने बहुसंख्यक परस्ती के तहत कर्इ कदम उठाइए। Download Old Sample Papers For Class X & XII श्रीलंका का बहुसंख्यक समुदाय कौन सा है?दक्षिण एशिया के अन्य देशों की तरह लगभग 23 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका की आबादी में भी कई जातीय समूहों के लोग हैं. यहां सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों (Sinhalese) का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या की 74 फीसदी है. इसके बाद तमिलों का नंबर आता है.
श्रीलंका में प्रमुख समुदाय कौन सा है?श्रीलंका की आबादी विभिन्न धर्मों का अभ्यास करती है। 2011 की जनगणना के अनुसार श्रीलंका के 70.2% थेरावा बौद्ध थे, 12.6% हिंदू थे, 9.7% मुसलमान (मुख्य रूप से सुन्नी) और 7.4% ईसाई (6.1% रोमन कैथोलिक और 1.3% अन्य ईसाई) थे।
श्रीलंका में बहुसंख्यक वाद से क्या तात्पर्य है?Solution : श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद :- सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित करना। विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता। सरकार द्वारा बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देना। बहुसंख्यकवाद का प्रभाव :- तमिलों की नाराजगी और शासन के प्रति बेगानेपन को बढ़ावा।
श्रीलंका में कौन सा जातीय समूह अल्पसंख्यक था?सिंहली समुदाय: श्रीलंका की राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा हैं तथा तमिल सरकार एवं नेताओं पर उनके हितों की उपेक्षा करने का दोषारोपण करते रहे हैं। तमिल अल्पसंख्यक: तमिल अल्पसंख्यक हैं।
|