किसी भी देश मैं महाभियोग उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमे देश के राष्ट्राध्यक्ष अथवा राष्ट्रपति को पद से हटाया जाता है.भारत के इतिहास मैं आज तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग का सामना नहीं करना पड़ा है. परन्तु न्यायाधीशों के विरुद्ध कई मौकों पर महाभियोग लाया जा चूका है. Show
इस लेख मैं महाभियोग प्रक्रिया, उसके तमाम पहलू तथा किन परिस्तिथियों मैं मैं महाभियोग प्रक्रिया लाया जाता है, का विस्तृत उल्लेख किया गया है. इस लेख के अंत मैं आप इन प्रश्नों के उत्तर देने मैं सक्षम होंगे.
महाभियोग एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया है जिससे देश के राष्ट्रपति को पदमुक्त किया जाता है. विपक्ष तो दूर इसका प्रोयोग करने मैं सत्ताधारी दल को भी काफी मुश्किलें होती हैं. यही वजह है कि आज तक भारत मैं किसी भी राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव नहीं लाया गया है. महाभियोग से सम्बंधित संवैधानिक प्रावधानभारत के संविधान के अनुच्छेद ६१ मैं राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. हमारे संविधान मैं यह प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से प्रेरित होकर जोड़ा गया है. इस प्रकार के प्रावधान का संविधान मैं होने का केवल यही उद्देश्य है कि राष्ट्रपति को अपने पद के दुरूपयोग से रोकना. याद रखिये कि राज्यपाल को उसके पद से हटाने के लिए कोई महाभियोग प्रक्रिया नहीं होती. महाभियोग कि प्रक्रियामहाभियोग की प्रक्रिया को तिन चरणों मैं बांटा जा सकता है.
प्रक्रिया का आधारराष्ट्रपति को उसके पद से हटाने का केवल एक ही आधार है, वो है “संविधान का उलंघन”. अर्थात जब राष्ट्रपति संविधान के उलंघल के दोषी पाए जाते हैं केवल तब ही उनपर महाभियोग कि प्रक्रिया चलायी जा सकती है अन्यथा नहीं. हालाँकि “संविधान के उलंघन” वाक्य को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है. सांसदों द्वारा प्रक्रिया का प्रारंभजब भी हमारे सांसद गणों को यह प्रतीत हो कि राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उलंघ किया गया है, वे महाभियोग कि प्रक्रिया आरम्भ कर सकते हैं. यह प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन, लोक सभा या राज्य सभा मैं शुरू किया जा सकता है. शुरू करने के लिए सदन के एक चौथाई सांसदों को (जिन्होंने संविधान के उलंघन का आरोप लगाया हो) हस्ताक्षर कर के सदन के अध्यक्ष दो देना होता है. अब यह सदन के अध्यक्ष के ऊपर निर्भर है कि वे प्रस्ताव को चर्चा के लिए आगे बढ़ाएं या निरस्त कर दें. निरस्त कर देने पर महाभियोग कि प्रक्रिया तुरंत ही समाप्त हो जाएगी. सदनों कि अनुमतिप्रस्ताव को सहमति मिलने पर, राष्ट्रपति को 14 दिनों का नोटिस दिया जाता है. उक्त सदन को महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करने के पश्चात दुसरे सदन मैं भेजा जाता है. दुसरे सदन को राष्ट्रपति पर लगाये गए आरोपों की जाँच करनी होती है. तब राष्ट्रपति को इसमें उपस्थित होने और अपना प्रतिनिधित्वा करने का अधिकार होता है. संसद चाहे तो किसी बाहरी संस्था से भी आरोपों का जांच करवा सकता है. यदि दूसरा सदन आरोपों को सही पता है और महाभियोग प्रस्ताव तो दो तिहाई बहुमत से पारित करता है तब राष्ट्रपति को प्रस्ताव पारित होने कि तिथि से तत्काल प्रभाव से पद से हटाना होता है. और इस प्रकार महाभियोग कि प्रक्रिया समाप्त होती है. महाभियोग से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यमहाभियोग प्रक्रिया के दौरान भारत का संसद एक न्यायिक संस्था के रूप मैं कार्य करता है, जो की राष्ट्रपति के आरोपों की जांच करता है. राष्ट्रपति के चुनाव मैं केवल संसद के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, नामांकित सदस्य नहीं. परन्तु महाभियोग कि प्रक्रिया मैं सभी के सभी इसमें भाग लेते हैं. इसी प्रकार राज्य विधानसभा के प्रतिनिधि राष्ट्रपति के चुनाव मैं भाग लेते हैं, परन्तु वे महाभियोग प्रक्रिया मैं हिस्सा नहीं लेते. राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद क्या होता है?राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर भारत का उप राष्टपति, नए राष्ट्रपति के निर्वाचन होने तक कर्यवाहक राष्ट्रपति के रूप मैं कार्य करेगा. और यदि उपराष्ट्रपति का पद भी रिक्त हो तो भारत का मुख्या न्यायधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप मैं कार्य करेगा. यदि राष्ट्रपति का पद महाभियोग कि प्रक्रिया से रिक्त होता है तो, नए राष्ट्रपति का चुनाव पद रिक्त होने कि तिथि से 6 महीने के भीतर कराया जाना होता है. और नव निर्वाचित राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से 5 वर्ष तक अपने पद पर बना रहता है. उम्मीद है कि आप को यह लेख पसंद आया होगा. यदि आपको अब भी किसी प्रकार का संदेह है तो कमेंट मैं अपना सवाल पूछें. हम उसका जवाब जरुर देंगे. इस लेख को शेयर करें क्योंकि ज्ञान बांटने से बढ़ता है. Sheshan Pradhan is a blogger and author at pscnotes.in. He has published various articles in leading news and laws websites including livelaw.in and barandbench.com. महाभियोग के बारे में पूरी जानकारीमहाभियोग क्या है या किसे कहते है?महाभियोग की परिभाषा:जब किसी भी देश की बड़े अधिकारी या प्रशासक पर विधानमंडल के समक्ष अपराध का दोषारोपण होता है तो इसे महाभियोग (इमपीचमेंट) कहा जाता है। लैटिन भाषा में 'इमपीचमेंट' शब्द का अर्थ है पकड़ा जाना है। अगर सरल शब्दों में कहे तो भारतीय संविधान के अनुसार महाभियोग वो प्रक्रिया है जिसके द्वारा भारत के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीशों (जजों) को पद से हटाया जा सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में इसका ज़िक्र मिलता है। भारतीय संविधान के अनुसार महाभियोग किस किस पर लगता है?भारत के संविधान के अनुसार अनुच्छेद 124(4) सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीशों (जजों) के महाभियोग से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति के महाभियोग से संबंधित है। भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री पर महाभियोग चलाने के लिए कोई प्रावधान नही है। महाभियोग प्रस्ताव का इतिहास:महाभियोग प्रस्ताव की शुरूआत ब्रिटेन से मानी जाती है। यहां 14वीं सदी के उत्तरार्ध में महाभियोग का प्रावधान किया गया था। इंग्लैड में राजकीय परिषद क्यूरिया रेजिस के न्यासत्व अधिकार द्वारा ही इस प्रक्रिया का जन्म हुआ। 16वीं शताब्दी में वारेन हेस्टिंग्ज तथा लार्ड मेलविले (हेनरी उंडस) के खिलाफ लाया गया महाभियोग प्रस्ताव हमेशा याद रहेगा। संयुक्त राष्ट्र अमरीका में महाभियोग प्रस्ताव:संयुक्त राष्ट्र अमरीका के संविधान के अनुसार उस देश के राष्ट्रपति, सहकारी राष्ट्रपति तथा अन्य सब राज्य पदाधिकारी को अपने पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उनके ऊपर राजद्रोह, घूस तथा अन्य किसी प्रकार के विशेष दुराचारण का आरोप महाभियोग द्वारा सिद्ध हो होगा। अमरीका के विभिन्न राज्यों में महाभियोग का स्वरूप और आधार भिन्न-भिन्न रूप में हैं। प्रत्येक राज्य ने अपने कर्मचारियों के लिये महाभियोग संबंधी भिन्न भिन्न नियम बनाए हैं, किंतु नौ राज्यों में महाभियोग चलाने के लिये कोई कारण विशेष नहीं प्रतिपादित किए गए हैं अर्थात् किसी भी आधार पर महाभियोग चल सकता है। इंग्लैंड एवं अमरीका महाभियोग प्रकिया में अंतर:संयुक्त राष्ट्र अमरीका और इंग्लैंड की महाभियोग प्रकिया में एक मुख्य अंतर है। इंग्लैंड में महाभियोग की पूर्ति के पश्चात् क्या दंड दिया जायेगा, इसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है परन्तु संयुक्त राष्ट्र अमरीका में देश के संविधान के अनुसार महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद सम्बंधित व्यक्ति को पद से निष्कासित (हटा देना) कर दिया जाता है तथा यह भी निश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में वह किसी गौरवयुक्त पद ग्रहण करने का अधिकारी न रहेगा। इसके अतिरिक्त और कोई दंड नहीं दिया जा सकता। भारत में महाभियोग की प्रक्रिया:
भारत के मुख्य न्यायाधीश को कैसे बर्खास्त या पद से हटाया जा सकता है?भारत में सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के न्यायाधीश (जज) को महाभियोग प्रस्ताव के द्वारा ही हटाया जा सकता है। केवल देश के राष्ट्रपति के पास ही किसी न्यायाधीश (जज) को हटाने का अधिकार है। न्यायाधीश (जज) पर महाभियोग की प्रक्रिया:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) में सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के जज को हटाए जाने का प्रावधान है। महाभियोग के जरिए सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया का निर्धारण जज इन्क्वायरी एक्ट 1968 द्वारा किया जाता है।
भारत में कब और किस न्यायाधीश खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया:
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया:भारत के राष्ट्रपति यानि देश के प्रथम नागरिक को भारतीय संविधान में काफी शक्तियां प्रदान की गई हैं। भारत के राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को हटाने ताकत भी प्रदान की गई है। महाभियोग द्वारा भारतीय संविधान के अंतर्गत राष्ट्रपति मात्र महाभियोजित होता है, अन्य सभी पदाधिकारी पद से हटाये जाते हैं। महाभियोजन एक विधायिका सम्बन्धित कार्यवाही है जबकि पद से हटाना एक कार्यपालिका सम्बन्धित कार्यवाही है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति को उसके पद से मुक्त किया जा सकता है। आइये जानते है भारतीय राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है:-
RELATED POSTS LATEST POSTS POPULAR POSTS भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग कौन लगा सकता है?सही उतर संसद के दोनों सदनों में है। भारत के राष्ट्रपति की महाभियोग प्रक्रिया एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है। राष्ट्रपति को केवल संविधान के उल्लंघन के आधार पर महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा पद से हटाया जा सकता है। उसके खिलाफ आरोप लगाकर महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन से शुरू की जा सकती है।
राष्ट्रपति के महाभियोग में कौन भाग नहीं लेता?संसद के दोनों सदनों के नामित सदस्य राष्ट्रपति के महाभियोग में भाग ले सकते हैं। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली, पुदुचेरी और जम्मू की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के महाभियोग में भाग नहीं लेते हैं हालांकि वे उनके चुनाव में भाग लेते हैं।
राष्ट्रपति पर महायोग कैसे लगा जाता है?महाभियोग वो प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को हटाने के लिए किया जाता है। इसका ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में मिलता है. महाभियोग प्रस्ताव सिर्फ़ तब लाया जा सकता है जब संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अक्षमता साबित हो गए हों.
भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया कौन सी प्रक्रिया है?भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में एक विधेयक की शुरुआत के साथ शुरू होती है।
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