उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश या राजस्थान का उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश (थार का मरुस्थल) Show
1. थार का मरुस्थल या थार के रेगिस्तान- ➧राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश को थार का मरुस्थल या थार का रेगिस्तान भी कहते है क्योकी राजस्थान का उत्तरी पश्चिमी मरुस्थल थार के मरुस्थल का भाग माना जाता है। थार के मरुस्थल का विस्तार- ➧थार के मरुस्थल का विस्तार भारत और पाकिस्तान में ही है। ➧थार के मरुस्थल का 85 प्रतिशत भाग भारत में है। ➧थार के मरुस्थल का 15 प्रतिशत भाग ही पाकिस्तान में है। ➧थार का मरुस्थल प्राचीन टेथिस सागर का हिस्सा माना जाता है। चोलिस्तान- ➧पाकिस्तान में थार के मरुस्थल को चोलिस्तान मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। भारत में थार का मरुस्थल- ➧भारत का सबसे बड़ा मरुस्थल थार का मरुस्थल है। ➧भारत में थार के मरुस्थल का विस्तार गुजरात, राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब राज्यों में है। ➧भारत में थार के मरुस्थल का सर्वाधिक (61.11 प्रतिशत) विस्तार राजस्थान में है। ➧भारत में थार के मरुस्थल का सबसे कम विस्तार गुजरात में है। विशेष-
सहारा मरुस्थल (अफ्रीका)- ➧सहारा मरुस्थल विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है। ➧सहारा मरुस्थल अफ्रीका में स्थित है। मंगोलिया मरुस्थल या गोबी मरुस्थल (चीन)- ➧मंगोलिया मरुस्थल एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मरुस्थल है। ➧मंगोलिया मरुस्थल को गोबी मरुस्थल भी कहते है। ➧मंगोलिया मरुस्थल चीन में स्थित है। अटाकामा मरुस्थल (चिली- दक्षिण अमेरिका)- ➧अटाकामा मरुस्थल विश्व का सबसे शुष्क मरुस्थल है। ➧अटाकामा मरुस्थल दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के चिली देश में स्थित है। राजस्थान में थार का मरुस्थल- ➧राजस्थान का उत्तरी पश्चिमी भाग थार के मरुस्थल का भाग माना जाता है। ➧थार का मरुस्थल विश्व का सबसे नवीनतम मरुस्थल है। ➧थार का मरुस्थल विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता वाला मरुस्थल है। ➧थार का मरुस्थल विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला मरुस्थल है। ➧थार का मरुस्थल विश्व में सबसे उपजाऊ मरुस्थल है। ➧थार का मरुस्थल ग्रेट अफ्रीकी पेलियोजोइक मरुस्थल (ग्रेट अफ्रीकी पेलियोआर्कटिक मरुस्थल) का पूर्वी भाग माना जाता है। राजस्थान में थार के मरुस्थल की लम्बाई- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल की कुल लम्बाई 640 किलोमीटर है। राजस्थान में थार के मरुस्थल की चौड़ाई- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल की कुल चौड़ाई 350 किलोमीटर है। राजस्थान में थार के मरुस्थल की कुल जनसंख्या- ➧राजस्थान में राजस्थान की कुल जनसंख्या में से 40 प्रतिशत जनसंख्या थार के मरुस्थल में निवास करती है। राजस्थान में थार के मरुस्थल में बोई जाने वाली फसलें- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में मोठ तथा बाजरा जैसी फसलें बोई जाती है। राजस्थान में थार के मरुस्थल की जलवायु- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में शुष्क जलवायु पायी जाती है। राजस्थान में थार के मरुस्थल में बहने वाली प्रमुख नदियां-
राजस्थान में थार के मरुस्थल का विस्तार- ➧राजस्थान के कुल 13 जिलों में थार का मरुस्थल फेला हुआ है। जैसे-
राजस्थान में थार के मरुस्थल के प्रमुख जल स्त्रोत (राजस्थान के प्रमुख जल स्त्रोत)-
1. आगोर- ➧आगोर राजस्थान का जल स्त्रोत है। ➧आगोर राजस्थान में मुख्यतः जैसलमेर जिले का जल स्त्रोत है। ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में घरों के आंगन में बनाये जाने वाली पानी की टंकी (टांको या कुण्डी) को आगोर कहते है। 2. नाड़ी- ➧नाड़ी राजस्थान का जल स्त्रोत है। ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में छोटी-छोटी खेळों या पोखरों को नाड़ी कहते है। 3. टोबा- ➧टोबा राजस्थान का जल स्त्रोत है। ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में गहरी-गहरी नाळियों या नाड़ी (होद) को टोबा कहते है। 4. बेरी- ➧बेरी राजस्थान का जल स्त्रोत है। ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में छोटे-छोटे कुओं या कुईयों को बेरी कहते है। 5. टांके- ➧टांके राजस्थान का जल स्त्रोत है। ➧टांके राजस्थान में थार के मरुस्थल में पानी की टंकी को कहते है। 6. खड़ीन- ➧खड़ीन राजस्थान का जल स्त्रोत है। ➧राजस्थान के जैसलमेर जिले में तालाबों का अभाव पाया जाता है इसीलिए वर्षा ऋतु में खेतों में पाल बनाकर पानी को रोका जाता है तथा कृषि की जाती है इसी कृषि को खड़ीन कहते है। राजस्थान में थार के मरुस्थल के प्रकार या बनावट- ➧राजस्थान में थार की चट्टानों का निर्माण जुरासिक काल तथा इयोसीन काल में हुआ था। ➧बनावट के आधार पर राजस्थान में थार के मरुस्थल को तीन भागों में बाटा जा सकता है। जैसे-
1. हम्मादा मरुस्थल या हम्मदा मरुस्थल- ➧राजस्थान में चट्टानी मरुस्थल को हम्मादा मरुस्थल कहते है। ➧राजस्थान में हम्मादा मरुस्थल के लिए पोकरण (जैसलमेर) प्रसिद्ध है। ➧राजस्थान में सर्वाधिक हम्मादा मरुस्थल जोधपुर में पाया जाता है। 2. इर्ग- ➧राजस्थान में सम्पूर्ण मरुस्थल को इर्ग कहते है। ➧इर्ग के लिए राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर जिले प्रसिद्ध है। ➧राजस्थान में सर्वाधिक इर्ग मरुस्थल जोधपुर में पाया जाता है। 3. रेग- ➧राजस्थान में मिश्रित मरुस्थल को रेग कहते है। अर्थात् राजस्थान में इर्ग तथा हम्मादा मरुस्थल के मिश्रित रूप को रेग कहते है। ➧रेग मरुस्थल के लिए राजस्थान के बीकानेर जिले का कोलायत क्षेत्र प्रसिद्ध है। ➧राजस्थान में सर्वाधिक रेग मरुस्थल जोधपुर में पाया जाता है। विशेष- इन्सेलबर्ग- ➧वे चट्टाने जो थार के मरुस्थल में वायु अपरदन के कारण बिलकुल लम्बवत (सिद्धि या किपनुमा) आकृति धारण कर लेती है उन चट्टानों को इन्सेलबर्ग कहते है। ➧इन्सेलबर्ग चट्टाने सर्वाधिक बाड़मेर में पायी जाती है। राजस्थान में थार के मरुस्थल के प्रसिद्ध धोरे या टिले या टिब्बे या स्तूप-
1. धरियन- ➧राजस्थान के जैसलमेर जिले में रेत के गतिशिल तथा स्थानान्तरित मिट्टी के धोरो या बालुका स्तूपों को धरियन कहा जाता है। ➧धरियन बालुका स्तूप थार के मरुस्थल में सबसे ऊंचे बालुका स्तूप माने जाते है। ➧राजस्थान में धरियन बालुका स्तूपों की औसत ऊंचाई 60 मीटर तक होती है। 2. अनुप्रस्थ बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वायु (पवन) की दिशाओं के लम्बवत (समकोण या लहरदार) बनने वाले बालुका स्तूपों को अनुप्रस्थ बालुका स्तूप कहते है। ➧राजस्थान में अनुप्रस्थ बालुका स्तूप सर्वाधिक बीकानेर जिले में बनते है। ➧राजस्थान में बीकानेर के अलावा गंगानगर, हनुमानगढ़ तथा शेखावाटी जिलों में भी अनुप्रस्थ बालुका स्तूप बनते है। 3. अनुदेधर्य बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वायु (पवन) की दिशा के समान्तर बनने वाले रेत के टीलों को अनुदेधर्य बालुका स्तूप कहते है। ➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में सबसे चौड़े बालुका स्तूप माने जाते है। ➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप की औसत चौड़ाई 100 से 200 मीटर तक होती है। ➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में सर्वाधिक जैसलमेर जिले में पाये जाते है। ➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में जैसलमेर के अलावा बाड़मेर, जोधपुर जिलों में भी पाये जाते है। अनुदेधर्य बालुका स्तूप के उपनाम या अन्य नाम-
पवनानुवर्ती बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में बनने वाले अनुदेधर्य बालुका स्तूप को पवनानुवर्ती बालुका स्तूप भी कहते है। रेखीय बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में बनने वाले अनुदेधर्य बालुका स्तूप को रेखीय बालुका स्तूप भी कहते है। 4. पैराबोलिक बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में सर्वाधिक पैराबोलिक बालुका स्तूप पाये जाते है। ➧पैराबोलिक बालुका स्तूप की आकृति बालों में डालने वाली पिन (हेयर पिन) की तरह होती है। ➧पैराबोलिक बालुका स्तूप राजस्थान में सर्वाधिक बाड़मेर जिले में पाये जाते है। ➧पैराबोलिक बालुका स्तूप राजस्थान में बाड़मेर के अलावा जैसलमेर तथा जोधपुर जिलों में पाये जाते है। 5. शब्र काफीज बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में छोटी-छोटी झाड़ीयों के तने के पास पाये जाने या बनने वाले बालुका स्तूपों को शब्र काफीज बालुका स्तूप कहते है। 6. बरखान बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में पाये जाने वाले सर्वाधिक गतिशिल तथा सर्वाधिक हानी पहुचाने वाले बालुका स्तूपों को बरखान कहते है। ➧बरखान बालुका स्तूप की आकृति अर्धचंद्राकार होती है। ➧राजस्थान में बरखान बालुका स्तूप सर्वाधिक शेखावाटी, बीकानेर, गंगानगर, जैसलमेर तथा हनुमानगढ़ जिलों में पाये जाते है। 7. तारा बालुका स्तूप- ➧तारा बालुका स्तूप की आकृति तारा के समान होती है। ➧तारा बालुका स्तूप राजस्थान में जैसलमेर जिले में पाये जाते है। 8. नेटवर्क बालुका स्तूप- ➧राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले से लेकर हरियाणा के हिसार जिले तक पाये जाने वाले बालुका स्तूपों को नेटवर्क बालूका स्तूप कहते है। राजस्थान में थार के मरुस्थल की झीलें-
1. खड़ीन- ➧राजस्थान के जैसलमेर जिले में तालाबों का अभाव पाया जाता है इसीलिए जैसलमेर जिले की पालीवाल ब्राह्मण जाती के लोगो द्वारा वर्षा ऋतु के दौरान बनाई जाने वाली कृत्रिम झीलों को खड़ीन कहते है। ➧खड़ीन झीले राजस्थान में सर्वाधिक पोखरण में पायी जाती है। ➧खड़ीन झीलों की आकृति प्यालेनुमा होती है। विशेष- सीकर- ➧राजस्थान के सीकर जिले की आकृति भी प्यालेनुमा है। तिली या मारहो- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वायु अपरदन के कारण कुछ खड्ढे बन जाते है इन्ही खड्ढों को तिली या मारहो या वायुगत या निम्नगत भी कहते है। 2. रन या टाट- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वर्षा के दौरान जब इन तिलियों (मारहो) में पानी भर जाता है तथा ये तिलियां (मारहो) अस्थायी झीलों के रूप में लवणीय या दलदली क्षेत्र बन जाता है इसी लवणीय या दलदली क्षेत्र को रट या टाट झीले कहते है। राजस्थान में थार के मरुस्थल की प्रसिद्ध घासों के नाम-
विशेष- लिलण- ➧वीर तेजाजी की घोड़ी का नाम लिलण है। सेवण घास (लिलोण घास)- ➧सेवण घास का उपनाम या अन्य नाम लिलोण घास है। ➧सेवण घास को काटने या सुखने के बाद लिलोण घास कहते है। रेगिस्तान का मार्च- ➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में सर्वाधिक वायु अपरदन होता है तथा वायु अपरदन के कारण थार का मरुस्थल धिरे-धिरे आगे बढ़ता है अर्थात् राजस्थान में थार के मरुस्थल का हवा के साथ धिरे-धिरे आगे बढ़ना ही रेगिस्तान का मार्च कहलाता है। पोकरण (जैसलमेर, राजस्थान)- ➧भारत का पहला परमाणु परिक्षण 18 मई, 1974 को प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समय राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण नामक जगह पर किया गया था। ➧भारत का दूसरा परमाणु परिक्षण 11 मई 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेय के समय किया गया था। पीवणा सांप- ➧पीवणा सांप राजस्थान का सबसे जहरीला सांप है। ➧पीवणा सांप राजस्थान में सर्वाधिक जैसलमेर जिले के पोकरण नामक जगह पर पाया जाता है। लाठी सीरीज (लाठी श्रृंखला)- ➧राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण नामक जगह से लेकर मोहनगढ़ नामक जगहों के बीच पायी जाने वाली मीठे पानी की भूगर्भीय जल पट्टी को लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला कहते है। ➧लाठी सीरीज में राजस्थान की सबसे पौष्टिक माने जाने वाली घास सेवण घास सर्वाधिक पायी जाती है। ➧लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला ट्रायासिक काल की मानी जाती है। विशेष- लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला- ➧लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला राजस्थान में पायी जाते वाली जल पट्टी है। लाठी नृत्य- ➧लाठी नृत्य राजस्थान में भीलों का नृत्य है। सम गांव (जैसलमेर, राजस्थान)- ➧राजस्थान के जैलमेर जिले का सम गांव राजस्थान का एकमात्र ऐसा गांव है जो पूर्णतः वनस्पति रहिुत है। ➧राजस्थान में सर्वाधिक आकाशीय बिजली राजस्थान के जैसलमेर जिले के सम गांव में चमकती है। ➧राजस्थान के जैसलमेर जिले के सम गांव में सर्वाधिक आकाशीय बिजली चमकने के कारण सम गांव को राजस्थान का थंडर बोलट या वज्रपातों की नगरी कहते है। विशेष-
अकल गांव या आकल गांव (जैसलमेर, राजस्थान)- ➧राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले का अकल गांव या आकल गांव राजस्थान का एकमात्र जीवाश्म पार्क है। ➧राजस्थान के जैसलमेर जिले के अकल गांव से 18 करोड़ साल पूराने 25 लकड़ी के पेड़ मिले है। सी-14 पद्धती (कार्बन-14)- ➧सी-14 पद्धती (C-14 पद्धती) के द्वारा जीवाश्मों की आयु ज्ञात की जाती है। राजस्थान में बालुका स्तूप कौन कौन से हैं?अ.
पवनानुवर्ती बालुका स्तूप– जैसलमेर, जोधपुर, बाडमेर में इन पर बनस्पति पाई जाती है। बरखान या अर्द्ध चन्द्राकार बालुका स्तूप – चूरू, जैसलमेर, सीकर, लुणकरणसर, सूरतगढ, बाड़मेर, जोधपुर आदि। ये गतिशील, रंध्रयुक्त, व नबीन बालुयुक्त होते है। अनुप्रस्थ बालुका स्तूप – बीकानेर, द, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, सूरतगढ़, झंझनू.
सर्वाधिक बालुका स्तूप कौन से जिले में पाए जाते हैं?➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में सर्वाधिक जैसलमेर जिले में पाये जाते है।
राजस्थान में बालुका स्तूप युक्त प्रदेश कितना प्रतिशत है?अवसादी चट्टानों का बाहुल्य लाठी सीरिज क्षेत्र (भूगर्भीय जल पट्टी) एवं आकलवुड फॉसिल पार्क (जीवाश्म अवशेष हेतु प्रसिद्ध) इस प्रदेश में है। 1. प. राजस्थान के रेतीले मैदान का 41.5 % क्षेत्र बालूका स्तूप मुक्त प्रदेश है।
पैराबोलिक बालुका स्तूप क्या है?पवन द्वारा रेत एवं बालू के निक्षेप से निर्मित टीलों को बालुका स्तूप अथवा टिब्बा कहते हैं। भौतिक भूगोल में, एक टिब्बा एक टीला या पहाड़ी है, जिसका निर्माण वायूढ़ प्रक्रियाओं द्वारा होता है। इन स्तूपो के आकार में तथा स्वरुप में बहुत विविधता देखने को मिलती हैं।
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