स्वतंत्रता का अधिकार क्या है उत्तर बताएं? - svatantrata ka adhikaar kya hai uttar bataen?

right of freedom in hindi in india स्वतंत्रता का अधिकार किसे कहते है  स्वतंत्रता का अधिकार की परिभाषा क्या है ?

मौलिक अधिकार
मौलिक अधिकार, जिनकी व्यवस्था इस संविधान में दी गई, को इस रूप में संक्षेपित किया जा सकता है: समानता का अधिकार, स्वतन्त्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म का अधिकार, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक प्रतिविधानों का अधिकार । संपत्ति का अधिकार चवालीसवें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम एक विधिसम्मत अधिकार बना दिया गया था, और तब से, यह एक मौलिक अधिकार नहीं है। देश के बृहद्तर हितों को देखते हुए, किसी भी व्यक्ति से सम्बन्धित सम्पत्ति को उसका ‘मुआवजा‘ अदा करके अधिगृहीत किया जा सकता है।

मौलिक अधिकारों को संविधान के भाग-3 में स्थान दिया गया है और उनके परिपालन की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गारण्टी दी गई है। अन्य शब्दों में, मौलिक अधिकार वाद योग्य हैं। वास्तव में, मौलिक अधिकारों में से कुछ, यह गौरतलब है, केवल देश के नागरिकों के लिए प्रयोज्य हैं और विदेशियों के लिए नहीं। अनुच्छेद 20, अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22, बहरहाल, सभी के लिए प्रयोज्य हैं। यहाँ यह भी अच्छी तरह समझ लिया जाना चाहिए कि जो प्रयोज्य है वह अधिकार की ‘सीमा‘ में है।

एक ‘आपात स्थिति‘ को छोड़कर, मौलिक अधिकार कभी भी निलम्बित नहीं किए जा सकते हैं। हालाँकि, आपास्थिति के दौरान भी अनुच्छेद 20 एवं अनुच्छेद 21 की बहाली नहीं रोकी जा सकती। संविधान में चवालीसवें संशोधन अधिनियम के द्वारा संशोधन किया गया और अनुच्छेद 359-1। के माध्यम से यह बताया गया कि अनुच्छेद 20 और अनुच्छेद 21 निलम्बित नहीं किए जा सकते बेशक उस समय आपास्थिति की घोषणा लागू हो।

स्वतन्त्रता का अधिकार
संविधान अनुच्छेद 19 से 22 के तहत स्वतन्त्रता का अधिकार भी सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 19 इनका वचन देता है ् भारत और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, शान्तिपूर्ण सभा करने का अधिकार, परिषदें बनाने का अधिकार, देश के किसी भी भाग में जाने और बसने का अधिकार और अपने धर्म के प्रकटन और आचरण का अधिकार। ये अधिकार भी, उन सभी तर्काधारित प्रतिबंधों के अधीन हैं जो राज्य द्वारा अनुच्छेद 19 के उपवाक्य 2 से 6 के तहत लगाए जा सकते हैं।

अनुच्छेद 20 इनका वचन देता है – किसी भी व्यक्ति को उन कानूनों के आधार पर दण्डित नहीं किया जाएगा जो कि अपराध किए जाने के बाद अधिनियमित किए गए हों (एक्स पोस्ट फैक्टो कानूनों से संरक्षण), एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दण्डित किए जाने से संरक्षण (दोहरे संकट से संरक्षण) और व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध मुकदमा चलाये जाने से संरक्षण (आत्म-दोषारोपण से संरक्षण)। अनुच्छेद 21 ‘व्यक्तिगत जीवन और स्वतंत्रता‘ के संरक्षण को सुनिश्चित करता है। अन्य शब्दों में, राज्य को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम को छोड़कर, अन्यथा किसी व्यक्ति के जीवन को छीनने का अधिकार नहीं है, अनुच्छेद 22 बिना मुकदमा चलाये किसी व्यक्ति को नजरबंद किए जाने को निषिद्ध करता है। हालाँकि, किसी व्यक्ति की तीन माह तक, कुछ मामलों में इससे भी अधिक, संरक्षात्मक हिरासत की अनुमति है।

संघ: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका
जैसा कि राजनीति शास्त्र के सभी विद्यार्थी जानते हैं, सरकार के तीन अंग अथवा शाखाएँ हैं, यानी, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। इन तीनों के बीच सामञ्जस्यपूर्ण रूप से कार्य-सम्पादन करना देश के विकास हेतु अत्यावश्यक है।

अपनी स्वतन्त्रता के समय भारत ने सरकार के एक संसदीय रूप को अपनाया जाना चुना। इस प्रकार की सरकार में, राष्ट्रपति राज्य का मुखिया होता है जबकि वास्तविक कार्यकारी शक्ति का प्रयोग सरकार के मुखिया, प्रधानमंत्री, द्वारा उसकी मन्त्रिपरिषद् के सहयोग से किया जाता है। ये मन्त्री संसद के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।

भारतीय संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकारों में सम्मिलित है। इसकी 19, 20, 21 तथा 22 क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित ६ प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करतीं हैं। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में से एक है।

19(क) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

19(ख) शांतिपूर्ण और निराययुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता

19(ग)संगम, संघ या सहकारी समिति बनाने की स्वतंत्रता

19(घ)भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की स्वतंत्रता

19(ङ)भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र कही भी बस जाने की स्वतंत्रता

19(छ)कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार की स्वतंत्रता [1]

भारतीय संविधान का उद्देश्य विचार-अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वाधीनता सुनिश्चित करना है। स्वतंत्रता किसे अच्छी नहीं लगती! इतिहास पलट के देखों तो पता चलता है कि आधे से ज्यादा इतिहास तो लोगों के स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते ही बीती है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Freedom)का उल्लेख किया गया है. इस लेख में हम ‘स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom)’ पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने की कोशिश करेंगे। इस सम्बन्ध में अनुच्छेद 19 सबसे अधिक जरुरी है। मूल संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा नागरिकों को 7 स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई थीं और इनमें छठी स्वतंत्रता “सम्पत्ति की स्वतंत्रता” थी. 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार के साथ-साथ “संपत्ति की स्वतंत्रता” भी समाप्त कर दी गई है और अब नागरिकों को 6 स्वतंत्रताएँ ही प्राप्त हैं :-

स्वतंत्रता का अधिकार

भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 19 से लेकर अनुच्छेद 22 तक स्वतंत्रता का अधिकार की चर्चा की गई है –

  1. विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  2. अस्त्र-शस्त्र रहित और शांतिपूर्ण सम्मलेन की स्वतंत्रता
  3. समुदाय और संघ निर्माण की स्वतंत्रता
  4. भ्रमण की स्वतंत्रता
  5. भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र कही भी बस जाने की स्वतंत्रता
  6. कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार की स्वतंत्रता 

         नागरिकों को ऐसे अधिकार नहीं प्रदान किए जा सकते जो समस्त समुदाय के लिए अहितकार हो, यदि व्यक्तियों के अधिकारों पर समाज अंकुश न लगाएं तो उसका परिणाम विनाशकारी होगा। स्वतंत्रता का अस्तित्व भी तभी संभव है जब विधि द्वारा अपने अधिकारों के प्रयोग में हम दूसरे के अधिकारों पर आघात नहीं पहुंचाते है।

विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

भारत के सभी नागरिकों को भारतीय संविधान के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अंतर्गत किसी बात का विचार करने, भाषण देने और अपने व अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार की स्वतंत्रता (freedom of speech and expression) प्राप्त है। प्रेस भी विचारों के प्रचार का एक साधन होने के कारण इसी में प्रेस की स्वतंत्रता भी सम्मिलित है। नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की यह स्वतंत्रता असीमित रूप से प्राप्त नहीं है, बल्कि इसका भी अधिकार क्षेत्र सीमित है, कोई व्यक्ति केवल तब तक ही स्वतन्त्र है, जब तक उसके क्रियाकलाप से किसी अन्य व्यक्ति के मौलिक अधिकारों या उसकी स्वतंत्रता का हनन नहीं हो रहा है। उच्चतम न्यायालय ने रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य के मामले में  यह कहा है कि वाक्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विचारों के प्रसार की स्वतंत्रता सम्मिलित हैं और वह स्वतंत्रता विचारों के प्रसारण की स्वतंत्रता द्वारा सुनिश्चित है।

स्वतंत्रता का अधिकार क्या है उत्तर बताइए?

भारतीय संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकारों में सम्मिलित है। इसकी 19, 20, 21 तथा 22 क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित ६ प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करतीं हैं। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में से एक है।

स्वतंत्रता का अधिकार कौन कौन से हैं?

जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार स्वतंत्रता के सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारों में 'जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार' है। किसी भी नागरिक को कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किये बिना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।

स्वतंत्रता के अधिकार का क्या अर्थ है class 8?

भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत में कहीं भी रहने या बस जाने की स्वतंत्रता है. भ्रमण और निवास के सम्बन्ध में यह व्यवस्था संविधान द्वारा अपनाई गई इकहरी नागरिकता के अनुरूप है. भ्रमण और निवास की इस स्वतंत्रता पर भी राज्य सामान्य जनता के हित और अनुसूचित जातियों और जनजातियों के हितों में उचित प्रतिबंध लगा सकता है.

स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं?

swatantra kya hai स्वतंत्रता का अर्थ है नियंत्रणों से मुक्ति, अथवा उनका अभाव। किसी व्यक्ति को मुक्त अथवा कुछ करने में स्वतंत्र माना जा सकता है, जब उसके कार्य अथवा विकल्प दूसरे के कार्यों अथवा विकल्पों द्वारा बाधित अथवा अवरुद्ध न हों।