राम सरूप तुम्हार बचन अगोचर बुद्धिपर सुनहु राम अब कहउँ निकेता, जहाँ बसहु सिय लखन समेता भरहिं निरंतर होहिं न पूरे, तिन्ह के हिय तुम्ह कहुँ गुह रूरे तिन्हके हृदय सदन सुखदायक, बसहु बंधु सिय सह रघुनायक जस तुम्हार मानस बिमल हंसिनि जीहा जासु
प्रभु प्रसाद सुचि सुभग सुबासा, सादर जासु लहइ नित नासा कर नित करहिं राम पद पूजा, राम भरोस हृदयँ नहिं दूजा सबु करि मागहिं एक फलु राम चरन रति होउ काम कोह मद मान न मोहा, लोभ न छोभ न राग न द्रोहा कहहिं सत्य प्रिय बचन बिचारी, जागत सोवत सरन तुम्हारी स्वामि सखा पितु मातु गुर जिन्ह के सब तुम्ह तात गुन तुम्हार समुझइ निज दोसा, जेहि सब भाँति तुम्हार भरोसा जाति पाँति धनु धरमु बड़ाई, प्रिय परिवार सदन सुखदाई जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम्ह सन सहज सनेहु Credits Disclaimer: i testi sono forniti da Musixmatch. In Ayodhyakand, Doha 127-131 ; Dialogue between BALMIKI and Shri Ram is very interesting to explain the characteristics of people who want to be nearer to GOD; I will be putting here these Dohas one by one. You will really enjoy reading this: In Doha 127; Shri Ram ji asked the advice and guidance of Rishi Balmiki as where to live now in our Vanvas awastha? Rishi Balmiki ji, knowing fully well that Shri Ram is reincarnation of Lord Vishnu, said, ” Swami, tell where you are not”; http://hindi.webdunia.com/religion/religion/hindu/ramcharitmanas/AyodyaKand/21.htm Balmiki- Ram Samwad in Ayodhyakand दोहा : प्रभु प्रसाद सुचि सुभग सुबासा। सादर जासु लहइ नित नासा।। काम कोह मद मान न मोहा। लोभ न छोभ न राग न द्रोहा।। अवगुन तजि सब के गुन गहहीं। बिप्र धेनु हित संकट सहहीं।। एहि बिधि मुनिबर भवन देखाए। बचन सप्रेम राम मन भाए।। रघुबर कहेउ लखन भल घाटू। करहु कतहुँ अब ठाहर ठाटू।। |