संधारित्र को श्रेणी क्रम में कब जोड़ा जाता है - sandhaaritr ko shrenee kram mein kab joda jaata hai

विभिन्न प्रकार के आधुनिक संधारित्र

संधारित्र को श्रेणी क्रम में कब जोड़ा जाता है - sandhaaritr ko shrenee kram mein kab joda jaata hai

समान्तर प्लेट संधारित्र का एक सरल रूप

संधारित्र को श्रेणी क्रम में कब जोड़ा जाता है - sandhaaritr ko shrenee kram mein kab joda jaata hai

बॉक्स प्रकार का संधारित्र

संधारित्र या कैपेसिटर (Capacitor), विद्युत परिपथ में प्रयुक्त होने वाला दो सिरों वाला एक प्रमुख अवयव है। यदि दो या दो से अधिक चालकों को एक विद्युत्रोधी माध्यम द्वारा अलग करके समीप रखा जाए, तो यह व्यवस्था संधारित्र कहलाती है। इन चालकों पर बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं। यदि संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा जाए, तो इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होगा, परंतु इसकी प्लेटों पर बराबर मात्रा में घनात्मक एवं ऋणात्मक आवेश संचय हो जाएँगे। विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है।

संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर डीसी धारा नही बह सकती।

संधारित्र की धारा और उसके प्लेटों के बीच में विभवान्तर का सम्बन्ध निम्नांकित समीकरण से दिया जाता है-

जहाँ :

  • I संधारित्र के प्लेटों के बीच बहने वाली धारा है,
  • V संधारित्र के प्लेटों के बीच का विभवान्तर है,
  • C संधारित्र की धारिता है जो संधारित्र के प्लेटों की दूरी, उनके बीच प्रयुक्त डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ, प्लेटों का क्षेत्रफल एवं अन्य ज्यामितीय बातों पर निर्भर करता है। संधारित्र की धारिता निम्नलिखित समीकरण से परिभाषित है-

संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा[संपादित करें]

संधारित्र को आवेशित करने में जो कार्य करना पड़ता है वह संधारित्र में संग्रहित हो जाती है। संधारित्र में संग्रहित यह ऊर्जा विद्युत क्षेत्र के रूप में होती है। संग्रहित ऊर्जा U का मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा अभिव्यक्त होती है-

वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर ईकाई आयतन में संग्रहित उर्जा का मान निम्नलिखित सूत्र से दिया जा सकता है-

संधारित्रों के प्रमुख उपयोग[संपादित करें]

  • आवेश भण्डारण तथा उर्जा भण्डारण के लिये (पल्स पॉवर सप्लाई में, स्थायी चुम्बकों को चुम्बकित या विचुम्बकित करने के लिए)
  • शक्ति गुणांक (पॉवर फैक्टर) को बेहतर बनाने के लिये
  • विभिन्न विद्युत फिल्टरों में
  • विद्युत परिपथों में समय-सम्बन्धी परिपथ (timing circuit) बनाने के लिये
  • पल्स-पॉवर एवं शस्त्र निर्माण
  • सेंसर के रूप में (जैसे CVT = कैपेसिटिव वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर)

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संधारित्रों का संयोजन[संपादित करें]

जिस प्रकार प्रतिरोधों और प्रेरकत्वों को आवश्यकतानुसार श्रेणीक्रम या समान्तर क्रम में जोड़कर उचित मान (वैल्यू) तथा उचित रेटिंग (वाटेज, वोल्टता, धारा की रेटिंग आदि) प्राप्त कर ली जाती है, उसी प्रकार दो या अधिक संधारित्रों को भी आवश्यकतानुसार संयोजित किया जाता है।

श्रेणीक्रम में संयोजन[संपादित करें]

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श्रेणीक्रम में जुड़े हुए n संधारित्रों का तुल्य धारिता निम्नलिखित सूत्र से दी जाती है:

दो संधारित्र श्रेणीक्रम में जोड़े जाँय तो उनकी तुल्य धारिता निम्नलिखित सरल सूत्र से निकाला जा सकता है-

और अगर दोनो संधारित्र समान मान वाले हों तो श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर उनकी तुल्य धारिता प्रत्येक की धारिता की आधी हो जाती है। उदाहरण के लिये १० माइक्रोफैराड के दो संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य धारिता ५ माइक्रोफैराड होगी।

समान्तर क्रम में संयोजन[संपादित करें]

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समान्तर क्रम में जुड़े संधारित्रों की कुल धारिता (तुल्य धारिता) उनकी धारिताओं के योग के बराबर होती है।

उदाहरण के लिये १० माइक्रोफैराड वाले ४ संधारित्र समान्तरक्रम में जोड़ दिये जाँय तो उनकी कुल धारिता ४० माइक्रोफैराड हो जाएगी।

कुछ प्रमुख संधारित्र संरचनाएं[संपादित करें]

संधारित्र की दो प्लेटों (चालकों) का संयोजन (अरेंजमेन्ट) तरह-तरह से किया जा सकता है। इस प्रकार संधारित्र भी कई तरह के होते हैं। तीन मुख्य ज्यामिति वाले संधारित्रों के बारे में नीचे की सारणी में मुख्य जानकारियाँ दी गयीं हैं। संधारित्र के दो चालकों (प्लेटों) के बीच के कुचालक की एक मुख्य गुण उसकी परमिटिविटी (permitivity) है जो ε से निरूपित की जाती है। निर्वात की परमिटिविटी को ε0 से निरुपित किया जाता है। इसका मान है:

.
प्रकार धारिता विद्युत क्षेत्र चित्र
समान्तर प्लेट संधारित्र
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बेलनाकार संधारित्र
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गोलीय संधारित्र
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गेंद
समान्तर बेलन (लेकर-लाइन Lecher lines)
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समतल प्लेट के समान्तर बेलन
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d > R
a त्रिज्या वाले दो गोले
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परिवर्ती संधारित्र[संपादित करें]

अनेक कार्यों के लिए, परिवर्ती संधारित्र (वैरिएबल कैपेसिटर) आवश्यक होते हैं (जैसे, रेडियो के ट्यूनर में)।

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कुछ संधारित्र जिनका मान यांत्रिक विधि से बदला जा सकता है। कुछ ऐसे भी संधारित्र होते हैं जिनका मान उन पर आरोपित वोल्टेज के साथ बदलता रहा है (जैसे, वैरेक्टर)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

संधारित्र को श्रेणी क्रम में कब जोड़ा जाता है - sandhaaritr ko shrenee kram mein kab joda jaata hai

  • धारिता (कैपेसिटी)
  • परावैद्युत
  • वैद्युत अवयव
  • प्रतिरोधक
  • प्रेरकत्व
  • अतिसंधारित्र (सुपर कैपेसिटर)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Capacitance and Inductance - a chapter from an online textbook
  • Howstuffworks.com: How Capacitors Work
  • CapSite 2009: Introduction to Capacitors
  • Capacitor Tutorial - Includes how to read capacitor temperature codes
  • Capacitor Converters and Calculators

संधारित्र का समांतर क्रम में कब जोड़ा जाता है?

संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन समांतर क्रम संयोजन में दो या दो से अधिक संधारित्र को एक साथ जोड़ने के लिए प्रत्येक संधारित्र की पहली प्लेट को एक बिंदु X से जोड़ देते हैं। तथा प्रत्येक संधारित्र की दूसरी प्लेट को दूसरे बिंदु Y से जोड़ देते हैं। ओर यदि अधिक संधारित्र हैं। तो आगे भी इसी क्रम में जोड़ते हैं।

संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन क्या है?

संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन :- समांतर क्रम संयोजन में सभी संधारित्रों को एक साथ जोड़ने के लिए उन सभी संधारित्रों की पहली प्लेट को एक बिंदु A से जोड़ देते हैं। तथा सभी संधारित्रों की दूसरी प्लेट को दूसरे बिंदु B से जोड़ देते हैं। और यदि कई संधारित है। तो उन्हें भी इसी क्रम में जोड़ते हैं।

9pF धारिता के तीन संधारित्र श्रेणी क्रम में जुड़े हों तो उनकी तुल्य धारिता क्या होगी?

Solution : (a) `C_("श्रेणीक्रम")=(C)/(n)=(9pF)/(3)=3pF` <br> (b) श्रेणीक्रम में जोड़े तीनों संधारित्रों के बीच विभवान्तर समान रूप से बँट जाता है क्योंकि उन सब की धारिता एक समान है। इस प्रकार हर संधारित्र पर विभवान्तर `=(120V)/(3)=40` है।

श्रेणी क्रम संयोजन क्या है?

श्रेणीक्रम संयोजन जब विद्युत के दो या अधिक घटक इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि सबमें एक ही धारा प्रवाहित हो तो इसे श्रेणीक्रम कहते हैं। अर्थात, श्रेणीक्रम में जुड़े सभी अवयवों में प्रत्येक क्षण एक समान धारा प्रवाहित होती है।