छत्तीसगढ़ के 36 किलो के नाम बताइए - chhatteesagadh ke 36 kilo ke naam bataie

मुख्यपृष्ठCG Historyछत्तीसगढ़ के सभी 36 गढ़ो के नाम।

छत्तीसगढ़ के 36 किलो के नाम बताइए - chhatteesagadh ke 36 kilo ke naam bataie
StudyCircle247.in अक्तूबर 17, 2016 3

रायपुर के अधीन गढ़ -

रायपुर
पाटन
सिमगा
सिंगारपुर
लवण
अमोरा
दुर्ग
सारधा
सिरसा
मोहदी
खल्लारी
सिरपुर
फिंगेश्वर
राजिम
सिंगारगढ़
सुवर्मार
टेंगनागढ़
अकलवाड़ा

रतनपुर के अधीनगढ़ -

रतनपुर
विजयपुर
खरोद
मारो
कोटगढ़
नवागढ़
सोंधी
ओखर
पड रभठ्ठ
सेमरिया
मदनपुर
लाफा
कोसगाई
केंदा
मातीन
उपरौरा
पेंड्रा
कुरकुट्टी

छत्तीसगढ़ के 36 किलो के नाम बताइए - chhatteesagadh ke 36 kilo ke naam bataie

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साहित्य में छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम खैरागढ़ के राजा लक्ष्मीनिधि राय के काल में कवि दलपतराव ने सन 1494  में किया -" लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित दे ,गढ़ छत्तीस में न गढ़ैया रही " । 

रतनपुर के कवि गोपाल चंद्र मिश्र रचित खूब तमाशा में सन 1686 में छत्तीसगढ़ नाम का उल्लेख हुआ है। 

रेवाराम ने विक्रम विलास नामक ग्रन्थ में जिसकी रचना सन 1896 में हुई थी छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया है। 

छत्तीसगढ़ के 36 किलो के नाम बताइए - chhatteesagadh ke 36 kilo ke naam bataie

शाब्दिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का अर्थ होता है (छत्त्तीस +गढ़ ) छत्तीस किले या गढ़ कल्चुरी शासन काल में रतनपुर शाखा एवं रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 -18 गढ़ थे। इनमे से गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में तथा गढ़ नदी के दक्षिण में स्थित थे। कालांतर में उत्तर के गढ़ रतनपुर शाखा के अधीन तथा दक्षिण  के गढ़ रायपुर शाखा के अधिकार क्षेत्र में थे। इस प्रकार कुल 36 गढ़ थे इसका सन्दर्भ आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र की किताब छत्तीसगढ़ का इतिहास में मिलता है।  छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम इस प्रकार है :-

रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो के नाम -

  1. रतनपुर 
  2. मारो
  3.  विजयपुर 
  4. खरौद
  5.  कोटगढ़ 
  6. नवागढ़
  7.  सोढ़ी
  8.  औखर
  9.  पण्डरभाठा 
  10. सेमरिया
  11.  मदनपुर 
  12. कोसगई 
  13. लाफागढ़
  14.  केंदा
  15.  उपरोड़ा
  16.  मातिन
  17.  कंडी (पेण्ड्रा )
  18.  करकट्टी (बघेलखण्ड )

रायपुर रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो के नाम -

  1. रायपुर
  2.  पाटन
  3.  सिमगा 
  4. सिंगारपुर
  5.  लवन
  6.  अमोरा
  7.  दुर्ग 
  8. सरदा 
  9. सिरसा 
  10. मोहदी 
  11. खलारी
  12.  सिरपुर
  13.  फिंगेश्वर 
  14. राजिम 
  15. सिंघनगढ़ 
  16. सुअरमार
  17.  टेंगनागढ़
  18.  एकलवार (अकलतरा )

अधिक़ांश इतिहासकारों का मत है कि कल्चुरियों ने 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए थे। जिनमें 18 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तरी क्षेत्र में रतनपुर शाख़ा के अंतर्गत और दक्षिणी क्षेत्र में रायपुर शाख़ा के अंतर्गत 18 गढ़ शामिल थे।

छत्तीसगढ़ के 36 किलो के नाम बताइए - chhatteesagadh ke 36 kilo ke naam bataie

उस समय 84 गांवों के समूह को एक गढ़ कहते थे. तब इस क्षेत्र में तकरीबन 3025 गांव थे। गढ़ इनके प्रादेशिक इकाई का मुख्यालय होता था। जहां से क्षेत्रीय जनता पर नियंत्रण रखा जाता था। गढ़ के प्रमुख को गढ़पति या दीवान कहा जाता था। दीवान पर केवल राजा का नियंत्रण होता था।

इन गढ़ों की सूचियां चिजम और हैविट द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में दी गई है।

रतनपुर शाखा के 18 गढ़रायपुर शाखा के 18 गढ़
01. रतनपुर 01. रायपुर
02. उपरोड़ा 02. पाटन
03. मारो 03. सिमगा
04. विजयपुर 04. सिंगारपुर
05. खरौद 05. लवन
06. कोटगढ़ 06. ओमेरा
07. नवागढ़ 07. दुर्ग
08. सोढ़ीगढ़ 08. सारधा
09. ओखर 09. सिरसा
10. पंडराभट्ठा 10. मोहदी
11. सेमरिया 11. खल्लारी
12. मदनपुर 12. सिरपुर
13. कोसगई 13. फिंगेश्वर
14. करकट्टी 14. सुअरमाल
15. लाफा 15. राजिम
16. केंदा 16. सिंगारगढ़
17. मातिन गढ़ 17. टेंगनागढ़
18. पेण्ड्रा 18. अकलवाड़ा

छत्तीसगढ़ के 36 किलो के नाम बताइए - chhatteesagadh ke 36 kilo ke naam bataie

छत्तीसगढ़ के 36 किलो कौन कौन से हैं?

छत्तीसगढ़ के छत्तीस गढ़.

छत्तीसगढ़ में कुल कितने किले हैं?

छत्तीसगढ़ के 36 किले अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि कल्‍चुरी राजाओं ने 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए थे। रामायण काल से सत्रहवीं शताब्दी तक इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। आज बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, कल्चुरी राजाओं के दौर में छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करता था।

छत्तीसगढ़ में कितने गढ़ थे?

बता दें कि 18 गढ़ और दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ बनाए थे। ये गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में कल्चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत बनाए गए थे

छत्तीसगढ़ के क्या क्या नाम है?

इसे हर युग में अलग -अलग नामों से जाना जाता था। पहले आते है रामायण काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल और बस्तर को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था। महाभारत कल में इसे प्राक्कोसल या कोसल के नाम से जाना जाता था। महाजनपद काल में कोसल महा जनपद के नाम से जाना गया।