सिंधु घाटी सभ्यता का पतन : सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कैसे हुआ या सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ ? सिंधु घाटी सभ्यता का अंत इस सभ्यता के तक़रीबन 1000 हजार साल तक रहने के बाद हुआ। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस बारे में विद्वानों के कई मत हैं और कोई भी एक कारण या समय ज्ञात नहीं है। Show सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों की समीक्षा करेंसिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण निम्न हैं —
अधिकतर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप के कारण ही हुआ, हालाँकि सिंधु सभ्यता का विकास नदी घाटी क्षेत्र में ही हुआ था तो इस क्षेत्र में बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है कि इस सभ्यता का अंत बाढ़ आने के कारण हुआ हो। वही कुछ विद्वानो का मत है की केवल बाढ़ आने से इतनी विशाल सभ्यता का पतन नहीं हो सकता है। इसलिए बाढ़ के अलावा और भी कई कारणों जैसे – आग लग जाना, महामारी, बाहरी आक्रमण आदि अन्य कई कारणों से इस सभ्यता के अंत का समर्थन कई विद्वान करते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में विभिन्न विद्वान और उनकी राय
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Sindhu Ghati Sabhyata Ke Patan Ke Karnnon Ka VarnnanGkExams on 23-11-2018 सैन्धव सभ्यता अपने काल की विकसित नगरीय सभ्यता थी जो बहुत बड़े भू-भाग में फैली हुई थी। विस्तृत क्षेत्र में पनपी यह सभ्यता अपना कोई चिह्न अथवा स्मृति छोड़े बिना कैसे लुप्त हो गई, यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका प्रत्युत्तर हमारे आज के ज्ञान के आधार पर नहीं दिया जा सकता। केवल अनुमान के आधार पर अलग-अलग विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत प्रस्तुत किये हैं। सामान्यतः किसी भी सभ्यता का पतन एक नहीं अपितु अनेक तथ्यों का परिणाम होता है। जहाँ तक सैन्धव सभ्यता का प्रश्न है, यह सोचना कि इतने विशाल और विविध प्रकार के भौगोलिक क्षेत्र में फैली हुई, दीर्घजीवी, नागरीय सभ्यता का अन्त सर्वत्र किसी एक ही कारण से हुआ हो, सर्वथा अनुपयुक्त होगा। सिंधु सभ्यता के नगर-नियोजन एवं नगर निर्माण में एक ह्रासोन्मुख प्रवृत्ति दिखती है। उदाहरण के लिए पतली विभाजक दीवारों से घरों के आंगन का विभाजन कर दिया गया था। शहर बड़ी तेजी से तंग बस्तियों में बदल रहे थे। विशाल स्नानागार और अन्न भंडार का उपयोग पूर्णत: समाप्त हो गया था। मूर्तियों, लघु मूर्तियों, मनकाओं आदि की संख्या में कमी आई। बहावलपुर क्षेत्र में हाकरा नदी तटों के साथ परिपक्व काल में जहाँ 174 बस्तियाँ थीं, वहाँ उत्तरवर्ती हड़प्पा काल में बस्तियों की संख्या 50 रह गई। जहाँ हड़प्पा, बहावलपुर और मोहनजोदड़ो के त्रिभुज में बस्तियों की संख्या में ह्रास हुआ वहीं गुजरात, पूर्वी पंजाब, हरियाणा और ऊपरी दोआब के दूरस्थ क्षेत्रों में गंगा की बस्तियों की संख्या में वृद्धि हुई। सिंधु सभ्यता के नगरों का पतन स्थूल रूप से लगभग 1800 ई.पू. में हुआ। इस तारीख का समर्थन इस तथ्य से भी होता है कि मेसोपोटामिया साहित्य में 1900 ई.पू. के अंत तक मेलुहा का उल्लेख समाप्त हो गया था। पतन के कारण–
प्रशासनिक शिथिलता- जॉन माशल का मत। जलवायु में हुए परिवर्तन के कारण यह सभ्यता नष्ट हो गई- ऑरेल स्टाइन का यह मत है। निष्कर्ष- सिन्धु सभ्यता के पतन के लिए कोई एक कारक उत्तरदायी नहीं हैं, वरन् ऐसा कहा जा सकता है कि अलग-अलग स्थल के पतन के लिए अलग-अलग कारक उत्तरदायी रहे होगें। सम्बन्धित प्रश्नComments Namita kumari on 05-01-2023 Sindhu ghati sabhyata ke patan ke karno ka warnan kare Ankit jatav on 14-12-2022 सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का वर्णन Ankit on 13-12-2022 SindhuSabhytakipatankekarnokabarnankaro Vikash on 09-11-2022 इतिहास क्षेत्र का वितरण Deepanshu on 13-08-2022 सिंधु घाटी सभ्यता का पतन का मुख्य कारण क्या था Sushari jamuda on 07-07-2022 सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन कारणों को लिखे Naina on 28-05-2022 Sindhu ghati sabhyata ke patn ka sanchep me varnan Karen Manisha on 10-04-2022 Sindu ghati shabayata ke patan ke karan Hemlata patel on 31-01-2022 सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणो का व रण कीजिऐ Deepak on 15-01-2021 Sindhi ghati sabhyata ke patan k karnnon k bibechna kre? john on 12-05-2019 Hadappa sabhyata ka vistar Asif Asif on 19-09-2018 Sindhu ghati ki jal nikas panali |