संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर, 33 व्यंजन और 4 आयोगवाह ऐसे कुल मिलाकर के 50 वर्ण हैं । स्वर को ‘अच्’ और ब्यंजन को ‘हल्’ कहते हैं । 14 स्वरों में से 5 शुद्ध स्वर हैं; अ, इ, उ, ऋ, लृ
संस्कृत में वर्णो के उच्चारन् स्थानमुख के अंदर स्थान-स्थान पर हवा को दबाने से भिन्न-भिन्न वर्णों का उच्चारण होता है । मुख के अंदर पाँच विभाग हैं, जिनको स्थान कहते हैं । इन पाँच विभागों में से प्रत्येक विभाग में एक-एक स्वर उत्पन्न होता है, ये ही पाँच
शुद्ध स्वर कहलाते हैं । स्वर उसको कहते हैं, जो एक ही आवाज में बहुत देर तक बोला जा सके । वर्णो का विभाजन- classification of hindi alphabet33 व्यंजनों में 25 वर्ण, वर्गीय वर्ण हैं याने कि वे पाँच–पाँच वर्णों के वर्ग में विभाजित किये हुए हैं । बाकी के 8 व्यंजन विशिष्ट व्यंजन हैं, क्यों कि वे वर्ग़ीय व्यंजन की तरह किसी एक वर्ग में नहीं बैठ सकतें । वर्गीय व्यंजनों का विभाजन उनके उच्चारण की समानता के अनुसार किया गया है ।
स्वरों का विभाजन – classification of vowels
स्वरों को तीन भागों में बांटा गया है – (swaro ko kitane bhago me baata gaya hai?)
संवृत और विवृत स्वर – samvrat aur vivrat swar kya hai?संवृत स्वर –samvrat swar
अर्द्ध संवृत स्वर – ardhd samvrat swar
विवृत स्वर – vivrat swar
अर्द्ध विवृत स्वर – ardhd vivrat swar
संध्य और सामान स्वर – sandhy aur saman swar kya hai?संध्य स्वर –sandhy swar
समान स्वर – samaan swar
व्यंजनों का विभाजन-classification of consonants
आयोगवाह – ayogvaah varn kitane hote hai?स्वर और व्यंजन के अलावा “ं” (अनुस्वार), ‘ः’ (विसर्ग), जीव्हामूलीय, और उपध्मानीय ये चार ‘आयोगवाह ’ कहे जाते हैं, और इनके उच्चार कुछ खास नियमों से चलते हैं जो आगे दिये गये हैं । संयुक्त वर्ण – sanyukt varn kitane hote hai?इन 49 वर्णों को छोडकर, और भी कुछ वर्ण सामान्य तौर पे प्रयुक्त होते हैं जैसे कि क्ष, त्र, ज्ञ, श्र इत्यादि । पर ये सब किसी न किसी व्यंजनों के संयोग से बने गये होने से उनका अलग अस्तित्व नहि है; और इन्हें संयुक्त वर्ण भी कहा जा सकता है । अन्तःस्थ व्यञ्जन – antastha vyanjan kitane hote hai?‘य’, ‘व’, ‘र’, और ‘ल’ ये विशिष्ट वर्ण हैं क्यों कि स्वर-जन्य (स्वरों से बने हुए) हैं, ये अन्तःस्थ व्यञ्जन भी कहे जाते हैं । देखिए-
ऊष्म व्यंजन – ushm vyanjan kitane hai?इनके अलावा ‘श’, ‘ष’, और ‘स’ के उच्चारों में बहुधा अशुद्धि पायी जाती है । इनके उच्चार स्थान अगर ध्यान में रहे, तो उनका उच्चारण काफी हद तक सुधारा जा सकता है ।
ये चारों ऊष्म व्यंजन होने से विशिष्ट माने गये हैं ।
संस्कृत भाषा में वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर, 33 व्यंजन और 4 आयोगवाह ऐसे कुल मिलाकर के 50 वर्ण हैं । स्वर को 'अच्' और ब्यंजन को 'हल्' कहते हैं । संस्कृत में हर अक्षर, स्वर और व्यंजन के संयोग से बनता है, जैसे कि “क” याने क् (हलन्त) अधिक अ ।
संस्कृत में वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं?संस्कृत वर्णमाला अक्षर
संस्कृत वर्णमाला में 46 विभिन्न अक्षर होते हैं।
वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?हिन्दी में उच्चारण के आधार पर ५२ वर्ण होते हैं। इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं। लेखन के आधार पर ५६ वर्ण होते हैं इसमें ११ स्वर , ४१ व्यञ्जन तथा ४ संयुक्त व्यञ्जन होते हैं।
संस्कृत भाषा में कितने स्वर वर्ण हैं?उत्तर-संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर होते हैं अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लृ ए, ऐ, ओ, औ।
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