सापेक्ष गति से आप क्या समझते हैं? - saapeksh gati se aap kya samajhate hain?

जब दो वस्तुएं गतिमान हों तो एक वस्तु द्वारा प्रेक्षित दूसरे वस्तु का वेग आपेक्षिक वेग या सापेक्ष वेग (relative velocity) कहलाता है। अर्थात् वस्तु \mathbf का \mathbf के सापेक्ष वेग वह वेग है जिस वेग से वस्तु \mathbf से देखने पर वस्तु \mathbf चलती हुई प्रतीत होती है। .

4 संबंधों: सदिश राशि, संदर्भ विन्यास, वेग, आपेक्षिकता सिद्धांत।

जिस भौतिक राशि में मात्रा (परिमाण) तथा दिशा दोनो निहित होते हैं उन्हें सदिश राशि कहते है। सदिश राशियों के उदाहरण हैं - वेग, बल, संवेग इत्यादि। जिन राशियों में सिर्फ परिमाण होता है उन्हें अदिश राशि कहते हैं, जैसे - चाल, दूरी, द्रव्यमान, आयतन इत्यादि। सदिश राशियों को अदिश से अलग समझने का कारण यह है कि हम कभी-कभी किसी राशि की दिशा का ज्ञान करना आवश्यक होता है। जैसे कि जमीन पर रखे बक्से पर बल किस दिशा में लग रहा है - कितना लग रहा है यह स्पष्टतटा नहीं बताता कि बक्सा खिसकेगा या नहीं। अगर हम बल उपर से नीचे की ओर लगाएं तो बक्सा कितना भी बल लगाने से नहीं खिसकेगा। पर यदि हम इसको क्षैतिज रूप से लगाएं तो एक नियत मात्रा के बल के बाद यह खिसकने लगेगा। गणित तथा भौतिक विज्ञान में सदिशों के बहुत उपयोग हैं। .

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संदर्भ विन्यास (फ्रेम ऑफ रिफरेन्स) एक ऐसी निर्देशांक पद्धति या अक्षों का समूह है जिनमे किसी वस्तु का स्थान, अभिविन्यास और अन्य गुणों को मापा जा सकता है। .

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किसी वस्तु की एक खास दिशा में जो चाल होती है उसे उस वस्तु का उस दिशा में वेग कहा जाता है। छात्रों में एक सामान्य अवधारणा पाई जाती है कि वेग सिर्फ उसी दिशा में ही निकाला जाता है जिस दिशा में वस्तु चलती हुई प्रतीत होती है। ऐसा नहीं है, वेग उस दिशा में भी निकाला जा सकता है जिस दिशा में वस्तु की चाल प्रतीत नहीं होती है। जबकि चाल वेग का परिमाण होता है। श्रेणी:शब्दार्थ श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:गतिविज्ञान.

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सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .

इसे सुनेंरोकें”शरीर की गति किसी अन्य शरीर के संबंध में चल रही है जो या तो गतिमान है या आराम से है, जिसे दोनों परस्पर क्रिया करने वाले निकायों के बीच सापेक्ष गति के रूप में जाना जाता है।”

आपेक्षिक वेग क्या है इसके लिए सूत्र ज्ञात कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंआपेक्षिक वेग को VAB द्वारा दर्शाया जाता है। v2 > v1 तो आपेक्षिक वेग धनात्मक है। v2 < v1 तो आपेक्षिक वेग ऋणात्मक है। v2 = v1 तो आपेक्षिक वेग शून्य है।

औसत वेग का सूत्र क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंVav = (u + v)/2।

आपेक्षिक वेग क्या है एक शब्द में उत्तर?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: जब दो वस्तुएं गतिमान हों तो एक वस्तु द्वारा प्रेक्षित दूसरे वस्तु का वेग आपेक्षिक वेग या सापेक्ष वेग (relative velocity) कहलाता है।

निरपेक्ष निर्धनता से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंनिरपेक्ष निर्धनता से तात्पर्य उस स्तर से है जहाँ व्यक्ति अपनी आधारभूत आवश्यकताओं जैसे – रोटी, कपड़ा और मकान को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाता है।

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निरपेक्ष निर्धनता तथा सापेक्ष निर्धनता से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसापेक्ष निर्धनता का आकलन एक राष्ट्र का अन्य राष्ट्रों के साथ आकलन करने से है। संयुक्त राष्ट्र(UN) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रति दिन $1.90 से कम पर अपना जीवन यापन कर रहा है तो वह गरीबी रेखा से नीचे माना जाएगा। इसी आधार पर संयुक्त राष्ट्र प्रति वर्ष राष्ट्रों की निर्धनता सूची प्रकाशित करता है।

निरपेक्ष गरीबी या संपूर्ण गरीबी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनिरपेक्ष गरीबी (Nirpeksh Garibi) देश की उस जनसंख्या को सूचित करती है जो न्यूनतम उपभोग स्तर नहीं प्राप्त कर पाती और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। निरपेक्ष गरीबी का मापन कैलोरी के आधार, उपभोग व्यय के आधार पर या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर किया जा सकता है। निरपेक्ष गरीबी को संपूर्ण गरीबी कहते है।

औसत चाल तथा औसत वेग से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंऔसत वेग को परिभाषित करने के लिए केवल विस्थापन का ज्ञान ही आवश्यक होता है । हम यह देख चुके हैं कि विस्थापन का परिमाण वास्तविक पथ-लंबाई से भिन्न हो सकता है । वास्तविक पथ पर वस्तु की गति की दर के लिए हम एक दूसरी राशि को प्रयुक्त करते हैं जिसे औसत चाल कहते हैं ।

इस Article में हम सापेक्ष वेग Relative Velocity in Hindi के बारे में पढ़ेंगे। सापेक्ष वेग क्या है ?, (What is Relative Velocity in Hindi ) सापेक्ष वेग के उदाहरण आदि।

सापेक्ष वेग क्या है? (Relative Velocity in Hindi)

यदि दो वस्तुएं समान रूप से गति कर रही है एक वस्तु द्वारा प्रेक्षित दूसरे वस्तु का वेग सापेक्ष वेग कहलाता है।

माना दो वस्तुएं A तथा B हैं तो वस्तु A का वस्तु B के सापेक्ष वेग वह वेग है जिस वेग से वस्तु B से देखने पर वस्तु A गति करती हुई प्रतीत होती है।

अब हम कुछ स्थितीयो पर विचार करेंगे।

माना कोई दो साइकिल सवार A तथा B दो वेग Va तथा Vb से चल रहे हैं। अब यदि वे दोनो सवार समान दिशा में गति करे तो A साइकिल सवार का B साइकिल सवार के सापेक्ष वेग निम्न होगे।

Vba = Vb — Va

Vab = Va — Vb

यदि ये दोनो साईकिल सवार जब एक दूसरे की विपरीत दिशा में गतिमान हो तो,इस स्थिती में पहले सवार के सापेक्ष दूसरे सवार की गति निम्न होगी।

Vba =Vb-(-Va)

Vba =Vb-(-Va)

Vab = Vb+Va

Vab = Va – (-Vb)

Vab = Va+Vb

उदाहरण

हम सापेक्ष वेग को उदाहरण के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं। यदि कोई दो व्यक्ति A तथा B समान वेग से एक ही दिशा में गति कर रहे हो तो यदि व्यक्ति A से पूछे व्यक्ति B गतिमान स्थिती में या विराम अवस्था में तो B का जवाब होगा विराम अवस्था में जबकि व्यक्ति B तो गतिमान है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि A को B के वेग में परिवर्तन 0 दिखाई देता है। इसी कारण से A को B विराम अवस्था में नजर आता है।

यदि A वस्तु 3मीटर/सेकंड वेग से गतिमान है तो तथा यदि वस्तु B भी उसी दिशा में 2मीटर/सेकंड से गतिमान हो तो 1 सेकंड में दोनो की स्थिती में परिवर्तन 1मीटर/सेकंड होता है।

अतः वस्तु B के सापेक्ष A का सापेक्ष वेग 1मीटर/सेकंड होता है।

अब यदि वस्तु B, A समान पथ पर विपरीत दिशा में 2मीटर/सेकंड की चाल से चले तो वस्तु A को B का वेग बहुत अधिक लगेगा इस स्थिती में एक सेकेंड में स्थिती में परिवर्तन 5मीटर होगा।

अतः इस स्थिती में वस्तु B के सापेक्ष A का वेग 5मीटर होगा।

इससे निम्न निष्कर्ष निकलते है।

1.वस्तु A का B के सापेक्ष वेग तथा B का A के सापेक्ष वेग बराबर तथा दिशा में विपरीत होता है।क्योंकि इन दोनो की दिशाएं भी एक दूसरे के विपरीत होती है।

2.इस प्रकार की गति में प्रेक्षक खुद को स्थिर मानकर दूसरी वस्तु की गति का अनुमान लगाता है।उपर दिए उदाहरण में प्रेक्षक वस्तु B को माना जाता हैं।

सापेक्ष गति क्या होता है?

यदि दो वस्तुएं समान रूप से गति कर रही है एक वस्तु द्वारा प्रेक्षित दूसरे वस्तु का वेग सापेक्ष वेग कहलाता है। माना दो वस्तुएं A तथा B हैं तो वस्तु A का वस्तु B के सापेक्ष वेग वह वेग है जिस वेग से वस्तु B से देखने पर वस्तु A गति करती हुई प्रतीत होती है।

सापेक्ष वेग क्या है इसका सूत्र लिखिए?

आपेक्षिक वेग को VAB द्वारा दर्शाया जाता है। v2 > v1 तो आपेक्षिक वेग धनात्मक है। v2 < v1 तो आपेक्षिक वेग ऋणात्मक है। v2 = v1 तो आपेक्षिक वेग शून्य है।

आपेक्षिक वेग से आप क्या समझते हैं आपेक्षिक वेग की अवधारणा की विस्तृत रूप से व्याख्या कीजिए?

Solution : जब दो वस्तुएँ गतिशील रहती हैं तब ऐसी स्थिति में एक वस्तु का वेग दूसरी वस्तु के सापेक्ष, आपेक्षिक वेग कहलाता है