अभिक्रमित अनुदेशन (Programmed Instruction) Show
Programmed Instruction is a planned sequence of experiences, leading to proficiency, in terms of stimulus-response relationship have proved to be effective. - Espich and Williams. अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थशिक्षा के क्षेत्र में, शिक्षा, शिक्षण के माध्यम से अधिगम की क्रिया सम्पन्न कराती है। यह क्रिया बालकों में नवीन एवं प्रथम अनुभव प्रदान करती है तथा अनुभव को स्थायी रूप देकर सीखने की क्रिया को गतिशील बनाती है, सीखे गये अनुभवों से पुनः लाभ उठाने की योग्यता तथा परिस्थिति के अनुसार कार्य करने की क्षमता का विकास करती है। अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ है किसी योजना के अनुसार शिक्षण एवं अधिगम की क्रिया को साकार रूप प्रदान करना। इसका लक्ष्य है - अधिगम को सोद्देश्य एवं स्थायी बनाना। प्राचीनकाल में यह विधि भारत तथा यूनान में प्रचलित रही है और इसका स्वरूप प्रश्नोत्तर रहा है। रेखागणित के शिक्षण में इस विधि का प्रयोग बहुतायत में किया गया है। आधुनिक काल में, अमेरिका के स्टेट विश्वविद्यालय ओहियो में सिडनी एल. प्रेसे ने प्राचीनकाल की इस अवधारणा को नये परिवेश में प्रयोग किया और इसे प्रोग्राम्ड इन्सट्रक्सन नाम दिया। शिक्षण मशीनों के विकास के कारण यह अधिगम स्वरूप प्रयोगात्मक स्थिति से उभर कर शोध एवं प्रयोग के क्षेत्र में आया और आज अमेरिका तथा इंग्लैण्ड के विश्वविद्यालयों, विद्यालयों में यह शिक्षण विधि का एक अंग बन गया है। अभिक्रमित अनुदेशन की परिभाषाएँअभिक्रमित अनुदेशन, शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में एक प्रभावशाली आधुनिक नवाचार है। विद्वानों ने अभिक्रमित अनुदेशन की परिभाषाएँ इस प्रकार दी हैं स्मिथ एवं पूरे - अभिक्रमित अनुदेशन किसी अधिगम सामग्री को क्रमिक पदों की श्रृंखला में व्यवस्थित करने वाली प्रक्रिया है और प्रायः इसके द्वारा किसी विद्यार्थी को उसकी परिचित पृष्ठभूमि से संप्रत्ययों, प्रानियमों और बोध के एक जटिल और नवीन स्तर पर लाया जाता है। एस्पिच एवं विलियम्स - अभिक्रमित अनुदेशन से अभिप्राय अनुभवों की उस नियोजित श्रृंखला से है जो उद्दीपक-अनुक्रिया सम्बन्ध के संदर्भ में प्रभावशाली माने जाने वाली दक्षता की ओर अग्रसर करती है। सूसन मार्कले - अभिक्रमित अनुदेशन पुनः प्रस्तुत की जाने वाली क्रिया की संरचित विधि है जिसकी सहायता से व्यक्तिगत रूप से छात्र के व्यवहार में मापन योग्य विश्वसनीय परिवर्तन लाया जा सकता है। एन. एस. मावी - अभिक्रमित अनुदेशन, अनुदेशनात्मक क्रिया को स्व-अनुदेशन एवं स्व-अधिगम में परिवर्तित करने की तकनीक है। इसमें विषय वस्तु को छोटी-छोटी श्रृंखलाओं में विभाजित किया जाता है। अधिगमकर्ता इन्हें पढ़ कर सही / गलत अनुक्रिया करता है। गलत अनुक्रियाओं को ठीक करता है, सही अनुक्रियाओं की पुष्टि करता है। वह सूक्ष्म श्रृंखला में पारंगत होने का प्रयास करता है। इन सभी परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर अभिक्रमित अनुदेशन की ये विशेषताएँ-
अभिक्रमित अनुदेशन के सिद्धान्तअभिक्रमित अनुदेशन, स्वयं एक शैक्षिक नवाचार है। इसमें शिक्षा, शिक्षण तथा शिक्षा मनोविज्ञान के अनेक सिद्धान्त निहित हैं जो इस प्रकार हैं- लघुपदीय सिद्धान्त (Principles of Small Steps)यह सिद्धान्त सीखने की खण्ड विधि पर आधारित है। इसमें सिखाई जाने वाली सामग्री या विषय वस्तु को छोटे-छोटे पदों या फ्रेम में विभक्त किया जाता है फिर छात्र के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। सक्रिय अनुक्रिया सिद्धान्त (Principle of Active Response)यह सिद्धान्त बी. एफ. स्किनर द्वारा प्रतिपादित सक्रिय (Operant) अनुकूलन सिद्धान्त पर आधारित है। इस मत के अनुसार सीखने की आवश्यक शर्त सक्रियता है। तात्कालिक संपुष्टि सिद्धान्त (Principle of Immediate Reinforcement)यह सिद्धान्त थार्नडाइक के संतोषप्रद अनुभव सिद्धान्त पर आधारित है। संतोषप्रद अनुभव ही, किसी व्यक्ति को सीखने की प्रेरणा देते हैं। स्वगति सिद्धान्त (Principle of Self Pacing)यह अनुदेशन स्वाध्याय एवं स्व-अधिगम पर आधारित है। इसमें सीखने वाला अपनी योग्यता तथा क्षमता के अनुसार एक फ्रेम से दूसरे फ्रेम तक जाने का प्रयास करता है। छात्र परीक्षण सिद्धान्त (Principle of Student Testing )इस अनुदेशन में छात्र विषय वस्तु के प्रति छोटे-छोटे फ्रेमों के माध्यम से अपनी अनुक्रिया व्यक्त करता है। इससे उसकी निष्पत्ति का रिकार्ड रखने में सुविधा होती है। छात्र इस रिकार्ड के द्वारा अपना मूल्यांकन स्वयं कर सकता है। अभिक्रमित अनुदेशन की व्यूह रचनाअभिक्रमित अनुदेशन की व्यूह रचना में विषय वस्तु, छात्र अनुक्रिया तथा परिणाम का विशेष महत्व है। इसकी व्यूह रचना में ये तथ्य शामिल हैं-
अभिक्रमित अनुदेशन के लाभ (Asvantages if programmed learning)शिक्षा के क्षेत्र में अभिक्रमित अनुदेशन का प्रयोग शैक्षिक नवाचार के रूप में अनुसंधान के क्षेत्र में किया जा रहा है। इसको उपयोगी साधन के रूप में अपनाया जा रहा है। इसके लाभ इस प्रकार हैं-
अभिक्रमित अनुदेशन की सीमाएँ (Limitations of programmed instruction)अभिक्रमित अनुदेशन अभी प्रयोग तथा अनुसंधान की स्थिति में है। इसलिये इसका व्यापक उपयोग नहीं हो पा रहा है। अभिक्रिमित अनुदेशन की सीमाएँ इस प्रकार हैं-
अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार (Types of programmed instruction)यों तो अभिक्रमित अनुदेशन एक सम्पूर्ण शैक्षिक कार्यक्रम है, किन्तु इसकी रचना के आधार पर अभिक्रमित अनुदेशन का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है-
रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Linear programmed istruction)रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन में वांछित अनुक्रिया, पुनर्बलन पर आधारित होती है। इसके द्वारा व्यक्ति अपने इच्छित अन्तिम व्यवहार तक पहुँचता है। रेखीय अभिक्रमित अधिगम बी. एफ. स्किनर ने क्रिया प्रसूत अधिगम के आधार पर विकसित किया। इसमें विषय-वस्तु को छोटे-छोटे फ्रेम या पदों में बाँटा जाता है। ये पद शृंखलाबद्ध होते हैं। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है-
इस अनुदेशन में, अभिक्रम स्पष्ट, क्रमबद्ध एवं परस्पर सम्बन्धित होता है। इसलिये इसे रेखीय (Linear) कहा जाता है। इसका नियंत्रण प्रोग्राम निर्माता के हाथों में होता है। इसलिये इसे बाह्य अभिक्रमित अनुदेशन भी कहा जाता है। इसके द्वारा विषय की अवधारणाएँ स्पष्ट किये जाते हैं। उदाहरण इस प्रकार है. रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन के गुण(Advantages of Linear Programmed Instruction) रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन के गुण इस प्रकार हैं -
रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन के दोष(Limitations of Linear Programmed Instruction) रेखीय अभिकमित अनुदेशन की सीमाएँ इस प्रकार हैं-
शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Branching Programmed Instruction)शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन का विकास करने का श्रेय नार्मन ए. क्राउडर को है। यह अभिक्रम छात्रों की आवश्यकता के अनुसार होता है तथा इसमें बाह्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। इसमें प्रोग्राम, शिक्षक के हाथों में होता है। इसे आन्तरिक अभिक्रम भी कहते हैं। शाखीय अभिक्रम के पद इस प्रकार हैं-
शाखीय अभिक्रम के गुण (Merits of Branching Programmed)शाखीय अभिक्रम के गुण इस प्रकार हैं-
शाखीय अभिक्रम के दोष (Demerits of Branching Programmed)
मैथेटिक्स अभिक्रमित अनुदेशन (Mathetics Programmed Instruction)मैथेटिक्स अभिक्रमित अनुदेशन का प्रतिपादन, थामस एफ. गिलबर्ट ने किया। उसका कथन है - मैथेटिक्स से तात्पर्य जटिल व्यवहार समूह के विश्लेषण एवं पुनर्रचना के लिये पुनर्बलन के सिद्धान्तों के व्यवस्थित प्रयोग से है। यह विषय वस्तु में निपुणता का प्रतिनिधित्व करती है। मैथेटिक्स अभिक्रम जटिल है। इसको सम्पादन करने में तकनीकी दक्षता की आवश्यकता पड़ती है। एक बार जब व्यक्ति इसमें पारंगत हो जाता है तो फिर मैथेटिक्स अभिक्रम सरल एवं उपयोगी प्रतीत होता है। इस अभिक्रम के पद इस प्रकार हैं-
मैथेटिक्स अभिक्रम की सीमाएँ (Limitations of Mathetic Programmed)मैथेटिक्स अभिक्रम की सीमाएँ इस प्रकार हैं-
अभिक्रमित अनुदेशन का निर्माण (Preparing Programmed Instruction)अभिक्रमित अनुदेशन का निर्माण करने के लिये तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। तैयारी की अवस्था (Preparatory Stage)
विकासात्मक अवस्था (Development Phase)
मूल्यांकन अवस्था (Evaluative Phase)
अभिक्रमित अनुदेशन की उपयोगिता (Utility of Programmed Instruction)अभिक्रमित अनुदेशन एक तकनीकी शैक्षिक प्रणाली है जिसका उपयोग छात्रों में वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु किया जाता है। इसकी उपयोगिता इस प्रकार है- वैयक्तिकरण में सहायक (Helpful in Individualization)स्वगति एवं स्वअधिगम के कारण, अभिक्रमित अधिगम व्यक्ति के निजी गुणों, क्षमताओं तथा योग्यताओं को विकसित करने में सहायक है। शिक्षण मशीनों का उपयोग (Use of Teaching Machines)अभिक्रमित अनुदेशन, कार्यक्रम बनाते समय शिक्षण मशीनों के उपयोग की संभावनाओं का भी ध्यान रखा गया है। इस प्रकार स्वशिक्षा, समस्या समाधान, शिक्षकों के अभाव की पूर्ति तथा जनशिक्षा के प्रसार में अभिक्रमित अनुदेशन उपयोगी सिद्ध होता है। इससे स्वशिक्षा का विकास होता है। शिक्षक के श्रम में कमी (Reduction in Teacher's Work )अभिक्रमित अनुदेशन में शिक्षक का कार्य केवल मार्गदर्शन रह जाता है, इसलिये उसे परम्परागत शिक्षण प्रणाली से मुक्ति मिल जाती है। शैक्षिक वातावरण का निर्माण (Creation of Educational Climate )अभिक्रमित अनुदेशन कक्षा के सामाजिक वातावरण, शैक्षिक प्रबन्ध, अनुशासन आदि का निर्माण करने में योग देता है। प्रभावपूर्ण शिक्षण तकनीकी (Effective Teaching Technology)अभिक्रमित अनुदेशन एक प्रभावपूर्ण शिक्षण तकनीक के रूप में उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसमें
इसलिये यह एक प्रभावशाली शिक्षण तकनीक है। नियोजन एवं व्यवस्थापन (Planning and Management)अभिक्रमित अनुदेशन पाठ्य वस्तु के नियोजन एवं प्रबन्ध में विशेष योग देता है। पाठ्यक्रम में सुधार होता है। उपचारात्मक पक्ष (Remedial Aspect)अभिक्रमित अनुदेशन में छात्र की शैक्षिक त्रुटियों को दूर किया जाता है, इसलिये यह उपचारात्मक भी है। उपचार के पश्चात् उसे भविष्य के लिये मार्गदर्शन दिया जाता है। छात्र की शक्तियों का विकास(Development of the Capacities of the Students) अभिक्रमित अनुदेशन के द्वारा छात्रों की सर्जनात्मक, तर्क, चिन्तन, विभेद, निर्णय, विवेक शक्तियों का विकास होता है। अनेक गत्यात्मक कौशल भी विकसित होते हैं। अभिक्रमित अनुदेशन ने शिक्षा तथा शिक्षण के सभी क्षेत्रों में शैक्षिक ज्ञान, कौशल तथा तकनीक के विकास में विशेष योग दिया है। यद्यपि इसके अत्यधिक प्रयोग से यह भय अवश्य है कि भविष्य में शिक्षक की आवश्यकता नहीं रहेगी; किन्तु यह भय निर्मूल है। शिक्षक के बिना न कोई अभिक्रम बन सकता है और न छात्र ही स्वाध्याय के पथ पर बढ़ सकता है; इसलिये शिक्षक की भूमिका तो महत्वपूर्ण रहेगी ही। अभिक्रमित अनुदेशन से समय की बचत होती है। स्वाध्याय की प्रेरणा मिलती है और समयानुसार स्वशिक्षण तथा स्वअधिगम की क्षमता तथा कौशल का विकास होता है। Read More...
अभिक्रमित अनुदेशन कितने प्रकार के होते हैं?अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार. रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन. शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन. मैथेटिक्स अभिक्रमित अनुदेशन. स्वनिर्देशित अभिदेशित अनुदेशन. कम्प्यूटर आधारित अभिक्रमित अनुदेशन. अभिक्रमित अनुदेशन से आप क्या समझते हैं?अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ है किसी योजना के अनुसार शिक्षण एवं अधिगम की क्रिया को साकार रूप प्रदान करना। इसका लक्ष्य है - अधिगम को सोद्देश्य एवं स्थायी बनाना। प्राचीनकाल में यह विधि भारत तथा यूनान में प्रचलित रही है और इसका स्वरूप प्रश्नोत्तर रहा है। रेखागणित के शिक्षण में इस विधि का प्रयोग बहुतायत में किया गया है।
अभिक्रमित अनुदेशन के विभिन्न प्रकारों में कौन से प्रकार का जन्म अधिगम के सिद्धान्त से हुआ?अभिक्रमित अनुदेशन पाँच प्रकार के होते हैं- 1. रेखीय या श्रृंखला अभिक्रम, 2. शाखीय अभिक्रम, 3. अवरोह अभिक्रमित अनुदेशन या मैथेटिक्स, 4.
अभिक्रमित अनुदेशन के जनक कौन है?नॉर्मन ए. क्राउडर शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन के जनक है, इसलिए इसे 'क्राउडरियन मॉडल' भी कहा जाता है।
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