Samas in Hindi: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में समास की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण ( Samas Kise Kahate Hain ) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है | Show
आपस में संबंध रखने वाले जब दो या दो से अधिक शब्दों के बीच में से विभक्ति हटाकर उन दोनों शब्दों को मिलाया जाता है तब इस मेल को समास कहते हैं। दो या दो से अधिक शब्द मिलकर जब एक नया उस से मिलता जुलता शब्द का निर्माण करते हैं वह समास कहलाता है। समास शब्द ‘सम्’ (पूर्ण रूप से) एवं ‘आस’ (शब्द) से मिलकर बना होता है। जिसका अर्थ होता है विस्तार से कहना। और इसी के अंतर्गत समास के नियमों से बना शब्द सामासिक पद या समस्त पद कहलाता है। जैसे – देश भक्ति, चौराहा, महात्मा, रसोईघर। समास की परिभाषा – Samas ki Paribhasha :समास का संक्षिप्त तात्पर्य है – “संछिप्तीकरण”। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। अथार्त जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जहाँ पर कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जाए वह समास कहलाता है। Samas Ke Udaharanउदाहरण:
समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहा जाता है। समास होने के बाद विभक्तियों के चिन्ह गायब हो जाते हैं। उदाहरण: नीलकमल समास विग्रह :सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को समास – विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द गायब हो जाते हैं अथार्त जब समस्त पद के सभी पद अलग – अलग किय जाते हैं उसे समास-विग्रह कहते हैं। उदाहरण:– माता-पिता = माता और पिता। समास के भेद (Samas Ke Bhed) :समास के मुख्यतः छह प्रकार या भेद होते हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार है–
यह भी पढ़े: अलंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण अव्ययीभाव समास क्या होता है (Avyayibhav Samas in Hindi)अव्ययीभाव समास में प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है वो हमेशा एक जैसा रहता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हों वहाँ पर अव्ययीभाव समास होता है संस्कृत में उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास ही मने जाते हैं। अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan)
यह भी पढ़े: उपसर्ग की परिभाषा, भेद, उदाहरण तत्पुरुष समास क्या होता है (Tatpurush Samas in Hindi)तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुदा समास होता है। इसमें ज्ञातव्य-विग्रह में जो कारक प्रकट होता है उसी कारक वाला वो समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpurush Samas Ke Udaharan)
तत्पुरुष समास के भेद (Tatpurush Samas Ke Bhed)वैसे तो तत्पुरुष समास के 8 भेद होते हैं किन्तु विग्रह करने की वजह से कर्ता और सम्बोधन दो भेदों को लुप्त रखा गया है। जिस तत्पुरुष समास में प्रथम पद तथा द्वतीय पद दोनों भिन्न-भिन्न विभक्तियों में हो, उसे व्यधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। उदाहरणतया- राज्ञ: पुरुष: – राजपुरुष: में प्रथम पद राज्ञ: षष्ठी विभक्ति में है तथा द्वतीय पद पुरुष: में प्रथमा विभक्ति है। इस प्रकार दोनों पदों में भिन्न-भिन्न विभक्तियाँ होने से व्यधिकरण तत्पुरुष समास हुआ। इसलिए विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :- 1. कर्म तत्पुरुष समास 1. कर्म तत्पुरुष समास क्या होता है ( Karm Tatpurush Samas in Hindi):- इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है। ‘को’ को कर्मकारक की विभक्ति भी कहा जाता है। उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं। कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण (karm tatpurush samas ke udaharan)
2. करण तत्पुरुष समास क्या होता है ( Karan Tatpurush Samas in Hindi ):- जहाँ पर पहले पद में करण कारक का बोध होता है। इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’ और ‘से’ होता है। उसे करण तत्पुरुष कहते हैं। करण तत्पुरुष समास के उदाहरण (karan tatpurush samas ke udaharan):
यह भी पढ़े: वर्ण किसे कहते है, स्वर, व्यंजन, भेद 3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास क्या होता है (Sampradan Tatpurush Samas in Hindi):- इसमें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के लिए’ होती है। उसे सम्प्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं। सम्प्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण (sampradan tatpurush ke udaharan)
4. अपादान तत्पुरुष समास क्या होता है (Apadan Tatpurush Samas in Hindi):- इसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘से अलग’ होता है। उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं। अपादान तत्पुरुष समास के उदाहरण (apadan tatpurush samas ke udaharan):
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास क्या होता है (Sambandh Tatpurush Samas in Hindi):- इसमें दो पदों के बीच में सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के चिन्ह या विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’होती हैं। उसे सम्बन्ध तत्पुरुष समास कहते हैं। सम्बन्ध तत्पुरुष समास के उदाहरण (sambandh tatpurush samas ke udaharan)
6. अधिकरण तत्पुरुष समास क्या होता है (Adhikaran Tatpurush Samas in Hindi):- इसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है। अधिकरण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘में’, ‘पर’ होता है। उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण (adhikaran tatpurush samas ke udaharan)
यह भी पढ़े: शब्द किसे कहते हैं, प्रकार, उदाहरण तत्पुरुष समास के उपभेद (Tatpurush Samas Ke Upbhed in Hindi)
उपपद तत्पुरुष समास ऐसा समास जिनका उत्तरपद भाषा में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त न होकर प्रत्यय के रूप में ही प्रयोग में लाया जाता है। जैसे- नभचर , कृतज्ञ , कृतघ्न , जलद , लकड़हारा इत्यादि । लुप्तपद तत्पुरुष समास जब किसी समास में कोई कारक चिह्न अकेला लुप्त न होकर पूरे पद सहित लुप्त हो और तब उसका सामासिक पद बने तो वह लुप्तपद तत्पुरुष समास कहलाता है ।जैसे –
नञ तत्पुरुष समास इसमें पहला पद निषेधात्मक होता है उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। नञ तत्पुरुष समास के उदाहरण
यह भी पढ़े: संज्ञा किसे कहते हैं, लिंग, वचन, कारक कर्मधारय समास क्या होता है ( Karmadharaya Samas in Hindi) :कर्मधारय समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमेय-उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं। कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmdharay Samas Ke Udaharan)
कर्मधारय समास के भेद (Karmdharay Samas Ke Bhed in Hindi):1. विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास 1. विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास :- जहाँ पर पहला पद प्रधान होता है वहाँ पर विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास होता है। जैसे :-
2. विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास :- इसमें पहला पद विशेष्य होता है और इस प्रकार के सामासिक पद ज्यादातर संस्कृत में मिलते हैं। जैसे :- कुमारी श्रमणा = कुमारश्रमणा 3. विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास :- इसमें दोनों पद विशेषण होते हैं। जैसे :- नील – पीत, सुनी – अनसुनी, कहनी – अनकहनी 4. विशेष्योभयपद कर्मधारय समास :- इसमें दोनों पद विशेष्य होते है। जैसे :- आमगाछ, वायस-दम्पति। यह भी पढ़े: वाक्य की परिभाषा, भेद, उदाहरण कर्मधारय समास के उपभेद ( Karmdharay Samas Ke Bhed in Hindi ):-
1. उपमानकर्मधारय समास :- इसमें उपमानवाचक पद का उपमेयवाचक पद के साथ समास होता है। इस समास में दोनों शब्दों के बीच से ‘इव’ या ‘जैसा’ अव्यय का लोप हो जाता है और दोनों पद, चूँकि एक ही कर्ता विभक्ति, वचन और लिंग के होते हैं, इसलिए समस्त पद कर्मधारय लक्ष्ण का होता है। उसे उपमानकर्मधारय समास कहते हैं। जैसे :- विद्युत् जैसी चंचला = विद्युचंचला 2. उपमितकर्मधारय समास :- यह समास उपमानकर्मधारय का उल्टा होता है। इस समास में उपमेय पहला पद होता है और उपमान दूसरा पद होता है। उसे उपमितकर्मधारय समास कहते हैं। जैसे :- अधरपल्लव के समान = अधर – पल्लव, नर सिंह के समान = नरसिंह। 3. रूपककर्मधारय समास :- जहाँ पर एक का दूसरे पर आरोप होता है वहाँ पर रूपककर्मधारय समास होता है। जैसे :- मुख ही है चन्द्रमा = मुखचन्द्र। यह भी पढ़े: वाच्य किसे कहते है, भेद, उदाहरण द्विगु समास क्या होता है (Dvigu Samas in Hindi):इस समास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है। इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है किसी अर्थ को नहीं। इससे समूह और समाहार का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते हैं। द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas Ke Udaharan in Hindi)
द्विगु समास के भेद (Dvigu Samas Ke Bhed ) :-1. समाहारद्विगु समास 1. समाहारद्विगु समास (Samahar Dvigu Samas in Hindi):- समाहार का मतलब होता है समुदाय, इकट्ठा होना, समेटना उसे समाहारद्विगु समास कहते हैं। जैसे :-
2. उत्तरपदप्रधानद्विगु समास ( Uttar-Pad-Pradhan Dvigu Samas in Hindi):- उत्तरपदप्रधानद्विगु समास दो प्रकार के होते हैं। जैसे :- दो माँ का =दुमाता (2) जहाँ पर सच में उत्तरपद पर जोर दिया जाता है। जैसे :- पांच प्रमाण = पंचप्रमाण यह भी पढ़े: अविकारी शब्द (अव्यय) किसे कहते हैं, प्रकार, उदाहरण द्वंद्व समास क्या होता है (Dwand Samas Ki Paribhasha in Hindi)द्वंद्व समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता है। ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन ये हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं। द्वन्द समास उदाहरण (dwand samas ka udharan)
द्वन्द्व समास के भेद (dwand samas ke prakar/Bhed)1. इतरेतरद्वंद्व समास 1. इतरेतरद्वंद्व समास (Itaretara Dvandva in Hindi) :- वो द्वंद्व जिसमें और शब्द से भी पद जुड़े होते हैं और अलग अस्तित्व रखते हों उसे इतरेतर द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास से जो पद बनते हैं वो हमेशा बहुवचन में प्रयोग होते हैं क्योंकि वे दो या दो से अधिक पदों से मिलकर बने होते हैं। जैसे :-
2. समाहारद्वंद्व समास (Samahar Dwand Samas ki Paribhasha):- समाहार का अर्थ होता है समूह। जब द्वंद्व समास के दोनों पद और समुच्चयबोधक से जुड़ा होने पर भी अलग-अलग अस्तिव नहीं रखकर समूह का बोध कराते हैं, तब वह समाहारद्वंद्व समास कहलाता है। इस समास में दो पदों के अलावा तीसरा पद भी छुपा होता है और अपने अर्थ का बोध अप्रत्यक्ष रूप से कराते हैं। जैसे :-
3. वैकल्पिक द्वंद्व समास (Vaikalpik Dwand Samas Ke Udaharan ki Paribhasha) :- इस द्वंद्व समास में दो पदों के बीच में या, अथवा आदि विकल्पसूचक अव्यय छिपे होते हैं उसे वैकल्पिक द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास में ज्यादा से ज्यादा दो विपरीतार्थक शब्दों का योग होता है। जैसे :-
यह भी पढ़े: विशेषण किसे कहते हैं, विशेषण के भेद, उदाहरण बहुब्रीहि समास क्या होता है (Bahuvrihi Samas Ki Paribhasha In Hindi)बहुब्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला , है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह” आदि आते हैं वह बहुब्रीहि समास कहलाता है। बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke Udahran):
बहुव्रीहि समास के प्रकार/भेद (Bahuvrihi Samas Ke Prakar/Bhed)1. समानाधिकरण बहुब्रीहि समास 1. समानाधिकरण बहुब्रीहि समास (Samanadhikaran Bahuvrihi Samas ki Paribhasha):- इसमें सभी पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन समस्त पद के द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वो कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण आदि विभक्तियों में भी उक्त हो जाता है उसे समानाधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं। जैसे :-
2. व्यधिकरण बहुब्रीहि समास (Vyadhikaran Bahuvrihi Samas ki Paribhasha):- समानाधिकरण बहुब्रीहि समास में दोनों पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन यहाँ पहला पद तो कर्ता कारक की विभक्ति का होता है लेकिन बाद वाला पद सम्बन्ध या फिर अधिकरण कारक का होता है उसे व्यधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं। जैसे :-
3. तुल्ययोग बहुब्रीहि समास (Tulog Bahuvrihi Samas ki Paribhasha):- जिसमें पहला पद ‘सह’ होता है वह तुल्ययोग बहुब्रीहि समास कहलाता है। इसे सहबहुब्रीहि समास भी कहती हैं। सह का अर्थ होता है साथ और समास होने की वजह से सह के स्थान पर केवल स रह जाता है। इस समास में इस बात पर ध्यान दिया जाता है की विग्रह करते समय जो सह दूसरा वाला शब्द प्रतीत हो वो समास में पहला हो जाता है। जैसे :-
यह भी पढ़े: सर्वनाम की परिभाषा, भेद और उदाहरण 4. व्यतिहार बहुब्रीहि समास (Vyatihar Bahuvrihi Samas Ki Paribhasha):- जिससे घात या प्रतिघात की सुचना मिले उसे व्यतिहार बहुब्रीहि समास कहते हैं। इस समास में यह प्रतीत होता है की ‘इस चीज से और उस चीज से लड़ाई हुई। जैसे :- मुक्के-मुक्के से जो लड़ाई हुई = मुक्का-मुक्की 5. प्रादी बहुब्रीहि समास (Pradi Bahuvrihi Samas ki Paribhasha):- जिस बहुब्रीहि समास पूर्वपद उपसर्ग हो वह प्रादी बहुब्रीहि समास कहलाता है। जैसे :-
यह भी पढ़े: क्रिया किसे कहते हैं, भेद, उदाहरण अक्सर परीक्षा में दो समास में अंतर का प्रश्न पूछा जाता है परीक्षा में ज्यादा बार पूछे जाने वाले समास के बीच अंतर निम्नलिखित है... समास और संधि में अंतर:समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षेप। समास में वर्णों के स्थान पर पद का महत्व होता है। इसमें दो या दो से अधिक पद मिलकर एक समस्त पद बनाते हैं और इनके बीच से विभक्तियों का लोप हो जाता है। समस्त पदों को तोडने की प्रक्रिया को विग्रह कहा जाता है। समास में बने हुए शब्दों के मूल अर्थ को परिवर्तित किया भी जा सकता है और परिवर्तित नहीं भी किया जा सकता है। उदाहरण:– विषधर = विष को धारण करने वाला अथार्त शिव। जबकि….. संधि का शाब्दिक अर्थ होता है मेल। संधि में उच्चारण के नियमों का विशेष महत्व होता है। इसमें दो वर्ण होते हैं इसमें कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों वर्णों में परिवर्तन हो जाता है और कहीं पर तीसरा वर्ण भी आ जाता है। संधि किये हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया विच्छेद कहलाती है। संधि में जिन शब्दों का योग होता है उनका मूल अर्थ नहीं बदलता। उदाहरण:– पुस्तक+आलय = पुस्तकालय। द्विगु समास और बहुब्रीहि समास में अंतर:द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है जबकि बहुब्रीहि समास में समस्त पद ही विशेषण का कार्य करता है। जैसे –
यह भी पढ़े: काल किसे कहते है, प्रकार, उदाहरण कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अंतर:समास के कुछ उदहारण है जो कर्मधारय और बहुब्रीहि समास दोनों में समान रूप से पाए जाते हैं ,इन दोनों में अंतर होता है। कर्मधारय समास में एक पद विशेषण या उपमान होता है और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है। इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है। कर्मधारय समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा पहला पद विशेष्य के विशेषण का कार्य करता है। जैसे: – नीलकंठ = नीला कंठ or बहुब्रीहि समास में दो पद मिलकर तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं इसमें तीसरा पद प्रधान होता है। जैसे-नीलकंठ = नील + कंठ द्विगु और कर्मधारय समास में अंतर:द्विगु का पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जो दूसरे पद की गिनती बताता है जबकि कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता है। द्विगु का पहला पद्द ही विशेषण बन कर प्रयोग में आता है जबकि कर्मधारय में कोई भी पद दूसरे पद का विशेषण हो सकता है। जैसे –
उपरोक्त समास के अलावा अन्य विशेष समास और उनके उदाहरण संयोगमूलक समास क्या होता है (Sanyog Moolak Samas Ki Paribhasha):-संयोगमूलक समास को संज्ञा समास भी कहते हैं। इस समास में दोनों पद संज्ञा होते हैं अथार्त इसमें दो संज्ञाओं का संयोग होता है। जैसे :- माँ-बाप, भाई-बहन, दिन-रात, माता-पिता। आश्रयमूलक समास क्या होता है (Aashray Moolak Samas Ki Paribhasha):-आश्रयमूलक समास को विशेषण समास भी कहा जाता है। यह प्राय कर्मधारय समास होता है। इस समास में प्रथम पद विशेषण होता है और दूसरा पद का अर्थ बलवान होता है। यह विशेषण-विशेष्य, विशेष्य-विशेषण, विशेषण, विशेष्य आदि पदों द्वारा सम्पन्न होता है। जैसे :- कच्चाकेला, शीशमहल, घनस्याम, लाल-पीला, मौलवीसाहब, राजबहादुर। वर्णनमूलक समास क्या होता है (Varn Moolak Samas in Hindi):-इसे वर्णनमूलक समास भी कहते हैं। वर्णनमूलक समास के अंतर्गत बहुब्रीहि और अव्ययीभाव समास का निर्माण होता है। इस समास में पहला पद अव्यय होता है और दूसरा पद संज्ञा। उसे वर्णनमूलक समास कहते हैं। जैसे :- यथाशक्ति, प्रतिमास, घड़ी-घड़ी, प्रत्येक, भरपेट, यथासाध्य। SAMAS TRICK IN HINDI VideoCaption: M.S SSC NOTES for all.FAQs
समास के कितने भेद होते हैं परिभाषा और उदाहरण सहित लिखिए?अव्ययीभाव समास,तत्पुरुष समास,कर्मधारय समास, द्विगु समास,द्वंद समास,बहुव्रीहि समास, आदि का संछिप्तीकरण को लेकर आये है। जो ज्ञानके क्षेत्र के विस्तार के लिए उपयोगी है।
समास के कितने भेद हैं उदाहरण?जैसे : तीन लोकों का समाहार = त्रिलोक। उत्तरपदप्रधानद्विगु समास – उत्तरपदप्रधानद्विगु समास के दो भेद होते हैं। अ)- बेटा या फिर उत्पत्र के अर्थ में। समाहारद्विगु समास – वह समास जिसमे सच में उत्तरपद पर जोर दिया जाये समाहारद्विगु समास कहते है ।
समास की परिभाषा लिखिए उसके कितने भेद हैं सभी भेदों के पाँच पाँच उदाहरण विग्रह सहित लिखिए?अर्थात जब कोई दो शब्द मिलकर एक ऐसे नये शब्द का निर्माण करें, जिसका कोई अर्थ हो, ऐसे नए शब्दों को ही समास कहा जाता है। जैसे – घुड़सवार = घोड़े का सवार; पहले पद (शब्द) को पूर्वपद और दूसरे या आखिरी पद (शब्द) को उत्तरपद कहा जाता है।
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