हिंदी में वाच्य के कितने भेद होते हैं class 8? - hindee mein vaachy ke kitane bhed hote hain chlass 8?

Class 8 Hindi Grammar Chapter 12 वाच्य (Vachya). Class 8 Hindi Vyakaran is useful for all board like CBSE, UP Board, MP Board, Gujrat, Rajasthan, etc., for preparing school tests as well as school terminal exams. All the Vyakaran contents are updated for academic session 2022-2023 CBSE and all state boards. Practice here with examples and explanation to score better than ever in exams.

कक्षा: 8 हिन्दी व्याकरण
अध्याय: 12 वाच्य

  • Class 8 Hindi Grammar Chapter 12 वाच्य

    • कक्षा 8 के लिए हिन्दी व्याकरण – वाच्य

वाच्य किसे कहते हैं?

क्रिया के जिस रूपांतर से यह पता चले कि क्रिया द्वारा कही गई बात का विषय कर्ता, कर्म या भाव है उसे वाच्य कहते हैं। निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए-

    • (क) मयंक पत्र लिखता है।
    • (ख) मयंक द्वारा पत्र लिखा जाता है।
    • (ग) मयंक से पत्र नहीं लिखा जाता।

    • उपर्युक्त वाक्यों में हम पाते हैं कि प्रथम वाक्य क्रिया का रूप स्पष्ट करता है। कर्ता द्वारा निर्दिष्ट व्यक्ति रोहन कुछ कार्य (पत्र लिखता है) करता है, अतः प्रथम वाक्य में क्रिया के रूप से स्पष्ट है कि यहाँ कर्ता की प्रधानता है।
    • द्वितीय वाक्य में क्रिया का रूप बताता है कि कुछ कार्य (पत्र) लिखा जाता है, और वह कर्ता के द्वारा किया जाता है। अतः यहाँ कर्म (पत्र) की प्रधानता है और वही क्रिया-व्यापार का मूल संचालक है।
    • तृतीय वाक्य में न तो कर्ता की प्रधानता है और न ही कर्म की। यहाँ भाव की प्रधानता है। यह वाक्य केवल यह बताता है कि कर्ता (मयंक) क्रिया करने में असमर्थ है। इस प्रकार ये तीनों वाक्य क्रमशः कर्ता, कर्म और भाव की प्रधानता को सूचित करते हैं।
    • क्रिया के विभिन्न रूपों का इस प्रकार की सूचना देना ही वाच्य कहलाता है।

वाच्य के भेद

इस प्रकार वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव की प्रधानता के आधार पर हिंदी में सामान्यतः वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं:

    • कर्तृवाच्य
    • कर्मवाच्य
    • भाववाच्य

कर्तृवाच्य

इसमें क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से होता है तथा क्रिया के लिए वचन भी कर्ता के अनुसार ही होता है। इस प्रकार जिस प्रयोग में क्रिया द्वारा कही गई बात का मुख्य विषय कर्ता हो तो उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। जैसे-

    • क. प्रिती कपड़े सी रही है।
    • ख. हिमांशु लेख लिख रहा है।

इन वाक्यों में क्रिया का संबंध प्रिती और हिमांशु से है। इसलिए इसे कर्तृवाच्य कहते हैं।

कर्मवाच्य

इसमें क्रिया का संबंध कर्म से होता है। कर्म की प्रधानता वाले इन वाक्यों में कर्म, कर्ता की स्थिति में होता है। और क्रिया का रूप कर्म के अनुसार परिवर्तित होता है। कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के आधार पर क्रिया में परिवर्तन होता है। इसमें एक से अधिक क्रियापदों का प्रयोग होता है। इसकी मुख्य क्रिया सकर्मक होती है। जैसे:

    • क. नानी द्वारा कहानी सुनाई जाती थी।
    • ख. संदीप से भोजन किया जाता है।

यहाँ क्रिया का संबंध कर्म (भोजन तथा कहानी) से है। इसलिए इसे कर्मवाच्य कहा जाता है।

भाववाच्य

इसमें क्रिया का संबंध कर्ता और कर्म से न होकर “भाव” से होता है। इसमें क्रिया के पुरुष, वचन और लिंग कर्ता अथवा कर्म के अनुसार न होकर हमेशा अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में ही रहते हैं। इसमें मुख्य रूप से अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है, साथ ही प्रायः निषेधार्थक वाक्य ही भाववाच्य कहलाते हैं। जैसे:

    • (क) उससे पढ़ा नहीं जाता।
    • (ख) सोनम से खाया नहीं जाता।

इन वाक्यों में क्रिया का संबंध “नहीं” के भाव से है इसलिए इसे भाववाच्य कहते हैं।

कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में अंतर

कर्मवाच्य भाववाच्य
कर्मवाच्य में कर्म अवश्य रहता है। भाववाच्य में वह कभी नहीं होता।
कर्मवाच्य में “जा” का प्रयोग वैकल्पिक रूप से होता है, जैसे- सुधाकर द्वारा दरवाजा खोला गया। भाववाच्य में इसका प्रयोग अनिवार्य रूप से होता है। राधा से खाया नहीं जाता।
कर्मवाच्य की क्रिया सदैव सकर्मक होती है। जबकि भाववाच्य में अकर्मक या सकर्मक क्रिया का अकर्मकवत् प्रयोग होता है।

वाच्य-परिवर्तन

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना

(क) कर्ता के साथ “से”, “द्वारा” या “के द्वारा” जोड़ दिया जाता है।

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
विकास पुस्तक पढ़ता है। विकास से पुस्तक पढ़ी जाती है। (कर्ता के साथ “से” का प्रयोग)
रिया गीत गा रही है। रिया द्वारा गीत गाया जा रहा है। (कर्ता के साथ “द्वारा” का प्रयोग)

(ख) कर्म के बाद मुख्य धातु में ‘आ’ अथवा ‘या’ जोड़ दिया जाता है और ‘जा’ या इसका उपयुक्त रूप जोड़ दिया जाता है। जैसे-

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
रमेश टी. वी. देखता है। रमेश से टी.वी. देखा (देख + आ) जाता है।
राम खाना खाता है। राम से खाना खाया जाता है।

(ग) क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार होता है। जैसे-

वचन/लिंग कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
एकवचन, पुल्लिग, कर्म आकाश केला खाता है। आकाश से केला खाया जाता है।
एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्म आकाश लीची खाता है। आकाश से लीची खाई जाती है।
बहुवचन, पुल्लिग, कर्म आकाश केले खाता है। आकाश से केले खाए जाते हैं।
बहुवचन, स्त्रीलिग, कर्म आकाश लीचियाँ खाता है। आकाश से लीचियाँ खाई जाती हैं।

(घ) यदि कर्म न दिया हो तो क्रिया एकवचन पुल्लिंग में होती है। जैसे-

    • (क) रमन दौड़ता है।
    • (ख) रमन से दौड़ा जाता है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना

क. क्रिया को अन्य पुरुष, एकवचन में कर दिया जाता है तथा कर्ता के साथ “से” जोड़ दिया जाता है। जैसे-

    • 1. पियुश हँसता है। (कर्तृवाच्य)
    • 2. पियुश से हँसा जाता है। (भाववाच्य)

ख. क्रिया को सामान्य भूत में बदल दिया जाता है और काल के अनुसार “जाना” क्रिया का रूप जोड़ दिया जाता है। जैसे-

    1. वह नहीं सोता है (कर्तृवाच्य)।
    2. उससे सोया नहीं जाता (भाववाच्य)।

स्मरणीय तथ्य

कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष का होना ही वाच्य कहलाता है। वाच्य तीन प्रकार के होते हैं कर्मवाच्य, कर्तृवाच्य और भाववाच्य। क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि वाक्य में उसका प्रयोग कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार किया जाता है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि वाक्य में उसका प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन के अनुसार न होकर कर्म के लिंग, वचन के अनुसार किया जाता है, उसे कर्मवाच्य कहा जाता है। वाक्य में क्रिया का प्रयोग जब कर्ता या लिंग, वचन के अनुसार न होकर भाव के अनुसार होता है, तो उसे भाववाच्य के नाम से जाना जाता है।

हिंदी में वाच्य के कितने भेद होते हैं?

वाच्य के तीन भेद होते हैं,अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 4 'तीन' सही उत्तर होगा। कर्तृवाच्य (Active Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो।

वाच्य के कितने भेद होते हैं Class 7?

वाच्य के तीन भेद होते हैं:.
कृतवाच्य.
कर्मवाच्य.
भाववाच्य.

वाच्य के कितने भेद होते हैं Class 10?

हिन्दी में वाच्य तीन प्रकार के होते हैं – (क) कर्तृवाच्य, (ख) कर्मवाच्य और (ग) भाववाच्य।

वाक्य के कितने भेद होते हैं class 8?

विधानवाचक.
निषेधवाचक.
प्रश्नवाचक.
विस्मयादिवाचक.
आज्ञावाचक.
इच्छावाचक.
संदेहवाचक.
संकेतवाचक.