Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद Important Questions and Answers. Show RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवादवस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. निम्न में से सत्य अथवा असत्य कथन बताइए. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर सीमा-20 शब्द) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8.
प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न
15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA,) (उत्तर सीमा-40 शब्द) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA) (उत्तर सीमा-100 शब्द) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ii) सामान्य राजनीतिक सिद्धान्तों पर सहमति-प्रत्येक राष्ट्र के अधिकांश सदस्य कुछ सामान्य राजनीतिक मूल्यों व आदर्शों, जैसे-लोकतंत्र, स्वतन्त्रता, समानता, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि के मामले पर सामान्यतया सहमत होते हैं। इस सहमति का निर्माण सामूहिक तौर पर एक-दूसरे को जाने बिना ही हो जाता है। यह सहमति भी राष्ट्रों को अनिवार्य रूप से अस्तित्व में बनाए रखती है। इस प्रकार उपर्युक्त कारणों से लोगों के एक-दूसरे को सीधे तौर पर न जानने के बावजूद राष्ट्र अस्तित्व में बने रहते हैं। प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ii) भू-क्षेत्र-कई राष्ट्रों की पहचान एक खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी हुई होती है। किसी विशेष भू-क्षेत्र पर लम्बे समय तक साथ-साथ रहना और उससे जुड़ी साझे अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान की समझ व अहसास प्रदान करती हैं। इसी कारण लोग स्वयं को एक राष्ट्र के रूप में देखने लगते हैं और एक गृहभूमि की बात करते हैं। इस प्रकार 'भू-क्षेत्र' भी राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण तत्व प्रतीत होता है। प्रश्न 6. वे इस बात पर भी सहमत होते हैं कि वे किस तरह का राज्य बनाना चाहते हैं ? बाकी बातों के अलावा वे लोकतंत्र, स्वतन्त्रता, समानता, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि सिद्धान्तों को समान रूप से स्वीकार करते हैं। इस प्रकार साझा राजनीतिक आदर्श ही वे शर्ते हैं जिनके आधार पर वे साथ-साथ आना और रहना चाहते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह विचार राष्ट्र के रूप में उनकी राजनीतिक पहचान को बताते हैं। इस प्रकार राष्ट्रवाद के विकास में साझा राजनीतिक आदर्श बहुत ही उपयोगी प्रतीत होते हैं। प्रश्न
7. बास्क राष्ट्रवादियों का कहना है कि उनकी संस्कृति स्पेन की सामान्य संस्कृति से बहुत अलग है। उनकी अपनी भाषा है, वह भी स्पेनी भाषा से बिल्कुल भिन्न है। रोमन काल से अब तक बास्क क्षेत्र ने स्पेनी शासकों के साथ अपनी स्वायत्तता का कभी समर्पण नहीं किया है। 20वीं सदी में स्पेनी तानाशाह फ्रेंको की दमनात्मक नीतियों ने बास्क के राष्ट्रवादी आन्दोलन को और भड़का दिया। हालांकि बाद में लोकतांत्रिक सरकार ने बास्क को उसकी स्वायत्तता लौटाकर समस्या का समाधान किया। परन्तु अब भी 'बास्क' में राष्ट्रवादी आन्दोलनकारी पृथक राज्य की माँग में लगे हुए हैं। प्रश्न 8. इससे सीमाओं के एक ओर से दूसरी ओर बहुत बड़ी जनसंख्या का विस्थापन हुआ। इसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों के घर उजड़ गए और उस जगह से उन्हें बाहर धकेल दिया गया जहाँ पीढ़ियों से उनका घर था। बहुत सारे लोग साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार बने। इस प्रकार हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि संस्कृतियों के आधार पर राष्ट्रों का निर्माण करने से पृथक राज्य की माँग समाप्त होना निश्चित नहीं है। प्रश्न 9. उनके विचारों में राष्ट्रवाद स्वाधीनता प्राप्त करने का साधन है। यह राष्ट्र को संगठित बनाए रखता है। परन्तु राष्ट्रवाद मानवता के खिलाफ किसी भी परिस्थिति में नहीं होना चाहिए। उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध इसलिए किया था कि इसमें मानवीय सम्बन्धों की गरिमा बरकरार रखने की गुंजाइश नहीं थी। इस प्रकार उनका मानना था कि राष्ट्रवाद से भी बड़ा और वास्तविक लक्ष्य हमारे लिए 'मानवता' की प्राप्ति और रक्षा करना है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के इन विचारों को ब्रिटिश सभ्यता में भी स्थान प्राप्त हुआ। दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (उत्तर सीमा-150 शब्द) प्रश्न 1. (ii) राष्ट्रवाद राष्ट्रों की स्वाधीनता का मार्ग दिखाने वाले विचार के रूप में इस रूप में राष्ट्रवाद वह विचार या धारणा है जिसने पराधीन राष्ट्रों को अपनी स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए नई ऊर्जा व उत्साह से भर दिया। 20वीं सदी में एशिया व अफ्रीका में अधिकांश देशों के औपनिवेशिक शासन से मुक्ति का प्रमुख आधार 'राष्ट्रवाद' ही था। उदाहरण के लिए भारतीय स्वाधीनता, भारतीय राष्ट्रवाद की ही देन है। (iii) राष्ट्रवाद साम्राज्यों का विघटन करने वाली धारणा के रूप में इस रूप में राष्ट्रवाद वह धारणा है जिसने 19वीं, 20वीं सदी में बड़े-बड़े साम्राज्यों के विघटन का मार्ग दिखाया। इन साम्राज्यों में शामिल राष्ट्रों में राष्ट्रवाद की तीव्र आंधी चली और इसमें बड़े-बड़े साम्राज्य धराशायी हो गये। प्रश्न 2. (ii) राष्ट्रों के विघटन को बढ़ावा देने वाले तत्व के रूप में--आत्म-निर्णय के सिद्धान्त का दूसरा पक्ष यह भी है कि इसने राष्ट्र-राज्यों के सामने राष्ट्र के विघटन की अनेक मांगों के रूप में नई चुनौतियाँ भी प्रस्तुत की है। 1960 के दशक से विभिन्न राष्ट्र-राज्यों में कई संस्कृतियों, भाषा, क्षेत्रों इत्यादि की रक्षा के दावे के आधार पर स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में आत्म-निर्णय की मांगें प्रस्तुत की जा रही हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय आत्म-निर्णय की माँग के दो पक्ष है-एक और तो यह राष्ट्रों की आत्मनिर्भरता व स्वाधीनता का प्रतीक है तो दूसरी ओर यह राष्ट्रों के भीतर हिंसक संघर्षों व अलगाव की भावना को भी बढ़ावा देता है। प्रश्न 3. (ii) देश के प्रति निष्ठा का विकास-राष्ट्रवाद नागरिकों में देश के प्रति अपनी राष्ट्रीयता की रक्षा के लिए निष्ठा बनाए रखने के भाव का विकास करता है। हम देखते हैं कि युद्ध अथवा संकट की स्थिति में हम सब कुछ भूलकर अपने आप को केवल भारतीय मानने लगते हैं। इस प्रकार राष्ट्रवाद देश के
प्रति लोगों में निष्ठा उत्पन्न करता है। (i) मानवता के लिए खतरा उत्पन्न करना-राष्ट्रवाद के कारण कई बार मानवता खतरे में पड़ जाती है। ऐसा तब होता है जब एक राष्ट्र के लोग अपनी सर्वोच्चता स्थापित करना चाहते हैं। उदाहरण के लिए-हमें दो-दो विश्वयुद्धों का सामना करना पड़ा। यह विश्वयुद्ध राष्ट्रवाद की तीव्र भावना के कारण ही लड़े गये। इन युद्धों में आक्रामक राष्ट्रवाद लाखों लोगों के संहार का कारण बना। अतः राष्ट्रवाद अपने चरम पर मानवता के लिए खतरा बन जाता है। (ii) अन्तर्राष्ट्रीय भाईचारे व शान्ति को खतरा-राष्ट्रवाद कई बार आक्रामक रूप धारण कर लेता है। यह अन्तर्राष्ट्रीय भाईचारे व शान्ति को खतरे में डाल देता है। राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित प्रत्येक राष्ट्र केवल अपनी उन्नति, अपने विकास को निश्चित करना चाहता है। ऐसे में राष्ट्रों के बीच कटुता और स्वार्थपूर्ण सम्बन्ध उत्पन्न होने लगते हैं। यह अन्तर्राष्ट्रीय भाईचारे व शान्ति के लिए खतरनाक स्थिति है। प्रश्न 4. उनका दावा इस बात पर आधारित था कि ब्रिटिश प्रशासन में 'मानवीय सम्बन्धों की गरिमा' बरकरार रखने की कोई गुंजाइश नहीं है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर पश्चिमी साम्राज्यवाद का विरोध करने और पश्चिमी सभ्यता का अन्धा विरोध करने में फर्क करते थे। उनका मानना था कि भारतीयों को अपनी संस्कृति और विरासत में गहरी आस्था होनी ही चाहिए लेकिन उन्हें बाहरी दुनिया. से मुक्त भाव से (स्वतन्त्र रूप से) सीखने और लाभान्वित होने का विरोध नहीं करना चाहिए। रवीन्द्रनाथ ठाकुर जिसे 'देशभक्ति' कहते थे, उसकी समालोचना उनके लेखन का स्थायी विषय था। वे देश के स्वाधीनता आन्दोलन में मौजूद राष्ट्रवाद की संकुचित भावना के कटु आलोचक थे। उन्हें भय था कि जिसे भारतीय परम्परा के रूप में हम प्रचारित कर रहे हैं उसके पक्ष में पश्चिमी सभ्यता को खारिज करने वाला विचार यहीं तक सीमित नहीं रहेगा। उनका मानना था कि यह विचार आसानी से अपने देश में मौजूद ईसाई, यहूदी, पारसी, इस्लाम सहित अनेक विदेशी प्रभावों के खिलाफ आक्रामक भी हो सकता है। इस प्रकार रवीन्द्रनाथ ठाकुर की राष्ट्रवाद पर समालोचना का सारांश यह निकलता है कि हमें मानवता की रक्षा हर हाल में करनी चाहिए और राष्ट्रवाद के नाम पर मानवता को कुर्बान नहीं करना चाहिए। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोतर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. राष्ट्रवाद के विकास में सहायक तत्व कौन कौन से हैं?भारतीय राष्ट्रवाद के लिए राजनीतिक एकता:. पश्चिमी प्रभाव: ... . नस्लीय संधि: ... . सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन: ... . इलबर्ट बिल विवाद: ... . आर्थिक शोषण:. राष्ट्रवादी भावना के विकास में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व सहायक है?जातीय एकता – जिमर्न तथा ब्राइस जातीय एकता को राष्ट्रवाद के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान मानते हैं। एक ही जाति के लोगों में रीति-रिवाजों, धर्म तथा रहन-सहन की एकरूपता होती है, जिससे राष्ट्रीय भावना विकसित होती है।
राष्ट्रवाद का प्रमुख तत्व क्या है?राष्ट्रवाद कई चरणों से गुजर चुका है। उदाहरण के लिए, उन्नीसवीं शताब्दी के यूरोप में इसने कई छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से वृहत्तर राष्ट्र - राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया । आज के जर्मनी और इटली का गठन एकीकरण और सुदृढ़ीकरण की इसी प्रक्रिया के जरिए हुआ था ।
राष्ट्रीय चेतना के विकास में मुख्य सहायक कारक क्या थे?समान मुद्रा प्रणाली, सामान्य प्रशासन, सामान्य कानूनों और न्यायिक संरचना की स्थापना ने भारत के एकीकरण में योगदान दिया जिसने अंततः राष्ट्रीय चेतना के उदय में मदद की।
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