राधा कृष्ण की पूजा करने से क्या होता है? - raadha krshn kee pooja karane se kya hota hai?

इस दुनिया का पालन ईश्वर की क्रियात्मक शक्ति करती है और उस शक्ति का नाम कृष्ण है. बिना कृष्ण के न तो सृष्टि का अस्तित्व है और न ही पालन. ग्रह, नक्षत्र, देवी, देवता, मानव, असुर, शुभ-अशुभ , सब कृष्ण के ही अधीन हैं. माना जाता है कि शनि भी कृष्ण की शक्ति के ही अधीन है.

शनि का कृष्ण से क्या संबंध है?

- शनि देव श्री कृष्ण के परम भक्त हैं.

- उनके अंदर, न्याय, ईमानदारी और अनुशासन कृष्ण कृपा से ही आता है.

- कृष्ण के ध्यान में डूबे होने के कारण उन्हें अपनी पत्नी से शाप भी मिला था.

- सिवाय मधुरता के शनि के अंदर बहुत सारे गुण श्री कृष्ण की तरह हैं.

- जो लोग श्रीकृष्ण के भक्त होते हैं, शनि उन्हें छू भी नहीं सकते.

किस प्रकार नियमित रूप से श्री कृष्ण की पूजा करें कि शनि बेहतर हो ?

- श्रीकृष्ण को गुरु रूप में स्थापित करें.

- दोनों वेला उन्हें पीले फूल और तुलसी दल चढ़ाएं.

- उन्हें और स्वयं को चंदन का तिलक जरूर लगाएं.

- इसके बाद दोनों हाथ उठाकर हरि कीर्तन करें.

- चाहें तो "कृष्ण कृष्ण" के नाम का जाप करें.

- भोजन पूर्ण सात्विक करें.

अगर शनि की साढ़े साती या ढैया पीड़ा दे रही हो ?

- श्रीकृष्ण के सम्पूर्ण चित्र या मूर्ति की स्थापना करें.

- उन्हें नित्य चंदन, पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.

- इसके बाद कृष्ण मंत्र का दोनों वेला कम से कम 108 बार जाप करें.

- मंत्र होगा -

"ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो-नमः।।"

अगर शनि के कारण रोजगार, स्वास्थ्य या आयु का संकट हो?

- भगवान कृष्ण के चित्र की स्थापना करें, जिसमें वह गाय के साथ हों.

- नित्य प्रातः उन्हें तुलसी दल डालकर पंचामृत अर्पित करें.

- इसके बाद "श्रीकृष्णम् शरणम् मम" का जाप करें.

- पंचामृत का प्रसाद ग्रहण करें.

- यह प्रयोग लगातार 27 दिनों तक करें.

- प्रातःकाल सूर्य को रोली मिलाकर जल अर्पित करें.

- मस्तक या कंठ पर रोली का तिलक लगाएं.

- पूरे दिन के कार्यों में सफलता मिलेगी.

पुराण और शास्त्र भगवान राधा-कृष्ण की मूर्ति तोहफे में देने के बारे में कुछ जरूरी नियम बताते हैं. इन्हें जान लेना शुभकारी साबित हो सकता है।

राधा-कृष्ण यानि प्रेम का प्रतीक। यानि दो ऐसे पात्र जिन्हें अलग नहीं एक ही माना जाता है। आदीकाल से लेकर आज तक राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी का महत्व बहुत गहरा रहा है। शायद इसीलिए गाहे-बगाहे शादी, अन्नप्राशण, मुंडन, गृहप्रवेश आदि अवसरों पर राधा-कृष्ण की मूर्ति तोहफे में दी जाती है, लेकिन कई बार लोगों को ये नहीं पता होता कि ये उनकी गलती भी हो सकती है। एक आसान सा सवाल। आपके घर में कितनी राधा-कृष्ण की मूर्ति या तस्वीरें हैं? पेंटिंग, मूर्ति, पोस्टर, फोटो आदि न जाने क्या-क्या। 

इस विषय में हमारी बातचीत छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश के ज्योतिषाचार्य एवं पंडित सौरभ त्रिपाठी से हुई। हमने उनसे पूछा कि आखिर मूर्तियों को घर पर रखने और उन्हें तोहफे में देने के क्या नियम हैं। उन्होंने हमें विस्तार से इसके बारे में बताया। 

पंडित सौरभ का कहना है कि, 'वास्तुविज्ञान के अनुसार, भगवान की मूर्तियां यदि घर में हों, तो उन्हें स्थापित करने से लेकर उनकी देखभाल करने के सभी नियमों का पालन किया जाना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा न करे,तो इसका उस पर और उसके परिवार पर नकारात्मक प्रभाव होता है। हां, आप ऐसे व्यक्ति को भगवान से सम्बंधित कोई उपहार जैसे लड्डू गोपाल, गणेशजी या राधा-कृष्ण की युगल तस्वीर अवश्य दे सकते हैं जो इनका सम्मान के साथ ध्यान रख सके। लेकिन ऐसे इंसान को ना दें जो ऐसा बिल्कुल ना करे।'

radha krishna qutoe

पंडित जी की बात तो हमने जान ली चलिए अब हम पुराणों में क्या लिखा है इसके बारे में भी जान लेते हैं-

गीता, पुराण और शास्त्र: क्या कहते हैं मूर्ति तोहफे में देने के बारे में?

हिंदू धर्म में तोहफे के कई नियम भी हैं। कई शास्त्रों में तो उपहार/तोहफे की तुलना दान से की गई है। गीता कहती है तीन तरह के दान हो सकते हैं। राजसिक, तामसिक, सात्विक। इनमें से कोई भी नियम भगवान की मूर्ति उपहार या दान में देने का नहीं है। श्रीमद भगवत गीता के अनुसार दान देने से पहले ये सोच लेना चाहिए कि वो किसे दिया जा रहा है और जिस व्यक्ति को ये दिया जा रहा है वो इसका उपयोग भी करेगा या नहीं। यानि किसे, क्या और क्यों? वाला सवाल गीता के अनुसार सोचना चाहिए। 

radhika and kanhaiya

स्कंद पुराण में भी एक ऐसे ही दान की बात है। यहां 'अपात्र दान' का प्रावधान है। यानि किसी ऐसे को दान नहीं देना चाहिए जो इसके योग्य न हो। क्योंकि हिंदू धर्म में मूर्तियों की पूजा की जाती है इसलिए किसी भी ऐसे को भगवान की मूर्ति नहीं देनी चाहिए जो उसकी देखभाल न कर पाए। कई पंडितों की राय रहती है कि मूर्ति खास-तौर पर भगवान की मूर्ति तोहफे में न दें वो सिर्फ अपने ही इस्तेमाल के लिए खरीदें। 

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हालांकि, वास्तु शास्त्र में मूर्ति उपहार में देने का प्रावधान है। पर उसके भी कुछ नियम हैं। जहां तक मूर्ति उपहार में देने की बात है वहां वास्तु शास्त्र भी ये कहता है कि इसे सिर्फ उन्हें दें जो इसकी पूरी तरह से देखभाल कर पाए। 

क्यों राधा-कृष्ण की मूर्ति शादी-ब्याह में बिलकुल नहीं देनी चाहिए?

मान लीजिए किसी ऐसे इंसान को मूर्ति तोहफे में देनी है जो इसकी देखभाल करे तो भी शादी-ब्याह या किसी नवदंपत्ति को ये नहीं देना चाहिए। यकीनन राधा-कृष्ण प्रेम का प्रतीक थे, लेकिन दोनों की कभी शादी नहीं हो पाई थी और न ही दोनों साथ रह पाए थे। हिंदू धर्म में शुभ और अशुभ के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। राधा-कृष्ण का प्रेम अमर है, लेकिन दोनों का साथ कुछ समय का ही था। इसीलिए कई लोग ये मानते हैं कि राधा-कृष्ण की मूर्ति शादी-ब्याह या प्रेमी जोड़े को नहीं देनी चाहिए। कृष्ण की शादी जहां रुक्मणि से हुई थी और 16000 रानियां थीं, लेकिन कृष्ण ने राधा से शादी नहीं की। वहीं कई पुराण लिखते हैं कि राधा असल में कृष्ण की मामी बन गई थीं। अलग-अलग पुराणों में राधा के ब्याह की अलग कहानियां हैं, लेकिन वो किसी और दिन बताएंगे। फिलहाल तो यही जान लीजिए कि राधा और कृष्ण का ब्याह नहीं हो पाया था और संजोग की बात ये है कि वो एक दूसरे को इतना प्यार करने के बाद भी अलग ही रहे थे। ऐसे ही राम और सीता की मूर्ति भी नवदंपत्ति को देने से बचना चाहिए। 

radha and krishna murti

राधा-कृष्ण की मूर्ति की जगह क्या दे सकते हैं?

वैसे तो नवदंपत्ति के लिए कई तोहफे हो सकते हैं, लेकिन अगर मूर्ति ही देनी है तो राधा-कृष्ण की जगह शिव-पार्वति, विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति दी जा सकती है। कृष्ण और राधा को विष्णु और लक्ष्मी का अवतार ही माना गया है इसलिए ये बहुत शुभ मानी जा सकती है, लेकिन ध्यान रहे ये दें उसी को जो इसकी कद्र करे। नवदंपत्ति के लिए यही बेहद अच्छा तोहफा हो सकता है। विष्णु-लक्ष्मी सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। ऐसे में विष्णु के पैर दबाती हुई लक्ष्मी और शेषनाग पर आराम करते विष्णु जी की मूर्ति को शुभ माना जा सकता है। इसके अलावा, अगर किसी को मुंडन आदि में तोहफे देना है तो बांसुरी बजाते कृष्ण और गाय के बछड़े की मूर्ति सबसे अहम मानी जा सकती है। यहां बाल गोपाल यानि माखन खाते हुए कृष्ण की मूर्ति भी बेहद अच्छी मानी जाएगी। 

घर में मूर्ति रखने के भी हैं कुछ नियम-

पुराण और शास्त्र, मंदिर में भगवान की मूर्ति रखने पर जोर देते हैं, लेकिन घर में लोग अक्सर इन मूर्तियों को रखते हैं। ऐसे में घर पर मूर्ति रखने के कई नियम हैं- 

1. भगवान की मूर्तियों को सजावट का केंद्र न बनाएं। 

2. उनपर धूल न जमने दें और साफ रखें।

3. अगर कोई मूर्ति खंडित हो गई है खास तौर पर शिवलिंग तो उसे जल में विसर्जित करें। 

4. अगर पूजा के लिए मूर्ति लाए हैं तो किसी पंडित से प्राण प्रतिष्ठा करवा लें। 

5. किसी ऐसे को मूर्ति उपहार में न दें जो इसका ध्यान न रख पाए। 

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कुल मिलाकर तोहफा सोच-समझकर ही दें। समस्या कई बार ये होती है कि लोग मूर्तियों का महत्व समझ नहीं पाते। आपका तोहफा किसी के लिए अच्छी ऊर्जा का स्त्रोत बने ये बहुत जरूरी है।

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राधा कृष्ण की पूजा क्यों की जाती है?

वह परंपरा जिसमें कृष्ण की पूजा स्वयं भगवान के रूप में की जाती है और उनकी राधा को सर्वोच्च के रूप में पूजा जाता है। इस विचार को स्वीकार किया जाता है कि राधा और कृष्ण का संगम, शक्ति के साथ शक्तिमान के संगम को इंगित करता है और यह विचार रूढ़िवादी वैष्णव या कृष्णवाद के बाहर अच्छी तरह से मौजूद है।

घर में राधा कृष्ण की मूर्ति रखने से क्या होता है?

आर्थिक संकट से मुक्ति, वैवाहिक जीवन में प्यार और घर में सुख-शांति के लिए शास्त्रों में घर में देवी-देवताओं की मूर्ति लगाना बताया गया है. लेकिन इनकी प्रतिमा लगाने के भी नियम है. राधा-कृष्ण को अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है. घर में इनकी तस्वीर होने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है.

राधा कृष्ण बोलने से क्या होता है?

शास्त्रों के अनुसार राधा का नाम जपने से श्रीकृष्ण यानी बिहारी जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। हिंदू पौराणिक शास्त्रों के अनुसार राधा का नाम जपने से श्रीकृष्ण यानी बिहारी जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। श्रीकृष्ण की प्रसन्नता के बाद किसी भी व्यक्ति के लिए सुख-समृद्धि के सभी द्वार खुल जाते हैं।

राधा कृष्ण की पूजा कैसे की जाती है?

राधा अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें. जहां पूजा करनी है वहां गंगाजल छिड़कें. ... .
पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें..
राधा रानी का षोडशोपचार से पूजन करें. ... .
पूजा के समय राधा रानी के इस मंत्र का जाप करें - ओम ह्रीं राधिकायै नम:। ... .
राधा चालीसा का पाठ करें..