Show अंगारपर्ण पर अग्नेयास्त्र छोड़ते हुए अर्जुन प्राचीन काल भारतीय अस्त्र-शस्त्र विद्या में निपुण थे। उन्होंने अध्यात्म-ज्ञान के साथ-साथ आततियों और दुष्टों के दमन के लिये सभी अस्त्र-शस्त्रों की भी सृष्टि की थी।यह शक्ति धर्म-स्थापना में सहायक होती थी। प्राचीन काल में जिन अस्त्र-शस्त्रों का उपयोग होता था, उनका वर्णन इस प्रकार है-
वैदिक काल में अस्त्रशस्त्रों का वर्गीकरण इस प्रकार था :
अस्त्रों के विभाग[संपादित करें]अस्त्रों को दो विभागों में बाँटा गया है-
नीचे कुछ अस्त्र-शस्त्रों का वर्णन किया गया है, जिनका प्राचीन संस्कृत-ग्रन्थों में उल्लेख है।
इन अस्त्रों के अतिरिक्त भुशुण्डी आदि अन्य अनेक अस्त्रों का वर्णन विभिन्न ग्रंथों में मिलता है।[1] सन्दर्भ[संपादित करें]
अर्जुन के पास कौन से अस्त्र थे?तुमने महाबाहु अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति के लिये जो आदेश दिया था, उसके विषय में यह निवेदन करना है कि अर्जुन ने भगवान शंकर से उनका अनुपम अस्त्र पाशुपत प्राप्त कर लिया है।
अर्जुन ने कौन से दिव्यास्त्र प्राप्त किया था?अर्जुन की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अर्जुन को अपना पाशुपतास्त्र प्रदान किया.
अर्जुन के शस्त्र का क्या नाम था?मुनि दुर्वासा के वरदान द्वारा धर्मराज, वायुदेव तथा इंद्र का आवाहन कर तीन पुत्र माँगे। इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ। द्रोणाचार्य को ऐसे योद्धाओं की आवश्यकता थी जो राजा द्रुपद से प्रतिशोध ले सके।
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. Karn के पास कितने दिव्यास्त्र थे?कर्ण के पास केवल एक ही ऐसा अस्त्र था जो की देवराज इंद्र से कर्ण ने कुण्डल कवच के बदले में मांग लिया था जिसका नाम था वासवी(एक प्रकार की शक्ति)। इस अस्त्र से अर्जुन को कोई भी नहीं बचा सकता था। इसीलिए श्री कृष्ण जी ने उस अस्त्र को घटोत्कच्छ पर चलवाकर उस अस्त्र का नाश करवा दिया।
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