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यहां हुईं थीं रानी लक्ष्मीबाई शहीद, अंग्रेज अफसर ने किया था सेल्यूट
ग्वालियर. 19 नवंबर को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन है। झांसी से कालपी होते हुए रानी लक्ष्मीबाई दूसरे विद्रोहियों के साथ ग्वालियर आ गई थीं। लेकिन कैप्टन ह्यूरोज की युद्ध योजना के चलते आखिरकार रानी लक्ष्मीबाई घिर गईं। शहर के रामबाग तिराहे से शुरू हुई आमने-सामने की जंग में जख्मी रानी को एक गोली लगी और वह स्वर्णरेखा नदी के किनारे शहीद हो गईं। रानी की वीरता देख अंग्रेस कैप्टन ह्यूरोज ने शहादत स्थल पर उनको सैल्यूट किया था। dainikbhaskar.com इस मौके पर उनके खास व्यक्तित्व, गौरवशाली इतिहास और अन्य पहलुओं से आपको रूबरू करा रहा है। जंग-ए-आजादी की सबसे बड़ी आहुति भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ी गई 1857 की जंग में सबसे बड़ी आहुति ग्वालियर में ही हुई थी। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत इसी शहर में हुई थी। ह्यूरोज की घेराबंदी और संसाधनों की कमी के चलते रानी लक्ष्मीबाई घिर गईं थीं। ह्यूरोज ने पत्र लिख कर रानी से एक बार फिर समर्पण करने को कहा। जवाब में रानी अपनी विश्वस्त सेना के साथ किला छोड़ मैदान में उतर आई। रणनीति थी कि एक और से तात्या की सेना ब्रिगेडियर स्मिथ की टुकड़ी को घेरेगी तो दूसरी ओर से रानी लक्ष्मीबाई। लेकिन तात्या वहां नहीं पहुंच सके और रानी स्मिथ व ह्यूरोज के बीच घिर गई। लड़ते हुए गोली लगने और जंग के पुराने जख्मों के चलते शहर के मौजूदा रामबाग तिराहे से नौगजा रोड़ पर आगे बड़ते हुए स्वर्ण रेखा नदी के किनारे रानी का नया घोड़ा अड़ गया। गोली लगने से मूर्छित-सी होने लगीं। इसी बीच एक तलवार ने उसके सिर को एक आंख समेत अलग कर दिया और रानी शहीद हो गईं। उनके शरीर को बाबा गंगादास की शाला के साधु, झांसी की पठान सेना की मदद से शाला में ले आए, यहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। रानी की वीरता देख कर खुद ह्यूरोज ने जंग के मैदान में और अपनी ऑफिशियल डायरी में भी लक्ष्मीबाई को सैल्यूट किया। लक्ष्मीबाई ने कहा, ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’ तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी की हड़प नीति के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के गोद लिए बालक को वारिस मानने से इनकार कर दिया। रानी से झांसी के शासन सूत्र अंग्रेज रेजिडेंट को सौंपने का आदेश दिया गया। लेकिन स्वाभिमानी रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रोजों को दो टूक जवाब दे दिया, “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी"। अब अंग्रेजों और रानी लक्ष्मीबाई के बीच युद्ध ज़रूरी हो गया। रानी ने भी तैयारियां कर लीं थीं। झांसी की रानी के विद्रोह को खत्म करने के लिए कैप्टन ह्यूरोज को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कालपी के लिए किया कूच झांसी के किले में रसद व युद्ध सामग्री खत्म होते देख रानी ने समर्पण की जगह जंग को जारी रखने की गरज से कालपी की ओर कूच किया। वहां बिठूर से भागे नाना साहव पेशवा और तात्या टोपे के नेतृत्व में बागियों की फौज ने किले पर कब्जा कर डेरा डाल लिया था। वहां से विद्रोहियों नें ग्वालियर आ कर वहां के नाबालिग सिंधिया राजा से धन व दूसरे युद्ध संसाधन वसूल कर अंग्रेजों से जंग की तैयारी कर ली। आगे की स्लाइड्स में देखें और फोटोज... झाँसी की रानी 6th Class NCERT CBSE Hindi वसंत भाग 1 Chapter 10प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान ने किसके मुँह से सुनी थी?उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान ने बुंदेलखंड के हरबोलों से सुनी थी। प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई किसकी मुँहबोली बहन थी?उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई कानपूर के नाना धुंधूपंत पेशवा की मुँहबोली बहन थी। बचपन में वह उन्हीं के साथ पढ़ी और खेली थी। प्रश्न: रानी को किसकी कहानियाँ जबानी याद थीं? इसकी क्या वजह थी?उत्तर: रानी को वीर शिवाजी की कहानियाँ जबानी याद थी। इसकी वजह यह थी कि वीरतापूर्ण कार्य और वीरों की बातें उन्हें रोचक लगती थी। प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई की तुलना बुंदेलों से किस प्रकार की जाती है और क्यों?उत्तर: बुंदेल वीर योद्धा होते हैं। रानी लक्ष्मीबाई भी एक असामान्य वीर योद्धा थी इसलिए कविता में यह कहा गया है कि वह बुंदेलों के यश गीतों में नई पंक्तियाँ बनकर जुड़ने के लिए झाँसी आई थी। प्रश्न: डलहौजी की खुशी का क्या कारण था?उत्तर: झाँसी के राजा की मृत्यु डलहौजी की खुशी का कारण था क्योंकि झाँसी पर अधिकार करने का उसके लिए यह उचित अवसर था। प्रश्न: अँग्रेजों नने भारत किन-किन क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था?उत्तर: अँग्रेजों ने भारत के कई हिस्सों पर अधिकार कर लिया था। उनमें से प्रमुख हैं: दिल्ली, लखनऊ, बिठुर, नागपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक, सिंद्ध, पंजाब, ब्रह्म, बंगाल, मद्रास आदि। प्रश्न: प्रथम स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए कुछ वीरों के नाम लिखें।उत्तर: प्रथम स्वाधीनता संग्राम में में नाना धुंधूपंत, ताँत्याटोपे, अजीमुल्ला खान, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह और रानी लक्ष्मीबाई के नाम शहीदों की श्रेणी में आते हैं। प्रश्न: बचपन में झाँसी की रानी की रूचि किस प्रकार के खेल-खिलौने में थी? इससे उनके स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है?उत्तर: बचपन में झाँसी की रानी को हथियारों से खेलना अच्छा लगता था। बरछी, ढाल, कृपान और कटारी से ही उनकी दोस्ती थी। नकली युद्ध करना, दुश्मनों को घेरने के तरीके ढूँढना, किले तोड़ना, शिकार खेलना उन्हें अत्यंत प्रिय था। इस प्रकार के खेल खिलौनों में उनकी रूचि को देखकर उनके साहस, शौर्य और वीरता का पता चलता है। प्रश्न: क्रांति की आग भारत में किस प्रकार फैली?उत्तर: अँग्रेजों के अत्याचार से साधारण जनता कष्ट में थी उनकी हरकतों से राजाओं और नवाबों का सम्मान मिट्टी में मिल रहा था। उनके प्रति देश भर में गहरा आक्रोश था। यह आक्रोश 1857 की क्रांति बन कर फूट पड़ा जिसमें राजा-रंक सभी भागीदार रहे। महलों से लगी यह आग झोपड़ियों तक पहुँच के भड़क उठी। हर देशवासी चाहे वह गरीब हो या अमीर, उसके हृदय से क्रांति की यह ज्वाला निकली थी। प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई ने अँग्रेजों का सामना किस प्रकार किया? विस्तार से वर्णन करें।उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई नने वीर पुरुष की तरह डट कर अँग्रेजों का सामना किया। झाँसी के मैदान में उन्होंने लेफ्टिनेंट वॉकर को हराया। वह जख्मी होकर भाग गया। यमुना किनारे उन्होंने फिर से अँग्रेजों को हराया। विजयी रानी आगे बढ़ी और उन्होंने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया। इस बार जनरल स्मिथ सेना लेकर पहुँचा। रानी ने उसे भी हराया पर पीछे से ह्यूरोज ने आकर उन्हें घेर लिया। अकेली रानी उनसे लड़ती रही और अंततः घायल होकर गिर पड़ी और वीर गति को प्राप्त कर गयी। प्रश्न: ‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई
उत्तर:
राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु से उनके जीवन में दुःखों का पहाड़ टूट गया था। एक तो उनके सुहाग को काल ने अपना ग्रास बना लिया दूसरा राजा के मरते ही झाँसी लावारिस हो गई। निसंतान राजा की मृत्यु ने अंग्रेज़ों को झाँसी पर कब्ज़ा करने का सुअवसर दे दिया। जिससे रानी पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। प्रश्न: कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?उत्तर: लेखिका के अनुसार उस समय भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। उसकी दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। अंग्रेज़ धीरे-धीरे पूरे भारत को अपना गुलाम बनाने पर लगे हुए थे। परन्तु उस गुलामी को स्वीकार न करने वाली और आज़ादी का बिगुल बजाने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। उनकी इसी वीरता ने सब के मन में एक नया उत्साह भर दिया था कि एक स्त्री अंग्रेज़ों का सामना करने के लिए तैयार है तो फिर क्यों ना हम स्वयं इस गुलामी के विरूद्ध आवाज़ उठाए। तब इस गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए भारत (बूढ़े भारत) में रानी लक्ष्मी ने नया उत्साह और वीरता फूँक दी; (नई जवानी दी) जिसने सन् अठारह सौ सत्तावन में अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए। प्रश्न: झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था?उत्तर: झाँसी की रानी के बचपन का नाम छबीली था उनका बचपन शस्त्र चलाने, घुड़सवारी सीखने, युद्ध कला सीखने में बीता। उन्होनें यह शिक्षा नाना के साथ प्राप्त की, जब वह कुछ बड़ी हुई तो उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हो गया। परन्तु जल्द ही राजा की आकस्मिक मृत्यु ने रानी को विधवा बना दिया। राजा के संतानहीन होने का लाभ उठाकर उनकी मृत्यु के पश्चात् अंग्रेज़ों ने झाँसी पर अधिकार जमाने का प्रयास किया। परन्तु रानी ने इसका विरोध किया और अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। और इसी स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई और भारतीय इतिहास में वीरांगना कहलाई। रानी का बचपन, हमारे बचपन से कई मायने में अलग था। उन्होनें गुड्डे गुड़ियों से न खेलकर तीर, तलवार, भाला, बरछी चलाना सीखा जिससे आगे चलकर रानी का गौरवपूर्ण इतिहास बना। प्रश्न: वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो।उत्तर: रानी की इस कहानी में निम्नलिखित वीर पुरूषों के नाम हैं: नाना धुंधूपंत, अहमदशाह मौलवी, ताँत्या टोपे, अजीमुल्ला, ठाकुर कुँवरसिंह आदि। इतिहास में कुछ वीर स्त्रियाँ हैं: कित्तूर की रानी चेनम्मा, श्रीमति इंदिरा गाँधी, सरोजनी नायडू आदि। प्रश्न: झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्रेरणा ले सकते हैं?उत्तर: झाँसी की रानी के जीवन से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि आज़ादी स्वयं में एक मूल्यवान वस्तु है। इसको बनाए रखने के लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। रानी लक्ष्मीबाई चाहती तो अंग्रेज़ों की बात मानकर आराम से अपना जीवन यापन कर सकती थीं परन्तु उन्होंने इसके विरूद्ध जाकर उनसे युद्ध लड़ा और सबको चेताया कि स्वयं के स्वार्थ को छोड़कर हमें देश के, राष्ट्र के हित में सोचना चाहिए। फिर चाहे स्वयं को इसके लिए न्योछावर ही क्यों न करना पड़े। प्रश्न: अंग्रेज़ों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय किस प्रकार दिया?उत्तर: अंग्रेज़ों ने यह नीति बना रखी थी कि जिस भी राज्य का राजा संतानहीन हो या कमज़ोर हो उस पर ब्रिटिश सरकार अपना अधिकार कर लेगी। परन्तु रानी ने इसका विरोध किया और उनके आधीन रहना स्वीकार न कर उनसे लड़ना स्वीकार किया। अपनी अंतिम साँस तक भी वो अंग्रेज़ों के आगे झुकी नहीं और वीरता से लड़ती हुई वीरगति को प्राप्त हुईं। प्रश्न: रानी के विधवा होने पर डलहौज़ी क्यों प्रसन्न हुआ? उसने क्या किया?उत्तर: डलहौज़ी जानता था कि राजा गंगाधर राव निसंतान थे। अंग्रेज़ों ने वैसे ही एक नीति बनाई थी कि जिस राजा कि संतान नहीं होगी उसको अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया जाएगा। संतानहीन झाँसी के राजा की मृत्यु का समाचार पाकर तो डलहौज़ी के लिए सोने पे सुहागा वाली बात थी। उसे लगा एक निसंतान राजा की विधवा क्या कर पाएगी। उसने तुरन्त ही झाँसी पर कब्ज़ा करने का मन बना लिया और झाँसी पहुँच गया। प्रश्न: निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो:
उत्तर:
विकल्पीय प्रश्न: नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए:प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान ने किसके मुँह से सुनी थी?
प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई किसकी मुँहबोली बहन थी?
प्रश्न: रानी को किसकी कहानियाँ जबानी याद थी?
प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई के पति का क्या नाम था?
प्रश्न: इनमें से कौन लक्ष्मीबाई की सहेली थी?
प्रश्न: अंग्रेजों के मित्र सिंधिया कहाँ के शासक थे?
प्रश्न: रानी लक्ष्मी ने किस आयु में वीरगति पाई?
प्रश्न: अंग्रेजी शासन की नीतियों के विरुद्ध कौन क्रोधित हो उठे थे?
प्रश्न: झाँसी की रानी की तलवारबाजी देखकर मराठे ____ होते थे?
प्रश्न: झाँसी के राजा की मृत्यु के बाद इनमें कौन खुश हुआ?
रानी की मृत्यु का कारण क्या था?अंग्रेज़ों की तरफ़ से कैप्टन रॉड्रिक ब्रिग्स पहला शख़्स था जिसने रानी लक्ष्मीबाई को अपनी आँखों से लड़ाई के मैदान में लड़ते हुए देखा. उन्होंने घोड़े की रस्सी अपने दाँतों से दबाई हुई थी. वो दोनों हाथों से तलवार चला रही थीं और एक साथ दोनों तरफ़ वार कर रही थीं.
रानी की तलवार से कौन जख्मी होकर भागा?लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में। रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वन्द्व असमानों में। जख्मी होकर वॉकर भागा उसे अजब हैरानी थी।
की रानी की मृत्यु कब हुई थी?18 जून 1858रानी लक्ष्मीबाई / मृत्यु तारीखnull
झांसी की रानी की लड़ाई क्यों हुई?रानी लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ने का साहस किया और वे बाद में वीरगति को प्राप्त हुईं। लक्ष्मी बाई के वीरता के किस्से आज भी याद किए जाते हैं।
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