हेलो फ्रेंड ट्रस्ट ने प्याज के शाहरुख पत्र में भोजन का संग्रह किस रूप में होता है शर्करा के रूप में चार्ज के रूप में प्रोटीन के रूप में मेले का मेले के रूप में तो अगर हम दिया ठीक है जिस का बायोलॉजिकल नेम क्या होता है एलियम सेपा का बायोलॉजिकल नेम होता है एलियम सेपा अगर हम बात करेंगे प्यार की तो प्याज के अंदर जब उसको काटते हैं तो उसके चल का पत्र करते हैं ठीक है जो उसका रूट यानी जो हम खाते हैं सब्जियों के रूप में तो चल को पत्र को काटकर हम खाते हैं तो उस जल का पात्र के अंदर जो भोज्य पदार्थ का संचय होता है वह किस रूप में होता नहीं किस रूप में वह जो पदार्थ उन छलका पत्रों में संचित होता है तो सामान्यत या अगर हम प्यास को खाएं एक विज्ञापन के साथ ठीक है पन के साथ-साथ थोड़ी सी मिठास का भी अनुभव होता है ठीक है तो यह जो मिठास होती है यह उस में भरा होता है ग्लूकोस क्या आ Show
जाता है ग्लूकोस तो यहां पर भोज्य पदार्थ के बारे में पूछा है तो उसमें जो भोज्य पदार्थ होता है जो उसमें भोज पदार्थ होता है जो कि उसके सलका पत्रों में होता है वह ग्लूकोस होता है और ग्लूकोस एक प्रकार की सैर करा है क्या है शर्करा तो पहला ऑप्शन दिया है शर्करा बिल्कुल सही हो जाता है इसका एक तरीके का पॉलिसैचेराइड है और जो हमने शर्करा देखी है वह एक तरीके का मोनो से कराई तो पुलिस है कि रेड लाइट नहीं होगा नहीं उसमें प्रोटीन होता है ना ही कोई अमला राइट आंसर कौन सा हो जाता है ऑप्शन ए आशा करते हैं आप कुछ प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। प्याज़ भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इत्यादि। प्याज़ की फ़सल कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है। विश्व में प्याज 1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाई जाती हैं, जिससे 25,387 हजार मी. टन उत्पादन होता है। भारत में इसे कुल 287 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाये जाने पर 2450 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा गुजरात आदि प्रदेशों में अधिकता से उगाया जाता है। यह शल्ककंदीय सब्जी है, जिसके कन्द सब्जी के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कन्द तीखा होता है। यह तीखापन एक वाष्पशील तेल एलाइल प्रोपाइल डाय सल्फाइड कारण होता है। प्याज का उपयोग सब्जी, मसाले, सलाद तथा अचार तैयार करने के लिए किया जाता है। कन्द में आयरन, कैल्शियम, तथा विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। कन्द तीखा, तेज, बलवर्धक, कामोत्तेजक, स्वादवर्धक, क्षुधावर्धक तथा महिलाओं में रक्त वर्धक होता है। पित्तरोग, शरीर दर्द, फोड़ा, खूनी बवासीर, तिल्ली रोग, रतौंधी, नेत्रदाह, मलेरिया, कान दर्द तथा पुल्टिस के रूप में लाभदायक है। अनिद्रा निवारक (बच्चों में), फिट (चक्कर) में सुंघाने के लिए उपयोगी। कीड़ों के काटने से उत्पन्न जलन को शान्त करता है (आयुर्वेद)। प्याज, एक तना जो कि छोटी-सी तस्तरी के रूप में होता है, अत्यन्त ही मुलायम शाखाओं वाली फसल है, जो कि पोले तथा गूदेदार होते हैं। रोपण के 2) से 3 माह पश्चात् तैयार हो जाती है। इसकी फसल अवधि 120-130 दिन है। औसत उपज 300 से 375 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है। फसल मार्च-अप्रेल में तैयार हो जाती है। भारत में इनकी खेती छोटे रूप में कियारिया बना के भी की जाती है| आवश्यकताएँ[संपादित करें]जलवायु, भूमि, सिंचाई[संपादित करें]प्याज शीतऋतु की फसल है किन्तु अधिक शीत हानिकारक होती है। तापक्रम अधिक हो जाना भी हानिकारक होता है। प्याज के विपुल उत्पादन के लिए पर्याप्त सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्याज के कन्द दीर्घ प्रकाश अवधि (Long Day Length) में अच्छे बनते हैं। कन्दीय फसल होने के कारण भुरभुरी तथा उत्तम जल निकास वाली भूमि उत्तम मानी जाती है। बलुई दुमट भूमि सर्वोत्तम होती है। अन्य भूमि में भी उगाई जा सकती है। भारी मिट्टी उचित नहीं है। भूमि का पीएच मान 5.8-6.5 के मध्य होना चाहिए। प्याज के लिए कुल 12-15 सिंचाई की आवश्यकता होती है, 7-12 दिन के अन्तर से भूमि के अनुसार सिंचाई की जानी चाहिए। पौधों का शिरा जब मुरझाने लगे, यह कन्द पकने के लक्षण हैं, इस समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए। खाद एवं उर्वरक[संपादित करें]गोबर की खाद या कम्पोस्ट 200 क्विंटल प्रति हेक्टर तथा नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश क्रमशः 100, 50, 100 किलो प्रति हेक्टर आवश्यक है। गोबर की खाद या कम्पोस्ट, फास्फोरस तथा पोटाश भूमि के तैयारी के समय तथा नाइट्रोजन तीन भागों में बांटकर क्रमशः पौध रोपण के 15 तथा 45 दिन बाद देना चाहिए। अन्य सामान्य नियम खाद तथा उर्वरक देने के पालन किए जाने चाहिए। उद्यानिक क्रियाएँ[संपादित करें]बीज विवरण[संपादित करें]प्रति हेक्टर बीज की मात्रा – 10 किलो प्रति 100 ग्रा. बीज की संख्या –[संपादित करें]25,000 अंकुरण[संपादित करें]60 प्रतिशत अंकुरण क्षमता –[संपादित करें]एक वर्ष बीजोपचार[संपादित करें]1 प्रतिशत बोर्डो मिश्रण या अन्य फफूंदनाशक दवा से उपचारित करें। पौध तैयार करना[संपादित करें]बीज भूमि से 10 सेमी. ऊँची बनाई गई क्यारियों में कतारों में बुवाई कर ढक देना चाहिए। आद्र्र गलन का रोग पौधों में न लगने पाए इसलिए क्यारियों में 1 प्रतिशत बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए। पौध रोपण[संपादित करें]समय – 15 सितम्बर से दिसम्बर अन्तर[संपादित करें]कतार 15 सेमी., पौधे 10-15 सेमी. ऊँचे हो जाएँ तब खेत में रोपएा कर लगाने चाहिए। अधिक उम्र के पौधे या जब उनमें जड़ वाला भाग मोटा होने लगे तब नहीं लगाने चाहिए। खेत की तैयारी आलू के समान ही की जानी चाहिए। पौध रोपण के तुरन्त बाद ही सिंचाई करनी चाहिए। मल्चिंग बनाना[संपादित करें]प्याज के पौधों की कतारों के मध्य पुआल या सूखी पत्तियाँ बिछा देनी चाहिए जिससे सिंचाई की बचत होती है। फूल आना या बोल्टिंग – कन्द के लिए ली जाने वाली फसल में फूल आना उचित नहीं माना जाता है, इससे कन्द का आकार घट जाता है। अतः आरम्भ में ही निकलते हुए डण्ठलों को तोड़ देना चाहिए। खुदाई[संपादित करें]जब पत्तियों का ऊपरी भाग सूखने लगे तो उसे भूमि में गिरा देना चाहिए जिससे प्याज के कन्द ठीक से पक सकें। खुदाई करने में कन्द को चोट या खरोंच नहीं लगनी चाहिए। प्याज का भण्डारण[संपादित करें]प्याज का भण्डारण एक महत्वपूर्ण कार्य है। कुछ किस्मों में भण्डारण क्षमता अधिक होती है, जैसे- पूसा रेड, नासिक रेड, बेलारी रेड और एन-2-4। एन-53, अर्लीग्रेनो और पूसा रत्नार में संग्रहण क्षमता कम होती है। ऐसी किस्में जिनमें खाद्य पदार्थ रिफ्रेक्टिव इण्डेक्स कम होता है और वाष्पन की गति और कुल वाष्पन अधिक होता है, उनकी संग्रहण क्षमता कम होती है। छोटे आकार के कन्दों में बड़े आकार की तुलना में संग्रहण क्षमता अधिक होती है। फसल में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक अधिक देने से कन्दों की संग्रहण क्षमता कम हो जाती है। फाॅस्फोरस और पोटाश को कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं होता है। मोटी गर्दन वाले कन्द संग्रहण में शीघ्र ही खराब होने लगते हैं। उत्पादन तथा व्यापार[संपादित करें]विश्व में अनुमानतः 90 लाख एकड़ भूमि में प्याज की खेती होती है। लगभग १७० देश घरेलू खपत के लिये इसकी खेती करते हैं तथा कुल उत्पादन का ८ प्रतिशत का अन्तरराष्ट्रीय बाजार में व्यापार होता है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
प्याज में कौन सा पदार्थ पाया जाता है?प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाया जाता है. इसके अलावा इसमें एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण भी होते हैं. प्याज में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी6, बी-कॉम्प्लेक्स और सी भी पाया जाता है. प्याज में आयरन, फोलेट और पोटैशियम जैसे खनिज भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं.
प्याज के अंदर क्या पाया जाता है?एक मध्यम आकार की प्याज में सिर्फ 44 कैलोरी होती है, लेकिन विटामिन, खनिज और फाइबर की पूरी खुराक पाई जाती है। प्याज बी विटामिन में भी भरपूर हैं। इसमें विटामिन बी 9 (फोलेट) और बी 6 (पाइरिडोक्सिन) शामिल हैं। जो चयापचय, लाल रक्त कोशिका उत्पादन और तंत्रिका कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्याज में क्या क्या गुण होते हैं?प्याज में अधिक फाइबर है, जो स्वस्थ और नियमित पाचन तंत्र को बनाए रखने के लिए अच्छा है।. मधुमेह को रोकता है: ... . बेहतर प्रतिरक्षा के लिए: ... . मौखिक स्वास्थ्य के लिए: ... . स्वस्थ त्वचा के लिए: ... . खांसी का उपचार: ... . कैंसर को रोकता है: ... . यौन स्वास्थ्य के लिए: ... . हड्डी के स्वास्थ्य के लिए:. प्याज में कितने तत्व होते हैं?एक हरे प्याज की डंडी में 20 माइक्रोग्राम विटामिन K और 1.6 मिलीग्राम विटामिन C होता है। एक स्वस्थ बड़े उम्र के आदमी के लिए, एक डंडी हरा प्याज उसकी दैनिक जरूरत का 16 प्रतिशत विटामिन A और K की पूर्ति कर देता है वहीं एक महिला के लिए यह प्रतिशत 22 है। विटामिन A और K एक स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक हैं।
|