Show
317 Views भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है ?लेखक – भारतेन्दु हरिश्चंद्रविधा – निबंध (1884) (ददरी मेले में दिए गए भाषण का अंश)निबंध सार :-
COMMENT SUBSCRIBE SHARE भारत देश की उन्नति कैसे हो सकती है?धर्म में, घर के काम में, बाहर के काम में, रोजगार में, शिष्टाचार में, चाल चलन में, शरीर में, बल में, समाज में, युवा में, वृद्ध में, स्त्री में, पुरुष में, अमीर में, गरीब में, भारतवर्ष की सब आस्था, सब जाति,सब देश में उन्नति करो। सब ऐसी बातों को छोड़ो जो तुम्हारे इस पथ के कंटक हों।
भारत उन्नति कैसे हो सकती है निबंध?भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है – निबंध सारांश
इस निबंध में भारतेन्दु ने भारतीय के आलसी होने पर व्यंग्य किया है। ➡️ इस निबंध में अंग्रेजों के परिश्रम के प्रति आदर भाव भी व्यक्त किया गया है। ➡️ भारतेन्दु ने भारतीय लोगों को रेल की गाड़ी कहा है। ➡️ भाषण में ब्रिटिश शासन की मनमानी पर व्यंग्य किया गया है।
भारतेंदु जी के अनुसार सब उन्नति का मूल क्या है?(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी कहते हैं कि हमारे यहाँ धर्म की आड़ में विविध प्रकार की नीति, समाज-गठन आदि भरे हुए हैं। ये उन्नति का मार्ग प्रशस्त नहीं करते। इसलिए धर्म की उन्नति से सभी प्रकार की उन्नति सम्भव है। (iii) लेखक ने धर्म को सभी उन्नतियों का मूल बताया है।
|