The Uttar Pradesh Public Service Commission conducts the Uttar Pradesh Combined State/Upper Subordinate Exam (UPPSC). UPPCS… Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission (UPSSSC) द्वारा आयोजित UP राजस्व लेखपाल Mains exam का आयोजन… MPPSC
(Madhya Pradesh Public Service Commission) द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination) – 2022 का हल … Uttar Pradesh लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा UP PCS Prelims Exam का आयोजन 12 June 2021 को दो पालियों… संघ लोक सेवा आयोग UPSC (Union Public Service Commission) द्वारा आयोजित Civil
Services Prelims Exam (Paper 1),… वायुदाबवायुदाब की परिभाषा, समदाब रेखा (ISOBAR), वायुदाब पेटियां, विषुवत रेखीय, भूमध्यरेखीय, उच्च एवं निम्न वायुदाब पेटियां, ध्रुवीय पेटियां आदि की पूर्ण जानकारी पृथ्वी के चारों ओर फैला वायुमंडल अपने भार के कारण पृथ्वी के धरातल पर जो दबाव डालता है उसे वायुमंडलीय दाब या वायुदाब कहते हैं सागर या स्थल के प्रति इकाई क्षेत्र में वायु जो भार डालती है उसे वायुदाब कहते हैं। वायुदाब का अध्ययन सर्वप्रथम ऑटोफिन ग्युरिक ने किया। बैरोमीटर/फोर्टिन बैरोमीटर/नीद्रव बैरोमीटर/साधारण वायुदाब मापी नामक यंत्र से वायुदाब को मापा जाता है। वायुदाब मापने की इकाई मिलीबार/पास्कल/किलोपास्कल है। समुद्र तल पर पृथ्वी का औसत वायुदाब 1013.25 मिलीबार/किलोपास्कल (KP) होता है। धरातल से ऊपर जाने पर प्रत्येक 10 मीटर की ऊंचाई पर एक मिली बार की दर से वायु दाब घटता जाता है। पवने उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती है। सूत्र = Pα1/T P = दाब T = तापमान α = समानुपती सबसे अधिक वायुदाब इर्किटस्क (साइबेरिया) 1075.2 मिलीबार है। धरातल से प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड की दर से तापमान घटता है इसे सामान्य ताप ह्रास ताप पतन की दर कहते हैं। सागर तल पर समान वायुदाब वाले क्षेत्रों को मिलाने वाली रेखा समदाब रेखा कहलाती है। वायुदाब पेटियांग्लोब पर सात वायुदाब पेटियां बनती हैं जिनके चार प्रकार होते हैं। इनमें से उत्पत्ति की प्रक्रिया के आधार पर वायुदाब की पेटियों को दो वृत्त समूहों में विभाजित किया जाता है- 1 तापजन्य- यह दो प्रकार की हैं- i विषुवत रेखीय/भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब पेटी ii ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी 2 गतिजन्य- भी दो प्रकार की होती हैं- i उपोषण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी या घोड़े का अक्षांश (अश्व अक्षांश) ii उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी 1- विषुवत रेखीय/भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब पेटी–इस पेटी का विस्तार भूमध्य रेखा के 5 डिग्री उत्तर से 5 डिग्री दक्षिण अक्षांशों तक विस्तृत है। इस क्षेत्र में धरातल पर हवाओं में गति कम होने तथा क्षेतीजीय पवन प्रवाह के कारण शांत वातावरण रहता है, इसलिए इसे डोलड्रम या शांत पेटी या शांत कटिबंध कहते हैं। कटिबंध में प्रतिदिन वर्षा होती है इस क्षेत्र में दोनों गोलार्द्धों में स्थित उपोषण कटिबंध से आने वाली व्यापारिक पवनों का मिलन या अभिसरण होता है अतः इस मेखला को अंतःउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) भी कहते हैं। 2- उपोषण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी या घोड़े का अक्षांश (अश्व अक्षांश)-विषुवत रेखा के दोनों ओर 30 डिग्री से 35 डिग्री अक्षांशों के मध्य यह पेटी स्थित है। इस पेटी की मुख्य विशेषता यह है कि विश्व के सभी उष्ण मरुस्थल इसी पेटी में महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर स्थित हैं। यह पेटी उच्च वायुदाब तथा तापमान से संबंधित ने होकर पृथ्वी की दैनिक गति से संबंधित है (वायुदाब के अवतलन से संबंधित) अधिकांश मरुस्थल इसी पेटी में आते हैं। इस कटिबंध में नीचे उतरती हुई वायु काफी दबाव डालती है जिस कारण से इस क्षेत्र को घोड़े का अक्षांश या अश्व अक्षांश के नाम से भी जाना जाता है। अधोध्रुवीय/उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी-वायुदाब, परिभाषा, पेटियां, ISOBARयह पेटी 60 डिग्री से 65 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य स्थित है। पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न
अपकेंद्रीय बल के कारण दोनों गोलार्द्धों में इस पेटी का निर्माण होता है, जो की गतिजन्य वायुदाब पेटी है। ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी-ध्रुवीय प्रदेशों में तापमान की कमी के कारण इस पेटी का निर्माण होता है जो कि एक तापजन्य पेटी है। इस पेटी में गुरुत्वाकर्षण बल सर्वाधिक होता है। स्थलीय भागों में दिन में न्यूनतम वायुदाब और सागरों में उच्च वायुदाब तथा रात्रि में इसके विपरीत स्थिति होती है। ध्रुवीय क्षेत्रों में सूर्य कभी सिर के ऊपर नहीं होता। यहाँ सूर्य की किरणों का आपतन कोण न्यूनतम होता है इस कारण यहां सबसे कम तापमान पाये जाते हैं। निम्न तापमान होने के कारण वायु सिकुड़ती है और उसका घनत्व बढ़ जाता है, जिससे यहां उच्च वायुदाब का क्षेत्र बनता है उत्तरी गोलार्द्ध में इसे उत्तर ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी कहा जाता है। इन पेटियों से पवनें अधोध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियों की ओर चलती हैं। उपर्युक्त वायुदाब चित्र में वायुदाब पेटियां दिखाई गई है जिसका निर्माण सूर्य की दिन की आदर्श स्थिति अर्थात विषुवत रेखा पर होती है तो संपूर्ण पृथ्वी पर 21 मार्च और 23 सितंबर को यह स्थिति निर्मित होती है, जिसे वायुदाब की आदर्श स्थिति कहा जाता है। अंततः – वायुदाब, परिभाषा, पेटियां, ISOBARवायुदाब पेटियों की प्रस्तुत व्यवस्था एक सामान्य तस्वीर प्रदर्शित करती है। इस पूरे मैटर की PDF प्राप्त करने के लिए यहां क्लिक कीजिए जो सर्वाधिक तापमान की पेटी है, वह भी विषुवत वृत्त से उत्तर और दक्षिण की ओर खिसकती रहती है। वायुदाब पवनें वायुमण्डल चट्टानें अथवा शैल जलवायु चक्रवात-प्रतिचक्रवात Today: 3 Total Hits: 1144589 पृथ्वी पर कुल कितने वायुदाब की पेटियां है?पृथ्वी के धरातल पर कुल 7 वायुदाब की पेटियाँ पाई जाती है। जिसमें से 3 तापजन्य वायुदाब पेटी तथा 4 गतिजन्य वायुदाब पेटी पायी जाती हैं।
वायुदाब की पेटियां क्या है?वायुमंडलीय दाब - वायुमण्डलीय दबाव का अर्थ है किसी दिए गए स्थान तथा समय पर वहाँ की हवा के स्तम्भ का भार। इसे 'बैरोमीटर' में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर पड़ने वाले बल के रूप में मापते हैं। वायुदाब का अध्ययन सर्वप्रथम गैरिक ने किया।
पृथ्वी पर वायुदाब कौन है?वायुदाब को मापने की इकाई मिलीबार है। समुद्र तल पर औसत वायुमंडलीय दाब 1,013.2 मिलीबार होता है।
पेटियां क्या है?पृथ्वी का अपने अक्ष (Axis) पर झुके होने एवं घूर्णन के कारण तथा पृथ्वी एवं सूर्य की सापेक्षिक गतियां (Relative movements) एवं स्थिति में परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर विभिन्न वायुदाब एवं पवन की पेटियां पाई जाती हैं।
वायुदाब क्या है विश्व की वायुदाब?धरातल पर या सागर तल पर क्षेत्रफल की इकाई का ऊपर स्थित वायुमण्डल की समस्त परतों के पड़ने वाले भार को ही वायुदाब कहा जाता है. पृथ्वी के धरातल की अपेक्षा सागर तल पर दाब अधिक पाया जाता है. सागर तल पर एक वर्ग इंच क्षेत्र पर 14-7 पौण्ड (1 किलोग्राम प्रतिवर्ग सेमी) का भार होता है. इसे इंच, सेमी और मिली बार में नापा जाता है.
|