पदार्थ की तीन अवस्थाओं में क्या पाया जाता है? - padaarth kee teen avasthaon mein kya paaya jaata hai?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

कारबन पदार्थ को तीन अवस्था में पाया जाता है क्योंकि हमें जानते हैं कि कार्बन से हम लोग गिरे हुए इस दुनिया में जितनी भी चीजें हमें नजर आ रही है यह सारे कार्बन हैं इसलिए हम कह सकते हैं कि कार्बन ऐसा पदार्थ है जो तीनों अवस्था में पाया जाता है यानी ठोस द्रव और गैस डॉट कॉम

carbon padarth ko teen avastha mein paya jata hai kyonki hamein jante hain ki carbon se hum log gire hue is duniya mein jitni bhi cheezen hamein nazar aa rahi hai yah saare carbon hain isliye hum keh sakte hain ki carbon aisa padarth hai jo tatvo avastha mein paya jata hai yani thos drav aur gas dot com

कारबन पदार्थ को तीन अवस्था में पाया जाता है क्योंकि हमें जानते हैं कि कार्बन से हम लोग गिर

  3      

पदार्थ की तीन अवस्थाओं में क्या पाया जाता है? - padaarth kee teen avasthaon mein kya paaya jaata hai?
 379

पदार्थ की तीन अवस्थाओं में क्या पाया जाता है? - padaarth kee teen avasthaon mein kya paaya jaata hai?

पदार्थ की तीन अवस्थाओं में क्या पाया जाता है? - padaarth kee teen avasthaon mein kya paaya jaata hai?

पदार्थ की तीन अवस्थाओं में क्या पाया जाता है? - padaarth kee teen avasthaon mein kya paaya jaata hai?

पदार्थ की तीन अवस्थाओं में क्या पाया जाता है? - padaarth kee teen avasthaon mein kya paaya jaata hai?

कौन सा पदार्थ तीनो अवस्था में पाया जाता है ; कौन सा पदार्थ तीनों अवस्था में पाया जाता है ;

This Question Also Answers:

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

द्रव्य वह सामग्री है, जिसमें भार हो, जो स्थान ग्रहण करे, जो दबाव डाल सके एवं अवरोध उत्पन्न कर सके, जिसमें जड़ता का गुण हो, जिसकी अवस्था में ऊर्जा द्वारा परिवर्तन लाया जा सके, जो विभाजित किया जा सके तथा जिसके अस्तित्व का हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा अनुभव कर सकें।

पदार्थ (substance): द्रव्य के विभिन्न प्रकार को पदार्थ कहते हैं। अतः पदार्थ एक विशेष प्रकार का द्रव्य है, जो निश्चित गुण एवं संघटन वाला होता है, जैसे- कागज, लकड़ी, मिट्टी, लोहा, मोम, जल, दूध, वायु, ऑक्सीजन, संगमरमर, चूना आदि।

वस्तु (Object): एक पदार्थ या अनेक पदार्थों के मिश्रण से बनने वाली विशेष गुण वाली सामग्री को वस्तु (Object) कहते हैं, जैसे- पुस्तक, पेन्सिल, नाव, वायुयान, चाकू, ब्लेड, थाली, गिलास, पेण्ट, कमीज, अँगूठी आदि।

नोट: संसार की सभी वस्तुएँ द्रव्यों अर्थात पदार्थों से बनी हैं।

आधुनिक विज्ञान में पदार्थ को दो मुख्य प्रकार से विभाजित किया गया है-

(i) भौतिक अवस्था के आधार पर, उदाहरण-ठोस, द्रव एवं गैस और


(ii) रासायनिक संघटन के आधार पर, उदाहरण-तत्व, यौगिक एवं मिश्रण।

पदार्थों की भौतिक अवस्थाएँ (Physical States of substances): भौतिक अवस्था के आधार पर पदार्थों को तीन वर्गों में बांटा गया है। ये तीन वर्ग हैं- ठोस (solid), द्रव (Liquid) तथा गैस (Gas)। दूसरे शब्दों में पदार्थ इन्हीं तीन अवस्थाओं में रहते हैं। किसी पदार्थ की अवस्था (ठोस, द्रव या गैस) उसके अन्तराण्विक बल (Intermolecular Force) पर निर्भर करती है।

ठोस (solid) ठोस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार एवं आयतन निश्चित होते. हैं, जैसे- कुर्सी, मेज, ईंट, पत्थर की मूर्ति, दवात, कलम, तांबा आदि। जब पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल पृथक्कारी बल से सबल होता है, तो पदार्थ ठोस अवस्था में रहता है। इस प्रकार ठोस पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल सबल होता है। सबल आकर्षण बल के कारण ठोस पदार्थों के अणु घने रूप से संकुलित (एक दूसरे के बिल्कुल समीप) होते हैं तथा उनकी स्थितियाँ निश्चित होती हैं। इन्हीं स्थितियों के इर्द-गिर्द ये सिर्फ अपने अन्तराण्विक अन्तराल में कम्पन करते रहते हैं, जब तक उन पर बाहर से कोई बल नहीं लगाया जाता है। इसी कारण से ठोस पदार्थों के आकार और आयतन निश्चित होते हैं। ठोसों के कण आपस में अत्यधिक निकट होते हैं, इस कारण इनमें उच्च घनत्व और असंपीड्यता होती है। ठोसों में कणों के उच्च क्रम में व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं, जिसके फलस्वरूप क्रिस्टलों की एक नियमित ज्यामितीय आकृति होती है।

द्रव (Liquid): द्रव पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसका आयतन निश्चित होता है, परन्तु आकार अनिश्चित होता है, जैसे- दूध, पानी, तेल, शराब आदि। द्रव पदार्थ की सभी स्थितियों में ऊपरी सतह हमेशा समतल होती है। द्रव पदार्थ की बहने वाला द्रव (Fluid) भी कहते हैं। जब पदार्थ में आकर्षण बल पृथक्कारी बल से कुछ ही सबल होता है, तो पदार्थ द्रव अवस्था में रहता है। इस तरह द्रव पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस अवस्था की अपेक्षा कमजोर होता है। इसी कारण द्रव पदार्थों में अणु कम घने रूप में संकुलित होते हैं तथा ये गति करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। परन्तु, ये अणु पदार्थ के अंदर ही इधर-उधर गति कर सकते हैं। द्रव पदार्थ के अणु ठोस पदार्थ की अपेक्षा दूर-दूर रहते हैं। फिर भी, इनके बीच की दूरी बहुत अधिक नहीं होती है। अतः द्रव पदार्थ अपना आकार असानी से बदल सकते हैं, परन्तु उनका आयतन नहीं बदलता है। इसी कारण द्रव पदार्थ का आयतन निश्चित, परन्तु आकार अनिश्चित होता है। द्रव पदार्थ का घनत्व गैस से अधिक किन्तु ठोस से कम होता है।

गैस (Gas): गैस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं, जैसे- वायु, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि। गैस अवस्था में पदार्थ का न तो कोई आकार होता है और न कोई आयतन। गैसीय पदार्थ को जिस पात्र में रख दिया जाता है, वह उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेता है। गैस का कोई पृष्ठ-तल नहीं होता है। गैस भी द्रव की भाँति एक बर्तन से दूसरे बर्तन में ढाली जा सकती है। इसी कारण गैस को भी द्रव जैसा, बहने वाला द्रव (Fluid) कहते हैं। जब पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल, पृथक्कारी बल की अपेक्षा काफी कमजोर होता है, तो पदार्थ गैस अवस्था में रहता है। इस तरह गैसीय पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस एवं द्रव पदार्थ दोनों की अपेक्षा कमजोर होता है। काफी कमजोर आकर्षण बल के कारण गैसीय पदार्थ के अणु ठोस एवं द्रव पदार्थों के अणुओं की तुलना में एक-दूसरे से काफी दूर-दूर रहते हैं तथा सभी संभव दिशाओं में गति करने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। इसी कारण गैसीय पदार्थ का न तो कोई निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन।

पदार्थों की भौतिक अवस्थाओं में परिवर्तन: एक ही पदार्थ तीनों भौतिक अवस्थाओं में रह सकता है। रासायनिक संघटन के आधार पर संसार के समस्त पदार्थ को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- तत्व, यौगिक और मिश्रण।

तत्व (Element): तत्व वह मौलिक पदार्थ है, जिसे किसी भी भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा न तो दो या दो से अधिक सर्वथा भिन्न गुणों वाले पदार्थों में विभाजित किया जा सकता है, और न ही दो या दो से अधिक पदाथों के बीच संयोग कराकर संश्लेषित किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, वह पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है, तत्व कहलाता है। इलेक्ट्रॉनिक संरचना के अनुसार तत्व वह है, जिसके प्रत्येक परमाणु का नाभिकीय आवेश समान होता है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सोडियम, लोहा, तांबा, सोना, चांदी, प्लैटिनम आदि तत्वों के प्रमुख उदाहरण हैं। तत्व दो प्रकार के होते हैं- धातु (Metal) और अधातु (Non-Metal)।

धातु तत्व विद्युत् और ऊष्मा के सुचालक होते हैं तथा ये ठोस अवस्था में आघातवर्द्धनीय (Malleable) और तन्य (Ductile) होते हैं। लोहा, तांबा, एल्यूमिनियम, सोना, चांदी, प्लैटिनम आदि धातु हैं। अधातु तत्व विद्युत् और ऊष्मा के कुचालक होते हैं। साथ ही साथ अधातु तत्व भुरभुरे (Brittle) होते हैं और प्रहार करने पर चूर-चूर हो जाते हैं। गंधक, फॉस्फोरस, ऑक्सीजन, ब्रोमीन इत्यादि अधातु हैं। भौतिक अवस्था के आधार पर तत्वों को ठोस तत्व, द्रव तत्व तथा गैस तत्व में विभाजित किया गया है। अधिसंख्य तत्व ठोस रूप में ही पाये जाते हैं। (जैसे-लोहा, सोना, तांबा, कार्बन, गंधक आदि) कुछ तत्व द्रव के रूप में पाये जाते हैं। (जैसे-पारा, ब्रोमीन आदि), जबकि कुछ तत्व गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं। (जैसे-हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नोइट्रेोजने, क्लोरीने आदि)। वर्तमान समये मे 112 तत्वों की खोज की जा चुकी है। इनमें से 92 तत्व प्रकृति में पाये जाते 3.0 हैं, जबकि शेष अन्य तत्व वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशालाओं में कृत्रिम तरीकों से संश्लोषित किए गए हैं।

यौगिक (Compound): यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है, जो दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बनता है और जिसे उचित रासायनिक विधियों द्वारा दो या दो से अधिक सर्वथा भिन्न गुणों वाले अवयवों (या अवयव तत्वों) में विभक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जल एक यौगिक है। जल का प्रत्येक अणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं तथा ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना होता है। किसी भी स्रोत से प्राप्त शुद्ध जल या किसी भी विधि

पृथ्वी पर पाये जाने वाले प्रमुख तत्व एवं उनका प्रतिशततत्वभू-पटल में%ऑक्सीजन49.9सिलिकन26.0ऐलुमिनियम7.3लोहा4.1कैल्सियम3.2सोडियम2.3पोटैशियम2.3मैग्नीशियम2.1अन्य2.8सामान्य मानव शरीर में तत्वों की औसत मात्रातत्वप्रतिशतऑक्सीजन65.0कार्बन18.0हाइड्रोजन10.0नाइट्रोजन3.0कैल्सियम2.0फॉस्फोरस1.0पोटैशियम0.35सल्फर0.25सोडियम0.15क्लोरीन0.15मैग्नीशियम0.05लोहा0.004अन्य तत्व0.046

से निर्मित जल के प्रत्येक अणु में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के परमाणुओं का अनुपात सदैव 2:1 होता है। भार के विचार से यह अनुपात 1:8 होता है। जल के भौतिक और रासायनिक गुण इसके अवयवी तत्वों-हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के गुणों से सर्वथा भिन्न होते हैं।

मिश्रण (Mixture): मिश्रण वह अशुद्ध पदार्थ है, जो दो या दो से अधिक शुद्ध पदार्थों (तत्वों या यौगिकों या दोनों) के किसी भी अनुपात में बिना रासायनिक संयोग के मिलने से बनता है तथा जिसके अवयवी पदार्थों को सरल, यांत्रिक या भौतिक विधियों द्वारा पृथक् किया जा सकता है।

उदाहरण-

(i) वायु अनेक गैसों एवं धूलकणों का मिश्रण है। वायु के अवयवी गैसों में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प प्रमुख हैं।

(ii) समुद्री जल कई लवणों का जल में मिश्रण है, जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रमुख लवण है।

(iii) पीतल तांबा और जस्ता का मिश्रण होता है।

मिश्रण के प्रकार: मिश्रण के अवयवी पदार्थों की प्रकृति तथा बने मिश्रण के गुण एवं संघटन के आधार पर मिश्रण को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है-

(i) सामांग मिश्रण (Homogeneous Mixture): वह मिश्रण जिसके प्रत्येक भाग में उसके अवयवी पदार्थों का संघटन एवं गुण समान होता है, समांग मिश्रण कहलाता है। चीनी का जल में विलयन, नमक का जल में विलयन, गंधक का कार्बन डाइसल्फाइड में विलयन, अमोनिया गैस का हवा में विलयन आदि समांग मिश्रण के उदाहरण हैं।

(ii) असमांग मिश्रण (Heterogeneous Mixture): वह मिश्रण जिसके विभिन्न भागों में उसके अवयवी पदार्थों का संघटन एवं गुण एक-से नहीं होते हैं, असमांग मिश्रण कहलाता है। लोहा एवं गंधक का मिश्रण, बालू एवं नमक का मिश्रण, खड़िया का जल में मिश्रण, धूलकण का हवा में मिश्रण आदि असमांग मिश्रण के उदाहरण हैं। सामान्यतः एक असमांग मिश्रण के अवयवी पदार्थों को एक दूसरे से अलग करना एक समांग मिश्रण की तुलना में अधिक आसान होता है।

मिश्रणों का पृथक्करण (separation of Mixtures): मिश्रण में उपस्थित घटकों को विभिन्न विधियों द्वारा अलग-अलग किया जाता है। मिश्रणों के पृथक्करण की कुछ सामान्य विधियाँ निम्नलिखित हैं-

(i) क्रिस्टलन (Crystallisation): क्रिस्टलन विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोसों में उपस्थित घटकों का पृथक्करण एवं शुद्धीकरण किया जाता है। इसमें उपस्थित अशुद्ध ठोस या मिश्रण को उचित विलायक के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गर्म अवस्था में ही इस विलयन को फनल (Funnel) द्वारा छाना जाता है। छानने के पश्चात् विलयन को ठंडा किया जाता है। ठंडा होने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टल के रूप में विलयन से पृथक् हो जाता है और इसमें उपस्थित अशुद्धियाँ मातृ द्रव में घुली रह जाती हैं। इन क्रिस्टलों को छानकर अलग कर सुखा लिया जाता है।

(ii) आसवन (Distination): आसवन विधि द्वारा मुख्यतः द्रवों के मिश्रण को पृथक् किया जाता है। जब दो द्रवों के क्वथनांकों में अंतर अधिक होता है तो उनके मिश्रण को इस विधि से पृथक् किया जाता है। आसवन विधि में द्रव को वाष्प में परिणत कर किसी दूसरे स्थान में भेजा जाता है, जहाँ उसे ठंडा कर पुनः द्रव अवस्था में परिवर्तित कर लिया जाता है। आसवन विधि में पहला प्रक्रम वाष्पन तथा दूसरा प्रक्रम संघनन कहलाता है।

(iii) उर्ध्वपातन (sublimation): सामान्यतः ठोस पदार्थों को गर्म करने पर वे द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं और उसके पश्चात् गैसीय अवस्था में, लेकिन कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते हैं, जिन्हें गर्म किये जाने पर वे द्रव अवस्था में आने के बदले सीधे वाष्प में परिणत हो जाते हैं और वाष्प को ठंडा किये जाने पर यह पुनः ठोस अवस्था में हो जाते हैं।

ऐसे पदार्थों को उर्ध्वपात्ज (sublimate) कहा जाता है व इस प्रकार की क्रिया उर्ध्वपातन (sublimation) कहलाती है। इस विधि के द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण में से उसको पृथक् करते हैं, जिसमें एक ठोस उर्ध्वपात्ज होता है दूसरा नहीं। ऐसे ठोसों के मिश्रण को गर्म करने पर उर्ध्वपात्ज ठोस सीधे वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इस वाष्प को अलग ठंडा कर लिया जाता है। इस प्रकार दोनों ठोस पृथक् हो जाते हैं। इस विधि के द्वारा कपूर, नेफ्थलीन, अमोनियम क्लोराइड, एन्थ्रासीन, बेन्जोइक अम्ल आदि पदार्थ शुद्ध किये जाते हैं।

(iv) प्रभाजी आसवन (Fractional Distillation): प्रभाजी आसवन विधि के द्वारा उन मिश्रित द्रवों का पृथक्करण किया जाता है, जिनके क्वथनांकों में बहुत कम का अंतर होता है। दूसरे शब्दों में द्रवों के क्वथनांक एक-दूसरे के समीप होते हैं। भूगर्भ से निकाले गये खनिज तेल से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि इसी विधि द्वारा पृथक किये जाते हैं। जलीय वायु (Liquid air) से विभिन्न गैसें भी इसी विधि द्वारा पृथक् किये जाते हैं।

(v) वर्णलेखन (Chromatography): वर्णलेखन विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अधिशोषण क्षमता भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अधिशोषित होते हैं और इस प्रकार पृथक् कर लिए जाते हैं।

(vi) भाप आसवन (steam Distination): भाप आसवन विधि के द्वारा ऐसे कार्बनिक पदार्थों का शुद्धीकरण किया जाता है जो जल में अघुलनशील, परन्तु वाष्प के साथ वाष्पशील होते हैं। इस विधि के द्वारा विशेष रूप में उन पदार्थों का शुद्धीकरण किया जाता है, जो अपने क्वथनांक पर अपघटित हो जाते हैं, कार्बनिक पदार्थों जैसे एसीटोन, मेथिल ऐल्कोहॉल, एसीटल्डिहाइड आदि का शुद्धीकरण भाप आसवन विधि द्वारा ही किया जाता है।

पदार्थ की तीन अवस्थाएं क्या हैं?

पदार्थ की अवस्थाएं पदार्थ तीन अवस्थाओं- ठोस, द्रव और गैस में पाये जाते हैं

पदार्थ की कितनी अवस्थाएँ हैं?

पदार्थ की चार अवस्थाएं होती हैं। ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा। प्लाज्मा गैसीय अवस्था ही होती है, लेकिन यह आयनित होती है।

पदार्थ कितने प्रकार का होता है?

भौतिक संरचना के आधार पर पदार्थ को तीन समूह में विभाजित किया गया है –ठोस (solid), तरल (liquid) और गैस (gas)।

पदार्थ की अवस्था क्या कहलाती है?

पदार्थ की अवस्थायें (States of matter) वह विशिष्ट रूप हैं, जो कोई पदार्थ धारण या ग्रहण कर सकता है। ऐतिहासिक संदर्भ मे, इन अवस्थाओं का अंतर पदार्थ के समग्र गुणों के आधार पर किया जाता था।