नोट: विश्व में सर्वाधिक ऊँचा ज्वार उत्तरी अमेरिका के पूर्वी किनारे पर स्थित ‘फंडी की खड़ी’ (उत्तरी अटलांटिक महासागर) में आते हैं, तथा इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित ‘साउथ हैंपटन की खाड़ी’ में प्रतिदिन चार बार ज्वार आते हैं। यहां पर सागरीय लहरें दो बार इंग्लिश चैनल से तथा दो बार उत्तरी सागर से भिन्न समयांतराल पर पहुंचती हैं। Show
इसे सुनेंरोकेंचांद के गुरुत्वाकर्षण के कारण एक प्रक्रिया होती है टाइडल फ्रिक्शन. इसके कारण पृथ्वी समुद्रों में ज्वार भाटा की घटानाएं होती हैं. इसी के कारण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से चंद्रमा को हलका बल लगता है जिससे उसकी कक्षा की गति बढ़ जाती है और चांद धीरे धीरे हमसे थोड़ा सा दूर हो जाता है। उपग्रह अपनी कक्षा में चलता है पृथ्वी के चारों ओर क्यों कि?इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रह की गति को प्रायः पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जैसे-जैसे उपग्रह पृथ्वी के करीब आते हैं, गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव भी उतना ही मज़बूत होता जाता है और उपग्रह अधिक तेज़ी से आगे बढ़ता है। पढ़ना: स्माल स्केल इंडस्ट्रीज क्या है? चांद घूमता है क्या? इसे सुनेंरोकेंचन्द्रमा, पृथ्वी की 1 परिक्रमा लगभग 27 दिन और 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है। पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति कौन सी गति होती है? इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति आवर्ती गति होती है । चन्द्रमा की पृथ्वी के चारो ओर गति वर्तुल गति है। चन्द्रमा की पृथ्वी के चारो ओर गति वर्तुल गति है। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच कौन सा बल कार्य करता है?इसे सुनेंरोकेंअभिकेन्द्र बल चंद्रमा और पृथ्वी के बीच कार्य करता है। जहाँ F गुरुत्वाकर्षण बल है, M और m दो वस्तुओं का द्रव्यमान है, R दो वस्तुओं के केंद्र के बीच की दूरी है, और G सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक है। क्यों चन्द्रमा पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण है?इसे सुनेंरोकेंआकार के हिसाब से अपने स्वामी ग्रह के सापेक्ष यह सौरमंडल में सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है जिसका व्यास पृथ्वी का एक चौथाई तथा द्रव्यमान १/८१ है। बृहस्पति के उपग्रह lo के बाद चन्द्रमा दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है। सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय चन्द्रमा है। पढ़ना: वाजिद अली का सेनापति कौन था? अंतरिक्ष में उपग्रह क्यों भेजे जाते हैं? इसे सुनेंरोकेंसंचार उपग्रह (Communications satellite) वो उपग्रह हैं जिन्हें अंतरिक्ष में दूरसंचार के प्रयोजन के लिए तैनात किया जाता है। आधुनिक संचार उपग्रह आमतौर पर गर्भायोजित कक्षाओं (geosynchronous orbit), मोलनिया कक्षाओं (Molniya orbit) या पृथ्वी की निचली कक्षाओं (Low Earth orbit) का प्रयोग करते है। उपग्रह से क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंउपग्रह ग्रह की परिक्रमा करनेवाले आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहते हैं। चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह है। अपने ग्रहों की परिक्रमा करने में उपग्रह एक निश्चित कक्षा में, निश्चित वेग से, घूमते हैं जिससे प्रत्येक स्थान पर अपकेंद्र बल, गुरुत्वीय बल के बराबर और उसके विपरीत हो जाता है। चंद्रमा पृथ्वी के कितने दिनों में चक्कर लगाता है?इसे सुनेंरोकेंयह दूरी पृथ्वी के व्यास का ३० गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से १/६ है। यह पृथ्वी कि परिक्रमा २७.३ दिन में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी २७.३ दिन में लगाता है। पढ़ना: पैर की एड़ी फटने पर कौन सी क्रीम लगाएं? इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर गुरुत्वाकर्षण बल है। पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होती है। पृथ्वी की आवर्ती गति क्या है?इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी अपने कक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक अण्ड़ाकार मार्ग पर 365 दिन 6 घंटे 48 मिनट और 4,091 सेकेंड में एक चक्कर पूरा करती है। इस गति को परिक्रमा या वार्षिक गति कहते है। चन्द्रमा (प्रतीक: ) पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है।[8] यह सौर मंडल का पाँचवां,सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। इसका आकार क्रिकेट बॉल की तरह गोल है। और यह खुद से नहीं चमकता बल्कि यह तो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी ३८४,४०३ किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का ३० गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से १/६ है। यह पृथ्वी कि परिक्रमा २७.३ दिन में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी २७.३ दिन में लगाता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा या फेस हमेशा पृथ्वी की ओर होता है। यदि चन्द्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ़ साफ़ अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर आएगी लेकिन आसमान में उसकी स्थिति सदा स्थिर बनी रहेगी अर्थात पृथ्वी को कई वर्षो तक निहारते रहो वह अपनी जगह से टस से मस नहीं होगी। पृथ्वी- चन्द्रमा-सूर्य ज्यामिति के कारण "चन्द्र दशा" हर २९.५ दिनों में बदलती है। आकार के हिसाब से अपने स्वामी ग्रह के सापेक्ष यह सौरमंडल में सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है जिसका व्यास पृथ्वी का एक चौथाई तथा द्रव्यमान १/८१ है। बृहस्पति के उपग्रह lo के बाद चन्द्रमा दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है। सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय चन्द्रमा है। समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते हैं। चन्द्रमा की तात्कालिक कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का ३० गुना है इसीलिए आसमान में सूर्य और चन्द्रमा का आकार हमेशा सामान नजर आता है। वह पथ्वी से चंद्रमा का 59 % भाग दिखता है जब चन्द्रमा अपनी कक्षा में घूमता हुआ सूर्य और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं। रात्रि के समय चाँद का दृश्य अन्तरिक्ष में मानव सिर्फ चन्द्रमा पर ही कदम रख सका है। सोवियत राष्ट् का लूना-१ पहला अन्तरिक्ष यान था जो चन्द्रमा के पास से गुजरा था लेकिन लूना-२ पहला यान था जो चन्द्रमा की धरती पर उतरा था। सन् १९६८ में केवल नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन भेजने की उपलब्धि हासिल की थी और पहली मानवयुक्त ' चंद्र परिक्रमा मिशन ' की शुरुआत अपोलो -८ के साथ की गई। सन् १९६९ से १९७२ के बीच छह मानवयुक्त यान ने चन्द्रमा की धरती पर कदम रखा जिसमे से अपोलो-११ ने सबसे पहले कदम रखा। इन मिशनों ने वापसी के दौरान ३८० कि. ग्रा. से ज्यादा चंद्र चट्टानों को साथ लेकर लौटे जिसका इस्तेमाल चंद्रमा की उत्पत्ति, उसकी आंतरिक संरचना के गठन और उसके बाद के इतिहास की विस्तृत भूवैज्ञानिक समझ विकसित करने के लिए किया गया। ऐसा माना जाता है कि करीब ४.५ अरब वर्ष पहले पृथ्वी के साथ विशाल टक्कर की घटना ने इसका गठन किया है। सन् १९७२ में अपोलो-१७ मिशन के बाद से चंद्रमा का दौरा केवल मानवरहित अंतरिक्ष यान के द्वारा ही किया गया जिसमें से विशेषकर अंतिम सोवियत लुनोखोद रोवर द्वारा किया गया है। सन् २००४ के बाद से जापान, चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में से प्रत्येक ने चंद्र परिक्रमा के लिए यान भेजा है। इन अंतरिक्ष अभियानों ने चंद्रमा पर जल-बर्फ की खोज की पुष्टि के लिए विशिष्ठ योगदान दिया है। चंद्रमा के लिए भविष्य की मानवयुक्त मिशन योजना सरकार के साथ साथ निजी वित्त पोषित प्रयासों से बनाई गई है। चंद्रमा ' बाह्य अंतरिक्ष संधि ' के तहत रहता है जिससे यह शांतिपूर्ण उद्देश्यों की खोज के लिए सभी राष्ट्रों के लिए मुक्त है। चन्द्रयान (अथवा चंद्रयान-१) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के अंतर्गत द्वारा चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला[9] अंतरिक्ष यान था।चन्द्रमा की आतंरिक संरचना पृथ्वी की ओर वाली चन्द्रमा की सतह पृथ्वी के विरुद्ध (अदृश्य) वाली चन्द्रमा की सतह चंद्रमा एक विभेदित निकाय है जिसका भूरसायानिक रूप से तीन भाग क्रष्ट, मेंटल और कोर है। चंद्रमा का २४० किलोमीटर त्रिज्या का लोहे की बहुलता युक्त एक ठोस भीतरी कोर है और इस भीतरी कोर का बाहरी भाग मुख्य रूप से लगभग ३०० किलोमीटर की त्रिज्या के साथ तरल लोहे से बना हुआ है। कोर के चारों ओर ५०० किलोमीटर की त्रिज्या के साथ एक आंशिक रूप से पिघली हुई सीमा परत है। संघात खड्ड निर्माण प्रक्रिया एक अन्य प्रमुख भूगर्भिक प्रक्रिया है जिसने चंद्रमा की सतह को प्रभावित किया है, इन खड्डों का निर्माण क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के चंद्रमा की सतह से टकराने के साथ हुआ है। चंद्रमा के अकेले नजदीकी पक्ष में ही १ किमी से ज्यादा चौड़ाई के लगभग ३,००,००० खड्डों के होने का अनुमान है। [10] इनमें से कुछ के नाम विद्वानों, वैज्ञानिकों, कलाकारों और खोजकर्ताओं पर हैं। [11] चंद्र भूगर्भिक कालक्रम सबसे प्रमुख संघात घटनाओं पर आधारित है, जिसमें नेक्टारिस, इम्ब्रियम और ओरियेंटेल शामिल है, एकाधिक उभरी सतह के छल्लों द्वारा घिरा होना इन संरचनाओं की ख़ास विशेषता है। २००८ में चंद्रयान अंतरिक्ष यान ने चन्द्रमा की सतह पर जल बर्फ के अस्तित्व की पुष्टि की है। नासा ने इसकी पुष्टि की है। चंद्रमा का करीब 1-100 नैनोटेस्ला का एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र है। पृथ्वी की तुलना में यह सौवें भाग से भी कम है। चंद्रमा की उत्पत्ति आमतौर पर माने जाते हैं कि एक मंगल ग्रह के शरीर ने धरती पर मारा, एक मलबे की अंगूठी बनाकर अंततः एक प्राकृतिक उपग्रह, चंद्रमा में एकत्र किया, लेकिन इस विशाल प्रभाव परिकल्पना पर कई भिन्नताएं हैं, साथ ही साथ वैकल्पिक स्पष्टीकरण और शोध में चंद्रमा कैसे जारी हुआ। [1] [2] अन्य प्रस्तावित परिस्थितियों में कब्जा निकाय, विखंडन, एक साथ एकत्रित (संक्षेपण सिद्धांत), ग्रहों संबंधी टकराव (क्षुद्रग्रह जैसे शरीर से बने), और टकराव सिद्धांत शामिल हैं। [3] मानक विशाल-प्रभाव परिकल्पना मंगल ग्रह के आकार के शरीर को बताती है, थिआ कहलाता है, पृथ्वी पर असर पड़ता है, जिससे पृथ्वी के चारों ओर एक बड़ी मलबे की अंगूठी पैदा होती है, जिसके बाद चंद्रमा के रूप में प्रवेश किया जाता है। इस टकराव के कारण पृथ्वी के 23.5 डिग्री झुका हुआ धुरी भी उत्पन्न हुई, जिससे मौसम उत्पन्न हो गया। [1] चंद्रमा के ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात पृथ्वी के लिए अनिवार्य रूप से समान दिखते हैं। [4] ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात, जिसे बहुत ठीक मापा जा सकता है, प्रत्येक सौर मंडल निकाय के लिए एक अद्वितीय और विशिष्ट हस्ताक्षर उत्पन्न करता है। [5] अगर थिया एक अलग प्रोटॉपलैनेट था, तो शायद पृथ्वी से एक अलग ऑक्सीजन आइसोटोप हस्ताक्षर होता, जैसा कि अलग-अलग मिश्रित पदार्थ होता। [6] इसके अलावा, चंद्रमा के टाइटेनियम आइसोटोप अनुपात (50Ti / 47Ti) पृथ्वी के करीब (4 पीपीएम के भीतर) प्रतीत होता है, यदि कम से कम किसी भी टकराने वाला शरीर का द्रव्यमान चंद्रमा का हिस्सा हो सकता है। [7] पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कौन सी गति है?सही उत्तर गुरुत्वाकर्षण बल है। पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होती है।
चंद्रमा कौन सी गति है?इसका आकार क्रिकेट बॉल की तरह गोल है। और यह खुद से नहीं चमकता बल्कि यह तो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी ३८४,४०३ किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का ३० गुना है।
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चन्द्रमा. पृथ्वी के घूमने की गति कितनी है?इसे 'परिभ्रमण गति' भी कहते हैं। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व लगभग 1,670 किमी. प्रति घंटे (463 मीटर प्रति सेकेण्ड) की चाल से 23 घंटे, 56 मिनट व 4 सेकंड में एक घूर्णन पूरा करती है। इसी कारण पृथ्वी पर दिन-रात होते हैं।
चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर गति क्यों करता है?Detailed Solution
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल चंद्रमा को आकर्षित करता है।
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