पहला सुपर कंप्यूटर का नाम क्या है? - pahala supar kampyootar ka naam kya hai?

विषयसूची

Show
  • 1 विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर का क्या नाम था?
  • 2 भारत में पहला सुपर कंप्यूटर कब बना?
  • 3 भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का क्या नाम था?
  • 4 सुपर कंप्यूटर का निर्माण कब हुआ?
  • 5 भारत का पहला स्वदेशी सुपर कम्प्यूटर कौन सा है?
  • 6 भारत का प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कौन सा है?

विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंपहला सुपर कंप्यूटर इल्लीआक 4 है, जिसने 1975 में काम करना आरंभ किया। इसे डेनियल स्लोटनिक ने विकसित किया था। यह अकेले ही एक बार में 64 कंप्यूटरों का काम कर सकता था। इसकी मुख्य मेमोरी में 80 लाख शब्द आ सकते थे और यह 8, 32, 64 बाइट्‌स के तरीकों से अंकगणित क्रियाएं कर सकता था।

भारत में पहला सुपर कंप्यूटर कब बना?

इसे सुनेंरोकेंIndian Super Computer Param: भारत ने वर्ष 1991 में खुद ही सुपर कंप्‍यूटर बना लिया था.

भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंBharat ke 1st super computer ka naam PARAM 8000 Tha. भारत के प्रथम super computer का नाम परम है। भारत के प्रथम super computer का नाम परम है।

भारत का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर कौनसा है?

परम-सिद्धि एक और भारतीय सुपर कंप्यूटर है और यह प्रत्यूष के समान सूची में 63वें स्थान पर है।

  • यह परम-सिद्धि को वर्तमान में सबसे तेज भारतीय सुपर कंप्यूटर बनाता है।
  • इस सुपरकंप्यूटर को पुणे में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटर्स के मुख्यालय में रखा गया है।
  • भारत का सबसे तेज चलने वाला सुपर कंप्यूटर कौन सा है?

    इसे सुनेंरोकेंभारत के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर का नाम परम सिद्धि हैै। जो दुनिया के 500 सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर में 63 वां रैंक प्राप्त किया है।

    सुपर कंप्यूटर का निर्माण कब हुआ?

    इसे सुनेंरोकेंसुपर कंप्यूटर किसे कहते हैं – What is Supercomputer in Hindi पहला सुपरकंप्यूटर 12 अप्रैल, 1964 को पूरा हुआ था। आईबीएम स्ट्रेच नामक मशीन को $7 मिलियन अमरीकी डालर (आज के डॉलर में $49 मिलियन अमरीकी डालर) के बजट पर पूरा किया गया था और इसकी प्रसंस्करण गति 2.4 मेगाफ्लॉप (मिलियन फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशंस) की थी।

    भारत का पहला स्वदेशी सुपर कम्प्यूटर कौन सा है?

    इसे सुनेंरोकेंPARAM 8000 श्रृंखला की पहली मशीन थी और इसे स्क्रैच से बनाया गया था। विजय पी भाटकर को सुपरकंप्यूटिंग में भारत की राष्ट्रीय पहल के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है जहां उन्होंने परम सुपर कंप्यूटर के विकास का नेतृत्व किया। उन्होंने 1991 में पहला भारतीय सुपर कंप्यूटर, PARAM 8000 विकसित किया।

    भारत का प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कौन सा है?

    इसे सुनेंरोकेंलेकिन इन सब के बाद भी भारत में कंप्यूटर युग की वास्तविक रूप से शुरुआत हुई सन १९५६ में, जब आई एस आई कोलकाता में भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC – 2M स्थापित किया गया।

    भारत ने सुपर कंप्यूटर खरीदने के लिए अमेरिकी कंपनी Cray से संपर्क किया, पर अमेरिकी सरकार ने कंपनी को बेचने की इजाजत नहीं दी. फिर भारतीय वैज्ञानिक अपना सुपर कंप्यूटर बनाने में लग गए.

    पहला सुपर कंप्यूटर का नाम क्या है? - pahala supar kampyootar ka naam kya hai?

    Indian Super Computer Param: भारत ने वर्ष 1991 में खुद ही सुपर कंप्‍यूटर बना लिया था.

    सूचना क्रांति के इस दौर में हमारा देश भारत काफी आगे निकल चुका है. शहर ही नहीं, गांव के लोग भी बड़ी तेजी से डिजिटल (Digital) हो रहे हैं. साइंस और टेक्नोलॉजी (Science and Technology) के क्षेत्र में भी हम अमेरिका, ब्रिटेन, रूस जैसे देशों के साथ अगली कतार में चल रहे हैं. लेकिन एक समय ऐसा था, जब टेक्नोलॉजी में हम विकसित देशों से पीछे चल रहे थे. यह किस्सा है उस दौर का, जब अमेरिका ने सुपर कंप्यूटर (Super Computer) बना लिया था. भारत सरकार अमेरीकी कंपनी को पैसे देकर खरीदना चाहती थी. लेकिन अमेरिका की पॉलिसी के कारण ऐसा नहीं हो पाया. और फिर भारतीय वैज्ञानिकों ने खुद ही एक बेहतरीन सुपर कंप्यूटर बना डाला.

    आप सोचिए कि आज मोबाइल पर इंटरनेट के जरिये एक क्लिक पर कितना कुछ हाजिर हो जाता है, लेकिन करीब दशकों पहले पहले एक ऐसा दौर था, जब कंप्यूटर से दुनिया का परिचय ही नहीं था. ब्रिटिश गणितज्ञ और आविष्कारक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने 1830 के दशक में दुनिया के पहले ऑटोमैटिक डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार किया था. उन्हीं के प्रयासों की बदौलत आज हम कंप्यूटर का आधुनिक वर्जन इस्तेमाल कर रहे हैं.

    कंप्यूटर के बाद सुपर कंप्यूटर बनाने में जुटे वैज्ञानिक

    चार्ल्स बैबेज ने कंप्यूटर का आविष्कार कर दुनियाभर में क्रांति ला दी थी. इसके बाद कंप्यूटर में बदलाव किए जाते रहे और इनका मोडिफाइड वर्जन सामने आता रहा. फिर वैज्ञानिक सुपर कंप्यूटर (Super computer) तैयार करने में जुट गए. India Today की रिपोर्ट के मुताबिक, आखिरकार 1964 में अमेरिकी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सीमोर क्रे (Seymour Cray) को कामयाबी मिली और दुनिया का पहला सुपर कंप्यूटर CDC 6600 सामने आया. बता दें कि किसी भी देश के लिए सुपर कंप्यूटर का बड़ा ही महत्व होता है. मौसम और जलवायु की जानकारी और शोध वगैरह से लेकर सैन्य हथियार बनाने तक इसका इस्तेमाल होता है.

    अमेरिका ने बनाया पहला सुपर कंप्यूटर

    ‘सुपर कंप्यूटर’ बनाने वाला दुनिया का पहला देश अमेरिका था. तब भारत को भी सुपर कंप्यूटर की जरूरत थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1988 के आसपास भारत ने इसे खरीदने का फैसला लिया. सुपर कंप्यूटर की कीमत 70 करोड़ रुपये के करीब थी. उस वक्त 70 करोड़ रुपये बहुत होते थे. इसके बावजूद भारत ने निर्णय लिया कि वह सुपर कंप्यूटर खरीदेगा ही खरीदेगा. इसके लिए भारत ने अमेरिका से बात की.

    जब अमेरिका ने सुपर कंप्यूटर देने से क​र दिया इनकार

    भारत ने सुपर कंप्यूटर खरीदने के लिए अमेरिकी कंपनी क्रे (Cray) से संपर्क किया. तब अमेरिका की पॉलिसी कड़ी थी. किसी भी अमेरिकी कंपनी को अपना सामान विदेश में बेचने के लिए यूएस सरकार से अनुमति लेनी होती थी. कंपनी ने भारत को ‘सुपर कंप्यूटर’ बेचने से पहले अमेरिकी सरकार से अनुमति मांगी तो सरकार ने इनकार कर दिया. अमेरिकी सरकार का मानना था कि भारत इसका इस्तेमाल रिसर्च के लिए नहीं, बल्कि सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए करेगा. और ऐसे में आखिरकार भारत को उस वक्त ‘सुपर कंप्यूटर’ नहीं मिल पाया.

    तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने बुलाई मीटिंग

    भारत को सुपर कंप्यूटर चाहिए था. सो इसको लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने देश के प्रमुख वैज्ञानिकों की एक बैठक बुलाई और उनसे पूछा कि क्या हम सुपर कंप्यूटर नहीं बना सकते? तब वरीय वैज्ञानिक विजय पी भटकर (Vijay P Bhatkar) ने कहा, क्यों नहीं! हमारे वैज्ञानिक भी उतने काबिल हैं. जब पीएम ने समय और लागत के बारे में पूछा तो भटकर का कहना था कि हम अमेरिका से कम समय में सुपर कंप्यूटर बना सकते हैं और जितने में हम अमेरिका से सुपर कंप्यूटर खरीदने को तैयार थे, उससे बेहद कम लागत में हमारे वैज्ञानिक इसे तैयार कर सकते हैं.

    .. और भारतीय वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया

    वैज्ञानिकों संग बैठक में विजय पी भटकर की बातों से तत्कालीन पीएम राजीव गांधी बहुत प्रभावित हुए और सरकार ने ‘सुपर कंप्यूटर’ तैयार करने की अनुमति दे दी. वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को नाम दिया- C-DAC. महज 3 साल के भीतर वर्ष 1991 में भारत ने अपना पहला सुपर कंप्यूटर बना लिया. वैज्ञानिकों ने इस सुपर कंप्यूटर का नाम ‘परम’ (PARAM) रखा.

    सुपर कंप्यूटर बनाकर भारत ने अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों को चौंका दिया था. यह बात अमेरिका को हजम नहीं हुई और उसने भारतीय सुपर कंप्यूटर के कमजोर होने की अफवाह फैला दी. हालांकि भारत ने इंटरनेशनल एग्जीबिशन में अपने सुपर कंप्यूटर ‘परम’ का प्रदर्शन कर अमेरिका समेत दुनियाभर में खुद को साबित किया. ‘परम’ दुनिया का दूसरा सबसे तेज ‘सुपर कंप्यूटर’ साबित हुआ.

    अमेरिकी सुपर कंप्यूटर ‘CDC 6600’ के लिए भारत 70 करोड़ रुपये देने को तैयार था, जबकि ‘परम’ की लागत 3 करोड़ रुपये के करीब ही पड़ी. कम कीमत होने के कारण ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा समेत कई देशों ने भारत से सुपर कंप्यूटर खरीदे.

    यह भी पढ़ें: मिल-बांट कर खाने से प्यार बढ़े, न बढ़े… वजन जरूर बढ़ता है! 

    विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर का नाम क्या है?

    पहला सुपर कंप्यूटर इल्लीआक 4 है, जिसने 1975 में काम करना आरंभ किया। इसे डेनियल स्लोटनिक ने विकसित किया था। यह अकेले ही एक बार में 64 कंप्यूटरों का काम कर सकता था। इसकी मुख्य मेमोरी में 80 लाख शब्द आ सकते थे और यह 8, 32, 64 बाइट्‌स के तरीकों से अंकगणित क्रियाएं कर सकता था

    भारत का सबसे पहला सुपर कंप्यूटर का क्या नाम है?

    Detailed Solution. सही उत्तर परम 8000 है। परम 8000 भारत का पहला सुपर कंप्यूटर था। परम सुपर कंप्यूटर की एक श्रृंखला है जिसे पुणे, भारत में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग द्वारा डिज़ाइन और असेंबल किया गया है।

    विश्व का सबसे सुपर कंप्यूटर कौन सा है?

    सुपरकंप्‍यूटर (supercomputer) यानी ऐसी मशीनें जिनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता। अमेरिकी सुपरकंप्‍यूटर Frontier को दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्‍यूटर चुना गया है।

    भारत का पहला सुपर कंप्यूटर कब और किसने बनाया?

    परम 8000 को 1 जुलाई 1991 को लॉन्च किया गया था। इसका नाम सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) द्वारा रखा गया था। इस परियोजना की अध्यक्षता डॉ. विजय पांडुरंग भाटकर ने की थी।