ओजोन (OZONE, O3) आक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है जो वायुमण्डल में बहुत कम मात्रा (०.०२%) में पाई जाती हैं। समुद्र-तट से 30-32km की ऊँचाई पर इसकी सान्द्रता अधिक होती है। यह तीखे गंध वाली अत्यन्त विषैली गैस है। जमीन के सतह के उपर अर्थात निचले वायुमंडल में यह एक खतरनाक दूषक है, जबकि वायुमंडल की उपरी परत ओजोन परत के रूप में यह सूर्य के पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी पर जीवन को बचाती है, जहां इसका निर्माण ऑक्सीजन पर पराबैंगनी किरणों के प्रभावस्वरूप होता है। ओजोन ऑक्सीजन का एक अपररूप है। यह समुद्री वायु में उपस्थित होती है।ऑक्सीजन की एक मंद शुष्क धारा नीरव विद्युत विसर्जन से गुजरे जाने पर ओजोन में परिवर्तित होती है। Show इतिहास[संपादित करें]वॉन मैरम ने सन १७८५ में विद्युत विसर्जन यन्त्रों के पास एक विशेष प्रकार की गन्ध का अनुभव किया जिसका उल्लेख उन्होने अपने लेखों में भी किया। १८०१ में क्रिक शैंक को भी ऑक्सीजन में विद्युत विसर्जन करते समय यही अनुभव हुआ। १८४० में शानबाइन नें इस गंध का कारण एक नयी गैस को बताया और उन्होने इसे ओजोन नाम दिया जो यूनानी शब्द ओजो यानि मैं सूंघता हूं पर आधारित था। सन १८६५ में सोरेट ने यह सिद्ध किया कि यह गैस ऑक्सीजन का एक अपररूप है और इसका अणुसूत्र O3 है। Solution : हमारी पृथ्वी के चारो और का वायुमंडल ओजोन नामक गैस की मोती परत से ढका हुआ है। ओजोन की यह परत ,सूर्य के प्रकाश की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। ये किरणे हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होती है मानव द्वारा रेफ्रिजरेटर , अग्निशमन यंत्र तथा एरोसॉल स्प्रे में उपयोग किये जाने वाले (क्लोरो- फ्लोरो-कार्बन) के कारण ओजोन परत का हाश होता है , इसे ओजोन का अवक्षय कहते है। <br> ओजोन के अवक्षय से पराबैंगनी किरण अधिक मात्रा में पृथ्वी तक पहुँचती है तथा त्वचीय कैंसर हो जाता है ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 90-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है।[1] यह मुख्यतः स्ट्रैटोस्फियर(समताप मंडल) के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से अधिक तथा पृथ्वी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है। ओजोन की परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। इनसे पहले भी वैज्ञानिकों ने जब सूर्य से आने वाले प्रकाश का स्पेक्ट्रम देखा तो उन्होंने पाया कि उसमें कुछ काले रंग के क्षेत्र थे तथा 310 nm से कम वेवलेंथ का कोई भी रेडिएशन सूर्य से पृथ्वी तक नहीं आ रहा था.[2] वैज्ञानिकों ने इससे यह निष्कर्ष निकाला कि कोई ना कोई तत्व आवश्य पराबैगनी किरणों को सोख रहा है, जिससे कि स्पेक्ट्रम में काला क्षेत्र बन रहा है तथा पराबैंगनी हिस्से में कोई भी विकिरण दिखाई नहीं दे रहे हैं।[3] सूर्य से आने वाले प्रकाश के स्पेक्ट्रम का जो हिस्सा नहीं दिखाई दे रहा था वह ओजोन नाम के तत्व से पूरी तरह मैच कर गया, जिससे वैज्ञानिक जान गए कि पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन ही वह तत्व है जो कि पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर रहा है. इसके गुणों का विस्तार से अध्ययन ब्रिटेन के मौसम विज्ञानी जी एम बी डोबसन ने किया था। उन्होने एक सरल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर विकसित किया था जो स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन को भूतल से माप सकता था। सन 1928 से 1958 के बीच डोबसन ने दुनिया भर में ओज़ोन के निगरानी केन्द्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया था, जो आज तक काम करता है (2008)। ओजोन की मात्रा मापने की सुविधाजनक इकाई का नाम डोबसन के सम्मान में डोबसन इकाई रखा गया है.[4] ओज़ोन[संपादित करें]ओज़ोन गंधयुक्त गैस होती है जो हल्के नीले रंग की होती है। ओज़ोन परत में ओज़ोन गैस की मात्रा अधिक पाई जाती है। ओज़ोन ऑक्सीजन का ही एक प्रकार है और इसे O3 के संकेत से प्रदर्शित करते हैं। ऑक्सीजन के जब तीन परमाणु(अल्फा पराबैंगनी विकिरण के साथ) आपस में जुड़ते है तो ओज़ोन परत बनाते है। एक ओजोन एक परत है जो पृथ्वी के समताप मंडल के ऊपर मध्य मंडल के नीचे दोनों के बीच में है यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है रक्षा करता है वर्तमान वैज्ञानिक युग में तीव्र गति से चलने वाली वायुयान से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं वातानुकूल लक तथा प्रति शतक आदि में से निकलने वाली क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैसों से ओजोन मंडल नष्ट हो रहा है यदि समय रहते ओजोन परत को बचाने हेतु कारगर प्रयास नहीं किए गए तो परिणाम भयानक हो सकता हैं से त्वचा का कैंसर आंखों मैं दुष्प्रभाव आदि। सन्दर्भ[संपादित करें]
ओजोन से क्या समझते हैं?पृथ्वी का अधिकांश ओजोन समताप मंडल (स्ट्रेटोस्फीयर) में रहती है, यह वायुमंडल की वह परत है जो सतह से 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है। वायुमंडलीय ओजोन का लगभग 90 फीसदी समतापमंडलीय "ओजोन परत" में है, जो सूर्य द्वारा उत्सर्जित हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी की सतह को बचाता है।
ओजोन क्षेत्र से आप क्या समझते हैं इसके परिणाम क्या है?Solution : ओजोन छिद्र हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों द्वारा ओजोन परत के ध्वंश को सूचित करता है। इससे हमारे चारों ओर स्थित ओजोन की परत में वस्तुतः छिद्र हो जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप, हानिकारक विकिरणों से त्वचा कैंसर, दृष्टिदोष आदि उत्पन्न होंगे और यह हमारे प्ररिरक्षा तंत्र (Immune System) को प्रभावित करेगा।
ओजोन का कार्य क्या है?सही उत्तर विकल्प 2 है, अर्थात, हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से सुरक्षा करता है। ओजोन परत, समताप मंडल की परत के अंदर पृथ्वी के वातावरण की परतों में से एक है। यह पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित करता है और लोगों, जानवरों, पौधों और समुद्री जीवन को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है।
ओजोन क्या है इसके गुण लिखिए?ओजोन के भौतिक और रासायनिक गुण
यह एक गैस के रूप में होती है। इसका रंग पित-नीला होता है और इस गैस में मछली जैसी तीखी गंध आती है। जब इस गैस को संघनित किया जाता है तो यह गहरे नीले रंग के द्रव में परिवर्तित हो जाती है और इसको अधिक ठंडा करने पर यह काले ठोस के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
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