Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन Important Questions and Answers. Show Haryana Board 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकनवस्तुनिष्ठ प्रश्न A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए 1. वास्तविक प्रवाह से तात्पर्य है – 2. मौद्रिक प्रवाह का अर्थ है- 3. आय के चक्रीय (वर्तुल) प्रवाह से अभिप्राय है- 4. आय के चक्रीय प्रवाह को निम्नलिखित में से किन रूपों में देखा जा सकता है? 5. आय का वर्तुल प्रवाह निम्नलिखित में से किन में होता है? 6. निम्नलिखित में से कौन-सा आय के चक्रीय प्रवाह का क्षरण (Leakage) है? 7. राष्ट्रीय आय के प्रवाह का संतुलन वहाँ होता है जहाँ 8. राष्ट्रीय आय को मापने की आय विधि के संघटक हैं 9. निम्नलिखित में से सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल है। 10. यदि आर्थिक कल्याण की जानकारी प्राप्त करनी हो तो राष्ट्रीय आय गणना की कौन-सी विधि श्रेष्ठ रहेगी? 11. सकल घरेलू उत्पाद में से कौन-सी रकम घटाकर शुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जा सकता है? 12. निम्नलिखित में से दोहरी गणना की समस्या कौन-सी विधि में होती है? 13. देशीय/घरेलू उत्पाद (Domestic Product) बराबर है- 14. राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित में से कौन-सी मद शामिल नहीं होती? 15. निम्नलिखित में से कौन-सी मद शामिल करके सकल घरेलू उत्पाद से कुल राष्ट्रीय उत्पाद का अनुमान लगाया जा सकता है? 16. निम्नलिखित में से कौन-सा सही नहीं है? 17. बाज़ार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDP) 18. कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = 19. निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए 20. निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए 21. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = 22. बिस्कुट निर्माता कंपनी के लिए कौन-सी मध्यवर्ती वस्तु होगी? 23. कारक लागत में निम्नलिखित में से किसे शामिल किया जाता है? 24. बाज़ार कीमत पर GNP = ? 25. बाज़ार कीमत पर NNP = ? 26. प्रयोज्य आय ज्ञात करने के लिए व्यक्तिगत आय में से कौन-सी मद घटाई जाती है? 27. निम्नलिखित में से निवल अप्रत्यक्ष कर है- 28. विदेशों में काम करने वाले भारतीयों की आय ……………… का भाग होती है। B. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए 1. अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं, सेवाओं और मुद्रा का प्रभावित होना, आय का …………….. प्रवाह कहलाता है। (चक्रीय/वास्तविक) 2. सकल घरेलू उत्पाद में ……………… पदार्थों का मूल्य शामिल किया जाता है। (मध्यवर्ती/अंतिम) 3. सकल घरेलू उत्पाद में से ……………. घटाकर शुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जा सकता है। (मूल्यहास/हस्तांतरण भुगतान) 4. छात्रवृत्ति ……………. आय है। (हस्तांतरण/वास्तविक) 5. राष्ट्रीय आय लेखांकन में राष्ट्रीय आय और उससे संबंधित ……………… आर्थिक चरों का अध्ययन किया जाता है। (समष्टि/व्यष्टि) 6. दोहरी गणना से बचने के लिए ……………. विधि अपनाई जाती है। (आय/मूल्यवर्धित) 7. GDP = ……………. (Gross Domestic Product/Gross Demand Product) 8. USA में काम कर रहे भारतीयों की आय …………………. का भाग है। (विदेशी शुद्ध कारक आय/भारत की घरेलू आय) C. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत
उत्तर:
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39. प्रश्न 40.
प्रश्न 41. प्रश्न 42. प्रश्न 43. प्रश्न 44. प्रश्न 45. प्रश्न 46. प्रश्न 47. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. सकल निवेश-अंतिम उत्पाद का वह भाग जो पूँजीगत वस्तुओं के रूप में निर्मित होता है, अर्थव्यवस्था का सकल निवेश कहलाता है। इसमें विद्यमान पूँजीगत वस्तुओं की टूट-फूट व रख-रखाव की प्रतिस्थापन लागत (Replacement cost) शामिल होती है। दूसरे शब्दों में, सकल निवेश में मूल्यह्रास सम्मिलित होता है। मूल्यहास-सामान्य टूट-फूट व प्रत्याशित अप्रचलन के कारण अचल परिसंपत्तियों के मूल्य में गिरावट (हास) को मूल्यह्रास (Depreciation) या ‘अचल पूँजी का उपभोग’ कहते हैं। हम जानते हैं कि अचल पुँजी; जैसे मशीनरी, ट्रैक्टर, रेल-इंजन, इमारत, रेलवे लाइन में समय के साथ-साथ टूट-फूट होती रहती है और इनके जीवनकाल के अंत में इन्हें बदलने (प्रतिस्थापन करने) की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार स्थाई पूँजीगत वस्तुओं के मूल्य में होने वाली गिरावट (मूल्यह्रास) को ‘अचल पूँजी का उपभोग’ कहते हैं। संक्षेप में, सकल निवेश में मूल्यह्रास शामिल रहता है। शुद्ध निवेश-सकल निवेश में मूल्यह्रास घटाने पर शुद्ध निवेश प्राप्त होता है। सांकेतिक रूप में- प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ii)अंतर्राष्ट्रीय संगठनों; जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि के कर्मचारी अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के निवासी हैं न कि उस देश के जहाँ वे स्थापित हैं। इन संगठनों के कार्यालय भारत में भी स्थित हैं फिर भी इनके कर्मचारी भारत के सामान्य निवासी नहीं हैं, परंतु इन कार्यालयों में कार्य करने वाले भारतीय नागरिक भारत के सामान्य निवासी हैं। (iii) ऐसे व्यक्ति जो थोड़े समय (प्रायः एक वर्ष से कम) के लिए विदेश जाते हैं, अपने देश के ही सामान्य निवासी माने जाते हैं; जैसे भारतीयों का अमरीका में सैर-सपाटे के लिए जाना, खेलों के मैच या कांफ्रेंस में भाग लेने जाना, बीमारी का इलाज करवाने जाना आदि। ऐसे व्यक्ति भारत के ही सामान्य निवासी माने जाएँगे। प्रश्न 4. (ii) देश के निवासियों द्वारा दो या दो से अधिक देशों के मध्य चलाए जाने वाली जलयान तथा वायुयान सेवाएँ। (iii) देश के निवासियों द्वारा चलाई जाने वाली मछली पकड़ने की नौकाएँ, तेल व प्राकृतिक गैस के रिंग तथा तैरते हुए प्लेटफार्म (Floating Platforms)जिनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जल सीमाओं में अथवा देश की सर्वाधिकारी जल सीमाओं में गैस या तेल का दोहन कार्य (Exploitation) किया जाता है। (iv) एक देश के विदेशों में राजनयिक संस्थान दूतावास (Embassies), वाणिज्य दूतावास (Consulates)तथा सैनिक प्रतिष्ठान। (v) अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ जो देश की सीमा में कार्य करती हैं, घरेलू सीमा में सम्मिलित नहीं की जाती। उनके कार्यालय अंतर्राष्ट्रीय ‘क्षेत्र के भाग माने जाते हैं। स्पष्ट है कि घरेलू सीमा की अवधारणा राजनीतिक सीमा की अवधारणा से अधिक विस्तृत है। प्रश्न 5. प्रश्न 6. निम्नलिखित दो टिकाऊ वस्तुएँ मध्यवर्ती उपभोग में शामिल होती हैं-
प्रश्न 7. प्रश्न 8. हस्तांतरण भुगतान के प्रकार-हस्तांतरण दो प्रकार के होते हैं-
1. चालू हस्तांतरण चालू हस्तांतरण से हमारा अभिप्राय उन हस्तांतरणों से है जो उपभोग के लिए होते हैं तथा जिनसे राष्ट्रीय आय प्रभावित होती है। वर्तमान या चालू हस्तांतरण के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
2. पूँजीगत हस्तांतरण-पूँजीगत हस्तांतरण वे हस्तांतरण होते हैं जो पूँजीगत खाते के अंतर्गत आते हैं। इन हस्तांतरणों से पूँजी का निर्माण होता है। एक देश के अंतर्गत पूँजी हस्तांतरण सरकार से परिवारों और उद्यमों के बीच और इसके विपरीत दिशा में होते हैं। परिवारों पर लगाए गए मृत्यु कर तथा उत्तराधिकारी कर परिवारों और उद्यमों से सरकार को दिए गए पूँजीगत हस्तांतरण के उदाहरण हैं। दो देशों के बीच पूँजीगत हस्तांतरण के उदाहरण इस प्रकार हैं-युद्ध में विनाश की पूर्ति, आर्थिक सहायता, पूँजीगत वस्तुओं का एकतरफा हस्तांतरण। प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. 2. आर्थिक सहायता-यह सरकार द्वारा उद्यमों को दिया जाने वाला आर्थिक सहायता या अनुदान होता है ताकि (i) उद्यमी बाज़ार कीमत से कम कीमत पर वस्तु बेचें, (ii) वस्तु का निर्यात बढ़ाएँ, (iii) रोज़गार बढ़ाने के लिए उत्पादन में श्रम-प्रधान तकनीक का प्रयोग करें। आर्थिक सहायता से वस्तु की कीमत कम हो जाती है; जैसे आर्थिक सहायता के फलस्वरूप ही खादी ग्राम उद्योग, खादी का कपड़ा सस्ता बेचता है, राशन की दुकानों से गेहूँ, चीनी व मिट्टी का तेल बाज़ार कीमत के मुकाबले सस्ता मिलता है। महत्त्व – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) का प्रयोग बाज़ार कीमत और कारक लागत में अंतर जानने के लिए किया जाता है। समीकरण के रूप में प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. 2. प्रचालन अधिशेष-यह संपत्ति और उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय का जोड़ है। इसमें लगान, ब्याज और लाभ शामिल हैं। यदि शुद्ध घरेलू कारक (साधन) आय में से श्रमिकों का पारिश्रमिक और मिश्रित आय को घटा दिया जाए तो प्रचालन अधिशेष रह जाता है। 3. स्वनियोजन से आय-जब कोई व्यक्ति दूसरे के यहाँ नौकरी करने की बजाय अपना धंधा स्वयं करता है तो उसे स्वनियोजित व्यक्ति कहते हैं और उसकी आय को मिश्रित आय कहते हैं। ऐसे लोग उत्पादन में प्रायः अपने कारक स्वयं जुटाते हैं जिससे इनकी आय, लगान/किराया, मज़दूरी, ब्याज व लाभ का मिश्रण होती है; जैसे छोटे दुकानदार, किसान, बढ़ई, वकील, डॉक्टर आदि स्वनियोजित व्यक्ति हैं क्योंकि वे अपना धंधा स्वयं करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की आय स्वनियोजितों की मिश्रित आय कहलाती है। भारत में मिश्रित आय के महत्त्व को देखते हुए इसे एक अलग स्रोत के रूप में दिखाया जाता है। समीकरण के रूप में- प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. 2. राष्ट्रीय आय का वितरण-यदि राष्ट्रीय आय का वितरण समान है तो आर्थिक कल्याण में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय आय के असमान वितरण की स्थिति में कुछ धनी व्यक्तियों का जीवन स्तर तो ऊँचा हो जाएगा परंतु देश की अधिकतर निर्धन जनता का जीवन स्तर ऊँचा नहीं होगा। इस प्रकार पूरे समाज की दृष्टि से आर्थिक कल्याण में कोई वृद्धि नहीं होगी। प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. यदि हम इसे व्यय चरण पर मापना चाहते हैं तो हमें अर्थव्यवस्था की तीन व्यय करने वाली इकाइयों अर्थात् सामान्य सरकार, उपभोक्ता परिवार तथा उत्पादक उद्यमों के कुल व्यय के जोड़ को ज्ञात करना होगा। राष्ट्रीय आय ‘के चक्रीय प्रवाह के विभिन्न चरणों को संलग्न चित्र की सहायता से समझा जा सकता है। प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. राष्ट्रीय आय लेखांकन का महत्त्व समष्टि अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री के रूप में राष्ट्रीय आय लेखांकन का महत्त्व निम्नलिखित है 2. नीति निर्धारण में सहायक सरकार किसी प्रकार की आर्थिक नीति बनाते समय देश की राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़ों को सामने रखती है। राष्ट्रीय आय लेखा किसी भी अर्थव्यवस्था की मुद्रा, वित्त, व्यापार आदि संबंधी सूचनाएँ ऐसे सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करता है कि आर्थिक नीति निर्धारण में इन सूचनाओं का अच्छे ढंग से प्रयोग किया जा सकता है। 3. अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों का ज्ञान राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़े अर्थव्यवस्था में हुए संरचनात्मक परिवर्तनों (जैसे कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्रों की स्थिति) की जानकारी देते हैं। राष्ट्रीय आय के आंकड़ों से उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों के पारस्परिक संबंधों और राष्ट्रीय आय में इनके योगदान का ज्ञान होता है। इनसे किसी देश के आय रहन-सहन के स्तर के बारे में भी पूरी सूचना प्राप्त होती है। 4. अर्थव्यवस्था की उपलब्धियों की समीक्षा का आधार यह एक देश की आर्थिक उपलब्धियों की समीक्षा करने का आधार है। यह हमें एक देश के प्राकृतिक, मानवीय एवं पूँजीगत कारकों (साधनों) के उपयोग से प्राप्त उपलब्धियों को बताता है। 5. विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं से तुलना-राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति की अन्य देशों के साथ तुलना में उपयोगी सिद्ध होते हैं। 6. आर्थिक दोषों को दूर करने में सहायक-राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़े आर्थिक दोषों की जानकारी देते हैं जिन्हें दूर करने के लिए उचित उपाय अपनाए जा सकते हैं। 7. राष्ट्रीय आय के उचित वितरण में सहायक राष्ट्रीय आय के आंकड़े उत्पादन के विभिन्न कारकों के बीच कारक-आय के वितरण के बारे में भी आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करते हैं। इसकी सहायता से हम देश की कुल राष्ट्रीय आय में लगान, मजदूरी, ब्याज और लाभ के तुलनात्मक भाग के बारे में भी जान सकते हैं। अतः राष्ट्रीय आय के आंकड़े अर्थव्यवस्था में मानवीय गतिविधियों के भौतिक परिणामों का मौद्रिक प्रतिरूप होते हैं। आधुनिक युग में ये आंकड़े मानकों अथवा कसौटियों की रचना करते हैं जिनके आधार पर आर्थिक नीतियों की उपलब्धियों का मूल्यांकन होता है। प्रश्न 2. आय विधि के प्रमुख चरण या कदम-इस विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना उठाए गए निम्नलिखित कदमों से होती है- (ख) कारक आय का वर्गीकरण- 2. प्रचालन अधिशेष-इसमें लगान या किराया, रॉयल्टी, ब्याज, लाभ (लाभांश + निगम कर + अवितरित लाभ) आदि शामिल हैं। 3. मिश्रित आय-स्वरोजगार व्यक्ति; जैसे किसान, डॉक्टर, दुकानदार आदि को अपने कारकों से जो आय प्राप्त होती है, उसे मिश्रित आय कहते हैं। 4. विदेशों से निवल कारक आय-किसी देश के निवासियों द्वारा विदेशों में प्रदान की गई कारक सेवाओं के बदले में प्राप्त आय तथा एक देश की घरेलू सीमा में गैर-निवासियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के बदले में भुगतान की गई आय के अंतर को विदेशों से निवल कारक आय (NFIA) कहा जाता है। सावधानियाँ – आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरती जाती हैं (ii) स्व-उपभोग के लिए रखी गई वस्तुओं का मूल्य तथा आरोपित किराया इसमें शामिल किया जाना चाहिए। (iii) गैर-कानूनी आय; जैसे तस्करी, जमाखोरी, रिश्वत, काला-बाजारी आदि से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। (iv) आकस्मिक लाभ; जैसे लॉटरी से आय, घुड़-दौड़ आदि से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। (v) लाभों को निगम करों का भुगतान करने से पहले शामिल किया जाना चाहिए। इसी प्रकार कर्मचारियों के पारिश्रमिक को आय कर तथा सामाजिक सुरक्षा योजना में अंशदान घटाने से पहले जोड़ा जाना चाहिए। (vi) मृत्यु कर, उपहार कर, संपत्ति कर और आकस्मिक लाभों पर कर को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये करदाता की वर्तमान आय से नहीं दिए जाते, बल्कि भूतकालीन बचतों में से भुगतान किए जाते हैं। इसलिए ये राष्ट्रीय आय का भाग नहीं हैं। इन्हें पूँजीगत हस्तांतरण भुगतान माना जाता है। (vii) पुरानी संपत्तियों का विक्रय मूल्य, राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करना चाहिए, क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन नहीं हुआ। केवल बेची गई या खरीदी गई पुरानी वस्तुओं के स्वामित्व में परिवर्तन हुआ है। प्रश्न 3. व्यय विधि के प्रमुख कदम-व्यय विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय के आकलन में निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं- कदम 1 : अंतिम व्यय करने वाली आर्थिक इकाइयों की पहचान-सर्वप्रथम देश की घरेलू सीमा में उन समस्त आर्थिक इकाइयों की पहचान कर ली जाती है जो अंतिम व्यय (अंतिम उपभोग व्यय तथा अंतिम निवेश व्यय) करती हैं। अंतिम व्यय करने वाली प्रमुख इकाइयाँ हैं-
कदम 2 : अंतिम व्यय का वर्गीकरण-दूसरे कदम के अंतर्गत अंतिम व्यय को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है
कदम 3 : अंतिम व्यय की गणना-अंतिम व्यय के वर्गीकरण के पश्चात् इसके विभिन्न अंगों की गणना की जाती है। इसके लिए दो प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है-
विक्रय की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा को उनकी संबंधित परचून कीमतों से गुणा करके तथा फिर उनका योग करके बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMI) प्राप्त हो जाता है। कदम 4 : विदेशों से निवल कारक आय का आकलन-अंत में विदेशों से निवल कारक आय के मूल्य का आकलन किया जाता है। इससे GDPMP में जोड़ने से GNPMP का मूल्य प्राप्त हो जाता है। कदम 5 : राष्ट्रीय आय का अनुमान-कारक लागत पर राष्ट्रीय आय ज्ञात करने के लिए घिसावट व्यय तथा निवल अप्रत्यक्ष कर घटा दिए जाते हैं। संक्षेप में, राष्ट्रीय आय का अनुमान:
सावधानियाँ-व्यय विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय की गणना करते समय हमें निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिएँ- (ii) अंशपत्र, ऋण-पत्र आदि पर किए जाने वाले व्यय भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किए जाने चाहिएँ, क्योंकि ये मात्र कागज़ी दावे हैं जिनके क्रय-विक्रय से किसी भौतिक परिसंपत्ति का निर्माण नहीं होता। (iii) हस्तांतरण भुगतानों के रूप में समस्त सरकारी व्यय; जैसे बेकारी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, वजीफे आदि पर व्यय इसके क्षेत्र से बाहर रखे जाते हैं। (iv) मध्यवर्ती और अर्द्ध-निर्मित वस्तुओं और सेवाओं पर होने वाले व्यय को इसके क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिए। (v) यहाँ पर यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना बाज़ार कीमत पर की जाती है। अतः कारक लागत पर राष्ट्रीय आय ज्ञात करने के लिए NNPMP में से निवल अप्रत्यक्ष कर घटाने होंगे। प्रश्न 4. उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि के प्रमुख कदम-मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) विधि के द्वारा राष्ट्रीय माप की गणना करते समय निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिएँ- (ii) सकल उत्पाद मूल्य की गणना के लिए तीनों क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य ज्ञात किया जाता है। (iii) निवल मूल्यवर्धित को ज्ञात करने के लिए सकल मूल्यवर्धित में से घिसावट व्यय को घटा दिया जाता है। इस प्रकार बाज़ार कीमत पर निवल मूल्यवर्धित ज्ञात हो जाती है। इसमें से निवल अप्रत्यक्ष कर घटाने पर कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित ज्ञात हो जाती है। कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित को NDPFC कहा जाता है जो कि कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद के बराबर है। (iv) राष्ट्रीय आय अर्थात् NNPFC को ज्ञात करने के लिए NDPFC में विदेशों से अर्जित निवल कारक आय को जोड़ लिया जाता है। संक्षेप में, राष्ट्रीय आय का अनुमान-
उत्पाद विधि अथवा मूल्यवृद्धि विधि से संबंधित सावधानियाँ-
प्रश्न 5. अर्थव्यवस्था का उत्पादन क्षेत्र शेष संसार से वस्तुएँ और सेवाएँ आयात करता है और इनके लिए भुगतान करता है। उत्पादन क्षेत्र वस्तुओं और सेवाओं का शेष संसार को निर्यात भी करता है। इन निर्यातों के बदले में उत्पादन क्षेत्र को शेष संसार से मुद्रा द्वारा भुगतान होता है। परिवार क्षेत्र शेष संसार को सेवाएँ प्रदान करने के लिए मुद्रा, उपहार, दान आदि के रूप में मुद्रा प्राप्त करता है। परिवार क्षेत्र शेष संसार से प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं के बदले मुद्रा भुगतान करता है। सरकारी क्षेत्र शेष संसार को वस्तुएँ और सेवाएँ निर्यात करके शेष संसार से मुद्रा प्राप्त करता है तथा सरकारी क्षेत्र विदेशों से वस्तुएँ और सेवाएँ आयात करके मुद्रा भुगतान करता है। जब एक अर्थव्यवस्था शेष विश्व से आयात करती है तो आयात की वस्तुओं का भुगतान होता है। इससे मुद्रा का प्रवाह देश से बाहर होता है। दूसरी ओर, जब एक देश शेष विश्व को वस्तुओं का निर्यात करता है तो दूसरे देश उसे भुगतान करते हैं। इस प्रकार शेष विश्व से उस देश की ओर मुद्रा का प्रवाह होता है। अर्थव्यवस्था की शेष विश्व से सभी लेनदारियों तथा देनदारियों को देश के भुगतान शेष (Balance of Payments) के खाते में दर्ज किया जाता है। यदि निर्यात को X और आयात को M माना जाए तो विदेशी व्यापार के शुद्ध (निवल) प्रवाह को X-M के द्वारा प्रकट किया जा सकता है। यदि देश के X = M हो तो भुगतान शेष संतुलित होगा और मुद्रा-प्रवाह निरंतर एक गति से चलता रहेगा। इसके विपरीत, यदि X > M हो या M > X हो तो मुद्रा के प्रवाह का स्तर बदल जाता है। पहली अवस्था में भुगतान शेष देश के पक्ष में होगा और मुद्रा प्रवाह का स्तर बढ़ेगा। इसके विपरीत, दूसरी स्थिति में, भुगतान शेष विपक्ष (Adverse Balance of Payments) में होगा, इसमें मुद्रा प्रवाह का स्तर गिर जाता है। प्रश्न 6. मान लीजिए फर्म B कपास से धागा बनाकर (जो यहाँ मध्यवर्ती उपभोग है) फर्म C को 160 रुपए में बेच देती है। यहाँ पर फर्म Bधागे को अंतिम बिक्री के रूप में लेती है, क्योंकि वह इसे बेचने के बाद उस वस्तु से संबंधित नहीं है। फर्म c धागे से कपड़ा बनाकर उपभोक्ताओं को 200 रुपए में बेच देती है लेकिन यहाँ पर फर्म C के लिए धागा मध्यवर्ती वस्तु है। इस प्रकार फर्म A, फर्म B तथा फर्म C के अनुसार उत्पाद का मूल्य 460 रुपए (100+ 160+ 200) होगा। यदि घरेलू उत्पाद या राष्ट्रीय उत्पाद की गणना करते समय दोहरी गणना की समस्या से बचाव नहीं किया जाएगा तो राष्ट्रीय या घरेलू आय का अधि-मूल्यन (Over estimation) हो जाता है, इससे किसी देश की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलना कठिन हो जाता है। इस प्रकार यदि हम कपास धागा और कपड़ा तीनों के बिक्री मूल्य को लेते हैं तो यहाँ पर कपास का मूल्य तीन बार, धागे का मूल्य दो बार राष्ट्रीय आय में शामिल हो जाएगा। अतः एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक से अधिक बार होती है, तो इसे ही दोहरी गणना कहते हैं। दोहरी गणना से बचने के उपाय-यदि हम राष्ट्रीय आय की सही गणना करना चाहते हैं या दोहरी गणना की समस्या से बचना चाहते हैं तो इसके लिए निम्नलिखित दो उपाय या विधियाँ हैं- 2. मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) विधि-दोहरी गणना से बचने के लिए दूसरा उपाय है, मूल्यवर्धित विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करना। इसके अंतर्गत प्रत्येक फर्म की मूल्यवर्धित को जोड़कर घरेलू उत्पाद ज्ञात कर लिया जाता है। उसमें से घिसावट घटाने के पश्चात् निवल मूल्यवर्धित की गणना की जा सकती है अर्थात् प्रश्न 7. 1. निजी अंतिम उपभोग व्यय-इसमें गृहिणीयों तथा गृहस्थों की सेवा में लगी गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा वर्तमान उपभोग हेतु वस्तुओं व सेवाओं को खरीदकर किया गया व्यय मापा जाता है। व्यय विभिन्न प्रकार के उपभोग वस्तुओं व सेवाओं पर किया जाता है। जैसे (क) टिकाऊ वस्तुएँ (कार, फ्रिज, टीवी सेट), (ख) अर्ध-टिकाऊ वस्तुएँ (कपड़े, जूते, पेन), (ग) गैर-टिकाऊ या एकल उपयोगी वस्तुएँ (भोजन, साबुन, पेट्रोल) और (घ) सेवाएँ (शिक्षा, चिकित्सा, यातायात आदि)। इन्हें निजी अंतिम उपभोग व्यय के संघटक कहते हैं। ऐसे व्यय को मापने के लिए दो प्रकार के आँकड़ों की जरूरत होती हैं (i) बाज़ार में बिक्री की कुल मात्रा (ii) फुटकर (retail) कीमतें। अंतिम बिक्री की कुल मात्रा को फुटकर कीमतों से गुणा करने पर घरेलू बाज़ार में ‘निजी अंतिम उपभोग व्यय’ निकल आता है। 2. सरकारी अंतिम उपभोग व्यय इससे अभिप्राय “सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा सुविधाएँ उपलब्ध करने में वस्तुओं व सेवाओं पर चालू व्यय घटा (-) विक्रय” से है। सरकार न केवल उत्पादक होती है बल्कि उपभोक्ता भी होती है। समाज की सामूहिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जब सामान्य सरकार सड़कें, पुल, पार्क, शिक्षा, चिकित्सा, पुलिस आदि की सेवाएँ लोगों को उपलब्ध कराती है तो नागरिकों द्वारा इनका उपभोग, सार्वजनिक उपभोग (या सरकारी उपभोग) माना जाता है। सरकार इस दृष्टि से उपभोक्ता मानी जाती है। फलस्वरूप सामान्य सरकार का उत्पादन, स्व-उपभोग हेतु उत्पादन माना जाता है, क्योंकि सरकार इसका विक्रय नहीं करती, बल्कि इसे मुफ्त या नाममात्र कीमत पर जनता को उपलब्ध करती है। बिक्री न होने के कारण सरकारी अंतिम उपभोग व्यय को सरकार की उत्पादन लागत के बराबर मान लिया जाता है। इसमें शामिल की जाने वाली दो मुख्य मदें हैं (i) कर्मचारियों का पारिश्रमिक और (ii) मध्यवर्ती उपभोग अर्थात् सरकार द्वारा वर्तमान उत्पादित वस्तुओं की खरीद पर व्यय। इसके अतिरिक्त (iii) विदेशों से प्रत्यक्ष रूप से की गई खरीद पर व्यय जोड़ा जाता है जो विदेशों में स्थित दूतावासों के लिए पेट्रोल, स्टेशनरी, साबुन, तेल व संचार सेवाओं की खरीद पर व्यय है और (iv) जनता को नाममात्र कीमत पर उपलब्ध की गई सेवाओं से प्राप्त राशि घटाई जाती है। इन मदों के जोड़ से सरकारी अंतिम उपभोग व्यय प्राप्त होता है। 3. सकल अचल पूँजी निर्माण इसमें निम्नलिखित तीन मुख्य मदों पर किया गया व्यय शामिल होता है
4. स्टॉक (माल-सूची) में परिवर्तन लेखा वर्ष के आरंभिक और अंतिम स्टॉक में अंतर को स्टॉक में परिवर्तन कहते हैं। इसमें कच्चा माल, अर्धनिर्मित माल व निर्मित माल के स्टॉक में भौतिक (Physical) परिवर्तन को लिया जाता है। स्टॉक में भौतिक परिवर्तन को बाज़ार कीमतों से गुणा करके, स्टॉक में परिवर्तन पर व्यय ज्ञात किया जाता है। ध्यान रहे इसमें उपभोक्ताओं के पास पड़े हुए माल के स्टॉक में परिवर्तन को शामिल नहीं किया जाता है, क्योंकि समस्त उपभोक्ता वस्तुओं का अंतिम उपभोग उसी समय मान लिया जाता है जिस समय उपभोक्ता उन्हें खरीद या प्राप्त कर लेते हैं। (नोट-SNA, 1993 के अनुसार मूल्यवान पत्थरों व धातुओं (जैसे सोना, चाँदी, प्लेटिनम) का शुद्ध अर्जन (Net acquisition), सकल घरेलू पूँजी निर्माण का एक भाग है। इसलिए इसे भी GDP का एक संघटक मानना चाहिए।) 5. शुद्ध निर्यात-ध्यान रहे, यहाँ शुद्ध निर्यात (निर्यात-आयात) पर विचार, व्यय की दृष्टि से किया जाता है। निर्यात हमारे घरेलू उत्पादन का एक हिस्सा है। अतः इस पर विदेशियों द्वारा किया गया व्यय हमारे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में जोड़ा जाना चाहिए। इस प्रकार निर्यात का मूल्य जोड़ा जाता है और आयात का मूल्य (भारतीयों द्वारा विदेशी माल पर प्रत्यक्ष व्यय) घटाया जाता है। इसे एक उदाहरण से स्पष्ट किया सकता है। मान लो, भारत ने एक वर्ष में 60 करोड़ रुपए मूल्य की साइकिलें बनाईं और फलस्वरूप उतने ही मूल्य (60 करोड़ रुपए) की आय सृजित हुई। मान लो, 50 करोड़ रुपए की साइकिलें भारत ने स्वयं प्रयोग व उपभोग कर लीं और शेष 10 करोड़ रुपए की साइकिलें अमेरिका को निर्यात की। ऐसी स्थिति में भारत का अंतिम व्यय 50 करोड़ रुपए है जबकि सृजित आय 60 करोड़ रुपए है। परंतु यदि भारतीय साइकिलों (निर्यात) पर अमेरिका का व्यय जोड़ा जाए तो भारत का अंतिम व्यय 60 करोड़ रुपए (50 + 10) होगा जो भारत की सृजित आय के बराबर होगा। संक्षेप में, निर्यात घरेलू उत्पाद का भाग होने के कारण इस पर विदेशियों द्वारा किया गया व्यय जोड़ना चाहिए और आयात का मूल्य घटाना चाहिए। ध्यान रहे जब आयात का मूल्य, निर्यात के मूल्य से अधिक होता है तो इसे ‘शुद्ध आयात’ कहते हैं। क्या निर्यात GDP का भाग है? हाँ, निर्यात GDP का भाग है। कैसे? जब विदेशी भारत में उत्पादित चाय, कॉफ़ी, जूट की बनी वस्तुएँ आदि खरीदते हैं तो यह भारत का निर्यात कहलाता है। इसी प्रकार भारत गैर-कारक सेवाओं (जैसे बीमा, बैंकिंग, वायु व समुद्री यातायात, पर्यटक सेवाओं) का भी निर्यात करता है। जब विदेशी, एयर इंडिया से यात्रा करते हैं या विदेशी पर्यटक भारत में आकर होटल, परिवहन, चिकित्सा, संचार आदि भारतीय सेवाओं का प्रयोग करते हैं। चूँकि निर्यात की गई ये सभी वस्तुएँ व सेवाएँ भारत की घरेलू सीमा में उत्पादकों द्वारा घरेलू कारकों से उत्पादित की गई हैं इसलिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का भाग है। ध्यान रहे सेवाओं के निर्यात-आयात से तात्पर्य गैर-कारक सेवाओं (जैसे बीमा, बैंकिंग, पर्यटक सेवाओं) से होता है न कि कारक सेवाओं (भूमि, श्रम, पूँजी आदि की सेवाओं) से। (नोट-उपरोक्त पाँच संघटकों के जोड़ने से GDPM निकल आता है। मूल्यह्रास और शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटाने से NDPRO प्राप्त होता है। इसमें शुद्ध विदेशी कारक आय जोड़ने से राष्ट्रीय आय अर्थात् NNPR निकल आती है। प्रश्न 8. भेद का महत्त्व (या वास्तविक GDP के लाभ) (ii) देश के विभिन्न वर्षों के भौतिक उत्पादन की तुलना करने के लिए वास्तविक GDP अधिक विश्वसनीय कसौटी है। (iii) एक देश के आर्थिक निष्पादन (Performance) का दूसरे देशों के आर्थिक विकास से तुलना करने के लिए वास्तविक GDP अर्थात स्थिर कीमतों पर GDP का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि ऐसे अनुमान कीमतों में परिवर्तन से अप्रभावित रहते हैं। (ख) मौद्रिक GDP का वास्तविक GDP में रूपांतरण-वास्तव में स्थिर कीमतों पर GDP के प्रयोग का उद्देश्य कीमतों में । उतार-चढ़ाव के प्रभाव को समाप्त करना है। इसलिए मौद्रिक GDP को वास्तविक GDP में अर्थात चालू कीमतों पर GDP को स्थिर कीमतों पर GDP में परिवर्तित किया जाता है। इस कार्य के लिए GDP अवस्फीतिक (GDP Deflator) का प्रयोग किया जाता है। GDP अवस्फीतिक, GDP की संघटक वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमत का मान है। इसे मौद्रिक और वास्तविक GDP के अनुपात को 100 से गुणा करके ज्ञात किया जाता है। अर्थात् मौद्रिक GDP को वास्तविक GDP में निम्नलिखित सूत्र द्वारा परिवर्तित किया जाता है। प्रश्न 9. GDP की आर्थिक कल्याण के सूचक के रूप में सीमाएँ- 2. गैर-मौद्रिक द्रिक विनिमय-सकल घरेलू उत्पाद केवल मौद्रिक लेन-देनों के आधार पर निकाला जाता है। इसलिए इसमें गैर-मौद्रिक लेन-देनों को शामिल नहीं किया जाता। अनेक विकासशील व अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में वस्तु विनिमय के माध्यम से अनेक लेन-देन होते हैं जिससे सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन कम होता है। इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद आर्थिक कल्याण का अच्छा सूचक नहीं। 3. बाह्य कारण-बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी फर्म या व्यक्ति के लाभ (हानि) से है जिससे दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि सकल घरेलू उत्पाद प्रदूषण की अवहेलना करता है तो आर्थिक कल्याण कम होगा। निष्कर्ष – यद्यपि उपरोक्त कारणों से GDP आर्थिक कल्याण का पर्याप्त सूचक न हो फिर भी यह आर्थिक कल्याण की दशा बहुत हद तक दर्शाता है। इसीलिए कुछ अर्थशास्त्रियों ने ‘हरित GDP’ को आर्थिक कल्याण का वैकल्पिक माप सुझाया है। हरित GDP – किसी भी कीमत पर मात्र GDP में वृद्धि होने से गरीबी तथा प्रदूषण जैसे आर्थिक दोष उत्पन्न हो जाते हैं। कारण यह है कि GDP, उत्पादन से पैदा होने वाले (i) प्रदूषित वातावरण और (ii) प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास की परवाह नहीं करता। इसलिए आर्थिक विकास की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए जिससे प्रदूषण रहित प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट होने से सुरक्षित रखा जा सके। इसीलिए हरित GDP को आर्थिक कल्याण का माप सुझाया गया है। हरित GDP का अर्थ है प्राकृतिक कारकों का उचित विदोहन और विकास के लाभों का समतापूर्ण बँटवारा होना। प्रश्न 10. एक देश के सामान्य निवासी की धारणा राष्ट्रीय लेखा विधि में ‘सामान्य निवासी’ संकल्पना का बार-बार प्रयोग किया जाता – है; जैसे राष्ट्रीय आय से अभिप्राय “एक वर्ष में, एक देश के सामान्य निवासियों (Normal Residents) द्वारा अर्जित कारक आय के योग” से लिया जाता है। अतः राष्ट्रीय लेखा में घरेलू सीमा की भाँति, सामान्य निवासियों (Normal Residents) की अवधारणा का भी विशेष महत्त्व है। एक देश का सामान्य निवासी “वह व्यक्ति है जो सामान्यतया उस देश में रहता है जिस देश में उसके आर्थिक हित केंद्रित रहते हैं।” क्योंकि वह सामान्यतया अपनी रुचि या आर्थिक हित वाले देश में रहता है, इसलिए उसे उस देश का सामान्य निवासी कहा जाता है। उसके निवास का काल कम-से-कम एक वर्ष या उससे अधिक होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए जब कोई व्यक्ति एक देश में रहता है तो उसके आर्थिक हित उसी देश में माने जाते हैं। ‘सामान्य निवासी’ अवधारणा में व्यक्ति और संस्था दोनों सम्मिलित हैं। संक्षेप में, देश के सामान्य निवासियों से अंभिप्राय उन व्यक्तियों एवं संस्थाओं से है जिनकी आर्थिक रुचि उस देश में है जहाँ वे रहते हैं या स्थित हैं। सामान्य निवासियों में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है- (2) अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ (जैसे विश्व बैंक (World Bank), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) आदि) उस देश के निवासी नहीं समझी जाती जिस देश में वे कार्यरत होती हैं बल्कि वे अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र की निवासी मानी जाती हैं। परंतु इन संस्थाओं के कर्मचारी अपने गृह-देश के निवासी माने जाते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में कार्यरत ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ यद्यपि भारत के सामान्य निवासी नहीं मानी जाएगी परंतु उस संस्था में काम करने वाले भारत के सामान्य निवासी समझे जाएँगे। (3) ऐसे व्यक्ति जो थोड़े समय (प्रायः एक वर्ष से कम) के लिए विदेश जाते हैं, अपने देश के ही सामान्य निवासी माने जाते हैं। जैसे भारतीयों का अमरीका में सैर-सपाटे के लिए जाना, खेलों के मैच या कांफ्रेंस में भाग लेने जाना, बीमारी का इलाज करवाने जाना आदि। ऐसे व्यक्ति भारत के ही सामान्य निवासी माने जाएँगे। (4) नागरिक (National) के अतिरिक्त गैर-नागरिक (Non-national) भी देश के सामान्य निवासी हो सकते हैं। जैसे इंग्लैंड में रहने वाले बहुत-से भारतीय वहाँ के सामान्य निवासी तो हैं परंतु नागरिक नहीं हैं। सामान्य निवासी इसलिए हैं क्योंकि वे एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए इंग्लैंड में रह रहे हैं जहाँ उनके आर्थिक हित केंद्रित हैं। साथ ही वे भारत के नागरिक (इंग्लैंड के गैर-नागरिक) हैं क्योंकि उनके पास भारतीय पासपोर्ट (Passport) तथा भारतीय नागरिकता (Citizenship) है। (5) अन्य देशों में स्थित विदेशी दूतावासों (Embassies) में काम करने वाले कर्मचारी अपने ही देश के सामान्य निवासी समझे जाते हैं; जैसे भारत में स्थित अमरीकी दूतावास में काम करने वाले भारतीय कर्मचारी भारत के निवासी माने जाएंगे। राष्ट्रीय आय की गणना करने में विभिन्न मदों के साथ व्यवहार प्रश्न 1. (ख) क्या निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है?
(ख)
प्रश्न 2. (ii) क्योंकि उपभोक्ता द्वारा लिया गया ऋण उपभोग (जैसे विवाह, उत्सव) हेतु इस्तेमाल किया गया ऋण माना जाता है। इससे उत्पादन में कोई योगदान नहीं हुआ है। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. (ii) नहीं, क्योंकि यह कारक आय देश की घरेलू सीमा से बाहर अर्जित की गई है। (iii) नहीं, क्योंकि यह वेतन भारत के निवासियों द्वारा रूसी दूतावास में काम करने से अर्जित किया गया है। ध्यान रहे भारत में रूसी दूतावास, रूस की घरेलू सीमा का भाग है न कि भारत की घरेलू सीमा का। (iv) हाँ, क्योंकि यह लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित हुआ है चाहे लाभ पाने वाली कंपनी विदेशी हो। प्रश्न 7. (ii) नहीं, क्योंकि छात्रवृत्तियाँ मात्र हस्तांतरण भुगतान हैं जो उत्पादन में योगदान किए बिना दी जाती हैं। (iii) नहीं, क्योंकि यह लाभ भारत की घरेलू सीमा के बाहर (अर्थात् विदेश में) अर्जित किया गया है। (iv) नहीं, क्योंकि यह वेतन भारतीयों द्वारा अमरीकी दूतावास, जो अमरीका की घरेलू सीमा का भाग है, में अर्जित किया गया है। प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. (ii) किराया-मुफ्त मकान का आरोपित किराया (Imputed rent) राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा, क्योंकि यह श्रमिक द्वारा प्रदत्त उत्पादक सेवाओं का किस्म (kind) में दिया गया मुआवजा है। (iii) देश में विदेशी पर्यटकों द्वारा खरीदारी एक प्रकार से घरेलू उत्पाद का निर्यात है। चूंकि निर्यात घरेलू उत्पाद का एक भाग होता है इसलिए विदेशी पर्यटकों द्वारा खरीदारी पर किया गया व्यय राष्ट्रीय आय की व्यय विधि से गणना में शामिल किया जाएगा। प्रश्न 11. (ii) यह किराया शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि किराया जापानी दूतावास से प्राप्त हुआ है जो जापान की घरेलू सीमा का भाग है। (iii) यह लाभ भारत की घरेलू आय में शामिल किया जाएगा, क्योंकि विदेशी बैंक की शाखाओं का लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित किया गया है। प्रश्न 12. (ii) एक भारतीय कंपनी द्वारा सिंगापुर में स्थित अपनी शाखा से अर्जित लाभ भारत की राष्ट्रीय आय में शामिल होगा क्योंकि यह विदेशों से शुद्ध कारक आय है, जो राष्ट्रीय आय का एक भाग है। (iii) भारतीय निवासियों को विदेशी कंपनी के शेयर बेचने से पूँजीगत लाभ विदेशों से कारक आय है, इसलिए इसे भारत की राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाएगा। प्रश्न 13. (ii) एक भारतीय बैंक द्वारा विदेशों में अपनी शाखाओं से अर्जित लाभ राष्ट्रीय आय में सम्मिलित होगा, क्योंकि यह एक भारतीय नागरिक (संस्था) की विदेशों से प्राप्त कारक आय है। (iii) सरकार द्वारा प्राप्त मनोरंजन कर राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं होगा, क्योंकि मनोरंजन कर हस्तांतरण भुगतान है, कारक आय नहीं। प्रश्न 14. (ii) क्योंकि यह लाभ भारतीय घरेलू सीमा से बाहर अर्जित किया गया है। (ii) क्योंकि रूसी दूतावास रूस की घरेलू सीमा का भाग है (न कि भारत की घरेलू सीमा का जिसका संचालन रूस सरकार द्वारा किया जाता है।) (iv) क्योंकि जर्मन दूतावास अपने देश (जर्मन) की घरेलू सीमा का भाग है जिसमें जर्मन सरकार का कानून लागू होता है चाहे दूतावास भारत में स्थित हो। प्रश्न 15. (ii) असत्य। ब्रेड सदैव एक उपभोक्ता वस्त नहीं होती। ब्रेड को जब एक उपभोक्ता खरीदता है तो यह उपभोक्ता वस्तु होगी। ब्रेड को जब एक उत्पादक (होटल, रेस्टोरेंट) खरीदता है तो ब्रेड मध्यवर्ती वस्तु अर्थात् उत्पादक वस्तु बन जाएगी। (iii)असत्य। मौद्रिक GDP वास्तविक GDP से कम भी हो सकती है यदि चालू वर्ष की कीमतें आधार वर्ष की कीमतों की तुलना में कम हैं। (iv) असत्य। सकल घरेलू पूँजी निर्माण सकल स्थाई पूँजी निर्माण से कम भी हो सकता है यदि स्टॉक में परिवर्तन ऋणात्मक है अर्थात् प्रारंभिक स्टॉक अंतिम स्टॉक से अधिक है। प्रश्न 16. (ii) ऋणपत्रों पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाता है। ऋणपत्र से एक कंपनी लोगों से ऋण प्राप्त करती है और उस ऋण की राशि का उपयोग संपत्तियाँ खरीदने तथा अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए करती है। इसलिए कंपनी द्वारा ऋणपत्रधारी को दिया गया ब्याज कारक आय है। (iii) बाढ़ पीड़ितों को आर्थिक सहायता राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं किया जाता, क्योंकि यह कारक आय नहीं है बल्कि हस्तांतरण आय है। इस प्राप्ति का देश की उत्पादक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। प्रश्न 17. (ii) वृद्धावस्था पेंशन हस्तांतरण भुगतान है। इसलिए इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। ये अनुपार्जित प्राप्तियाँ हैं अर्थात् इनकी प्राप्ति बिना किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन के हुई है। (iii) गृहिणी की सेवाओं का मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि गृहिणी की सेवाएँ बिक्री योग्य नहीं होतीं। गृहिणी की सेवाओं का आधार प्रेम व त्याग है न कि आर्थिक लाभ। (iv) परिवार द्वारा टिकाऊ उपभोग वाली वस्तुओं की खरीद को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि इन्हें उपभोग माना जाता है। (v) विदेशों में अपनी शाखाओं से भारतीय कंपनियों द्वारा अर्जित आय भारत की राष्ट्रीय आय है। (vi) सड़क की रोशनी पर सरकारी व्यय को उस देश की राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह सकल पूँजी निर्माण है और यह सरकारी व्यय एक वर्ष की अवधि से अधिक समय के लिए किया गया है। प्रश्न 18. (ii) पुराने भवन पर एक नई मंजिल का निर्माण राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह सकल घरेलू पूँजी निर्माण का एक भाग है। यह भी चालू वर्ष के उत्पादन का ही एक भाग है। (iii) सरकार द्वारा एक गैर-कानूनी निर्माण को गिराने में किया गया व्यय राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसमें अंतिम वस्तु का कोई उत्पादन नहीं होता। (iv) सार्वजनिक ऋण पर ब्याज एक हस्तांतरण आय है अर्थात् सरकार द्वारा लोगों को बिना किसी उत्पादक कार्य के बदले में किया जाने वाला भुगतान है। इसलिए इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। (v) निगम-लाभों पर कर लाभ का एक भाग है और लाभ उद्यमी की कारक आय है। इसलिए निगम-लाभों पर कर राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता। (vi) पुराने शेयर्ज की बिक्री से होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह एक वित्तीय लेन-देन है और इससे किसी आय का सृजन नहीं होता। प्रश्न 19. (ii) शेयर्ज पर प्राप्त लाभांश वित्तीय पूँजी की आय है, उत्पादक क्रियाओं की आय नहीं। इसलिए शेयर्ज पर प्राप्त लाभांश को राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता। (iii) गृहिणी की सेवाएँ आर्थिक क्रियाएँ नहीं हैं, क्योंकि ये स्नेह (प्रेम) व कर्त्तव्य (त्याग) के लिए की जाती हैं, उत्पादन के लिए नहीं। इसलिए गृहिणी की सेवाओं को राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता। (iv) भिखारियों को भोजन कराने का व्यय अनुत्पादक है, क्योंकि यह हस्तांतरण भुगतान है इसलिए इसे राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता। (v) मालिकों द्वारा खुद-काबिज मकान की सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह उत्पादन के समान है। यद्यपि मालिक वास्तव में कोई किराया अदा नहीं कर रहा है फिर भी हम मकान की सेवाओं को आरोपित मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल करेंगे। (vi) भारत में विदेशी बैंकों द्वारा अर्जित लाभ भारत की घरेलू आय है परंतु भारत की राष्ट्रीय आय नहीं। प्रश्न 20. (i) व्यापारी के पास रखे स्टॉक की कीमतों में हुई वृद्धि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे राष्ट्रीय आय में कोई योगदान नहीं होता। (iii) पुरानी मोटरगाड़ियों के व्यापारी को प्राप्त कमीशन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि व्यापारी ने अपनी सेवाओं द्वारा आय का अर्जन किया है। (iv) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह ऋण का पुरस्कार है परंतु राष्ट्रीय ऋण के ब्याज को वैयक्तिक आय और निजी आय के अनुमान लगाने में शामिल किया जाता है। (v) स्व-उपभोग के लिए उत्पादन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह उत्पादन राष्ट्रीय आय का एक भाग है। (vi) पुरानी मोटरकार की बिक्री को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसका वर्तमान वर्ष की उत्पादन प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है। प्रश्न 21. (ii) विदेश में काम कर रहे श्रमिक द्वारा उसके परिवार को मिली रकम को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह एक हस्तांतरण प्राप्ति है और हस्तांतरण प्राप्ति को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। (iii) शेयर्ज पर लाभांश की प्राप्ति को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि लाभांश वित्तीय पूँजी का पारिश्रमिक है, वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रतिफल नहीं। (iv) सुरक्षा पर सरकारी व्यय को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल किया जाता, क्योंकि इससे देश में वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन होता है। (v) भिखारियों को भोजन कराने पर व्यय को देश की राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह एक हस्तांतरण भुगतान है और इसका देश में होने वाले उत्पादन से कोई संबंध नहीं है। (vi) आकस्मिक लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसका देश में होने वाले उत्पादन से कोई संबंध नहीं है। प्रश्न 22. (ii) अंशों की बिक्री से प्राप्त राशि को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि अंश एक वित्तीय संपत्ति है और अंशों के क्रय-विक्रय से वस्तुओं और सेवाओं से उत्पादन पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता। अंश एक कागजी मुद्रा है, उत्पादनीय संपत्ति नहीं। (iii) अमरीका में स्थित भारतीय दूतावास में कार्य कर रहे अमरीकन निवासियों को दिया गया वेतन सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा क्योंकि यह भारतवर्ष में अनिवासी व्यक्तियों की आय है। (iv) पुराने मकान की बिक्री से प्राप्त राशि को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि पुराना मकान वर्ष में उत्पादित वस्तु नहीं है। पुराने मकान को उस वर्ष के राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित कर लिया गया होगा जिस वर्ष उसका निर्माण हुआ होगा। (v) एक विद्यार्थी द्वारा प्राप्त छात्रवृत्ति को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि प्राप्त छात्रवृत्ति एक हस्तांतरण आय है, कारक आय नहीं। एक हस्तांतरण आय को राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता, क्योंकि हस्तांतरण आय अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को प्रभावित नहीं करता। (vi) विदेशों से प्राप्तियों को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि विदेशों में प्राप्तियाँ हस्तांतरण प्राप्ति हैं, कारक आय नहीं। प्रश्न 23. 2. निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में नहीं जोड़ा जाएगा- प्रश्न 24. (ii) नहीं, क्योंकि गैर-कानूनी आय, GNP में सम्मिलित नहीं की जाती। (iii) यदि GNP की गणना बाज़ार-कीमतों पर की जाती है, तो अप्रत्यक्ष करों को शामिल किया जाता है, परंतु यदि GNP की गणना कारक लागत पर की जाए तो ये GNP में शामिल नहीं होंगे। (iv) सरकारी अनुदान, GNPFC में शामिल होते हैं, जबकि GNPMP में नहीं होते। (v) हाँ, कमीशन से प्राप्त आय को GNP में सम्मिलित किया जाएगा, क्योंकि इससे आय का सृजन होता है। (vi) हाँ, क्योंकि अवितरित लाभ सृजित आय का ही एक भाग होता है। (vii) नहीं, क्योंकि पूँजीगत लाभों के रूप में प्राप्त आय से उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं होती। (viii) हाँ, क्योंकि लाभ कर कंपनी की सृजित आय पर लगाया जाता है। (ix) नहीं, क्योंकि यह एक हस्तांतरण भुगतान है। (x) हाँ, क्योंकि यह देश के नागरिकों द्वारा कमाई हुई आय है। (xi) हाँ, ऐसे मकानों के आरोपित किराए (Imputed Rent) को राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाता है। (xii) नहीं, क्योंकि इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। (xiii) नहीं, क्योंकि गृहिणी की सेवाओं का कोई मौद्रिक मूल्य नहीं होता। (xiv) नहीं, हस्तांतरण भुगतान सदैव GNP से बाहर रखे जाते हैं। ये भुगतान एक-पक्षीय होते हैं और उत्पादन को प्रभावित नहीं करते। (xv) हाँ, घिसावट GNP में सम्मिलित होती है। (xvi) यह सकल घरेलू पूँजी निर्माण का अंग है। अतः इसे राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाएगा। (xvii) क्योंकि सरकारी अंतिम उपभोग का अंग है। अतः इसे राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाएगा। संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: I. GDP, GNP, NNPMP, NNPFC पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: प्रश्न 2. हल: प्रश्न 3. हल: (ii) GDPMP = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + मूल्यह्रास = 74,905 + 4,486 = 79,391 करोड़ रुपए प्रश्न 4. हल: प्रश्न 5. प्रश्न 6. हल: II. मूल्यवर्धित विधि (अथवा उत्पाद विधि) पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: प्रश्न 2. हल: प्रश्न 3. हल: प्रश्न 4. हल: प्रश्न 5. हल: प्रश्न 6. हल: प्रश्न 7. हल: प्रश्न 8. हल: प्रश्न 9. हल: प्रश्न 10. हल: प्रश्न 11. हल: नोट-
प्रश्न 12. हल: प्रश्न 13. हल: प्रश्न 14. हल: प्रश्न 15. हल: प्रश्न 16. हल: प्रश्न 17. हल: प्रश्न 18. हल: फर्म B का उत्पादन मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अंतिम स्टॉक – आरंभिक स्टॉक) फर्म A द्वारा मूल्यवृद्धि = उत्पादन का मूल्य – क्रय – आयात फर्म B द्वारा मूल्यवृद्धि = उत्पादन का मूल्य – क्रय प्रश्न 19. हल: फर्म X की मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) = फर्म X के उत्पादन का मूल्य – फर्म X द्वारा फर्म Y से क्रय – फर्म X द्वारा कच्चे माल का आयात फर्म Y के उत्पादन का मूल्य = फर्म Y द्वारा बिक्री + फर्म Y का अंतिम स्टॉक – फर्म Y का आरंभिक स्टॉक + फर्म Y द्वारा निर्यात फर्म Y की मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) = फर्म Y के उत्पादन का मूल्य – फर्म Y द्वारा फर्म X से क्रय प्रश्न 20. हल: III. आय विधि पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: (ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + शुद्ध विदेशी परिसंपत्ति आय (iii) वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय – अधिशेष – लाभ कर – अवितरित लाभ + अंतरण भुगतान + उपहार व प्रेषणाएँ (iv) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर प्रश्न 2. हल: (ख) निजी आय (Set I) = NNP at MP – (ii) + (iii) – (v) – (vi) + (viii) + (ix) + (x) (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय (Set I) = निजी आय – (xi) – (xii) – (xiii) प्रश्न 3. हल: प्रश्न 4. हल: IV. व्यय विधि पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: प्रश्न 2. हल: प्रश्न 3. हल: प्रश्न 4. हल: (ख) NNPFC = GNPMP – (v) – (vii) प्रश्न 5. हल: Set II = (ii) + (iv) + (v)- (vi) – (vii) + (viii) + (ix) + (iii) Set III = (ii) + (iv) + (v)- (vi)- (vii) + (viii) + (ix) + (iii) प्रश्न 6. हल: प्रश्न 7. हल: (Set I) GDPMP = 500 + (- 5) + सरकारी उपभोग व्यय (100 + 10 + 100) + 60 + 10 = 775 करोड़ रुपए NNPFC = 775 – 10 – 50 + (-10) = 705 करोड़ रुपए (Set II) GDPMP= 50 + 750 + (- 25) + 50 + 100 + 300 – 100 (Set III) GDPMP = 400 + 30-40+ 30+ 200 + 100 + 20 (मूल्यह्रास) NNPFC = 740 – 20 + 20 – 40 + (- 20) = 680 करोड़ रुपए प्रश्न 8. हल: (Set II) GDPMP = (i) + (vi) – (ii) + (iii) + (x) + (xi) – (xii) राष्ट्रीय आय (NNPFC) = GDPMP – (ix) + (iv) – (v) + (vii) प्रश्न 9. हल: प्रश्न 10. हल: V. मूल्यवर्धित विधि, आय विधि, व्यय विधि पर आधारित मिश्रित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: (ख) GNP at MP (आय विधि द्वारा) = प्रचालन अधिशेष + मजदूरी तथा वेतन + अचल पूँजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय + नियोजकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान प्रश्न 2. हल: (ख) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = शुद्ध निर्यात + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय प्रश्न 3. हल: (ख) राष्ट्रीय आय (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + पारिवारिक अंतिम उपभोग व्यय + स्टॉक में परिवर्तन-अप्रत्यक्ष कर + परिवारों की सेवारत निजी अलाभकारी संस्थाओं का अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू अचल पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + आर्थिक सहायता + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय प्रश्न 4. हल: (ख) GNP at FC (व्यय विधि द्वारा) = सकल पूँजी निर्माण + विदेशों से शुद्ध कारक आय + निर्यात – आयात + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर प्रश्न 5. हल: (ख) NNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = शुद्ध पूँजी निर्माण + विदेशों से शुद्ध साधन आय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निजी अंतिम उपभोग व्यय + निर्यात – आयात प्रश्न 6. हल: (ख) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + विदेशों से कारक आय–विदेशों को कारक आय + निर्यात – आयात + अचल पूँजी का उपभोग+ निजी अंतिम उपभोग व्यय प्रश्न 7. हल: (ख) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपभोग व्यय + कुल निर्यात + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग + विदेशों से शुद्ध कारक आय प्रश्न 8. हल: (ख) सकल राष्ट्रीय आय (व्यय विधि द्वारा) = GDP at MP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + NFIA प्रश्न 9. हल: (ख) व्यय विधि द्वारा GNPMP = Set II = 700 + (-10) + 100 + 120 + (-10) + 350 = 1250 करोड़ रुपए Set III = 1100 + (- 15) + 115 + 375 + (-25) + 700 = 2250 करोड़ रुपए प्रश्न 10. हल: आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + शुद्ध विदेशी कारक आय Set I = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + विदेशों से शुद्ध साधन आय + लाभ + किराया + ब्याज + स्वनियोजित की मिश्रित आय = 1200 + (-20) + 800 + 400 + 620 + 700 = 3700 करोड़ रुपए Set II = 600 + (-10) + 400 + 200 + 310 + 350 = 1850 करोड़ रुपए Set III = 500 + (-10) + 220 + 90 + 100 + 400 = 1300 करोड़ रुपए प्रश्न 11. हल: (ख) राष्ट्रीय आय (NNPEO) (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सकल पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + विदेशों से निवल साधन आय शुद्ध प्रत्यक्ष कर नोट –
प्रश्न 12. हल: (ख) NNP at FC (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग क्रय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + निजी अंतिम उपभोग क्रय + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर प्रश्न 13. हल: (ख) राष्ट्रीय आय (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर प्रश्न 14. हल: (ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग + निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय – निवल अप्रत्यक्ष कर। प्रश्न 15. हल: (ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निजी अंतिम उपभोग व्यय निर्यात +निवल निर्यात + निवल घरेलू पूँजी निर्माण – विदेशों को शुद्ध कारक आय – निवल अप्रत्यक्ष कर प्रश्न 16. हल: (ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग+निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय प्रश्न 17. हल: (ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + आर्थिक सहायता + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – अप्रत्यक्ष कर – विदेशों को चुकाई गई निवल कारक आय (नोट-(i) रॉयल्टी किराए का ही एक भाग है। यहाँ यह मान लिया गया है कि चूँकि रॉयल्टी एक पृथक मद के रूप में दी गई है, यह किराए में सम्मिलित नहीं है। अतः इसे आय विधि में आय माना गया है। (ii) मज़दूरी व वेतन और नियोक्ता द्वारा सामाजिक सुरक्षा में अंशदान कर्मचारियों के दो भाग हैं। इसलिए इन दोनों मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया गया है। VI. निजी आय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: प्रश्न 2. हल: प्रश्न 3. हल: प्रश्न 4. हल: (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय-निजी निगमित क्षेत्र की बचत -निगम कर – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर प्रश्न 5. हल: (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय-निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर प्रश्न 6. हल: (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय – निजी निगमित क्षेत्र की बचत – निगम कर – वैयक्तिक अप्रत्यक्ष कर VII. वैयक्तिक प्रयोज्य आय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: (ख) वैयक्तिक आय = निजी आय – निजी कंपनी क्षेत्रक की बचत – निगम कर (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए अप्रत्यक्ष कर प्रश्न 2. हल: (ख) वैयक्तिक आय = निजी आय – निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर प्रश्न 3. हल: (ख) वैयक्तिक आय = निजी आय – निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत, विदेशी कंपनियों की प्रतिधारित आय सहित (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर प्रश्न 4. हल: (क) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय – निजी उद्यमों की शुद्ध प्रतिधारित आय – निगम कर – परिवारों द्वारा दिया गया प्रत्यक्ष कर Set I = 3000-600-350 – 300 = 1750 करोड़ रुपए Set II = 4000 – 800 – 450 – 400 = 2350 करोड़ रुपए Set III = 4000 – 200-400 – 150 = 3250 करोड़ रुपए (ख) राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + स्वनियोजितों की मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय किराया + लाभ + ब्याज प्रश्न 5. हल: (ख) वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय – निजी उद्यमियों की शुद्ध अवितरित आय-निगम कर प्रश्न 6. हल: प्रश्न 7. हल: (ख) वैयक्तिक आय = NDO at FC-(ii) – (viii) – (iv) + (xv) + (ix + xi + xiii) + (xii) प्रश्न 8. हल: नोट-(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय + अप्रत्यक्ष कर + अचल पूँजी का उपभोग – आर्थिक सहायता (ii) अचल पूँजी का उपभोग = सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय – शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय प्रश्न 9. हल: (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय –निगम कर – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर– निजी निगमित क्षेत्र की बचत प्रश्न 10. हल: (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय + निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर
VIII. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. हल: GNDI = NNP at FC + मूल्यह्रास + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण Set I = 2000 + 250 + 100 + 200 = 2550 करोड़ रुपए Set II = 3000 + 250 + 150 + 300 = 3700 करोड़ रुपए Set III = 1000 + 80 + 100 + 150 = 1330 करोड़ रुपए नोट-विदेशों से निवल कारक आय यहाँ पर अप्रासंगिक है क्योंकि यह राष्ट्रीय आय में पहले से ही शामिल है। प्रश्न 2. हल: NNDI = GNP at FC – मूल्यह्रास + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शुद्ध चालू हस्तांतरण Set I = 800 -60 + 70+ 50 = 860 करोड़ रुपए Set II = 1000 – 100 + 120 + 50 = 1070 करोड़ रुपए Set III = 1500 – 100 + 120 + (-30) = 1490 करोड़ रुपए नोट-विदेशों से निवल कारक आय यहाँ पर अप्रासंगिक है, क्योंकि यह कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद में पहले से ही शामिल है। प्रश्न 3. हल: (ii) सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + निवल प्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण प्रश्न 4. हल:
प्रश्न 5. हल: (ii) GNDI = GDPMP + विदेशों से निवल कारक आय + विदेशों से शुद्ध चालू हस्तांतरण प्रश्न 6. हल: (क) राष्ट्रीय आय (NNPFC) = GDPMP – मूल्यह्रास + NFIA – आर्थिक सहायता (ख) GNDI = GDPMP + NFIA + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण प्रश्न 7. हल: (क) NNDI = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष संसार को शुद्ध चालू अंतरण = 1,050 + 90 + (-20) = 1,120 करोड़ रुपए दोहरी गणना की समस्या से आप क्या समझते हैं?What is the problem of double counting? राष्ट्रीय आय के मापन में किसी वस्तु या सेवा का मूल्य एक से अधिक बार शामिल करना दोहोरी गणना कहलाता है। राष्ट्रीय आय के आकलन में एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक बार से अधिक होती है तो उसे दोहोरी करना कहते हैं। इसके फलस्वरुप राष्ट्रीय उत्पाद में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है।
मूल्य वृद्धि द्वारा राष्ट्रीय आय की गाना कैसे की जाती है?उत्पाद विधि (Value Added Method)
प्राथमिक क्षेत्र,द्वितीयक क्षेत्र तथा तृतीय क्षेत्र। तथा इन तीनों क्षेत्रों से 1 वर्ष के भीतर उत्पादित वस्तुओं की मूल्य की गणना की जाती है इस विधि में। यहाँ प्राथमिक क्षेत्र में कृषि वानिकी, मत्स्य पालन, खनन को शामिल किया जाता है। इसका GDP में योगदान लगभग 14% होता है।
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