नवाब साहब द्वारा बड़े मनोयोग से खीरा काटकर फिर सूंघ कर बाहर फेंक देने के पीछे आप क्या वजह पाते हैं? - navaab saahab dvaara bade manoyog se kheera kaatakar phir soongh kar baahar phenk dene ke peechhe aap kya vajah paate hain?

नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई। अत: इसी इरादे से उसने खीरे को फेंक दिया।

नवाब के इस स्वभाव से ऐसा लगता है कि वो दिखावे की जिंदगी जीते हैं। खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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नवाब साहब द्वारा बड़े मनोयोग से खीरा काटकर फर सूंघकर बाहर फ क देने के पीछे आप क्या वजह पाते ह?

नवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उन नमक-मिर्च लगी खीरे की फाँकों को खाया नहीं अपितु सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया था। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे।

नवाब साहब ने अंत में कटे हुए खीरे का क्या किया?

Answer. नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक मिर्च बुरका, अंतत: सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने शायद यह इसलिए किया कि वह खीरे जैसी मामूली चीज खाकर अपनी शान काम नहीं करना चाहते। वह सूंघकर ही पेट भरने की दृष्टि कर रईसी का प्रदर्शन कर रहे थे।

खीरे को काटने से पहले नवाब साहब ने क्या किया?

Solution : नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया पोंछा सुखाया और फिर तौलिये से साफ किया। तत्पश्रात खीरों को फांकों में काटा और नमक लगाकर लाल मिर्च की सुखी बुरक दी। इतने इत्मीनान से खीरों को सूंघकर बिना खाये ही रसास्वादन करके खिड़की से बाहर फेंक दिया।

नवाब साहब ने खीरा खाने का क्या कारण बताया था?

नवाब साहब ने खीरा नहीं खाने का यह कारण बताया कि खीरा होता तो स्वादिष्ट है परंतु आसानी से पचता नहीं है। इसके सेवन से आमाशय पर बोझ पड़ता है इसलिए वे खीरा नहीं खाते हैं। लेखक जिस डिब्बे में चढ़ा वहाँ पहले से ही एक सज्जन पालथी लगाए बैठे थे।