पढ़ने और खिलने से कविता का क्या संबंध है? - padhane aur khilane se kavita ka kya sambandh hai?

‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?

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चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है। कवि फूल की तरह खिलकर और चिड़िया की तरह उड़ान भरकर कविता को व्यापकता प्रदान करता है।

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चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में बिंबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित कीजिए।


भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय होना ही चाहिए तभी उसका अपेक्षित प्रभाव पड़ता है। इस कार्य में बिंब और उपमान बहुत सहायक है। इनके प्रयोग से कथ्य स्पष्ट एवं प्रभावी बनता है। इनसे काव्य-सौंदर्य निखर उठता है।

- काव्य-बिंब का संबंध भाषा की सर्जनात्मक शक्ति से है तथा इसका निर्माण मनुष्य के ऐन्द्रिक बोध का ही प्रतिफल है। ये शब्द, भाव, विचार के अमूर्त संकेत तो हैं, लेकिन इन अमूर्त संकेंतों में भी वह शक्ति होती है। कि इनके माध्यम से एक मूर्त चित्र निर्मित हो जाता है। यही बिंब निर्माण की प्रक्रिया है।

उपमानों के माध्यम से रचनाकार पाठक के समक्ष ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे वह सरल, बोधगम्य, शब्दांडबर रहित होकर अपनी रचना के लक्ष्य तक पहुँचने में सफल हो जाता है।

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आधुनिक युग की कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।


छात्र कक्षा में इस विषय पर चर्चा करें। आधुनिक युग की कविता में निम्नलिखित संभावनाएँ हो सकती हैं:

□ विषयवस्तु में परिवर्तन।

□ कविता कै शिल्प में परिवर्तन।

□ जीवन के यथार्थ कै साथ जुड़ाव।

□ अभिव्यक्ति का सहज रूप।

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प्रताप नारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढकर पढ़ें।


विद्यार्थी पुस्तकें लेकर इन पाठों को पढ़ें।

‘नागार्जुन’ की कविता - बातें।

बातें-

हँसी में धुली हुई

सौजन्य चंदन में बसी हुई

बातें-

चितवन में घुली हुई

व्यंग्य बंधन में कसी हुई

बातें-

उसाँस में झुलसी

रोष की आँच में तली हुई

बातें-

चुहल से हुलसी

नेह साँचे में ढली हुई।

बातें-

विष की फुहार सी

बातें-

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बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें -

A. बात की चूड़ी मर जाना (i) कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
B. बात की पेंच खोलना (ii) बात का पकड़ में न आना
C. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iii) बात का प्रभावहीन हो जाना
D. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iv) बात में कसावट का न होना
E. बात का बन जाना (v) बात को सहज और स्पष्ट करना


A.

बात की चूड़ी मर जाना

(i)

बात का प्रभावहीन हो जाना

B.

बात की पेंच खोलना

(ii)

बात को सहज और स्पष्ट करना

C.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iii)

बात का पकड़ में न आना

D.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iv)

बात में कसावट का न होना

E.

बात का बन जाना

(v)

कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना

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इस ‘कविता के बहाने’ बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?


‘कविता के बहाने’ में सब घर एक कर देने का माने यह है कि सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं। बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए घर की सीमाएँ नहीं जानते। वे खेलते हुए सारे घरों में घुस सकते हैं और उन्हें एक कर देते हैं। कविता भी यही करती है, वह समाज को बाँधती है, एक करती है।

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Question

'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से क्या संबंध बनता है?

Solution

पक्षी आकाश में उड़ते हैं तथा फूल जगह-जगह खिलते हैं। कविता में पक्षियों के समान उड़ने की तथा फूल के समान खिलने की विशेषता होती है। लेकिन ये विशेषताएँ उसे किसी सीमा में नहीं बाँधती। ये विशेषताएँ उसे गहराई तथा व्यापकता देती है। पक्षी एक समय तक ही उड़ सकते हैं तथा फूल खिलकर समाप्त हो जाते हैं लेकिन कविता में ऐसा नहीं होता है। वह अपने निर्माण के साथ ही उड़ान भरती है और सदियों तक इस उड़ान को कायम रखती है, वह फूल के समान स्वरूप पाकर खिलती है। उसका खिलना एक समय के लिए नहीं होता बल्कि वह भी सदियों तक खिलकर लोगों के हृदय को आनंदित करती है। इसलिए 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से गहरा संबंध बनता है।

चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है। कवि फूल की तरह खिलकर और चिड़िया की तरह उड़ान भरकर कविता को व्यापकता प्रदान करता है।

पढ़ने और लिखने का कविता से क्या संबंध बनता है?

वह अपने निर्माण के साथ ही उड़ान भरती है और सदियों तक इस उड़ान को कायम रखती है, वह फूल के समान स्वरूप पाकर खिलती है। उसका खिलना एक समय के लिए नहीं होता बल्कि वह भी सदियों तक खिलकर लोगों के हृदय को आनंदित करती है। इसलिए 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से गहरा संबंध बनता है।

खेलने की कविता से क्या संबंध है?

जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं। बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए घर की सीमाएँ नहीं जानते।

उडने और खेलने का कविता से क्या संबंध है कविता के बहाने कविता के आधार पर बताइए?

कविता के बहाने यह एक यात्रा है, जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कहने की आवश्यकता नहीं कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है। फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं।

कविता और बच्चों को समानता रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

- बच्चे के सपने असीम होते हैं और कवि की कल्पना भी असीम होती है। - बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता।