सांस सांस में बांस के लेखक का नाम क्या है? - saans saans mein baans ke lekhak ka naam kya hai?

साँस-साँस में बाँस वसंत भाग - 1 (Summary of Van Ke Marg Me Vasant)

यह पाठ एलेक्स एम० जॉर्ज द्वारा लिखित निबंध है जो बाँस के बारे में है| बाँस भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सातों राज्यों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यहाँ के कई समुदायों का भरण-पोषण बाँस से होता है| नागालैंड में रहने वाले लोगों ने तो बाँस से चीजें बनानी सीखीं। तभी से वहाँ बाँस का प्रयोग हो रहा है। बाँस से केवल टोकरियाँ ही नहीं बनतीं बल्कि बाँस की खपच्चियों से ढेरों चीजें बनाई जा सकती हैं, जैसे-तरह-तरह की चटाइयाँ, टोपियाँ, टोकरियाँ, बर्तन, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल, मकान पुल और खिलौने।

असम में मछली पकड़ने के लिए जाल जकाई लगाया जाता है। यह बाँस की खपच्चियों से शंकु आकार में बनाया जाता है। उत्तर-पूर्वी भारत में जुलाई से अक्तूबर तक बहुत अधिक बारिश होने के कारण वहाँ के लोगों के पास कोई काम नहीं होता है। इसलिए वे उस समय बाँस इकट्ठे करते हैं। एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस सामान बनाने के काम लाए जाते हैं। बूढ़े बाँस सख्त होने के कारण जल्दी टूट जाते हैं। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती हैं| दाओ यानी चौड़े फाल वाले चाकू से बाँस छीलकर खपच्चियाँ तैयार कर ली जाती हैं। खपच्चियों की लंबाई उतनी ही रखी जाती है, जितनी की वस्तु बनाने में लगती है।

खपच्चियों की कारीगरी सीखने में काफ़ी समय लग जाता है। खपच्चियों की लंबाई-चौड़ाई काटने के बाद उन्हें चिकना किया जाता है। खपच्चियों को चिकना करने के लिए दाओ का उपयोग किया जाता है। घिसाई द्वारा खपच्चियाँ चिकनी की जाती हैं। इसके बाद उनकी रंगाई की जाती है। रंगाई के लिए गुड़हल तथा इमली की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। काले रंग के लिए इन्हें आम की छाल में लपेटकर मिट्टी में दबा दिया जाता है| बाँस की बुनाई और बुनाइयों जैसी होती है। चेक का डिज़ाइन बन जाता है। टुइल के लिए प्रत्येक बाने को दो या तीन तानों के ऊपर और नीचे किया जाता है। ऐसे ही कई प्रकार के डिज़ाइन बनते हैं। टोकरी के सिरे मोड़कर नीचे की ओर फँसा दिया जाता है। इस प्रकार हमारी टोकरी तैयार हो जाती है।

कठिन शब्दों के अर्थ -

• करतब - करामात,
• दफ़नाए - मुर्दे को ज़मीन में गाड़ने का काम 
• बहुतायत - बहुत अधिक 
• चलन – रिवाज 
• प्रचलन - चलन 
• तरकीब - तरीका 
• शंकु - खूँटी  
• ईंधन - जलाने का सामान
• पालना - झूला 
• मसलन - उदाहरण के लिए 
• गठान – गाँठ 
• हुनर - कलाकारी 
• तर्जनी - अँगूठे के पास की अँगुली 
• दौरान - बीच 
• प्रक्रिया - तरीका

NCERT Solutions of साँस-साँस में बाँस

सांस सांस में बांस के लेखक कौन है?

साँस-साँस में बाँस वसंत भाग - 1 (Summary of Van Ke Marg Me Vasant) यह पाठ एलेक्स एम० जॉर्ज द्वारा लिखित निबंध है जो बाँस के बारे में है| बाँस भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सातों राज्यों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।

सांस सांस में बांस पाठ में जादूगर का क्या नाम था?

एक जादूगर थे-चंगकीचंगलनबा। अपने जीवन में उन्होंने कई बड़े-बड़े करतब दिखलाए। जब वे मरने को हुए तो लोगों से बोले, मुझे दफ़नाए जाने के छठे दिन मेरी कब्र खोदकर देखोगे तो कुछ नया-सा पाओगे। कहा जाता है कहे मुताबिक मौत के छठे दिन उनकी कब्र खोदी गई और उसमें से निकले बाँस की टोकरियों के कई सारे डिज़ाइन।

लेखक ने कहानी का नाम सांस सांस में बांस क्यों रखा?

उत्तर:- कहा जाता है कि इंसान ने जब हाथ से कलात्मक चीज़ें बनानी शुरू कीं, बाँस की चीज़ें तभी से बन रही हैं। जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव हुए हैं और अब भी हो रहे हैं।

साँस साँस में बाँस पाठ में लेखक के अनुसार बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त कब होता है तथा क्यों?

कहते हैं कि बाँस की बुनाई का रिश्ता उस दौर से है, जब इंसान भोजन इकट्ठा करता था। शायद भोजन इकट्ठा करने के लिए ही उसने ऐसी डलियानुमा चीजें बनाई होंगी। क्या पता बया जैसी किसी चिड़िया के घोंसले से टोकरी के आकार और बुनावट की तरकीब हाथ लगी हो!