निर्देशन और परामर्श में अंतर pdf - nirdeshan aur paraamarsh mein antar pdf

परामर्श और निर्देशन में अंतर // Difference between Guidance and Counselling

परामर्श और निर्देशन : – (counselling & guidance

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निर्देशन और परामर्श में अंतर बताइए

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट   www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको " परामर्श और निर्देशन में अंतर ( Difference between Guidance and Counselling)" के बारे में बताएंगे तो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना है और अंत तक पढ़ना है।

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>पाठ्य योजना निर्माण की प्रमुख विधियां

परामर्श (Counseling) - परामर्श एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कुशल योग्य अनुभवी तथा प्रशिक्षित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी समस्याओं को हल करने के लिए सहायता देता है। अर्थात् परामर्श एक परस्पर वार्तालाप पर आधारित एक प्रक्रिया है । जिसमें परामर्शदाता परामर्श प्रार्थी को वो सभी  विचार तथा सुविधाएं प्रदान करता है, जिसके द्वारा प्रार्थी स्वयं अपनी समस्याओं को हल करने में समर्थ हो जाता है ।

परामर्श की विशेषताएं - 

1- परामर्श सदैव प्रजातांत्रिक होना चाहिए अर्थात् इसमें प्रार्थी के विचारों भावनाओं तथा संवेगो को पूरा महत्व दिया जाना चाहिए ।

2. परामर्श सदैव समस्या की ओर उन्मुक्त होता है। अर्थात् परामर्श का उद्देश्य केवल और केवल समस्याओ का समाधान होता है । अर्थात् प्रार्थी के समक्ष जब कोई बहुत गम्भीर समस्या आती है तभी वह परामर्श दाता के पास जाता है। 

3. परामर्शदाता का प्रशिक्षित होना अनिवार्य होता है। ताकि वह व्यक्तिगत रूप से प्रार्थी की समस्याओं के कारणों को पहचान सके तथा उन समस्याओं का निदान या उपचार कर सके ।

4. परामर्श का उद्देश्य आत्मज्ञान ,आत्मस्वीकृति तथा कार्य संतुष्ठि विकसित करना होता है।

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परामर्श के प्रकार

परामर्श दो प्रकार का होता है-

1- निदेशात्मक परामर्श (Directive councelling)-

 2- अनिदेशात्मक परामर्श  (Non directive Councelling)-

निदेशात्मक परामर्श (Directive councelling)- 

निदेशात्मक परामर्श के प्रवर्तक E.G.विलियमसन थे। परामर्श का यह प्रकार परामर्शदाता पर केन्द्रित होता है। इसमें परामर्शदाता की भूमिका सक्रिय होती है , तथा परामर्श प्रार्थी की भूमिका निष्क्रिय होती है। परामर्शदाता परामर्श चाहने वाले व्यक्ति की पूरी समस्या को ध्यान से सुनता है, तथा उस समस्या को हल करने के सभी विकल्पों को अपने ज्ञान व अनुभवों के आधार पर प्रार्थी के समक्ष प्रस्तुत करता है। परामर्श प्रार्थी उन्ही विकल्पो में से किसी एक का चयन कर समस्या को हल करता है ।

>कोठारी कमीशन

परामर्श के इस प्रकार में प्रार्थी की भावनाओं रूचियों तथा संवेगों को कोई भी महत्व प्राप्त नहीं होता है ।

अनिदेशात्मक परामर्श (Non Directive councelling)

इस परामर्श के प्रवर्तक कार्लरोजर्स थे ।परामर्श का यह प्रकार परामर्श प्रार्थी पर केन्द्रित होता है। इसमें प्रार्थी की भूमिका सक्रिय तथा परामर्शदाता की भूमिका निष्क्रिय होती है इसमें परामर्श प्रार्थी जब भी अपनी समस्याओं को परामर्श दाता के पास लेकर आता है तो परामर्शदाता यह प्रयास करता है। कि प्रार्थी में उन सभी गुणों तथा योग्यताओं, का विकास जा सके जिससे प्रार्थी स्वयं अपनी समस्याओं को हल कर सके तथा उसमें आत्मबोध की भावना विकसित हो सके ।

निर्देशन (Guidance)-

निर्देशन एक विवृत प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य लोगो को सलाह देना, सुझाव देना, तथा आगे बढ़ने के लिए वो सभी सम्भावित अवसर उपलब्ध कराना जिसकी सहायता से व्यक्ति अपने जीवन की सभी समस्याओं को हल करके स्वयं निर्णय लेने के योग्य बनता है।

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निर्देशन केवल व्यक्ति की समास्याओं का समाधान ही नहीं करता है बल्कि व्यक्ति में ऐसी क्षमताओं का विकास करता है । जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं निर्णय ले सके ।

निर्देशन की विशेषताएं-

1- निर्देशन विकासात्मक पहलू से जुड़ा होता है, जिसमें व्यक्ति के विकास से सम्बन्धित सभी सुझाव दिए जाते हैं। 

2- निर्देशन के द्वारा व्यक्ति की जन्मजात शक्तियों को विकसित कर व्यक्ति के कौशलों का विकास किया जाता है ।

3- शैक्षिक गतिविधियों का संचालन तथा मूल्यांकन करने में निर्देशन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

4- विद्यार्थियों को रोजगार के चयन रूचि तथा क्षमता के अनुकूल पाठ्यक्रम चयन आदि में भी निर्देशन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

 निर्देशन तीन प्रकार का होता है-type of guidance

1- व्यावसायिक निर्देशन

2- शैक्षिक निर्देशन

 3- व्यक्तिगत निर्देशन

परामर्श तथा निर्देशन में अन्तर- 

(Difference between counselling and guidance)

     परामर्श                               निर्देशन

Counselling                        guidance

परामर्शदाता एक कुशल तथा प्रशिक्षित व्यक्ति होताहै।

जबकि निर्देशनकर्ता का कार्य कोई भी योग्य अनुभवी तथा कुशल व्यक्ति कर सकता है।

परामर्श में परामर्श प्रार्थी परामर्शदाता से मिलकर परस्पर विचारों के आदान-प्रदान से अपनी समस्या का समाधान प्राप्त करता है।

निर्देशन के द्वारा व्यक्ति में आत्म अवलोकन एवं सुधार के लिए सुझाव दिया जाता है यह व्यक्ति में ऐसी क्षमता विकसित करता है जिससे व्यक्ति स्वयं अपनी समस्याओं का समाधान कर सके।

परामर्श केवल व्यक्तिगत होता है।

निर्देशन व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों प्रकार का हो सकता है।

परामर्श समस्या समाधान पर केंद्रित होता है।

निर्देशन सुधार तथा प्रगति पर आधारित होता है।

परामर्श आमने-सामने बैठकर या केवल फोन द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।

निर्देशन टीवी, सोशल मीडिया, पत्र- पत्रिकाएं ,पोस्टर ,बैनर इत्यादि के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है।

निर्देशन और परामर्श में अंतर क्या है?

चाहे व्यवसाय का क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र, व्यक्तिगत समास्याओं के समाधान में भी निर्देशन की आवश्यकता पड़ती है।

परामर्श कितने प्रकार के होते हैं?

परामर्श प्रार्थी केन्द्रिता प्रार्थी स्वयं निर्णय लेने में सक्षम। का विकास! समाधान मे सहायता । निरीक्षण जाता है।

परामर्श के तीन प्रमुख अंग कौन कौन से हैं?

परामर्श चाहने वाला परामर्श प्रार्थी होता है। परामर्श प्रार्थी किसी समस्या को लेकर उसके समाधान के लिए परामर्शदाता के पास आता है। परामर्शदाता एक प्रशिक्षित एवं सक्षम व्यक्ति होता है। पर परामर्श प्रार्थी की विभिन्न व्यक्तिगत समस्याओं को दूर करने में सहायता प्रदान करता है।

परामर्श एवं निर्देशन में क्या भेद है तथा परामर्श के क्षेत्र क्या है?

परामर्श का क्षेत्र संकुचित है । निर्देशन की आवश्यकता सभी व्यक्तियों को होती है। परामर्श की आवश्यकता केवल उन व्यक्तिओ को होती है जिनहे गंभीर शैक्षिक , मनोवेज्ञानिक स्मस्याओ का सामना केरना पड़ता है । निर्देशन व्यक्तिक या समूहिक रूप से दिया जा सकता है।