व्यंजन की परिभाषा और भेद:-इस आर्टिकल में आज SSCGK आपसे व्यंजन की परिभाषाऔर भेद के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे |इससे पहले आर्टिकल में हम आपको स्वर की परिभाषा व भेदों के बारे में पिछली पोस्ट में बता चुके हैं | Show व्यंजन की परिभाषा और भेद:-हिंदी व्याकरण में व्यंजन की परिभाषा, अर्थात जिन वर्णों को बोलने में स्वरों की मदद लेनी पड़ती है ,उन्हें व्यंजन कहते हैं | जैसे -क, च, ट, त, प, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह आदि। व्यंजन की परिभाषा और भेद:-1.व्यंजन के भेद– १.स्पर्श व्यंजन २.अंत:स्थ व्यंजन ३.ऊष्म व्यंजन व्यंजन के भेद/प्रकार –१. स्पर्श व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय, श्वास वायु मुख के अलग-अलग भागों को स्पर्श करती हुई बाहर आती है, तो उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं ।हिंदी वर्णमाला में कुल 25 स्पर्श व्यंजन है। क से म तक 25 व्यंजन व्यंजन कहलाते हैं| >कवर्ग – क ख ग घ ङ (कंठ) >चवर्ग– च छ ज झ ञ (तालु) >टवर्ग- ट ठ ड ढ ण (मूर्धा) >तवर्ग– त थ द ध न (दांत) >पवर्ग– प फ ब भ म (ओष्ठ) २. अंत:स्थ व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय श्वास वायु, मुख व जीभ(जिह्वा) को बिना स्पर्श किये बाहर निकलती है ,तो उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं। जैसे –य,र,ल,व आदि। ३. ऊष्म व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय श्वास वायु, मुख के विभिन्न भागों से रगड़ खाती हुई ऊष्मा के साथ बाहर निकलती है, तो उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। जैसे –श,ष,स,ह आदि। संयुक्त व्यंजन– दो या दो अधिक व्यंजन वर्णों के मेल से बनने हुए व्यंजन संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं | जैसे – क्ष,त्र,ज्ञ,श्र| हिंदी वर्णमाला में चार संयुक्त व्यंजन (क्ष,त्र,ज्ञ,श्र) होते हैं। क् + ष् +अ =क्ष त् + र् + अ =त्र ज् + ञ् +अ =ज्ञ श् + र् +अ =श्र व्यंजन की परिभाषा और भेद:-नं. 2. उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण-व्यंजनों को ऊच्चारण स्थान के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, ताकि उन्हें आसानी से समझा जा सके। हम जानते हैं कि जब भी हम व्यंजनों को उच्चारण करते हैं, तो श्वास वायु मुख अलग-अलग भागों को स्पर्श करती हुई बाहर निकलती है। मुख के जिस भाग से श्वास वायु टकराती हुई बाहर आती है ,उसी भाग के नाम पर उन व्यंजनों का नाम रखा गया है। उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों को वर्गीकरण निम्नलिखित है–१. कंठ्य वर्ण:– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, गले को स्पर्श करती हुई बाहर निकलती है, वे वर्ण कंठ्य वर्ण कहलाते हैं। जैसे -अ,आ ,कवर्ग ,ह आदि । २. तालव्य वर्ण: -जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, तालु को स्पर्श करती हुई मुख से बाहर निकलती है उन्हें तालव्य वर्ण कहते हैं। जैसे – इ, ई, चवर्ग, य, श आदि । ३. मूर्धन्य वर्ण:– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, मूर्धा को स्पर्श करती हुई मुख से बाहर आती है तो उन्हें मुर्धन्य वर्ण कहते हैं। जैसे – ऋ, टवर्ग, र, ष आदि| व्यंजन की परिभाषा और भेद:-४.दंत्य वर्ण:– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय ,श्वास वायु दांतो से स्पर्श करती हुई मुख से बाहर आती है, तो उन्हें दंत्य वर्ण कहते हैं। जैसे -तवर्ग ,ल, स, ज़ आदि। ५. ओष्ठ्य वर्ण:– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, होठों को स्पर्श करती हुई मुख से बाहर आती है तो उन्हें ओष्ठ्य वर्ण कहते हैं। जैसे -उ, ऊ, पवर्ग आदि। ६. नासिक्य वर्ण– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, नासिका से बाहर आती है, तो उन्हें नासिक्य वर्ण कहते हैं। जैसे -अं, ङ, ञ, ण, न, म आदि। ७.कंठतालव्य वर्ण:– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, कंठ और तालु को स्पर्श करती हुई मुख बाहर आती है, तो उन्हें कंठतालव्य वर्ण कहते हैं ।जैसे – ए, ऐ आदि। ८. कंठौष्ठ्य वर्ण:-जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु ,कंठ और तालु से स्पर्श करती हुई मुख से बाहर आती है, तो उन्हें कंठौष्ठ्य वर्ण कहते हैं। जैसे -ओ, औ, ऑ आदि। ९. दंतोष्ठ्य वर्ण:– जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु, दातों और होठों को स्पर्श करती हुई बाहर निकलती है, तो उन्हें दंतौष्ठ्य वर्ण कहते हैं।जैसे – व, फ़ आदि। व्यंजन की परिभाषा और भेद:-
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