Jatin is chor राशि चक्र की यह पहली राशि है, इस राशि का चिन्ह ”मेढा’ या भेडा है, इस राशि का विस्तार चक्र राशि चक्र के प्रथम 30 अंश तक (कुल 30 अंश) है। राशि चक्र का यह प्रथम बिन्दु प्रतिवर्ष लगभग 50 सेकेण्ड की गति से पीछे खिसकता जाता है। इस बिन्दु की इस बक्र गति ने ज्योतिषीय गणना में दो प्रकार की पद्धतियों को जन्म दिया है। भारतीय ज्योतिषी इस बिन्दु को स्थिर मानकर अपनी गणना करते हैं। इसे निरयण पद्धति कहा जाता है। और पश्चिम के ज्योतिषी इसमे अयनांश जोडकर ’सायन’ पद्धति अपनाते हैं। किन्तु हमे भारतीय ज्योतिष के आधार पर गणना करनी चाहिये। क्योंकि गणना में यह पद्धति भास्कर के अनुसार सही मानी गई है। मेष राशि पूर्व दिशा की द्योतक है, तथा इसका स्वामी ’मंगल’ है। इसके तीन द्रेष्काणों (दस दस अंशों के तीन सम भागों) के स्वामी क्रमश: मंगल-मंगल, मंगल-सूर्य, और मंगल-गुरु हैं। मेष राशि के अन्तर्गत अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण और कॄत्तिका का प्रथम चरण आते हैं। प्रत्येक चरण 3.20' अंश का है, जो नवांश के एक पद के बराबर का है। इन चरणों के स्वामी क्रमश: अश्विनी प्रथम चरण में केतु-मंगल, द्वितीय चरण में केतु-शुक्र, तॄतीय चरण में केतु-बुध, चतुर्थ चरण में केतु-चन्द्रमा, भरणी प्रथम चरण में शुक्र-सूर्य, द्वितीय चरण में शुक्र-बुध, तॄतीय चरण में शुक्र-शुक्र, और भरणी चतुर्थ चरण में शुक्र-मंगल, कॄत्तिका के प्रथम चरण में सूर्य-गुरु हैं। Show
जिन जातकों के जन्म समय में निरयण चन्द्रमा मेष राशि में संचरण कर रहा होता है, उनकी मेष राशि मानी जाती है, जन्म समय में लगन मे मेष राशि होने पर भी यह अपना प्रभाव दिखाती है। मेष लगन मे जन्म लेने वाला जातक दुबले पतले शरीर वाला, अधिक बोलने वाला, उग्र स्वभाव वाला, रजोगुणी, अहंकारी, चंचल, बुद्धिमान, धर्मात्मा, बहुत चतुर, अल्प संतति, अधिक पित्त वाला, सब प्रकार के भोजन करने वाला, उदार, कुलदीपक, स्त्रियों से अल्प स्नेह, इनका शरीर कुछ लालिमा लिये होता है। मेष लगन मे जन्म लेने वाले जातक अपनी आयु के 6,8,15,20,28,34,40,45,56 और 63 वें साल में शारीरिक कष्ट और धन हानि का सामना करना पडता है,16,21,29,34,41,48 और 51 साल मे जातक को धन की प्राप्ति वाहन सुख, भाग्य वॄद्धि, आदि विविध प्रकार के लाभ और आनन्द प्राप्त होते हैं। मेष अग्नि तत्व वाली राशि है, अग्नि त्रिकोण (मेष, सिंह, धनु) की यह पहली राशि है, इसका स्वामी मंगल अग्नि ग्रह है, राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढा देती है, यही कारण है कि मेष जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी, और दॄढ इच्छाशक्ति वाले होते हैं। मेष राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं। मेष जातकों के अन्दर धन कमाने की अच्छी योग्यता होती है, उनको छोटे काम पसंद नहीं होते हैं, उनके दिमाग में हमेशा बडी बडी योजनायें ही चक्कर काटा करती है, राजनीति के अन्दर नेतागीरी, संगठन कर्ता, उपदेशक, अच्छा बोलने वाले, कम्पनी को प्रोमोट करने वाले, रक्षा सेवाओं में काम करने वाले, पुलिस अधिकारी, रसायन शास्त्री, शल्य चिकित्सिक, कारखानों ए अन्दर लोहे और इस्पात का काम करने वालेभी होते हैं, खराब ग्रहों का प्रभाव होने के कारण गलत आदतों में चले जाते हैं, और मारकाट या दादागीरी बाली बातें उनके दिमाग में घूमा करतीं हैं, और अपराध के क्षेत्र मे प्रवेश कर जाते हैं। अधिकतर मेष राशि वाले जातकों का शरीर ठीक ही रहता है, अधिक काम करने के उपरान्त वे शरीर को निढाल बना लेते हैं, मंगल के मालिक होने के कारण उनके खून मे बल अधिक होता है, और कम ही बीमार पडते हैं, उनके अन्दर रोगों से लडने की अच्छी क्षमता होती है। अधिकतर उनको अपनी सिर की चोटों से बच कर रहना चाहिये, मेष से छठा भाव कन्या राशि का है, और जातक में पाचन प्रणाली मे कमजोरी अधिकतर पायी जाती है, मल के पेट में जमा होने के कारण सिरदर्द, जलन, तीव्र रोगों, सिर की बीमारियां, लकवा, मिर्गी, मुहांसे, अनिद्रा, दाद, आधाशीशी, चेचक, और मलेरिया आदि के रोग बहुत जल्दी आक्रमण करते हैं। मेष राशि की कमजोरियां क्या है?अधिकतर उनको अपनी सिर की चोटों से बच कर रहना चाहिये, मेष से छठा भाव कन्या राशि का है, और जातक में पाचन प्रणाली मे कमजोरी अधिकतर पायी जाती है, मल के पेट में जमा होने के कारण सिरदर्द, जलन, तीव्र रोगों, सिर की बीमारियां, लकवा, मिर्गी, मुहांसे, अनिद्रा, दाद, आधाशीशी, चेचक, और मलेरिया आदि के रोग बहुत जल्दी आक्रमण करते हैं।
मेष राशि का शत्रु कौन है?मेष के दुश्मन- कर्क और वृश्चिक सबसे खराब
मेष राशि से कौन सी राशि प्यार करती है?मेष राशि वालों के लिए मिथुन राशि वाले जातक बेहतर साबित होते हैं। ये आपस में संतुलन बनाते हैं। दोनों राशि वाले एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत होते हैं।
मेष राशि की खासियत क्या है?मेष राशि के जातक तेजी से काम करने वाले, आशावादी और आत्मकेंद्रित होते हैं। राशि चक्र की प्रथम राशि होने के कारण ये शिशु की तरह मासूम होते हैं। इनका प्रतीक मेढ़ा होता है, जो निडर और साहसी होता है। इस राशि के जातक हमेशा अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीना पसंद करते हैं।
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