क्या उत्तर दिशा में शौचालय बनाया जा सकता है? - kya uttar disha mein shauchaalay banaaya ja sakata hai?

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पश्चिम एवं उत्तर के मध्य में स्थित उत्तर-पश्चिम दिशा (North West Direction) वायव्य कोण कहलाती है. उत्तर-पश्चिम (North west) दिशा में वास्तु दोष होने से सकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में उत्तर-पश्चिम दिशा वायु देवता की मानी जाती है. आइए जानते हैं उत्तर-पश्चिम दिशा का वास्तु कनेक्शन.

उत्तर-पश्चिम भाग संध्या के सूर्य की तपती रोशनी से प्रभावित रहता है. वास्तु में इस स्थान को शौचालय, स्टोर रूम, स्नान घर यानी बाथरूम बनाने के लिए उपयुक्त बताया गया है. क्योंकि इससे घर के अन्य हिस्से संध्या के सूर्य की उष्मा से बचे रहते हैं, जबकि ये उष्मा शौचालय एवं स्नानघर को स्वच्छ एवं सूखा रखने में सहायक होती है.

वास्तु के मुताबिक अगर घर या व्यवसायिक संस्थान का वायव्य कोण यानी उत्तर-पश्चिम का भाग कुछ कटा हुआ हो या अन्य दिशाओं के मुकाबले कम चौड़ा हो तो उस भाग की उत्तरी दीवार में लगभग चार फुट चौड़ा दर्पण लगवाने से लाभ प्राप्त होता है.

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घर की दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में बेडरूम होना पति-पत्नी के लिए फायदेमंद रहता है. दरअसल, उत्तर-पूर्व दिशा में देवी-देवताओं का स्थान होता है. इसलिए वास्तु में बेडरूम उत्तर दिशा में बनाने का सुझाव दिया जाता है. 

उत्तर पश्चिम-दिशा या वायव्य कोण हवा से संबंधित होती है. इसी कारण इस दिशा के लिए हल्का स्लेटी, सफेद और क्रीम रंग उपयुक्त माना जाता है.

उत्तर-पश्चिम दिशा में वास्तु दोष दूर करने के लिए एक छोटा फव्वारा या एक्वेरियम (Aquarium) रखना चाहिए. 

वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे उत्तर दिशा में शौचालय के निर्माण के बारे में। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर हैं। घर की उत्तर दिशा में शौचालय का निर्माण निश्चित रूप से हानिकारक है। इससे मनुष्य का केन्द्रीय घनत्व बिखरता है। स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता कम होती है। जीवन स्वच्छ और उन्मुक्त नहीं रह जाता। प्राप्त धन का सदुपयोग होने में दिक्कत होती है और घर में कोई न कोई व्यक्ति बीमार होता रहता है। मझला बेटा डरा रहता है। कान में इंफेक्शनस होते हैं। भय से उत्पन्न होने वाली बीमारियां मनुष्य को घेरती हैं।

अगर किसी वजह से उत्तर दिशा में शौचालय बनाना पड़े तो शोक पिट को उत्तर-पश्चिम की ओर खिसका देना चाहिए। शौचालय की दिवार पर काला रंग लगाना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि रात 11 से 1 के बीच शौचालय का प्रयोग न किया जाये और हर मौसम में उत्तर दिशा में सफेद धातु के गमले में सफेद असली या नकली फूल रखने चाहिए।

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बाथरूम घर के उत्तर या उत्तर-पश्चिम कोने में होना चाहिए. बाथरूम दक्षिण दिशा, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी न बनवाएं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे घर में लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. शौचालय का निर्माण जमीनी स्तर से एक से दो फीट ऊंचा होना चाहिए.  वास्तु के अनुसार, बाथरूम को जमीन के समान स्तर पर रखना सही नहीं है। वैज्ञानिक रूप से बाथरूम को घर के अन्य क्षेत्रों से अलग रखना लाभदायक होता है।

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बाथरूम वास्तु के हिसाब से क्यों होना चाहिए?

भारत में अधिकतर लोग ऐसा घर चाहते हैं जो वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप हों. उनका मानना है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी. ऐसे लोग भी जो वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं, वे भी मानते हैं कि अगर घर वास्तु के मुताबिक है और उसमें कोई दोष नहीं है तो उसे बेचना आसान होता है. आपके घर के हर कमरे के लिए वास्तु शास्त्र में गाइडलाइंस हैं. किस दिशा में कमरे होने चाहिए, कौन से रंग इस्तेमाल करने चाहिए, दोषों को कैसे खत्म किया जाए, सब कुछ उसमें लिखा है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे बाथरूम और वॉशिंग की जगह को आप वास्तु के मुताबिक बना सकते हैं.

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उत्तर दिशा में स्थित टॉयलेट के लिए वास्तु उपाय

उत्तर दिशा में टॉयलेट होने से स्वास्थ्य से जुड़ी नकारात्मक समस्याएं आ सकती हैं. इस तरह के डिजाइनों के लिए एक वास्तु उपाय है, गड्ढे को उत्तर-पश्चिम में शिफ्ट करना और दीवारों को काले रंग में रंगना. सफेद रंग के फूलों को धातु के फूलदान में उत्तर दिशा में रखने से भी नकारात्मक प्रभाव दूर होता है.

बाथरूम वास्तु नियमों के अनुसार, उत्तर मुखी घर के लिए दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम के दक्षिण में बाथरूम डिजाइन करने के लिए उपयुक्त स्थान हैं।

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दक्षिण दिशा में शौचालय के वास्तु दोष उपाय

वास्तु शास्त्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, दक्षिण दिशा में शौचालय के निर्माण से प्रसिद्धि की हानि हो सकती है। वास्तु के अनुसार, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा के बीच शौचालय की दिशा बदलना इस वास्तु दोष के उपायों में से एक है।

वास्तु के अनुसार, सुनिश्चित करें कि बाथरूम और शौचालय की जगह के लिए आपने सही रंग चुने हैं। यदि दक्षिण दिशा में बाथरूम जोन संतुलित है, तो लाल, गुलाबी, नारंगी और बैंगनी रंग के हल्के शेड्स चुनें। अगर जोन बड़ा है तो तटस्थ रंगों के लिए जाएं।

 

साउथ-वेस्ट दिशा के टॉयलेट्स के लिए वास्तु उपाय

अगर टॉयलेट साउथ-वेस्ट दिशा में है तो आप इन वास्तु उपायों को फॉलो कर सकते हैं.

  • दक्षिण-पश्चिम शौचालय की दीवार के बाहरी हिस्से पर वास्तु पिरामिड रखें.
  • टॉयलेट के दरवाजों को हमेशा बंद रखें.
  • सुनिश्चित करें कि साउथ वेस्ट दिशा में जो टॉयलेट है, उसमें किसी तरह का लोहे का सामान न हो.
  • उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशा में एग्जॉस्ट फैन लगवाएं.
  • बाथरूम की बाहरी दीवार पर तीन या नौ सीसा वाले हीलिक्स रखें। आप बाथरूम के दरवाजे के फ्रेम के बाहर लकड़ी के तीन पिरामिड पार्टीशन भी रख सकते हैं।
  • अथवा आप पीतल के कटोरे में वास्तु नमक रख सकते हैं। इसे हर हफ्ते बदला जाना चाहिए।
  • इस दिशा में टॉयलेट और बाथरूम के लिए वास्तु में अनुशंसित रंगों में पीले और बेज जैसे हल्के रंग शामिल हैं।

 

साउथ-ईस्ट दिशा में स्थित टॉयलेट्स के लिए वास्तु उपाय

आग की दिशा यानी दक्षिण दिशा की ओर टॉयलेट बनाने से वास्तु के अनुसार नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे टॉयलेट के इस्तेमाल से बचना ही बेहतर है. नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए दीवारों के दक्षिण और पूर्व दिशा में बाहर की तरफ वास्तु पिरामिड लगाएं. आप किसी तांबे के बर्तन में वास्तु नमक भी रख सकते हैं, जिसे हर हफ्ते बदलना चाहिए.

दक्षिण पूर्व कोने में एक्स्टेंड किए गए टॉयलेट के लिए हल्के रंगों जैसे पीले, क्रीम या तटस्थ रंगों के लिए जाएं।

 

नॉर्थ-ईस्ट दिशा में स्थित टॉयलेट्स के लिए वास्तु उपाय

अगर घर के नॉर्थ या नॉर्थ ईस्ट हिस्से में टॉयलेट बनवाया जाता है तो यह वास्तु के सिद्धांतों के खिलाफ काम करेगा और घर में नकारात्मक ऊर्जाओं का संचार होगा. घर के नॉर्थ-ईस्ट में नॉर्थ-ईस्ट यंत्र रखें. नकारात्मक ऊर्जाओं को मिटाने के लिए आप टॉयलेट के अंदर कपूर या सुगंधित मोमबत्तियां भी जला सकते हैं. टॉयलेट का दरवाजा हमेशा बंद रहना चाहिए. इंडोर प्लांट्स जैसे के मनी प्लांट और स्पाइडर प्लांट भी रख सकते हैं क्योंकि उससे नकारात्मकता दूर होती है. टॉयलेट के एक कोने में एक कटोरी सी सॉल्टरखने से नकारात्मकता खत्म होगी. यह ध्यान रखें कि टी शर्ट हर हफ्ते बदलें. टॉयलेट उत्तर पूर्वी दिशा में होना चाहिए और यह ध्यान दें की वरहेह हमेशा साफ रहे.

 

पूरब दिशा में टॉयलेट के वास्तु दोष उपाय

हमेशा सुनिश्चित करें कि घर में टॉयलेट या बाथरूम पूर्व दिशा में ना हो. ऐसा डिजाइन परिवार के लिए मुश्किलें पैदा करता है खासकर घर के सबसे बड़े बच्चे के लिए. अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो ऐसी जगह की छत पर बांस का इस्तेमाल करें, जिससे बुरा प्रभाव कम हो जाए.

पूरब दिशा में टॉयलेट बनाने से बचना हमेशा ही बेहतर है। हालांकि, पूरब में बाथरूम और टॉयलेट वाले घरों के लिए वास्तु दोष उपायों में रंग स्कीम को बदलना शामिल हो सकता है। भूरे और हरे रंग के हल्के मिट्टी के रंगों का प्रयोग करें।

 

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय में टॉयलेट सीट की दिशा

टॉयलेट की सीट का निर्माण इस तरह से किया जाना चाहिए कि इसका इस्तेमाल करने वाले का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर हो। यह परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करेगा। टॉयलेट की सीट पर बैठते समय वास्तु के अनुसार दक्षिण या उत्तर दिशा की ओर मुख करना चाहिए।

 

बाथरूम में उपयोग होने वाले सामानों और साज-सज्जा के लिए वास्तु

  • बाथरूम में शीशे को उत्तर या पूर्वी दीवार पर लगवाना चाहिए. स्क्वेयर और रैक्टैंगुलर मिरर का चुनाव करें और उन्हें फर्श से कम से कम चार या पांच फीट की दूरी पर रखें.
  • बाथरूम में शीशे को ऊंची जगह पर रखना चाहिए, ताकि उसमें टॉयलेट सीट दिखाई न दे.
  • इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स जैसे गीजर तो साउथ-ईस्ट दिशा में लगाना चाहिए.
  • एग्जॉस्ट फैन या अगर वेंटिलेशन के लिए खिड़की है तो उसका मुंह पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए.
  • वॉशबेसिन बाथरूम के ईस्ट, नॉर्थ या नॉर्थ ईस्ट दिशा में होना चाहिए.
  • बैलेंस लुक प्राप्त करने के लिए लकड़ी के फर्नीचर, जरूरत में आने वाली बास्केट और मेटल लाइट फिक्स्चर.
  • शॉवर पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व में लगवाना चाहिए.
  • वॉशिंग मशीन को साउथ-ईस्ट या नॉर्थ वेस्ट दिशा में रखना चाहिए.

 

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यह भी देखें: वास्तु के अनुसार दर्पण की दिशा

 

बाथ टब के लिए वास्तु

वास्तु के अनुसार जो जकुजी या बाथ टब का आकार गोल या चौकोर होना चाहिए. यह ध्यान रखें कि उसमें कोई नुकीली कोने नहीं होने चाहिए. सामान्य तौर पर बाथ टब को उत्तर, पूर्, पश्चिम या उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए. बात टब के सामने सफेद या नीले रंग के बाथरूम मैट रखें. काली और लाल रंग का इस्तेमाल न करें. बाथ टब के दक्षिण दिशा में बाथ टब पिलोज रखें. आप स्पा जैसा माहौल सुगंधित मोमबत्ती के साथ बनाने के लिए बाथरूम का उत्तर पूर्वी दिशा का प्रयोग कर सकते हैं.

भारत में बाथ टब की कीमत के बारे में भी पढ़ें: बाथटब और मॉडर्न  बाथ स्थान जो लग्जरी को फिर से परिभाषित करते हैं

 

बाथरूम के दरवाजों के लिए वास्तु

  • बाथरूम के दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए.
  • इसमें लोहे की जगह लकड़ी के दरवाजे लगवाएं. बाथरूम के दरवाजों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें न लगाएं.
  • बाथरूम के दरवाजे हमेशा बंद रहने चाहिए क्योंकि इसे खुला छोड़ने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आएगी और आपके निजी रिश्तों को खराब करेगी.

 

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बाथरूम की खिड़कियों के लिए वास्तु

हर बाथरूम में खिड़की होनी चाहिए और सही वेंटिलेशन की जगह भी. यह नकारात्मक ऊर्जाओं को बाहर निकलने देगा और कमरे में रोशनी के प्रवेश में मदद करेगा. इसके साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि अगर खिड़कियां सही दिशा में हैं तो बाथरूम का क्षेत्र साफ, सूखा और ताजा रहे। बाथरूम में खिड़कियां पूर्व, उत्तर या पश्चिम की ओर खुलनी चाहिए. इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि खिड़कियां बाहर की ओर खुलती हों.

 

वास्तु के हिसाब से बाथरूम के लिए रंग

बाथरूम के लिए हल्के रंग जैसे बेज या क्रीम का इस्तेमाल करें. यहां तक कि नीला और लाल रंग भी ना कराएं. बाथरूम के लिए अन्य मुफीद रंग ब्राउन और वाइट हैं. कई लोग डार्क टाइल या पेंट कराते हैं, जो वास्तु शास्त्र के मुताबिक ठीक नहीं है. साफ-सफाई के मद्देनजर भी आप लाइट कलर का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि आप आसानी से गंदगी देखकर उसे साफ कर सकें.

इसके अलावा, आपके घर की शांत जगहों में से एक के रूप में स्पेस को बनाए रखने के लिए मिट्टी जैसे रंग अच्छी तरह से काम करते हैं. गहरे रंग न केवल नकारात्मक ऊर्जा को आने देते हैं बल्कि बाथरूम की तरह एक कॉम्पैक्ट स्पेस भी बनाते हैं जो उससे छोटा और अधिक तंग दिखता है.

 

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बाथरूम के साथ की दीवार के लिए टिप्स

वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के मुताबिक, सोने वाला बेड कभी भी बाथरूम या टॉयलेट के पास नहीं होना चाहिए. सुनिश्चित करें कि बाथरूम की दीवार बेडरूम, किचन या पूजा घर से सटी न हो.

हालांकि, अगर आपका घर छोटा है और दीवार साझा करने से बचने का कोई तरीका नहीं है, तो आप अपने बिस्तर की स्थिति को इस तरह बदल सकते हैं कि यह बाथरूम की दीवार की ओर झुकता नहीं हो. नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए यह आपका सबसे अच्छा दांव होगा.

 

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बाथरूम ड्रेनेज के लिए वास्तु टिप्स

वाटर आउटलेट्स या ड्रेनेज नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ ईस्ट में होना चाहिए. बाथरूम का ढलान भी इसी दिशा में होना चाहिए. बाथरूम में पानी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप शौचालय के फर्श को इस तरीके से डिजाइन करें कि उसका ढलान उत्तर या पूर्व दिशा में हो।

 

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बाथरूम के फर्श के लिए वास्तु

वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम का फर्श कभी भी बेडरूम और अन्य कमरों की ऊँचाई के बराबर होना नहीं चाहिए।  बाथरूम का फर्श जमीन से कम से कम एक फ़ुट ऊंचा होना चाहिए। वास्तु के अनुसार बाथरूम के फर्श पर संमरमर उपयोग नहीं करना चाहिए। बाथरूम में टाइलें लगा सकते हैं लेकिन काले या लाल रंग के टायलें से बचें।

 

बाथरूम ओवरहेड पानी की टंकी के लिए वास्तु

जिन शहरों में पानी की कमी है वहां ज्यादातर घरों में आजकल एक ओवरहेड पानी की टंकी स्थापित होती है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम का कोना सबसे भारी होना चाहिए इसलिए ओवरहेड टैंक को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए । टैंक को दक्षिण-पश्चिम के दक्षिण या पश्चिम में और यहां तक ​​कि पश्चिम में भी थोड़ा रखा जा सकता है। इससे वित्तीय कल्याण हो सकता है। वास्तु के अनुसार ओवरहेड टंकी को कभी भी ईशान कोण या दक्षिण-पूर्व कोने में न रखें।

 

अटैच और अलग बाथरूम के लिए वास्तु

वास्तु के मुताबिक टॉयलेट्स और बाथरूम अटैच नहीं होने चाहिए. लेकिन जगह की कमी के कारण शहरी घरों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसलिए अटैच बाथरूम काफी पॉपुलर हैं और हर जगह इस्तेमाल किए जाते हैं.

एक कमरे की उत्तर-पश्चिम दिशा अटैच टॉयलेट के लिए सबसे मुफीद है. अटैच्ड बाथरूम के लिए टॉयलेट के अंदर पूर्व, पश्चिम या उत्तर की दीवार पर एक छोटी सी खिड़की बनाई जा सकती है.

टॉयलेट सीट की डिजाइन के लिए वास्तु नियमों और वास्तु की अनुशंसित दिशाओं को याद रखें।

इसके अलावा, आधुनिक घर में अटैच्ड बाथरूम का निर्माण करते समय सुनिश्चित करें कि बाथरूम और टॉयलेट कमरे के जमीनी स्तर से ऊपर है। वास्तु के अनुसार, अटैच्ड बाथरूम कमरे के बराबर जमीनी स्तर पर नहीं होना चाहिए।

शौचालय के फ्लश की पोजीशन 

अटैच्ड टॉयलेट के लिए वास्तु के अनुसार, फ्लश टॉयलेट या कमोड ऐसी जगह होनी चाहिए कि व्यक्ति पूरब या पश्चिम को छोड़कर किसी भी अन्य दिशा का सामना करे। इसलिए शौचालय को दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके डिजाइन करें। अटैच्ड टॉयलेट को उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में नहीं बनाएं क्योंकि ये अशुभ माना जाता है।

 

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लैट्रिन बाथरूम का नक्शा: आपके घर में बाथरूम और टॉयलेट्स के लिए बेस्ट लोकेशन

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ये भी पढ़ें: बड़े और छोटे घरों के लिए बाथरूम के डिजाइन आइडिया

 

वास्तु नियम: बाथरूम में वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय किस दिशा में होना चाहिए?

कमोड या वाटर क्लोसेट की जगह

यह पूजा घर के नीचे या ऊपर नहीं होना चाहिए. यह उत्तर-दक्षिण अक्ष के साथ श्रेणीबद्ध होना चाहिए. कमोड को पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार, आपको इस क्षेत्र को इस प्रकार डिजाइन करना चाहिए कि टॉयलेट सीट के सिर के ऊपर पानी की टंकी को छोड़कर और कुछ भी न हो। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही है और इससे हवा का प्रवाह आसानी से हो पाता है।

क्या उत्तर पूर्वी दिशा में बाथरूम बना सकते हैं

उत्तर पूर्वी, बीच और दक्षिण-पच्छिम दिशा मैं बाथरूम बनाने से बचें. वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर पूर्व दिशा पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है. अटैच टॉयलेट बाथरूम के साथ नहीं होना चाहिए. इसे किचन या पुजा घर के पास भी नहीं बनाना चाहिए.

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय: क्या हम उत्तर दिशा में शौचालय बना सकते हैं?

नहीं, घर के उत्तर दिशा में कभी भी शौचालय का निर्माण नहीं करना चाहिए। कुबेर की दिशा उत्तर होने के कारण वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में शौचालय का निर्माण पूरे घर को प्रभावित कर सकता है। इसका असर घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।

सेप्टिक टैंक की प्लेसमेंट

टॉयलेट के दक्षिण की ओर सेप्टिक टैंक नहीं होना चाहिए. इसके लिए घर के पश्चिमी हिस्से में जगह मुफीद है. टैंक इमारत के फर्श के स्तर से ऊंचा होना चाहिए.

अटैच टॉयलेट की प्लेसमेंट

अटैच टॉयलेट साउथ ईस्ट या साउथ वेस्ट दिशा में नहीं होनी चाहिए. इसका निर्माण दक्षिण दिशा में किया जा सकता है।

वाटर स्टोरेज और नालों की प्लेसमेंट

दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में नल न लगाएं। साथ ही इस दिशा में पानी जमा न करें। नल लगाने और पानी जमा करने के लिए पूर्व, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा उपयुक्त हैं।

ये भी देखें: अपने बाथरूम को स्पा सेंक्चुरी में बदलें

अगर आप बाथरूम और टॉयलेट स्पेस के कंस्ट्रक्शन के नियमों को ध्यान में रखेंगे तो आप समझ पाएंगे कि वास्तु शास्त्र सिर्फ घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए ही नहीं है बल्कि इन नियमों के जरिए आपका घर हमेशा हायजिनिक और उपयोगी रहेगा.

 

वास्तु और टॉयलेट कंस्ट्रक्शन के चरण

जब आप निर्माण शुरू करते हैं, तो वास्तु तत्वों को शामिल करना बेहतर होता है. पजेशन के लिए तैयार घर में व्यवस्थित अलमारियों और वाशबेसिन, बाथटब, आदि की दिशा में पहले से ही तय किए गए परिवर्तनों में बदलाव करना मुश्किल हो सकता है. इसमें सेटिंग करने के बाद नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है.

 

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बाथरूम, शौचालय के गलत स्थान का प्रभाव

दिशाप्रभावउत्तरव्यापार वृद्धि और पैसों की किल्लत. इसे आने वाले अवसरों में रुकावट कहा जाता है.नॉर्थ-ईस्टपरिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैंपूर्वपाचन तंत्र और लिवर को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं. आप समाज से भी कट सकते हैंसाउथ-ईस्टविवाह या संतान के साथ-साथ आर्थिक समस्या हो सकती है.साउथकानूनी पचड़े या फिर बिजनेस में मानहानि.साउथ-वेस्टरिलेशनशिप, हेल्थ या करियर को लेकर समस्याएं आ सकती हैं.वेस्टप्रॉपर्टी से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. सपने और मिशन पूरे नहीं हो पाएंगे.उत्तर पश्चिमसंपत्ति बेचना मुश्किल हो सकता है. हो सकता है कि किसी को उनके आसपास के लोगों का समर्थन न मिले.

यह भी देखें: बिना कोई ढांचागत बदलाव किए घर के वास्तु में सुधार कैसे करें?

 

वास्तु दोष के उपाय: बाथरूम से नकारात्मक ऊर्जा कैसे हटाएं?

  • वास्तु शास्त्र कहता है कि ग्लास और नमक दोनों ही राहु के कारक हैं. आप स्नान और शौचालय की जगह में नमक से भरा ग्लास कप रख सकते हैं. इसे वास्तु दोषों को दूर करने वाला कहा जाता है.
  • अरोमाथेरेपी के अनुसार, शौचालय  में लेमनग्रास तेल की कुछ बूंदें डालकर आप बाथरूम को तरो-ताजा कर सकते हैं. इस एरिया को साफ और स्वच्छ रखें.
  • बाथरूम में चीजें स्टोर करने से आपके स्वास्थ्य में फर्क पड़ सकता है. इसलिए नकारात्मक ऊर्जा दूर रखने के लिए अपने स्टोर चीजों का ध्यान रखें जैसे कि कॉस्मेटि,  टॉयलेटरीज़ इत्यादि. जिन चीजों की डेट एक्सपायरी हो चुकी है उन्हें बाथरूम से हटा दें. बाथरूम में पुराने टूथब्रश और खाली लोशन एवं परफ्यूम बॉटल ना रखे. बाथरूम को साफ रखें.
  • टूटे हुए डिस्पेंसर, टॉयलेट रोल होल्डर्स इत्यादि को बदल दें. खराब टॉवल को नए साफ टॉवल से रोजाना बदले.
  • बाथरूम के दरवाजे के बाहर शीशा लगाना वास्तु दोषों से छुटकारा पाने का एक शानदार तरीका है. हालांकि, सुनिश्चित करें कि यह बेडरूम या मेन डोर को दर्शाता हो.
  • बाथरूम की फिटिंग को सिंपल रखें. हालांकि चांदी, स्टेनलेस स्टील और सिरेमिक ठीक हैं.सोने की फिटिंग को प्रतीकात्मक रूप से न चुनें, यह बाथरूम की सेटिंग के मुताबिक नहीं है.
  • टॉयलेट की टंकी और बाथरूम के एरिया को विभाजित करने वाला एक दरवाजा होना चाहिए. अगर यह संभव न हो तो हौज का ढक्कन हमेशा नीचे रखें और दरवाजा बंद रखें.
  • बाथरूम के दरवाजे पर सजावटी या धार्मिक मूर्तियां न रखें. ऊर्जा के सामंजस्यपूर्ण प्रवाह के लिए, सुनिश्चित करें कि बाथरूम साफ हो और किसी भी तरह की गंदगी नहीं है. इसके अलावा उसमें दाग, नमी या फंगस न हो.
  • शांतिपूर्ण ऊर्जा के लिए बाथरूम को हमेशा साफ, क्लेक्टर फ़्री रखें, और दाग धब्बे, गीलापन और फंगस से दूर रखें.
  • नहाने के वक्त संगीत से सकरात्मक असर पड़ता है. इससे आप रिलैक्स होंगे. वास्तु के अनुसार म्यूजिक सिस्टम को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाए. यह दिशा इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए है.
  • पानी की बाल्टी खाली न रखें। उसे पानी से भरकर रखना चाहिए या उल्टा रखना चाहिए। बाल्टी और मग के लिए नीला रंग चुनें जो बाथरूम में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सके।

 

बाथरूम में पानी की लीकेज और वास्तु

वास्तु के मुताबिक, अगर बंद होने के बाद भी बाथरूम  के नल, जेट या शॉवर से लगातार पानी गिरता है तो यह अशुभ माना जाता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है. पानी की बर्बादी अच्छी नहीं मानी जाती है. जिस भी नल से पानी टपकता है उसे तुरंत रिपेयर कराया जाना चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ खर्चा बढ़ता है बल्कि पैसों का भी नुकसान होता है.

 

घर के ऑफिस  में बाथरूम के लिए वास्तु

वास्तु के अनुसार ऑफिस में शौचालय के लिए सबसे अच्छी जगह उत्तर-पश्चिम या पश्चिम है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस के ब्रह्मस्थान केंद्र या भवन के उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय का निर्माण ना करें । उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम कोनों से बचें । यदि शौचालय किसी केबिन से अटैच है तो वह उस केबिन के उत्तर-पूर्व में नहीं होना चाहिए। बाथरूम में कमोड कमरे के पश्चिम या उत्तर-पश्चिम की ओर होना चाहिए ताकि उस पर बैठने पर व्यक्ति का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर हो। शौचालयों को साफ और दुर्गंध से मुक्त रखें। ऑफिस में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए दैनिक पानी में नमक मिलाकर ऑफिस के फर्श को पोंछें। नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने  का यह अच्छा उपाय है। 

 

बाथरूम की रोशनी के लिए वास्तु

वास्तु के अनुसार बाथरूम में रोशनी एक शांत माहौल बनाता है। यह कमरा अंधेरा और धुंधला नहीं होना चाहिए और इसमें पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। यदि बाथरूम में खिड़कियां नहीं हैं। प्राकृतिक धूप का अनुकरण करने के लिए और स्वस्थ ऊर्जा को बढ़ाने के लिए ओवरहेड लाइटिंग फिक्स्चर में बल्ब का उपयोग करें। छोटे से बाथरूम में सामान्य प्रकाश व्यवस्था जरूरी है। ऐसी स्थिति में एक सेंट्रल सीलिंग लाइट पर्याप्त होता है । बड़े स्नानघरों के लिए जिनमें स्नान और शौचालय के खंड हैं उसमें सभी कोनों में पर्याप्त रोशनी के लिए ओवरहेड लाइटिंग का इस्तेमाल करें। एक बाथरूम में सबसे महत्वपूर्ण प्रकाश दर्पण के चारों ओर है । इस क्षेत्र में प्रकाश विसरित होना चाहिए और कोई चकाचौंध या छाया नहीं होनी चाहिए। छोटी सी नाइट लाइट से बाथरूम की ऊर्जा को सुधारा जा सकता है। 

यह भी देखें: बाथरूम फॉल्स सीलिंग के लिए डिजाइन आईडिया

 

बाथरूम में पौधों के लिए वास्तु टिप्स

बाथरूम में हरियाली नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेती है. इसके अलावा हरे पौधे मूड भी फ्रेश कर देते हैं. बाथरूम वो जगह है, जहां आप खुद की देखभाल करते हैं और पौधे उस जगह को आरामदायक बनाने में मदद करते हैं. अगर बाथरूम में अतिरिक्त जगह है तो सजावट में हरे रंग का इस्तेमाल किया जा सकता है. बाथरूम के लिए मनी प्लांट सबसे अच्छा है क्योंकि यह गर्म और नमी वाली परिस्थितियों को झेल सकता है. इसके अलावा आप स्नेक प्लांट, जेडजेड प्लांट, एलोवेरा और स्पाइडर प्लांट भी बाथरूम में रख सकते हैं. ऐसे पौधों को चुनें तो ज्यादा नमी में रह सकें और नम हवा को सहन कर सकें. बाथरूम में खिड़की होनी बहुत जरूरी है ताकि बाहर की प्राकृतिक रोशनी आती रहे. या फिर आप पौधों को बाथरूम से अंदर-बाहर करते रहें ताकि उन्हें हफ्ते में थोड़ी बार सूर्य की रोशनी मिल सके.

 

बाथरूम के सजावट के लिए वास्तु टिप्स

बाथरूम में ये फैमिली फोटोज, बुद्धा की मुर्ति, कचछवा और हाथी के फोटो लगाने से बचें. आप फूल, पेड़, मैदान इत्यादि की तस्वीरें लगा सकते हैं. झरना नदी और मछली के तस्वीरें न लगाएं. टॉयलेट बॉल में प्रॉस्पेरिटी पेंटिंग न लगाएं. बाथरूम एल ज्यादा मोमबत्ती रखने से परहेज करें जो कि मोमबत्ती आग है और बाथरूम पानी है. बाथरूम में लाल और नारंगी रंग के डेकोरेटिव आइटम्स न रखें. आप सी सेल्स का इस्तेमाल बाथरूम में सजावट के लिए कर सकते हैं. बाथरूम के शीशे में कोई ग्लैर नहीं होना चाहिए जब आप डेकोरेटिव आइटम्स में लगाएं. वास्तु के अनुसार बाथरूम में हरा रंग प्राकृतिक है लुक देता है-उदाहरणण के तौर पर ग्रीन नैपकिन, टॉवल, मैट, पर्दे इत्यादि.

 

क्या वास्तु के अनुसार सीढ़ी के नीचे बाथरूम बनाया जा सकता है?

वास्तु के अनुसार यह याद रखें की सीढ़ी के नीचे क स्पेस स्टोरेज के लिए रखें. याद रखें कि सीडी के नीचे कभी भी बाथरूम ना बनाएं.

 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

वास्तु के मुताबिक बाथरूम किस जगह होना चाहिए?

वास्तु के मुताबिक घर में नॉर्थ या नॉर्थ वेस्ट में बाथरूम होना चाहिए.

वास्तु के मुताबिक बाथरूम का रंग क्या होना चाहिए?

वास्तु के मुताबिक, बाथरूम में गहरे रंग न कराएं. हल्के रंग जैसे बेज या क्रीम बाथरूम के लिए सबसे बेहतर हैं.

वास्तु के अनुसार बाथरूम के बकेट का रंग क्या होना चाहिए?

वास्तु के अनुसार बाथरूम के बकेट का रंग ब्लू होना चाहिए क्योंकि उससे सौभाग्य प्राप्त होता है. बकेट को हमेशा पानी से भरा रखें.

वास्तु के अनुसार अटैच्ड बाथरूम और शौचालय के लिए आदर्श दिशा कौन सी है?

बाथरूम डिजाइन करने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा उपयुक्त है क्योंकि यह दिशा कूड़ा और नकारात्मक ऊर्जाओं को मिटाने के लिए अनुकूल है।

उत्तर दिशा में टॉयलेट हो तो क्या करें?

अगर उत्तर दिशा में टॉयलेट बना हुआ है तो ऐसे में आप उसे यूज करना बंद करें या फिर उसे शिफ्ट करें. घर की भारी चीज़ें जैसे किताबें कभी उत्तरी दिशा में नहीं रखनी चाहिए.

क्या शौचालय उत्तर पूर्व दिशा में हो सकता है?

शौचालय बाथरूम के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पूर्वी दिशा में बनवाएं। हालांकि ये केवल विकल्प हैं, ऊपर बतायी गई सही दिशा का उपयोग करना हमेशा बेहतर होगा।

घर में शौचालय कहाँ नहीं होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय हमेशा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए।.
शौचालय का गटर आपके घर के पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए।.
दक्षिण दिशा के अलावा शौचालय की खिड़कियाँ और दरवाजा किसी भी दिशा में हो सकते हैं.

शौचालय का मुंह कौनसी दिशा में होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र की मानें तो घर में शौचालय का निर्माण दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य में करवाना चाहिए। इसके साथ ही शौचालय के पानी का बहाव उत्तर एवं पूर्ण दिशा में होना चाहिए। एग्जास्ट फैन की दिशा भी उत्तर-पूर्व होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शौच करते समय व्यक्ति का मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए