मणिपुर में कर्तन दहन कृषि को क्या कहते हैं? - manipur mein kartan dahan krshi ko kya kahate hain?

Solution :  कर्त्तन और दहन प्रणाली के अंतर्गत किसान जमीन के टुकड़े को साफ करके कुछ वर्ष के लिए उस पर फसलें उगाता है और फिर दूसरे टुकड़े को ढूंढ लेता है । <br> कर्त्तन तथा दहन प्रणाली के स्थानीय नाम - <br> (i) झूम - असम , मेघालय, मिजोरम तथा नागालैंड | <br> (ii) पामलू - मणिपुर। <br> (iii) दीपा - छत्तीसगढ़ एवं अंडमान और निकोबार।

Solution : कर्तन दहन प्रणाली के अंतर्गत किसान जमीन के टुकड़े को साफ करके कुछ वर्ष के लिए उस पर फसलें उगाता है और फिर दूसरे टुकड़े को ढूंढ लेता है। कर्तन दहन प्रणाली के स्थानीय नाम(i) झूम-असम, मेघालय, मिजोरम तथा नागालैंड । (ii) पामलू-मणिपुर । (iii) दीपा-छत्तीसगढ़ तथा अंडमान और निकोबार ।

इसे सुनेंरोकें(ii) पामलू – मणिपुर।

इंडोनेशिया में कर्तन दहन प्रणाली को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंNotes: लदांग कृषि इंडोनेशिया की एक विशेष झूम कृषि होती है इसके अंतर्गत वृक्ष काट दिए जाते हैं, उनका जड़ें छोड़ दी जाती हैं और शुष्क ऋतु में संपूर्ण वनस्पति जला दी जाती है। इसमें औजारों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

स्थानांतरणशील कृषि को कर्तन एवं दहन कृषि क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंजिस प्रकार की खेती से केवल इतनी उपज होती हो कि उससे परिवार का पेट भर सके तो उसे प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस प्रकार की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। इसमें आदिम औजार और परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है। इसे ‘कर्तन दहन खेती’ भी कहा जाता है।

कर्तन दहन कृषि का प्रकार कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंइसे ‘कर्तन दहन खेती’ भी कहते हैं। इसके लिए जमीन के किसी टुकड़े की वनस्पति को पहले काटा जाता है और फिर उन्हें जला दिया जाता है। उससे मिलने वाली राख को मिट्टी में मिला दिया जाता है और फिर उस पर फसल उगाई जाती है। इस तरह की खेती से बस इतनी उपज हो जाती है जिससे परिवार का पेट भर सके।

कर्तन एवं दहन कृषि को मैक्सिकों में क्या कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंकर्तन एवं दहन कृषि को मेक्सिको में “मिल्पा” कहा जाता है​। यह खेती मुख्यतः मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर होती है।

अंडमान निकोबार में कर्तन दहन कृषि को क्या कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि को कर्तन दहन खेती भी कहते हैं। ऐसा करने के लिये सबसे पहले जमीन के किसी टुकड़े की वनस्पति को काटा जाता और फिर उसे जला दिया जाता है। वनस्पति के जलाने से राख बनती है उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है। उसके बाद फसल उगाई जाती है।

कर्तन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंस्पष्टीकरण: कर्तन तरल पदार्थ एक प्रकार का शीतलक और स्नेहक है जो विशेष रूप से धातुकर्म प्रक्रियाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है, जैसे कि मशीनिंग और मुद्रांकन। विभिन्न प्रकार के कर्तन तरल पदार्थ वे हैं, जिनमें तेल, तेल-पानी के पायस, पेस्ट, जैल, एरोसाॅल (मिस्ट), और वायु या अन्य गैसें शामिल हैं।

कृषि

भारत में कृषि के प्रकार

  • प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि
  • गहन जीविका कृषि
  • वाणिज्यिक कृषि
  • रोपण कृषि

प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि: इस तरह की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर होती है। इस तरह की खेती में आदिम औजार और परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल किया जाता है। यह खेती मुख्य रूप से मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर करती है। किसी विशेष स्थान की जलवायु को देखते हुए ही किसी फसल का चुनाव किया जाता है।

इसे ‘कर्तन दहन खेती’ भी कहते हैं। इसके लिए जमीन के किसी टुकड़े की वनस्पति को पहले काटा जाता है और फिर उन्हें जला दिया जाता है। उससे मिलने वाली राख को मिट्टी में मिला दिया जाता है और फिर उस पर फसल उगाई जाती है।

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इस तरह की खेती से बस इतनी उपज हो जाती है जिससे परिवार का पेट भर सके। दो चार बार खेती करने के बाद उस जमीन को परती छोड़ दिया जाता है और फिर एक नई जमीन को खेती के लिए तैयार किया जाता है। इससे पहले वाली जमीन को इतना समय मिल जाता है कि प्राकृतिक तरीके से उसकी उर्वरता वापस लौट जाए।

कर्तन दहन खेती के विभिन्न नाम:

नामक्षेत्र
झूम असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड
पामलू मणिपुर
दीपा बस्तर, अंदमान और निकोबार द्वीप समूह
बेवर या दहिया मध्य प्रदेश
पोडु या पेंडा आंध्र प्रदेश
पामा दाबी या कोमन या बरीगाँ उड़ीसा
कुमारा पश्चिमी घाट
वालरे या वाल्टरे दक्षिण पूर्व राजस्थान
खी हिमालय
कुरुवा झारखंड
मिल्पा मेक्सिको और मध्य अमेरिका
कोनुको वेनेजुएला
रोका ब्राजील
मसोले मध्य अफ्रिका
रे वियतनाम

गहन जीविका कृषि:

इस तरह की खेती सघन आबादी वाले क्षेत्रों में होती है। इस खेती में जैव-रासायनिक निवेशों और सिंचाई का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार की खेती पर जनसंख्या का भारी दबाव रहता है।

गहन जीविका कृषि की समस्याएँ: पीढ़ी दर पीढ़ी जमीन के बँटवारे से जमीन का आकार छोटा होता चला जाता है। इसके कारण कृषि से मिलने वाली पैदावार लाभप्रद नहीं रह पाती है। ऐसी स्थिति में बड़े पैमाने पर खेती करना संभव नहीं हो पाता है। इसके परिणामस्वरूप किसानों को रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता है।

वाणिज्यिक कृषि:

इस प्रकार की खेती का मुख्य उद्देश्य है पैदावार की बिक्री करना। इस तरह की खेती में खेती के आधुनिक साजो सामान लगते हैं, जैसे कि अधिक पैदावार देने वाले बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और खरपतवारनाशक। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक खेती होती है। कुछ अन्य राज्यों में भी इस प्रकार की खेती होती है, जैसे कि बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, आदि।

रोपण कृषि: इस प्रकार की खेती में, किसी एक फसल को एक बड़े क्षेत्र में उपजाया जाता है। रोपण कृषि में बड़ी पूंजी और बहुत सारे कामगारों की आवश्यकता होती है। रोपण कृषि के ज्यादातर उत्पाद उद्योग में इस्तेमाल होते हैं। चाय, कॉफी, रबर, गन्ना, केला, आदि रोपण कृषि के महत्वपूर्ण फसल हैं। चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम और उत्तरी बंगाल के चाय बागानों में होता है। कॉफी की उत्पादन तमिल नाडु में और केलों का उत्पादन बिहार और महाराष्ट्र में होता है। रोपण कृषि के लिए यातायात और संचार के विकसित माध्यमों की और अच्छे बाजार की जरूरत होती है।


शस्य प्रारूप (CROPPING PATTERN)

भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं; रबी, खरीफ और जायद।

रबी: रबी की फसल को जाड़े की फसल भी कहा जाता है। इनकी बुआई अक्तूबर से दिसंबर के बीच होती है और कटाई अप्रिल से जून के बीच होती है। रबी के मुख्य फसल हैं गेहूँ, बार्ली, मटर, चना और सरसों। रबी की फसल के मुख्य उत्पादक हैं पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश।

खरीफ: खरीफ की फसल को गरमी की फसल भी कहा जाता है। इनकी बुआई मानसून के शुरुआत में होती है और कटाई सिंतबर अक्तूबर में होती है। खरीफ की मुख्य फसलें हैं धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुअर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली और सोयाबीन। धान के मुख्य उत्पादक राज्य हैं असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा के तटवर्ती इलाके, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार। असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में एक साल में धान की तीन फसलें उगाई जाती हैं। इन्हें ऑस, अमन और बोरो कहते हैं।

जायद: जायद का मौसम रबी और खरीफ के बीच आता है। इस मौसम में तरबूज, खरबूजा, खीरा, सब्जियाँ और चारे वाली फसलें उगाई जाती हैं। गन्ने को भी इसी मौसम में लगाया जाता है लेकिन उसे पूरी तरह से बढ़ने में एक साल लग जाता है।

Krishi Pani ko banjir mein kya kaha jata hai jo rok Karuna milaap answer Hindi mein

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मणिपुर में कर्तन दहन कृषि को क्या कहा जाता है?

Detailed Solution. सही उत्तर मणिपुर है। झूम खेती जिसे स्लेश एंड बर्न(कर्तन एवं दहन) कृषि भी कहा जाता है, फसल उगाने वाली कृषि गतिविधि का एक रूप है। पूर्वोत्तर राज्यों में, कृषि मुख्य रूप से झूम खेती पर आधारित है।

इंडोनेशिया में कर्तन दहन प्रणाली को क्या कहते हैं?

Notes: लदांग कृषि इंडोनेशिया की एक विशेष झूम कृषि होती है इसके अंतर्गत वृक्ष काट दिए जाते हैं, उनका जड़ें छोड़ दी जाती हैं और शुष्क ऋतु में संपूर्ण वनस्पति जला दी जाती है। इसमें औजारों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

कर्तन एवं दहन कृषि का दूसरा नाम क्या है?

कर्तन और दहन कृषि का दूसरा नाम क्या है? स्थानान्तरी कृषि

भारत में उत्तरी पूर्वी राज्यों में कर्तन दहन कृषि को क्या कहा जाता है?

यह मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में प्रचलित है, जिसमें असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड आदि शामिल हैं। खेती के इस तरीके को "झूम खेती" के नाम से भी जाना जाता है। इसे कर्तन- दहन कृषि भी कहा जाता है। यह एक स्थानांतरण खेती प्रणाली है।