नवजात शिशु के पेट में दर्द हो तो क्या करें - navajaat shishu ke pet mein dard ho to kya karen

हम जानते हैं कि एक माँ के रूप में अपने बच्चे को लगातार रोते हुए देखना हमेशा परेशान करता है। लाचारी की यह परिस्थिति सबसे बुरी होती है, क्योंकि आपको पता नहीं होता कि उसके दर्द को कैसे कम किया जाए या यह पता ही नहीं चल पाता कि वह रो क्यों रहा है। कई मामलों में, इसका कारण पेट की गड़बड़ी हो सकता है।

शिशुओं में पेट दर्द एक आम समस्या है। उनका पाचन तंत्र अभी भी ठोस / तरल भोजन की आदत बना रहा है, इसलिए वे अक्सर गैस, रिफ्लक्स, एसिडिटी, दस्त, उल्टी, और कब्ज आदि से पीड़ित हो सकते हैं।पेट का दर्द वयस्कों के लिए स्वास्थ्य की एक छोटी सी समस्या है, पर छोटे बच्चे के लिए यह काफी असुविधा का कारण बन सकता है और इसलिए, इसकी पर्याप्त देखभाल की जानी चाहिए।

शिशुओं में पेट दर्द के सामान्य कारण

नवजात शिशु के पेट में दर्द हो तो क्या करें - navajaat shishu ke pet mein dard ho to kya karen

पेट दर्द के कई कारण हो सकते हैं। कुछ शिशुओं को हल्का पेट दर्द हल्के होता है और यह बिना किसी उपचार के ठीक हो सकता है, जबकि कुछ को चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है।

1. गैस

लगभग हर शिशु को कभी न कभी गैस के कारण पेट में दर्द होता है, चाहे उसे स्तनपान कराया जाता हो या बोतल से दूध पिलाया जाता हो। यह विशेष रूप से 1 से 4 महीने की आयु के शिशुओं को उनके अविकसित पाचन तंत्र के कारण होता है ।

2. गलत तरह से दूध पिलाना

यदि शिशु ने माँ के स्तन या दूध की बोतल को गलत तरीके से मुँह में पकड़ा हो, तो वह दूध के साथ बहुत अधिक हवा निगल सकता है। जिसके कारण उसे बाद में असुविधा और पेट दर्द होता है।

3. अधिक आहार देना

यदि आप अपने बच्चे को बहुत अधिक भोजन खिलाती हैं, तो यह स्वास्थ्य संबंधी अनेक परेशानियां दे सकता है, जैसे पाचन तंत्र का बिगड़ना, पेट फूलने और पेट पर दबाव के कारण दर्द, और उल्टी।

4. कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता

कुछ शिशुओं को फार्मूला दूध या कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थों के अवयवों से एलर्जी हो सकती है। इनका सेवन करने से या माँ के दूध के माध्यम से शिशुओं के पेट में ये अवयव पहुँचने पर इस तरह की एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है।

5. लैक्टोज की अधिकता

यह तब होता है, जब आपके शिशु को बहुत अधिक दूध मिलता है (दूध पिलाने की शुरुआत में) जो लैक्टोज से भरपूर लेकिन वसा में कम होता है। इससे लैक्टोज ठीक से पच नहीं पाता है और चूंकि प्रक्रिया को धीमा करने के लिए पर्याप्त वसा नहीं होता है इसलिए अत्यधिक गैस बनती है ।

6. अविकसित पाचन तंत्र

जैसे कि हमने ऊपर चर्चा की, शिशुओं के पाचन तंत्र भोजन, गैस और मल को संसाधित करने के लिए पर्याप्त विकसित नहीं होते। उनके माइक्रोफ्लोरा (पेट के अंदर रहने वाले अद्वितीय सूक्ष्मजीव), जो पाचन प्रक्रिया में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, अभी तक बने नहीं हैं। यह भी आपके शिशु के पेट में गैस का एक कारण हो सकता है।

7. गैस पैदा करने वाली सब्जियां

अगर माँ फूलगोभी, बीन्स, प्याज और पत्तागोभी जैसी सब्जियों का सेवन करे तो स्तनपान करने वाले शिशुओं में भी गैस की समस्या हो सकती है। यदि आप ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कर रही हैं, तो अच्छा होगा कि आप उनमें कमी करके यह देखें कि क्या इससे बच्चे पर कोई फर्क पड़ता है।

8. कब्ज

बच्चे के आहार में परिवर्तन, भोजन की आदतों या पानी की मात्रा में कमी के कारण मल सूखा और कठोर हो सकता है। इससे कब्ज के कारण पेट में दर्द हो सकता है।

9. रिफ्लक्स

एक और तीन महीने की उम्र के बीच के शिशु आम तौर पर खिलाने के तुरंत बाद उन्होंने जो भी खाया है, उसका थोड़ा सा हिस्सा बाहर निकाल देते हैं। इसका कारण शिशु की भोजन नली और पेट के बीच के वाल्व का पूरी तरह से विकसित न होना होता है। कभी-कभी ‘लार’ भी मुंह से वापस गले में चली जाती है, जिसके कारण बाद में पेट में दर्द होता है।

10. उदरशूल (कॉलिक)

यदि बच्चे की आंतों में कोई रुकावट है, या अत्यधिक हवा है, तो इस कारण पेट में दर्द हो सकता है।

शिशुओं में पेट दर्द से राहत के लिए सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपचार

नवजात शिशु के पेट में दर्द हो तो क्या करें - navajaat shishu ke pet mein dard ho to kya karen

ऐसे कई प्राकृतिक उपचार हैं, जिन्हें आप अपने बच्चे के पेट को शांत करने के लिए उपयोग कर सकती हैं, लेकिन धैर्य रखना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। घबराइए मत क्योंकि आपके शिशु को सबसे ज्यादा जरूरत आपकी मदद की है!

सबसे अच्छा होगा कि कुछ समय के लिए प्रतीक्षा करें, बच्चे का निरीक्षण करें और स्थिति की गंभीरता का फैसला करें। आमतौर पर, पेट में दर्द समय के साथ कम हो जाता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो कुछ प्राकृतिक उपचार हैं, जो आप बच्चे को पेट दर्द से आराम देने के लिए प्रयोग कर सकती हैं।

1. कैमोमाइल चाय

अपने बच्चे को थोड़ी गर्म कैमोमाइल चाय (एक कप पानी प्रति टीबैग) दें। डॉक्टरों का कहना है कि, कैमोमाइल के एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पेट के दर्द को कम करने में मदद करेंगे, क्योंकि यह पाचन तंत्र के ऊपरी भाग की मांसपेशियों को ढीला करता है, संकुचन से राहत देता है और पेट में ऐंठन को कम करता है।

2. गर्म सिकाई

पेट में दर्द को कम करने का एक और तरीका है कि आप दर्द के कारण रोते हुए अपने बच्चे के पेट पर धीरे से दबाते हुए गर्म सिकाई करें । इस प्रक्रिया को दिन और रात में 2-3 बार दोहराया जा सकता है।

3. दही

यदि बच्चे को दस्त के कारण पेट में दर्द हो रहा है, तो अच्छे बैक्टीरिया मल के माध्यम से कम हो रहे हैं, जो पेट और आंतों में पोषक तत्वों के सेवन को संतुलित करने के लिए आवश्यक होते हैं। दही में वे बैक्टीरिया होते हैं, जो पेट के बैक्टीरिया की क्षतिपूर्ति कर सकते हैं। बच्चे को दही खिलाने से पाचन प्रक्रिया को सामान्य स्थिति में लाने में मदद मिलती है।

4. सरसों के तेल से मालिश

बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और सरसों के तेल से धीरे-धीरे पेट की मालिश करें। इसे बच्चे की नाभि के चारों ओर उल्टी दिशा में घुमाते हुए लगाएं। यह पाचन तंत्र को उत्तेजित करने और बच्चे के पेट में फंसी हुई गैस को हटाने में मदद करेगा। हर दिन बच्चे की मालिश करना काफी महत्वपूर्ण है।

5. डकार दिलाना

बच्चे को हर आहार के बाद पीठ पर धीरे से थपकी देकर डकार दिलवाएं, तब उसका सिर आपके कंधे पर टिका हुआ होना चाहिए। यदि आपका बच्चा आसानी से डकार नहीं लेता है, तो ‘फुटबॉल पकड़’ का प्रयास करें। उसे अपनी बाँह के आगे के भाग में उल्टा करके लिटाएं और उसकी टांगें अपनी कुहनी पर फैला कर रखें। उसकी ठोड़ी को अपने हाथ पर टिकाएं और  पीठ को सहलाते हुए कोमल दबाव डालें। इससे वह अतिरिक्त हवा निकल जानी चाहिए जो फीडिंग के दौरान अंदर चली गई हो।

6. साइकिल चलाना

नवजात शिशु के पेट में दर्द हो तो क्या करें - navajaat shishu ke pet mein dard ho to kya karen

जब आपका शिशु पीठ के बल लेट जाए तो उसकी छोटी- छोटी टांगों को साइकिल चलाने की तरह आगे-पीछे करें। इस तरह पैर घुमाने से उसके पेट से गैस निकलने और दर्द कम होने में मदद मिलेगी।

7. हींग

एक चुटकी हींग लें और इसे गर्म पानी में घोलें। हल्का गुनगुना रखते हुए बच्चे की नाभि के चारों ओर यह पेस्ट लगाएं । यह गैस से राहत देगा और पेट दर्द को कम करेगा।

8. बच्चे को झुलाना

पेट दर्द से रोते हुए अपने बच्चे को झुलाने से अतिरिक्त गैस निकलने में मदद मिल सकती है। चूंकि रोने से वह बस अधिक हवा निगलेगा जिससे और अधिक गैस बनेगी, इसलिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जितनी जल्दी हो सके, बच्चे को चुप कराएं ।

9. फुट रिफ्लेक्सोलॉजी

नवजात शिशु के पेट में दर्द हो तो क्या करें - navajaat shishu ke pet mein dard ho to kya karen

कुछ तकनीकों को पैरों की नसों पर लागू किया जा सकता है, जिससे शरीर के अन्य हिस्सों में आराम आता है। पेट का क्षेत्र बाएं पैर के केंद्रीय वृत्त पर होता है। तो, बच्चे के बाएं पैर को अपने दाहिने हाथ की हथेली पर रखें और उसके पंजे से नीचे के भाग को सहारा देते हुए, अपने अंगूठे से संतुलित दबाव दें। यह बच्चे को आराम पाने और पेट दर्द को कम करने में मदद करेगा।

अन्य घरेलू उपचार भी हैं, जैसे कि अदरक का पानी, सौंफ, पेपरमिंट चाय और शहद, लेकिन ऊपर दिए गए उपाय काफी प्रभावी हैं। इन्हें अनेक माताओं द्वारा आजमाया और परखा गया है। शिशु के लिए हमेशा प्राकृतिक उपचार ही सबसे सही रहता है ताकि उसके छोटे और नाज़ुक तंत्र को किसी बाहरी हानिकारक तत्व से नुकसान न पहुँचे ।

कभी-कभी आपको महसूस हो सकता है कि ऊपर बताये गए सभी उपायों को आजमाने के बाद भी बच्चे को पेट में तकलीफ हो रही है। गैस या पेट दर्द के कारण वह अभी भी रो रहा है और बेचैनी महसूस कर रहा है। ऐसे मामलों में, यदि बच्चे में लगातार निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह बहुत आवश्यक है कि आप बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लें।

  • उसका रोने का तरीका अचानक बदल जाता है और / या वह लगातार ऊंची आवाज में रोता रहता है।
  • उसे बुखार है और बुरी खांसी भी  – बुखार के साथ पेट में दर्द या तो वायरस के कारण हो सकता है या गंभीर मामलों में, निमोनिया का सूचक हो सकता है। यदि आपके बच्चे को बुखार है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।
  • उसे उल्टी होती है या दस्त होते हैं – अगर उल्टी में खून आता है, या अगर वह हरे रंग की है, तो इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • उसके मल या मूत्र में रक्त है –  कब्ज के परिणामस्वरूप बच्चे के मल में कुछ रक्त दिखाई दे सकता है, पर बहुत अधिक रक्त भी अक्सर एक गंभीर संक्रमण या बीमारी का संकेत हो सकता है।
  • उसका वजन कम हो रहा है – यदि आपके बच्चे को अक्सर पेट में दर्द होता है और लगता है कि इस समस्या के कारण उसका वजन कम हो रहा है, तो सुरक्षा की दृष्टि से अधिक जांच की आवश्यकता हो सकती है।

यदि मामला साधारण पेट दर्द से थोड़ा अधिक गंभीर हो तो बाल रोग विशेषज्ञ आपके बच्चे को उचित दवा दे सकते हैं।

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे कम संवेदनशील होते जाते हैं और गैस की समस्या और पेट की अन्य समस्याओं के लिए अधिक इम्यून हो जाते हैं। पेट में दर्द होना पूरी तरह से प्राकृतिक है और ज्यादातर मामलों में बहुत अधिक परेशानी के बिना और सरल घरेलू उपचार की मदद से जल्दी से ठीक हो जाता है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि मदद कब लेनी है। यदि आपका बच्चा चिंताजनक लक्षण प्रदर्शित करता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

1 महीने के बच्चे का पेट दर्द करे तो क्या करें?

नवजात शिशु की नाभि-क्षेत्र से गर्भनाल जब पूरी तरह हट जाती है तब यदि वह पेट दर्द से रो रहा है तब हल्का गर्म करके हींग का लेप किया जा सकता है। इसके लिए एक चम्मच सहने लायक गर्म पानी में पीसी हुई हींग को घोलकर उसका लेप लगाया जा सकता है। इससे अक्सर बच्चों के पेट दर्द में आराम आ जाता है।

नवजात शिशु के पेट में गैस बनने पर क्या करें?

हींग लगाएं- शिशु को पेट में दर्द और गैस की समस्या होने पर हींग का इस्तेमाल करें. ... .
बोतल चेक करें- कई बार हम बच्चे को जल्दी और ज्यादा मात्रा में दूध पिलाने के चक्कर में बोतल का छेद मोटा कर देते हैं. ... .
पेट के बल लिटा दें- अगर बच्चे को पेट में गैस हो रही है तो उसे पेट के बल लिटा दें..

बच्चे के पेट में दर्द होने पर क्या लगाएं?

बच्चों में पेट दर्द के लिए घरेलू उपचार | Home Remedies For Stomach Ache In Kids.
1) अपने बच्चे को हाइड्रेटेड रखें ... .
2) गर्म सेक का प्रयास करें ... .
3) हींग का पेस्ट लगाएं ... .
4) दही और अन्य प्रोबायोटिक खिलाएं ... .
5) हर्बल चाय दे सकते हैं ... .
6) उसे शहद दें ... .
धीरे से उसकी मालिश करें.

छोटे बच्चे का पेट क्यों दुखता है?

आमतौर पर छोटे बच्चों में गैस, चोट, कब्ज और खानपान में एलर्जी के कारण पेट दर्द की समस्या होती है. इस समस्या के लिए डाइजेस्टिव सिस्टम के सतह में सूजन, जलन और गैस्ट्रोएंट्राइटिस रोटोनोवायरस, एडिनोवायरस जैसे बैड इफेक्ट्स जिम्मेदार होते हैं और साथ ही सर्दी जुकाम, फ्लू भी शिशुओं को होने वाली पेट दर्द के कारण बनते हैं.