मोहनजोदड़ो के महान स्नानागार के बारे में आप क्या जानते हैं? - mohanajodado ke mahaan snaanaagaar ke baare mein aap kya jaanate hain?

मोहनजोदेड़ों सभ्यता के नष्ट होने का पहला कारण : ऐसा प्रतीत होता है कि पृथ्वी की संरचना आंतरिकी में हुए बदलाव, भूकंप और जलवायु परिर्वत के चलते जहां सरस्वती भूमिगत हो गई वहीं सिंधु नदी ने अपना मार्ग बदल दिया। पहले सिंधु हिमालय से निकलकर कच्छ की खाड़ी में गिरती थी अब इसका रुख ‍बदलकर अन्य हो गया।

लगभग इसी काल में एक वैश्विक सूखा पड़ा जिसके कारण संसार की सभ्यताएं प्रभावित हुईं और इसका दक्षिण योरप से लेकर भारत तक पर असर हुआ। करीब 2200 ईसा पूर्व में मेसोपोटेमिया की सुमेरियाई सभ्यता पूरी तरह खत्म हो गई। उस समय मिस्र में पुराना साम्राज्य इस जलवायु परिवर्तन के कारण समाप्त हो गया। श्रीमद्भागवत में एक स्थान पर कहा गया है कि श्रीकृष्णजी के भाई बलराम के कारण यमुना ने अपना रास्ता बदल दिया था, जो कि उस समय सरस्वती की एक प्रमुख उपधारा थी।

पर भूकम्पों जैसे बड़े भौगोलिक परिवर्तनों के चलते नदी की दोनों ही बड़ी धाराएं समाप्त हो गईं। इसका एक परिवर्तन यह भी हुआ कि राजस्थान का बहुत बड़ा इलाका बंजर हो गया। अगर आप भारतीय उपमहाद्वीप के नक्शे पर सरस्वती नदी के रास्ते का निर्धारण करना चाहें तो आप समझ सकते हैं कि यह सिंधु नदी के रास्ते पर करीब रही होगी। पुरातत्वविदों का कहना है कि तब भारतीय उपमहाद्वीप में जो सबसे पुरानी सभ्यता थी, उसे केवल सिंधु घाटी की सभ्यता कहना उचित न होगा, क्योंकि यह सिंधु और सरस्वती दोनों के किनारों पर पनपी थीं। डैनिनो जैसे शोधकर्ताओं की खोजों ने इस बात को सत्य सिद्ध किया है। 

जलवायु परिवर्तन ने करीब 4 हजार साल पहले सिन्धु घाटी या हड़प्पा सभ्यता का खात्मा करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी। यह दावा एक नए अध्ययन में किया गया है। नॉर्थ कैरोलिना स्थित एप्पलचियान स्टेट यूनिवर्सिटी में नृविज्ञान (एन्थ्रोपोलॉजी) की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ग्वेन रॉबिन्स शुग ने एक बयान में कहा कि जलवायु, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों, सभी ने शहरीकरण और सभ्यता के खात्मे की प्रक्रिया में भूमिका निभाई, लेकिन इस बारे में बहुत कम ही जानकारी है कि इन बदलावों ने मानव आबादी को किस तरह प्रभावित किया।

अंत में दसवां रहस्य जानकर चौंक जाएंगे आप...

मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार का संक्षिप्त …

मोहनजोदड़ो के महान स्नानागार के बारे में आप क्या जानते हैं? - mohanajodado ke mahaan snaanaagaar ke baare mein aap kya jaanate hain?

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मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?

  • Posted by Aman Singh 3 years, 7 months ago

    • 3 answers

    हड़प्पा निवासियों की आर्थिक गतिविधियों पर प्रकाश डालें

    मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार सार्वजनिक कार्य और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बनाया गया था इसका निचला शत है पक्की ईंटों से बना था इसके उत्तरी तथा दक्षिणी भाग में सीढ़ियां थे इसके किनारे जिप्सम का प्रयोग करके ईटों की सहायता से जल बंद किया गया था इससे एक छोटी सी नाली निकल कर सड़क के नाले से मिलती थी

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    Posted by Mohit Kushwaha 1 week, 5 days ago

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    Posted by Nisha Khan 6 days, 12 hours ago

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    Posted by Mahira Rehman 3 weeks, 5 days ago

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    Posted by Manish Anuragi 1 month, 1 week ago

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    Posted by Manish Anuragi 1 month, 1 week ago

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    Posted by Rahul Kumar 3 weeks, 2 days ago

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    Posted by Ashu Roy 3 weeks ago

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    Posted by Amit Singh 2 weeks, 3 days ago

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    Posted by Priyanshi Priyanshi 1 month ago

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    Posted by Arjun Chauhan 1 month, 2 weeks ago

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    मोहनजोदड़ो के महान स्नानागार की क्या विशेषताएं थी?

    7) महान तथा विशाल स्नानागार:- यह महान तथा विशाल स्नानागार 11.88 मीटर लंबा, 7.1 मीटर चौड़ा और 2.45 मीटर गहरा था। यह स्नानागार चारों ओर से एक गलियारों से गिरा हुआ था। इसके तल तक जाने के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी भाग में चिड़िया का निर्माण किया गया था। इसके बारे में विवाह को रोकने के लिए जिस्म का प्रयोग किया गया होगा।

    मोहनजोदड़ो के बारे में आप क्या जानते हैं?

    मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है " मुर्दों का टीला "। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में स्थित है।

    सैंधव सभ्यता का महान स्नानागार कहाँ से प्राप्त हुआ है?

    सिंधु घाटी सभ्यता में महान स्नानागार कहाँ से प्राप्त हुआ है? Notes: महान स्नानागार मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ है जो 11.88 मी लंबा, 7.01 मी चौड़ा तथा 2.43 मी ऊँचा है

    सिन्धु घाटी सभ्यता में विशाल स्नानागार के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुये?

    विशाल स्नानागार पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के दाहिने तट पर स्थित मोहनजोदड़ो नामक स्थान से प्राप्त हुआ है जहाँ 1922 में खुदाई करवाई गई थी।