मेहनत की लूट का क्या अर्थ है? - mehanat kee loot ka kya arth hai?

मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी, लोभ की मुट्ठी
सबसे ख़तरनाक नहीं होती

बैठे बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी सी चुप्पी में जकड़े जाना बुरा तो है
पर सबसे ख़तरनाक नहीं होती

सबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
ना होना तड़प का
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वो आँखें होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है..
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीज़ों से उठती अन्धेपन कि भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है
जिसमे आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके ज़िस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता


प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं पंजाबी कवि पाश द्वारा रचित ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित है। यह कविता मूल-रूप से पंजाबी में रची गई है। इसका हिन्दी में अनुवाद चमनलाल ने किया है। इस कविता में कवि ने दिनो-दिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विद्रूपताओं के साथ चित्रित किया है। कवि तटस्थ रहने के प्रति अपनी असहमति जताता है।

व्याख्या-कवि व्यंग्यात्मक ढंग से पुलिस की कार्य-प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहता है कि पुलिस की मार खतरनाक तो होती है, पर सबसे अधिक खतरनाक नहीं होती। मेहनत की कमाई का लुट जाना भी इसी श्रेणी में आता है। किसी के साथ गद्दारी करना अथवा लोभवश मुट्ठी गरम करना भी खतरनाक है, पर उतना खतरनाक नहीं जितना अन्य बातें।

इसी प्रकार बिना किसी कारण के पुलिस पकड़ ले जाए तो यह बुरी बात अवश्य है। जब हम सहमकर चुप हो जाते हैं और प्रतिरोध नहीं करते, तब भी बुरा होता है, पर यह स्थिति भी सबसे ज्यादा खतरनाक नहीं होती।

कई अन्य बातें भी बुरी हैं, जैसे- धोखे के शोर-शराबे में सच का गला घोंट देना और चुप रह जाना बुरा है। जुगनू के प्रकाश में पढ़ना भी बुरा है। इसी प्रकार विवशता प्रकट करते हुए अपनी मुट्ठियां भींचकर रह जाना और वक्त को निकालते जाना भी बुरी बात है। यद्यपि ये सब बातें बुरी हैं, पर सबसे अधिक खतरनाक नहीं है। और कई बातें ऐसी हैं जो बहुत ज्यादा खतरनाक हैं। उनसे बचा जाना चाहिए।

विशेष- 1. ‘बैठे बिठाए’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग है।

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मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना- इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगीत है और ये क्यों सबसे खतरनाक हैं?


जब किसी व्यक्ति में मुर्दे जैसी शांति समा जाए अर्थात् वह किसी भी स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर न करे, भले ही वह स्थिति विपरीत ही क्यों न हो। ऐसी तटस्थता निश्चय ही सबसे खतरनाक स्थिति है।

‘हमारे सपनों का मर जाना’ उस स्थिति की ओर संकेत करता है, जिसमें हम अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना को खो बैठते हैं। हम प्रगति के सपने लेने तक छोड़ देते हैं और यथास्थिति को स्वीकार कर लेते हैं। इस स्थिति में संघर्ष का अभाव रहता है। इन दोनों बातों में पर्याप्त संगति है। ये दोनों स्थितियाँ सबसे अधिक खतरनाक हैं।

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कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना?


कवि ने इस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना है, क्योंकि इन क्रियाओं में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, वह पूरी तरह से नष्ट नहीं होती। ये सभी स्थितियाँ खतरनाक होते हुए भी बदली जा सकती हैं, अत: सबसे अधिक खतरनाक नहीं हैं। इनसे भी बहुत अधिक खतरनाक कई अन्य बातें हैं।

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कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ ‘प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए?


कवि ने कई बातों के लिए ‘बुरा तो है’ का प्रयोग किया है। इसमें ‘तो’ शब्द पर बल है। इससे कथन की भंगिमा में यह बदलाव आया है कि यह खतरनाक की श्रेणी में होते हुए भी अन्य सबसे खतरनाक बातों से अलग है। अर्थात् इस ‘तो’ के प्रयोग से बुरेपन की धार कम हो जाती है। इससे तुलनात्मक स्थिति का भी पता चल जाता है।

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Question 1:

कवि के किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना?

Answer:

कवि के अनुसार मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ सबसे अधिक खतरनाक नहीं है। इनको करते समय मनुष्य में प्रतिरोध की क्षमता विद्यमान रहती है। यदि मनुष्य प्रयास करे, तो इन सभी बुरी बातों को सुधार सकता है। अतः जहाँ बदलाव संभव है, उसे सबसे खतरनाक नहीं समझा जा सकता है। उसके अनुसार इससे भी अधिक खतरनाक बातें यहाँ विद्यमान है।

Page No 177:

Question 2:

सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ ?

Answer:

'सबसे खतरनाक' शब्दों को बार-बार दोहराए जाने से कविता तथा इसके कथ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस तरह वह 'खतरनाक' तथा 'सबसे खतरनाक' के मध्य उत्पन्न अंतर को समझ पाते हैं। इस तरह कविता अधिक प्रभावशाली बन जाती है।

Page No 177:

Question 3:

कवि ने कविता में कई बातों को बुरा है  न कहकर बुरा तो है कहा है। तो के प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए।

Answer:

'तो' शब्द ने कथन की भंगिमा में बहुत बदलाव किया है। 'तो' शब्द का प्रयोग करके कवि ने बुरेपन की हद को कम कर दिया है। यह बुरा है और बुरा तो है में तुलना करने में लाभकारी सिद्ध हुआ है।

Page No 177:

Question 4:

मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना – इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक है?

Answer:

मुर्दा शांति से भर जाना ऐसी स्थिति होती है, जब हम किसी भी बात पर मौन धारण कर लेते हैं। तब हम गलत बात पर कुछ नहीं कहते हैं। सब अंधेर अपनी आँखों से होता देखते हैं, जो कि सही नहीं है। इस प्रकार के लोग सही नहीं होते हैं। तभी कवि ने ऐसी स्थिति को खतरनाक माना है। हमारे सपनों का मर जाना यह स्थिति भी खतरनाक है। जब व्यक्ति के सपने मर जाते हैं, तो इसका अभिप्राय है कि जीवन में वह लक्ष्य विहिन हो गया है। जो है, उसी से उसने समझौता कर लिया है। वह संघर्ष के डर से चुप हो जाता है। अतः दोनों ही बातों में संगति है क्योंकि दोनों ही स्थिति जीवन की धारा को रोक देती है।

Page No 177:

Question 5:

सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो/आपकी निगाह में रुकी होती है। इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।

Answer:

इन पंक्तियों मे घड़ी की व्यंजना देकर सबसे खतरनाक समय की ओर संकेत किया गया है। यह खतरनाक समय बढ़ने का नाम नहीं लेता है, बस रुक जाता है। मनुष्य द्वारा अपने सुनहरे भविष्य के लिए प्रयास करने के स्थान पर चुप हो जाने को ही कवि ने रुकी घड़ी कहा है।

Page No 178:

Question 6:

वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के बाद/अपनी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है?

Answer:

जिस व्यक्ति ने किसी हत्याकांड को अंजाम दिया है, वह व्यक्ति हमारी आँखों को तकलीफ देना चाहिए। हमें उसे सबक सिखाने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। ऐसी स्थिति में हम अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह फेर लेते हैं और तटस्थ नीति अपना लेते हैं। हमें वह हत्यारा बुरा नहीं लगता है। जो व्यक्ति ये सब होते हुए देखता रहता है और चुप रहता ऐसे व्यक्तियों को ही कवि ने चाँद की संज्ञा देकर खतरनाक बताया है। उनके कारण ही हत्या करने वाले लोग खुले घुमते हैं और उसे हौसला देते हैं।

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Question 1:

कवि ने मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती से कविता का आरंभ करके फिर इसी से अंत क्यों किया होगा?

Answer:

कवि ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि एक मेहनती व्यक्ति का कितना भी फायदा उठाया जाए, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मेहनत करने वाला व्यक्ति इससे नहीं डरता है। एक स्थान पर नहीं तो दूसरे स्थान पर उसे उसकी मेहनताना का असली हक मिल जाता है। मगर समाज में इससे भी बढ़कर बातें हैं, जो खतरनाक हैं। अतः कवि इस पंक्ति से कविता आरंभ करता है और इसी से अंत करता है। इस तरह कवि ज़ोर देता है कि इससे भी अधिक खतरनाक बातें हैं।

Page No 178:

Question 2:

कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं?

Answer:

कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य बातें हैं, जिसे हम खतरनाक मानते हैं-
(क) सामाजिक भ्रष्टाचार
(ख) राजनीति भ्रष्टाचार
(ग) धार्मिक भ्रष्टाचार
(घ) लालच

Page No 178:

Question 3:

समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?

Answer:

समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए कानून व्यवस्था को कठोर बनाना पड़ेगा। कानून के ललीचेपन के कारण ही आम जनता डरी रहती है। कानून तोड़ने वाले लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं और आम जनता को चुप होने पर मजबूर कर देते हैं। हमें संवेदनशीलता से काम लेना पड़ेगा।

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मेहनत की लूट का क्या तात्पर्य है?

मेहनत की लूट का तात्पर्य है, श्रमिक का शोषण होना। कवि कहता है कि मेहनत की लूट इतनी खतरनाक नहीं है, अर्थात श्रमिक का शोषण होना उतना खतरनाक नहीं है, क्योंकि मेहनत करने वाले व्यक्ति को कभी ना कभी अपनी मेहनत का मूल्य मिल ही जाता है।

मुर्दा शांति का क्या अर्थ है स्पष्ट कीजिए?

1. कवि के अनुसार, सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य प्रतिक्रिया नहीं जताता, वह उत्साहहीन हो जाता है। 2. 'मुर्दा शांति' से अभिप्राय है, मानय जीवन में जड़ता और निष्क्रियता का भाव होना अर्थात् अत्याचारों को मूक बनकर सहते जाना और कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त करना।

कवि के मुर्दा शांति के बारे में क्या विचार थे?

कवि ने इस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना है, क्योंकि इन क्रियाओं में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, वह पूरी तरह से नष्ट नहीं होती। ये सभी स्थितियाँ खतरनाक होते हुए भी बदली जा सकती हैं, अत: सबसे अधिक खतरनाक नहीं हैं।