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Services Prelims Exam (Paper 1),… मुगलकालीनप्रमुखऐतिहासिकस्रोत मुगल काल के इतिहास के अध्ययन के लिए विविध ऐतिहासिक स्रोत हैं जिनमें विविधता भी है। सल्तनतकालीन स्रोतों की लगभग सभी श्रेणियां मुगल काल में भी उपलब्ध है। कई प्रकार की रचनाएं मिलती है, जैसे-दरबारी इतिहासकारों की रचनाएं, क्षेत्रीय इतिहास से संबंधित रचनाएं आदि जिनसे हमें महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। एक पूर्णतः नई श्रेणी यूरोपीय यात्रियों के वृत्तांत के रूप में है। मुगलकालीन इतिहास लेखन की परंपरा भी सल्तनत काल से भिन्न है। मुगलकालीन इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है- साहित्यिकसाक्ष्य मुगल काल में अनेक साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो इस काल के इतिहास के सम्बन्ध में अतिमहत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हैं। उनमें से महत्वपूर्ण व संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है- तुजुक-ए-बाबरी/बाबरनामा
हुमायूंनामा
तारीख-ए-फरिश्ता
अकबरनामा
तुजुक-ए-जहांगीरी
मध्यकालीनऐतिहासिकरचनाएँएवंउनकेरचनाकारों की सूची
मुगलकालीन इतिहास के निम्नलिखित में कौन से स्रोत हैं?मध्यकाल ( 1200 ई . से 1700 ई ) के इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोतों के रूप में मुस्लिम इतिहासकारों के ऐतिहासिक अभिलेख , यात्रा - विवरण , सुल्तानों तथा बादशाहों की आत्मकथाएँ आदि प्रमुख हैं । इनके अतिरिक्ति तत्कालीन सिक्कों तथा पुरातत्व सामग्री के माध्यम से भी मध्यकालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है ।
मुगल इतिहास के स्रोत अकबरनामा और बादशाहनामा का वर्णन कीजिए?अकबरनामा 1- अकबर के कहने पर उसके मित्र एवं दरबारी इतिहासकार अबुलफजल 'अकबरनामा' ग्रंथ का लेखन किया। 'आइन-ए-अकबरी' इसी ग्रंथ का एक भाग है। आइन-ए अकबरी' में अकबर के काल की छोटी-से-छोटी जानकारी भी मिलती है इसीलिए इस ग्रंथ को अकबर कालीन गजेटियर कहा जाता है।
मुगलकालीन व्यवसाय क्या क्या था?1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कर्ष शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था।
मुगलकालीन प्रशासन की प्रमुख विशेषता क्या थी?मीर-ए-आतिश या दरोगा-ए-तोपखाना - यह शाही तोपखाने का प्रधान था यह मंत्रिपद नहीं होता था। इसकी सिफारिश पर महत्त्वपूर्ण नगरों में केन्द्र द्वारा कोतवाल की नियुक्ति होती थी। साहिब-तौजीह- यह सैनिक लेखाधिकारी होता था। दीवान-ए-तन – यह वेतन और जागीरों से संबंधित अधिकारी होता था।
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