मकान खरीदने के तीन साल के भीतर उसे बेच दिया और बेचने पर जो फायदा हुआ, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा. यह गेन आपकी इनकम का हिस्सा होगा और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी.अपना मकान बेच (House Sale) रहे हैं तो आपको इनकम टैक्स के नियम की जानकारी होनी चाहिए. यह भी जानना चाहिए कि मकान बेचने और उसमें मिलने वाली रकम पर टैक्स की गणना कैसे होती है. मकान बेचने पर कैपिटल गेन्स (Capital Gains) के तहत टैक्स की गणना होती है. यह लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म गेन्स हो सकता है. लॉन्ग टर्म गेन्स में टैक्स तब लगेगा जब आप मकान तीन साल तक रखने के बाद बेच रहे हों. अगर मकान तीन साल से पहले बेचा जा रहा है, तो उस पर शॉर्ट टर्म गेन्स का नियम लागू होगा. इनकम टैक्स एक्ट कहता है कि किसी भी तरह का कैपिटल एसेट (जैसे कि मकान) बेचने पर घाटा हो या नफा, प्रॉपर्टी के मालिक को टैक्स देना होता है. यह खास तरह का टैक्स कैपिटल गेन्स के अंतर्गत आता है. कैपिटल गेन्स पर जो टैक्स दिया जाता है, उसे कैपिटल गेन्स टैक्स कहा जाता है. अगर घाटे पर टैक्स चुका रहे हैं तो उसे कैपिटल लॉस कहा जाता है. Show
अब आइए जान लेते हैं कि मकान बेचने पर कैपिटल गेन्स की गणना कैसे की जाती है. इसे तीन अलग-अलग तरीके से समझ सकते हैं. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्समकान खरीदने के तीन साल के भीतर उसे बेच दिया और बेचने पर जो फायदा हुआ, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा. यह गेन आपकी इनकम का हिस्सा होगा और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्समकान खरीदने के तीन साल बाद उसे बेचा जाए और बिक्री से हुए फायदे पर जो टैक्स लगता है, उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते हैं. बिक्री से हुए फायदे पर 20 परसेंट की दर से टैक्स लगेगा. हालांकि इश केस में टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं. यह छूट शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स में नहीं मिलती. होम लोन पर छूटमान लें आपने होम लोन लेकर कोई मकान खरीदा और उसे 5 साल के भीतर बेच दिया, तो आपको मिलने वाली टैक्स की सभी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. ब्याज पर मिलने वाली छूट वापस हो जाएगी. सेक्शन 80C के अंतर्गत जो भी छूट आप पाते रहे हैं, या पा चुके हैं, उन सबको वापस ले लिया जाएगा. पिछले साल सेक्शन 80C के तहत जो भी टैक्स छूट ली गई है, वह सब मकान बिकने वाले साल में आपकी इनकम का हिस्सा हो जाएगी. फिर उसी हिसाब से टैक्स की गणना होगी. दूसरे मकान में निवेश का फायदालॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट पाने के लिए सेक्शन 54 का नियम देख सकते हैं. यह धारा रिहायशी संपत्ति बेचने पर टैक्स छूट लाभ के बारे में बताता है. यह टैक्स छूट तभी ले सकते हैं जब एक मकान की बिक्री के पैसे से दूसरा मकान एक निश्चित समय के भीतर खरीद लें. दूसरा मकान खरीदने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में टैक्स छूट का फायदा मिलता है. हालांकि टैक्स छूट लेने के लिए एक मकान बेचकर एक ही मकान खरीदना होगा. कुछ नियम ऐसे भी हैं जिनमें कहा गया है कि एक मकान बेचकर दो फ्लैट लिया जाए तो उस पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकात है. हालांकि यह लाभ तभी मिलेगा जब दोनों फ्लैट को एक रेजिडेंशियल यूनिट माना जाए. यानी एक ही परिवार दोनों फ्लैट में रहे और उसे रेंट पर न चढ़ाया जाए. इस तरह के फ्लैट को डुप्लेक्स कहा जाता है. खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? आपने कोई घऱ या प्रॉपर्टी बेचकर मुनाफा (Capital Gain) कमाया है तो उस पर टैक्स देना पड़ सकता है। सरकार ऐसे लाभ पर Capital Gain Tax लेती है। लेकिन, 3 साल बाद प्रॉपर्टी बेचने पर, मिलने वाले लाभ पर सरकार, कुछ शर्तें पूरी करने पर टैक्स छूट देती है। इस लेख में हम जानेंगे कि प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन्स टैक्स कैसे बचा सकते हैं? How to save on capital gains tax on property sale? साथ ही हम भी जानेंगे कि किन शर्तों को पूरी करने पर यह टैक्स नहीं देना पड़ता।प्रॉपर्टी पर, लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स होता क्या है? Capital Gain को सरल भाषा में कहा जा सकता है- प्रॉपर्टी बेचने से मिला फायदा। इस फायदे को भी सरकार ने अवधि के हिसाब से दो श्रेणियों में बांट रखा है-
प्रॉपर्टी बेचने पर मिले लाभ (Capital Gain) पर सरकार कैपिटल गेंन्स टैक्स लगाती है। प्रॉपर्टी के खरीदने और बेचने के बीच अवधि में अंतर के हिसाब से यह टैक्स भी दो प्रकार का होता है-
कुछ संपत्तियों पर 3 साल से कम भी मानी जाती है अवधि
पूरा लेख एक नजर में
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन्स टैक्स कैसे बचाएं? How to save on capital gains tax on property saleसरकार ने कुछ शर्ते पूरी करने कर लांग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट दे रखी है। इनकम टैक्स ऐक्ट के Section 54 में इन शर्तों का उल्लेख किया गया है। ये शर्तें इस प्रकार हैं-
यहां पर Long-term capital gains Tax छूट पाने के लिए, निम्नलिखित शर्तों का भी पूरा करना आवश्यक है-
अगर, खरीदी गई नई प्रॉपर्टी की कीमत, बेची गई पुरानी प्रॉपर्टी की कीमत से कम है तो फिर लाभ की सिर्फ उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी, जोकि नई प्रॉपर्टी खरीदने में लगाई गई होगी। बाकी बचे हुए पैसों को 6 महीने के अंदर, ऐसे निवेश में लगाना होगा, जिन्हें कि Section 54EC में निर्धारित किए गऐ हैं। किसी वित्त वर्ष के दौरान 50 लाख तक कर रकम ऐसे निवेश पर लगाई जाती है तो वह Section 54EC के तहत टैक्स छूट पाने के योग्य होती है।
Capital gains account scheme में जमा करके रख सकते हैं पैसाअगर आप, प्रॉपर्टी बेचने पर मिले capital gain के तुरंत बाद, घर खरीदने या बनवाने की स्थिति में नहीं हैं तो उस पैसे को किसी सरकारी बैंक केCapital gains account scheme (CGAS) में जमा करके रख सकते हैं। जब तक आप दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने या बनवाने की स्थिति में नहीं आते, तब तक इस अकाउंट में अपना कैपिटल गेंस जमा करके रख सकते है। दरअसल, सरकार Capital gains account scheme में जमा पैसों पर भी Long-term capital gains Tax नहीं लगाती। किसी वित्त वर्ष के लिए income tax returns दाखिल करने से पहले, जो भी पैसा आप Capital Gains Account Scheme में जमा कर देंगे, उस पर Long-term capital gains Tax से छूट मिल जाती है। विशेष सरकारी Bonds में पैसा निवेश करके भी बचा सकते हैं टैक्ससरकार ने कुछ ऐसे खास बांड्स निर्धारित कर रखे हैं, जिनमें पैसा लगाने पर long-term capital gain tax पर छूट मिलती है। Section 54EC के तहत मिलने वाली इस छूट को प्राप्त करने के लिए 6 महीने के भीतर, ऐसे बांड्स में पैसा लगाना अनिवार्य है। ऐसे बांड्स में शामिल हैं-
किसी एक वित्तीय वर्ष के दौरान 50 लाख रुपए तक, ऐसे बांड्स में लगाए जा सकते हैं और कैपिटल गेन्स टैक्स छूट ली जा सकती है।
कैपिटल गेन टैक्स बचाने में मददगार तरकीबेंऊपर बताए गए तरीकों के अलावा, कुछ अन्य तरकीबें भी हैं, जो आपका कैपिटल गेन टैक्स घटाने में मददगार होती है। प्राय: लोग इन्हें नहीं जानते और ज्यादा टैक्स भर देते हैं। इंडेक्सेशन से कम करें कैपिटल गेनCapital Gains Tax बचाने की दिशा में सबसे पहला कदम है Indexation। इंडेक्शेसन दरअसल टैक्स बचाने का नहीं, बल्कि Profit को कम दिखाने की तरकीब है। जब Profit कम दिखेगा तो अपने आप Tax कम लगेगा। दरअसल सरकार Property की कीमतों के लिए हर साल एक Cost Inflation Index जारी करती है। इसमें महंगाई बढ़ने के कारण Property की कीमतों में आनुपातिक बढ़ोतरी (Proportionate Increase) दिखाई जाती है। किसी साल का Index यह दिखाता है कि पिछले खरीद वर्ष में Property पर खर्च हुई रकम तब की तुलना में अब तक किस अनुपात में बढ़ चुकी है। किसी किसी पुराने वर्ष के दौरान हुए सौदे की कीमत नए वर्ष में कितनी हो चुकी होगी, इसको निकालने के लिए फॉर्मूला इस प्रकार है-प्रॉपर्टी की इंडेक्स कीमत=खरीद कीमत×बिक्री वर्ष का इंडेक्स÷खरीद वर्ष का इंडेक्स। अब हम, इस फॉर्मूला के हिसाब से टैक्स बचाने का तरीका, उदाहरण सहित बताते हैं। Exampleसतीश ने वर्ष 2010-11 में 25 लाख रुपए का Plot खरीदा। वर्ष 2015-16 में इस प्लॉट को 40 लाख रुपए में बेच दिया। Plot को बेचने पर सतीश के विज्ञापन, कमीशन वगैरह पर 50 हजार रुपए खर्च हुए हैं। पहली नजर में देखें तो सतीश को 14.50 लाख रुपए फायदा दिखता है (बिक्री मूल्य – खरीद मूल्य )। लेकिन Indexation के बाद यह काफी कम हो जाएगा। कैसे? आइये देखते हैं- नीचे हम Cost Inflation Index में देखते हैं कि वर्ष 2010-11 में Index 167 अंकों पर था जोकि वर्ष 2015-16 में बढ़कर 254 हो गया है। ऐसे में सतीश के प्लॉट की खरीद कीमत वर्ष 2015-16 की महंगाई के हिसाब से होनी चाहिए- 25 × 254÷ 167=38.023 लाख रुपए। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स | Cost Inflation Index2010-111672011-121842012-132002013-142202014-152402015-162542016-172642017-182722018-192802019-202892020-213012021-223172022-23331Indexation का इस्तेमाल करने के बाद सतीश को कुल फायदा दिखेगा- 40 – (38 + .50) = 1.5 लाख रुपए {बिक्री मूल्य-(खरीद का indexed मूल्य+कमीशन )} इस तरह जो फायदा पहले हमें 14.5 लाख रुपए का लग रहा था वह Indexation के बाद सिर्फ 1.5 लाख रुपए रह गया। जाहिर है इस पर टैक्स भी कम लगेगा।
प्रॉपर्टी बेचने में हुए नुकसान को समायोजित करके बचाएं टैक्सअगर आपको किसी अन्य संपत्ति को बेचने पर long-term Capital loss हुआ हो तो इसे आप अपना घर बेचने से हुए long term capital gains के साथ समायोजित कर सकते हैं। ऐसे में आपको capital gain से Capital loss को घटाकर बची रकम पर ही टैक्स देना पड़ेगा। ऐसा करने वक्त इन दो बातों को जरूर ध्यान रखें
प्रॉपर्टी बेचने में हुए नुकसान को आने वाले वर्षों में एडजस्ट करेंअगर आप किसी साल के capital loss को उसी साल के कैपिटल गेन्स में Adjust न कर पाए हों तो इसे बाद के वर्षों में भी (Carry Farward) किया जा सकता हैै । यह सुविधा Short Term loss और Long Term loss दोनों के साथ आपको मिलती है। Note: आवासीय संपत्ति (Residential Property) से हुए capital loss को अगले 8 सालों तक Carry Forward करके एडजस्ट किया जा सकता है। बिजनेस प्रॉपर्टी से हुए capital loss को अगले 4 वर्षों तक Carry Forward करके एडजस्ट किया जा सकता है।
अगर TDS कटा हो तो उसे भी टैक्स भुगतान में समायोजित करेंTax Leak को रोकने के लिए सरकार ने 50 लाख रुपए से ज्यादा की Property के सौदों पर 1% TDS काटना अनिवार्य कर दिया है। अगर आप इतनी या इससे ज्यादा कीमत का घर बेच रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि इसे खरीदने वाला आपके नाम TDS जरूर जमा कर दे। आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है, बस उससे फार्म 16B के रूप में Certificate प्राप्त कर लीजिए। कुछ दिन बाद इसके बाद अपने Form 26AS में भी इसे चेक कर लें। इसके ‘Part F में यह दर्ज होगा। TDS में कटी इस रकम को आप रिटर्न भरने के पहले Self Assesement Tax में एडजस्ट कर सकते हैं। इतना ही नहीं अगर आपको घर बेचने में घाटा हो गया है तो इसे आप अपने किसी long-term capital gains के साथ एडजस्ट भी कर सकते हैं। अगर ज्यादा जमा कर दिया गया है तो TDS का refund भी प्राप्त कर सकते हैं।
जमीन बिक्री या अधिग्रहण संबंधी विशेष मामलेनगरीय सीमा या उसके पास की कृषि भूमि बेची हो तो…सबसे पहले जान लें कि कृषि भूमि को बेचने पर Capital gains tax नहीं लगता है। लेकिन यह छूट सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद कृषि भूमि पर ही मिलती है। नगरीय क्षेत्र की सीमा में मौजूद कृषि भूमि पर नहीं। यहाँ नगरीय क्षेत्र से मतलब Municipality, Town Area, Cantonment board से है, जहां की आबादी 10,000 से अधिक है। इनके सीमा क्षेत्र से बाहर भी 8 किलोमीटर के दायरे में आने वाली जमीन का सौदा करने पर Capital Gain Tax लगता है। नगरीय क्षेत्र की कृषि भूमि को बेचने के बाद होने वाले Short Term Capital Gain को अगर आप फिर से नई कृषि भूमि को खरीदने में लगा देते हैं तो आपको Section 54B के तहत कैपिटल गेन पर पूरी तरह से टैक्स छूट मिलती है। Capital Gain का जितना हिस्सा आप नई जमीन में लगा देंगे उस पर आपको टैक्स छूट मिलेगी। ये छूट Long Term Capital Gain की स्थिति में भी मिलती है। Short Term Capital Gain पर इस छूट के लिए आपको इन शर्तों का भी ध्यान रखना होगा।.
औद्योगिक भूमि या बिल्डिंग का अधिग्रहण होने पर…Capital Gains पर ये Exemption आपको उस स्थिति में मिलता है जबकि कोई Industrial Land या Building सरकार अधिग्रहण (acquired) कर लेती है । Section 54D ऐसे मामले में कैपिटल गेन पर टैक्स छूट इन शर्तों पर ही मिल सकेगी।
नगरीय क्षेत्र के उद्योग को ग्रामीण क्षेत्र या सेज में ट्रांसफर करने परSection 54G के मुताबिक नगरीय क्षेत्र की जो जमीन, Building या Machinery आपने बेची है, उनसे हासिल Capital Gain पर टैक्स से पूरी तरह छूट मिलेगी। इसके साथ यह भी शर्त जुड़़ी होती है कि आपको Rural Area में ही नई जमीन, बिल्डिंग या मशीनरी पर अपना Capital Gain निवेश (reinvest) करना होगा। इसी तरह अगर आपका मौजूदा कारोबार अगर नगरीय क्षेत्र में है और इसे आप Special Economic Zone(SEZ) के क्षेत्र में ले जाते हैं तो भी Short Term Capital Gains पर आपको टैक्स छूट मिलेगी। इस छूट को पाने के लिए भी शर्त है। नगरीय क्षेत्र में मौजूद अपनी जमीन, बिल्डिंग या मशीन बेचने से जो भी Capital Gain आपको हुआ है, उसे Special Economic Zone(SEZ) में जमीन, बिल्डिंग या मशीन आदि खरीदने में लगाना पड़ेगा। तो दोस्तों! ये थी प्रॉपर्टी पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स बचाने के नियम। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख- कैपिटल गेन में कितना टैक्स लगता है?प्रॉपर्टी की बिक्री पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax)
अगर आप बेचने से पहले तीन वर्ष से अधिक समय तक प्रॉपर्टी अपने पास रखते हैं, तो प्रॉपर्टी बेचने पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gain Tax) 20% होगा। लेकिन, अगर आप 3 वर्ष के भीतर प्रॉपर्टी बेच रहे हैं, तो आपके करों की गणना आपपर लागू टैक्स स्लैब के अनुसार की जाएगी।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना कैसे की जाएगी?दीर्घावधि कैपिटल गेन (Capital Gain) की गणना का सूत्र
सुधार की अनुक्रमित लागत = सुधार की लागत x हस्तांतरण के वर्ष की लागत मुद्रास्फीति सूचकांक/सुधार के वर्ष की मुद्रास्फीति सूचकांक लागत।
लोंग टर्म कैपिटल गेन क्या होता है?लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स क्या होता है? अचल संपत्ति (जमीन, घर, बिल्डिंग) को खरीदने के 2 साल बाद बेचने पर Long Term Capital Gain Tax चुकाना पड़ता है। किसी कंपनी के शेयर, डिबेंचर्स, व सरकारी बांड्स वगैरह को 1 साल बाद बेचने पर ही Long Term Capital Gain Tax चुकाना पड़ता है।
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