हवा क्या है और क्यों बहती है ? Show हम जानते हैं कि हवा एक पदार्थ है और सभी पदार्थों की तरह इसका भी भार है । हमारा वातावरण लगभग 20 गैसों से बना है जिसमें ऑक्सीजन , नाइट्रोजन , कार्बनडाइऑक्साइड , जलवाष्पों तथा धूलकणों का मिश्रण है । चलती हुई या गतिमान हवा को ' विंड ' या वायु कहते हैं । आप जानते हैं कि हवा कैसे बहती है ? जब पृथ्वी का कोई भाग सूर्य की किरणों के कारण गर्म हो जाता है तो उस स्थान की हवा भी गर्म हो जाती है । इस गर्मी के कारण हवा फैलती है तथा इसलिए उसका घनत्व कम हो जाता या वह हल्की हो जाती है । गर्म हवा हल्की होने के कारण वातावरण में ऊपर की ओर उठती है और इसके कारण उस क्षेत्र के वातावरणीय दबाव में कमी आ जाती है । इन स्थितियों में उच्च दबाव वाले ठंडे क्षेत्रों से हवा उस क्षेत्र की ओर दौड़ पड़ती है । ताकि संतुलन बना रहे । हवा की इसी गति को हवा का बहना कहा जाता है । समुद्र के साथ लगते क्षेत्रों में धरती दिन के समय गर्म हो जाती है । इसके कारण हवा हल्की हो जाती है तथा वातावरण में ऊपर चली जाती है । संतुलन बनाए रखने के लिए समुद्र से ठंडी हवा धरती की ओर बहने लगती है । रात के समय इसका उलटा होता है । अर्थात धरती समुद्र के मुकाबले ठंडी हो जाती है । और इस कारण हवा धरती से समुद्र की ओर बहने लगती है । भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्र बहुत गर्म होते हैं । इससे वहां कम दबाव की एक भूमध्य रेखीय पट्टी बन जाती है , जिसकी वजह से इन क्षेत्रों में हवा निरन्तर ऊपर की ओर उठती रहती है । यह गर्म हवा ऊपर पहुंच कर उत्तर तथा दक्षिण की ओर मुड़ जाती है । पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना हवाओं की दिशाओं पर काफी प्रभाव डालता है । पश्चिमी हवाएं पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व की ओर घूमने का सीधा परिणाम हैं । पृथ्वी के इसी घूमने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध दाईं तथा दक्षिणी गोलार्द्ध बाईं ओर को मुड़ा रहता है । इस सामान्य वायु प्रणाली के ऊपर होती हैं स्थानीय हवाएं । ये पर्वतों तथा तटरेखा जैसी स्थलाकृतिक विभिन्नताओं के कारण तापमान आदि में आने वाले परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होती हैं । पर्वतों की उपस्थिति भी हवाओं की दिशाओं पर प्रभाव डालती है । पर्वत हवाओं के रास्ते में अवरोध उत्पन्न करते हैं तथा इनकी दिशा बदल देते हैं । हवा की रफ्तार तथा दिशा को एक उपकरण की सहायता से मापा जाता है , जिसे एनेमोमीटर कहा जाता है । धुआं क्या है ? जब कभी भी लकड़ी , कोयला या कोई अन्य वस्तु जलाई जाती है तो धुआं निकलता है । धुआं ईंधन के पूरी तरह से न जलने के कारण उत्पन्न होता है । यदि ईंधन पूरी तरह से जले तो कोई धुआं उत्पन्न नहीं होगा । दरअसल धुआं ठोस कणों का एक मिश्रण होता है जो गैस की शक्ल में होता है । अधिकांश ईंधनों में कार्बन , हाइड्रोजन , ऑक्सीजन , नाइट्रोजन तथा थोड़ी - सी मात्रा में गंधक होती है । जब भी कोई ईंधन जलता है तो हमें कार्बन डाइऑक्साइड , जलवाष्प तथा कुछ गंधक प्राप्त होती है । ईंधन के पूरी तरह से जलने के लिए बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है क्योंकि जलना ऑक्सीजन ( ऑक्सीडेशन ) की एक प्रक्रिया है । ऑक्सीजन के अभाव में ईंधन पूरी तरह से नहीं जलता । इसके परिणामस्वरूप धुआं उत्पन्न होता है । धुआं मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड , जलवाष्पों तथा कार्बन के कणों से बना होता है । जब धुएं में कार्बन कणों की संख्या अधिक होगी तो इसका रंग सलेटी या उससे भी गहरा दिखाई देगा । कार्बन के यही कण चिमनियों की दीवारों पर जम जाते हैं । इस एकत्रीकरण को कालिख ( सूट ) कहा जाता है । धुआं हवा का सबसे बड़ा प्रदूषक है और स्वास्थ्य के नजरिए से यह बहुत हानिकारक है । आजकल शहरों में यह एक प्रमुख समस्या बन गया है । यदि यह हवा द्वारा बिखरा न दिया जाए तो शहरों का वातावरण अत्यधिक धुएंदार बन जाएगा । धुआं विशेष रूप से दिल तथा फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है तथा कई बीमारियों का कारण बनता है । यह आंखों के लिए भी हानिकारक है । फिर भी कई मामलों में धुआं उपयोगी भी है । इसे फलोद्यानों को ठंड से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। युद्धों में धुआं छिपने के काम आता है । यह वर्षा लाने में भी सहायक होता है क्योंकि जलवाष्प इसके कणों के ऊपर संघनित हो जाते हैं । वातावरण का भार कितना है ? आशीष ने पूछा , " मैम , हमारी पृथ्वी के वातावरण का भार कितना है ? " " मैम ने उत्तर दिया , " हमारा वातावरण हवा का एक विशाल महासागर है । यदि इसे किसी तरह से छोटा करके किसी तराजू पर रखा जा सके तो इसका भार लगभग 5 , 17 , 10,00,00,00,00,000 टन होगा । हवा एक पदार्थ है और सभी पदार्थों की तरह इसका भी भार है । हमारा वातावरण लगभग 20 गैसों से बना है । आप सभी जानते हैं कि इनमें से दो मुख्य हैं ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन । हमारे वातावरण में जल वाष्प तथा धूलकण भी हैं । यह पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण ही है , जो गैसों तथा धूल को वातावरण में खींच लेता है । हमें इस बात का आभास नहीं होता कि प्रत्येक पल हवा हम पर दबाव बनाए हुए है तथा हर ओर से हमें दबा रही है । हमारा शरीर इस दबाव के बावजूद जीवित बना रहता है । समुद्र तल पर हवा का दबाव सबसे अधिक होता है । यहां यह प्रति वर्ग सैंटीमीटर एक किलोग्राम से जरा - सा अधिक होता है । समुद्र तल वातावरण का नीचे का भाग होता है और इसी कारण यहां पर दबाव सर्वाधिक होता है । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दबाव कम होता है । पृथ्वी के वातावरण के कारण ही यहां पर जीवन पनप सका । हम हवा में सांस लेते हैं । यह हमें सूर्य की कुछ किरणों से बचाती है , जो हमारे लिए हानिकारक होती है । वातावरण के कारण ही हम इस पृथ्वी पर जीवित हैं । ' 🙏दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करना ना भूलें नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी कीमती राय जरूर दें। Discovery World Hindi पर बने रहने के लिए हृदय से धन्यवाद ।🌺 यह भी पढ़ें:-
💜💜💜 Discovery World 💜💜💜 Air हवा क्या है और क्यों बहती है | Smoke धुआं क्या है | हमारे वातावरण का भार कितना है ? Best knowledge Reviewed by Jeetender on February 04, 2022 Rating: 5 हवा हमारे जीवन में क्यों जरूरी है?पृथ्वी पर जीवन का मूल आधार सर्वप्रथम वायु (air) को दिया जाता है | जिसके द्वारा पेड़, पौधे, पशु, पक्षी, इन्सान तथा सभी जीवित प्राणी जीवन प्राप्त करते हैं । आक्सीजन के अभाव से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की अल्प मात्रा से शरीर को अनेक प्रकार की बिमारियों द्वारा ग्रसित करके जीवन को असंतुलित कर देती है । .
हवा का हमारे जीवन में क्या महत्व है class 3?वायु में जलवाष्प होती है, यही जलवाष्प गिलास की ठंडी सतह के सम्पर्क में आने पर वहां बूंदों के रूप में परिवर्तित होकर जमा हो जाती हैं। जिस प्रकार सभी सजीवों को साँस लेने के लिए वायु आवश्यक है उसी प्रकार किसी वस्तु के जलने के लिए वायु भी जरुरी हैं। गर्मी में गर्म हवा चलती है। ठंडी में ठंड हवा से हम काँपने लगते हैं।
हवा हमारी क्या सेवा करती है?हमारे वायुमंडल में उपस्थित हवा के माध्यम से हम ऑक्सीजन को ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं. ठीक इसी प्रकार पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को लेते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ते हैं और यह प्रक्रिया लगातार चलते रहती है.
वायु की क्या उपयोगिता है?Solution : वायु के पाँच उपयोग निम्नलिखित हैं- <br> (1) वायु में उपस्थित ऑक्सीजन गैस सभी जीवों के श्वसन के लिए उपयोगी होती है। <br> (2) वायु में उपस्थित ऑक्सीजन गैस वस्तुओं के जलने में सहायक होती है। <br> (3) वायु में उपस्थित कार्बन-डाइऑक्साइड गैस को पौधे अपना भोजन बनाने के लिए उपयोग में लाते हैं।
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