जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र हैं और 2 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र फैले हुए हैं। दोनों संसदीय क्षेत्र आंशिक हैं. Show
हिसार का गौरवमयी इतिहासहिसार नगर को इस बात का गर्व है कि यहां प्राचीन काल से ही शौर्य, राष्ट्रीय प्रेम, बलिदान व देश पर मर मिटने की उच्च परंपराएं रही हैं। खाद्यान क्षेत्र से लेकर रणक्षेत्र तक अपने पराक्रम और शौर्य के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। फिरोज़ शाह तुगलक ने सन 1354 में हिसार नगर की स्थापना की। उसने इस नये नगर हिसार-ए-फिरोजा को महलों, मस्जिदों, बगीचों, नहरों और अन्य इमारतों से सजाया था। ‘हिसार’ फारसी शब्द है। इसका अर्थ किला या घेरा है। सन् 1354 में दिल्ली के सुल्तान फिरोज़शाह ने यहा जिस किले का निर्माण कार्य शुरू करवाया, उसका नाम ‘हिसार-ए- फिरोज़ा’ पड़ा यानि फिरोज का हिसार। अब समय की यात्रा में केवल हिसार रह गया है। हिसार का नाम आज देश के प्रमुख शहरों में शुमार हो चुका है। हिसार भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 09 पर दिल्ली से 164 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हिसार जिले में अग्रोहा, राखीगढ़ी, (बनावाली, कुनाल और भिरडाना अब फतेहाबाद जिला में) नामक स्थलों की खुदाई के दौरान पहली बार मानव सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनके अध्ययन से प्रि हड़प्पन सेटलमैंट और प्रागैतिहासिक काल के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। हिसार किले में स्थापित सम्राट अशोक के शासनकाल के समय का स्तम्भ (234 ए0डी0) वास्तम में अग्रोहा से लाकर यहां स्थापित किया गया था। ‘हिसार-ए- फिरोज़ा’ की नीवं से पहले यहां पर दो गांव बड़ा लारस एवं छोटा लारस थे। बड़े लारस में 50 खरक (चारागाह) थी तथा छोटे लारस में 40 खरक थी। बड़े लारस की नजदीक का क्षेत्र फिरोज़शाह को पसंद आया, जहां उसने किले का निर्माण अपनी देख-रेख में करवाया। इसके निर्माण में दो से ढाई साल लगे। इस क्षेत्र में शेरों, चीतों एवं दूसरे जंगली पशुओं की भरमार थी तथा यह भारत की एक सर्वोतम शिकारगाह थी। इसके अलावा यहा पर बतखखाना और कई बाग व बगीचे हुआ करते थे। सुल्तान फिरोज़शाह तुगलक को हिसार से इतना लगाव था कि वह इसे इस्लामिक धार्मिक शहर बनाना चाहता था। भौगोलिक स्थिति के अनुसार हिसार दक्षिण-पश्चिम मानसून क्षेत्र में स्थित है और उसी जलवायु के अनुसार यहां ज्यादातर मौसम गर्म व सूखा रहता है। सामान्यतः हिसार को चार ऋतुओं में बांटा जा सकता है।
यहां दक्षिण पश्चिम मानसून का मौसम जून के अन्तिम सप्ताह से सितम्बर मध्य तक रहता है। यहां का मौसम अक्तुबर मास से आगामी जून तक लगभग सूखा ही रहता है। कभी-कभी पश्चिम विक्षोभ के कारण बिजली कड़कने के साथ हल्की- फुल्की बारीश होती है। जून से सितम्बर के महीने में ही कुछ बारीश का 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक बारीश होती है। यहां भी औसत वार्षिक वर्षा 450 एमएम है व जुलाई में 133.4 एमएम, अगस्त में 116.2 एमएम सितम्बर से 54.5 एमएम तथा जून से औसत वार्षिक वर्षा 49.8 एमएम है। वर्षा ऋतु का औसत 354 एमएम है। अब तक की अधिकतम बारीश 793.6 एमएम 1976 में मापी गई थी। न्यूनतम बारीश वर्ष 2000 में 145.2 एमएम मापी गई है। यहां कुल बारीश का 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक बारीश दक्षिण विक्षोभ के कारण शीत कालीन ऋतु में होती है। वर्षा ऋतु के अधिकतम दिन जुलाई व अगस्त महीने में व न्यूनतम दिन नवम्बर व दिसम्बर में होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में हवा का तापमान काफी अधिक जो कि 48.30ब् तक होता है। परन्तु वर्षा ऋतु के आने के बाद तापमान 350ब् तक हो जाता है। हिसार का न्यूनतम तापमान वर्ष 1929 में -3.90ब् मापा गया है। जमाव बिन्दु यहां पर सामान्यतः नहीं पाया जाता। गर्मीयों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से 44 डिग्री व सर्दियों में न्यूनतम तापमान 40 से 60 तक रहता है। यहां पर औसत अधिकतम तापमान 31.50 व न्यूनतम तापमान 16.20ब् तक रहता है। आद्रताः अप्रेल और मई के महीने मिलकर सबसे सुखे दीन पाये जाये जाते हैं । इन महीनों में सबसे कम आद्रता पाई जाती है। मानसून के आते-आते आद्रता धीरे-धीरे जुलाई प्रथम सप्ताह तक बढ़ जाती है व सितम्बर मध्य तक मानसून जाते-जाते आद्रता सामान्यतः ज्यादा ही रहती है। जोकि पूरे वर्ष में 5 से 100 प्रतिशत तक रहती है। धूपः अक्तुबर से अप्रेल तक के महीने में धूप अच्छी खिलती है व कुल धू पका 70 प्रतिशत धून्ध-धूपवाले ही होते हैं। फरवरी से मई व सितम्बर से दिसम्बर महीने में लगभग औसत 8 घण्टे यहां धूप रहती है व जनवरी, जुलाई, अगस्त व दिसम्बर महीने में यहां औसत से कम धूप जोकि 6 से 7 घण्टे मांपी गई है। हवाः औसत हवा की गति चार से दस किलोमीटर प्रतिघण्टा की पायी जाती है। उतरी पश्चिम शीत लहर, दिसम्बर जनवरी व फरवरी महीने में बहती है। मुख्यतः यहां पर उतरी, उतरी-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व हवायें पाई जाती है। गर्म व सूखी दक्षिण-पश्चिम लू मई व जून में ही चलती है। वाष्पीकरण: गर्मी के मौसम का औसत वाष्पीकरण 12एम/प्रतिदिन है जबकि वर्षा व सर्द ऋतु को क्रमशः औसत वाष्पीकरण 6.8 व 4 एमएम प्रतिवर्ष है। सबसे अधिक वाष्पीकरण अब तक 25.6 एमएम प्रति दिन मापा गया ळें ओसः दिसम्बर व जनवरी के मौसम में सबसे ज्यादा धूंध पायी जाती है जबकि अप्रेल व नवम्बर मेें महीने में ओस की मात्रा कम होती है। ओस सामान्यतः दिसम्बर से अप्रेल तक पायी जाती है। एक वर्ष में कुल 25.0 एमएम ओस तक पायी जाती है। विशिष्ट मौसम: गर्मी के मौसम में यहां धूल भरी आंधी व ओला वृष्टि (फरवरी से अप्रेल तक) के महीने में यहां सामान्यतः पाई जाती है। धूंध सामान्यतः दिसम्बर व फरवरी महीने में पड़ती है। गर्मी के मौसम में व वर्षा ऋतु में यहां बिजली कड़कने के साथ हल्की फुल्की बारीश होती है। हरियाणा विधानसभा में कुल कितने निर्वाचन क्षेत्र हैं?संरचना कुल सीटें ९०, जिनमें से १७ (आरक्षित) हैं। विस्तृत सूची के लिए हरियाणा के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पृष्ठ देखें।
भारत में कुल सांसदों की संख्या कितनी है?वर्तमान मे लोकसभा के सदस्यों की संख्या 543 है तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 है।
भारत में लोकसभा की कितनी सीटें हैं?लोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूची. हरियाणा राज्य की स्थापना कब हुई?1 नवंबर 1966 को पंजाब को विभाजित करके पंजाब एवं हरियाणा नामक दो राज्य बना दिए गए I.
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