ग्राम विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन के बारे में बताएं - graam vikaas kaaryakram ke moolyaankan ke baare mein bataen

कार्यक्रमलागू वर्षप्रथम पंचवर्षीय योजना 1. सामुदायिक विकास कार्यक्रम 1952 2. राष्ट्रीय विस्तार सेवा 1953 द्वितीय पंचवर्षीय योजना 3. खादी एवं ग्राम उद्योग आयोग 1957 4. बहुद्देशीय जनजातीय विकास प्रखण्ड 1959 5. पंचायती राज संस्था 1959 6. पैकेज कार्यक्रम 1960 7. गहन कृषि विकास कार्यक्रम 1960 तृतीय पंचवर्षीय योजना 8. व्यावहारिक पोशाहार कार्यक्रम 1960 9. गहन चौपाया पशु विकास कार्यक्रम 1964 10. गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम 1964 11. उन्नत बीज किस्म योजना 1966 12. राष्ट्रीय प्रदर्शन कार्यक्रम 1966 वार्षिक योजना 13. कृषक प्रशिक्षण एवं शिक्षा कार्यक्रम 1966 14. कुआँ निर्माण योजना 1966 15. वाणिज्यिक अनाज विषेश कार्यक्रम 1966 16. ग्रामीण कार्य योजना 1967 17. अनेक फसल योजना 1967 18. जनजातीय विकास कार्यक्रम 1968 19. ग्रामीण जनषक्ति कार्यक्रम 1969 20. महिला एवं विद्यालय पूर्व षिषु हेतु समन्वित योजना 1969 चतुर्थ पंचवर्षीय योजना 21. ग्रामीण नियोजन हेतु कै्रष कार्यक्रम 1971 22. लघु कृशक विकास एजेन्सी 1971 23. सीमान्त कृशक एवं भूमिहीन मजदूर परियोजना एजेन्सी 1971 24. जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1972 25. जनजातीय विकास पायलट परियोजना 1972 26. पायलट गहन ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम 1972 27. न्यूनतम आवश्यक कार्यक्रम 1972 28. सूखा उन्मुख क्षेत्र कार्यक्रम 1973 29. कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1974 पंचम पंचवर्षीय योजना 30. समन्वित बाल विकास सेवा 1975 31. पर्वतीय क्षेत्र विकास एजेन्सी 1975 32. बीस सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम 1975 33. विषेश पशु समूह उत्पादन कार्यक्रम 1975 34. जिला ग्रामीण विकास एजेन्सी 1976 35. कार्य हेतु अन्य येाजना 1977 36. मरुस्थल क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1977 37. सम्पूर्ण ग्राम विकास योजना 1979 38. ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम 1979 षष्ठम पंचवर्षीय योजना 39. समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम 1980 40. राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम 1980 41. ग्रामीण महिला एवं षिषु विकास कार्यक्रम 1983 42. ग्रामीण भूमिहीन नियोजन प्रतिभू कार्यक्रम 1983 43. इन्दिरा आवास योजना 1985 सप्तम पंचवर्षीय योजना 44. मातृत्व एवं षिषु स्वास्थ्य कार्यक्रम 1985 45. सार्वभौमिक टीकारण कार्यक्रम 1985 46. जवाहर नवोदय विद्यालय योजना 1986 47. नया बीस सूत्रीय कार्यक्रम 1986 48. केन्द्र प्रायोजित ग्रामीण आरोग्य कार्यक्रम 1986 49. जन कार्यक्रम एवं ग्रामीण प्रोद्योगिकी उन्नयन परिषद(कापार्ट) 1986 50. बंजर भूमि विकास परियोजना 1989 51. जवाहर रोजगार योजना 1989 अश्टम पंचवर्षीय योजना 52. षिषु संरक्षण एवं सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम 1992 53. प्रधानमंत्री रोजगार योजना 1993 54. नियोजन आश्वासन योजना 1993 55. राष्ट्रीय मानव संसाधन विकास कार्यक्रम 1994 56. परिवार साख योजना 1994 57. विनियोग प्रोत्साहन योजना 1994 58. समन्वित बंजर भूमि विकास परियोजना 1995 59. राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम 1995 60. राष्ट्रीय वृद्ध पेंशन कार्यक्रम 1995 61. राष्ट्रीय परिवार लाभ कार्यक्रम 1995 62. राष्ट्रीय मातृत्व लाभ कार्यक्रम 1995 63. पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम 1995 64. मिलियन कुआँ कार्यक्रम 1996 65. विद्यालय स्वास्थ्य परीक्षण विषेश कार्यक्रम 1996 66. परिवार कल्याण कार्यक्रम 1996 नवम पंचवर्षीय येाजना 67. गंगा कल्याण योजना 1997 68. बालिका समृद्धि योजना 1997 69. स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना 1999 70. जवाहर ग्राम समृद्धि योजना 1999 71. ग्रामीण आवास हेतु ऋण एवं सहायता योजना 1999 72. ग्रामीण आवास विकास हेतु उन्मेशीय स्रोत येाजना 1999 73. समग्र आवास योजना 1999 74. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना 2000 दसवीं पंचवर्षीय योजना 75. ग्रामीण भण्डारण योजना 2002 76. सर्वशिक्षा अभियान 2002 77. सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना 2003 78. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना 2004 79. आशा योजना 2005 80. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम 2005 81. ज्ञान केन्द्र योजना 2005 82. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कार्यक्रम 2006

ग्रामीण विकास का अर्थ लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव दोनों ही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है।

प्रारंभ में, विकास के लिए मुख्य जोर कृषि, उद्योग, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और संबंधित क्षेत्रों पर दिया गया था। बाद में यह समझने पर कि त्वरित विकास केवल तभी संभव है जब सरकारी प्रयासों के साथ साथ पर्याप्त रूप से जमीनी स्तर पर लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी हो, सोच बदल गई।

ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित बड़े कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं:

(i) रोज़गार देने के लिए महात्मा गाँधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा)

(ii) स्व रोज़गार और कौशल विकास के लिए नेशनल रूरल लाइवलीहूडस मिशन (एनआरएलएम)

(iii) गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को आवास देने के लिए इंदिरा आवास योजना (आईएवाई)

(iv) अच्छी सड़कें बनाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)

(v) सामाजिक पेंशन के लिए नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम (एनएसएपी)

(vi) आदर्श ग्रामों के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई)

(vii) गामीण विकास केंद्रों के लिए श्यामा प्रसाद मुख़र्जी रूर्बन मिशन

इसके आलावा मंत्रालय के पास ग्रामीण पदाधिकारियों की क्षमता के विकास; सूचना, शिक्षा और संचार; और निगरानी व मूल्यांकन के लिए भी योजनायें हैं।

ग्रामीण विकास की परियोजनाएं और कार्यक्रम - Rural Development Schemes and Programs

ग्राम विकास की परियोजनाओं और कार्यक्रमों के मध्य अंतर करना महत्वपूर्ण है। ग्राम विकास परियोजनाएं सूक्ष्म स्तर के प्रयास है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन लाते हैं। ये परिवर्तन कई आकार ले सकते हैं, जो साक्षरता के विकास में वृद्धि से लेकर कृषि उत्पादकता में वृद्धि के प्रयास तक हो सकते हैं। इन परियोजनाओं का प्रभाव सामान्यत: बहुत व्यापक नहीं होता क्योंकि यह कम लोगों तक सीमित होती हैं।

ग्राम विकास कार्यक्रम में कई परियोजनाएं सम्मिलित होती हैं जो एक दूसरे से जुड़ी होती हैं जिससे वे ग्रामीण आर्थिक और सामाजिक जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती हैं। अतः ग्राम विकास एक दूसरे से जुड़ी कार्यक्रम, जो परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। एक व्यापक क्षेत्र के अधिकाधिक लोगों को प्रभावित करता है। पैमाने की समस्या की वजह से ग्राम विकास कार्यक्रमों का कार्यान्वयन बहुत कठिन हो जाता है। यह विशेषतः भारत जैसे देश में और अधिक है जहां ग्रामीण जनसंख्या बहुत अधिक बहुत विस्तारित और जिसकी सामाजिक, आर्थिक और संपादाओं में काफ़ी विभिन्नताएं हैं।

इन समस्याओं की वजह से ग्राम विकास कार्यक्रमों में प्रारंभ में उपयुक्त नियाजन और उन्हें पूरा करना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। साथ में कार्यक्रम का उपयुक्त निरीक्षण और मूल्यांकन एजेंसी की क्रियाविधि यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि कार्यक्रम अपने उद्देश्यों की पूर्ति लाभदायक तरीकों से कर रहे हैं। भारत का इस संदर्भ में अनुभव काफ़ी निर्देशात्मक है।


 1. सामुदायिक विकास

1950 में प्रारंभ किए गए सामुदयिक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य ग्राम विकास कार्यक्रम में लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करना था। इसने ग्रामीण समुदायों की सहभागिता से ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया। सामुदायिक विकास कार्यक्रम ने देश के विभिन्न हिस्सों में चरणबद्ध तरीकों से ग्राम विकास को उन्नत करने का प्रयास किया। विकास की इकाई के रूप में गावों के एक समूह की पहचान की गई और प्रौद्योगिकी तथा प्रशासनिक कर्मचारियों का एक डांचा विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यक्रम लागू करने के लिए उपलब्ध कराया गया।

सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं 

• ग्रामीण क्षेत्रों में भौतिक और मानवीय संसाधनों को संपूर्ण विकास के लिए सुनिश्चित करना

● स्थानीय नेतृत्व और स्वशासी संस्थानों का विकास करना

• खाद्य और कृषि उत्पादों में तीव्र वृद्धि के माध्यम से ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना

लोगों कि मानसिक सोच को परिवर्तित करना और उनमें उच्च मानकों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना

सामुदायिक विकास कार्यक्रम से ग्रामीण गरीबी पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि ग्रामीण समुदाय में जो लोग शक्तिशाली थे, उन्होंने ही इस कार्यक्रम से होने वाले लाभों को प्राप्त किया।


2. एकीकृत ग्राम विकास

एक संकल्पना के रूप में एकीकृत ग्राम विकास शब्द को व्यापक स्वीकृति प्राप्त हुई है, भले ही इस संकलाना को परिभाषित करने में ग्राम विकास के कुछ मूलभूत तत्वों को महत्व देते हैं। अधिकतर विकासशील देशों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना में व्यापक गरीबी खराब स्वास्थ्य स्थिति, निरक्षरता, शोषण, भूमि और अन्य संपदाओं का असामान्य वितरण ग्रामीण आधारभूत बाचे और जन सुविधाओं का अभाव जैसे लक्षण मौजुद हैं। स्पष्ट रूप से ग्राम विकास को आगे बढ़ाने के लिए इन सभी कारकों का ध्यान में रखते हुए समस्या को हल करने के लिए व्यापक कार्यनीति के उपागम की आवश्यकता होती है।

एकीकृत ग्राम विकास की संकल्पना का प्रचलन ग्राम नियोजन को बहुउदेश्यीय दबाव की जरूरत की वजह से हुआ। यह इस बात पर चल देता है कि ग्राम विकास के बहुत से पहलु, जिनका ग्रामीण जीवन पर प्रभाव है, परस्पर संबंधित हैं और उन्हें असग करके नहीं देखा जा सकता। अतः ग्राम विकास के लिए एकीकृत उपागम अति आवश्यक है। ग्रामीण जीवन के विभिन्न आयाम कृषि और संबद्ध गतिविधियों में वृद्धि ग्रामीण औद्योगिकरण शिक्षा, स्वास्थ्य 73/26 उन्मूलन और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम सभी मिलकर ग्राम विकास की समस्या के लिए एकीकृत उपागम का एक घटक है।


3. ग्राम विकास में स्थानीय स्तर की सहभागिता

1980 के दशक के अंत में स्थानीय स्तर की सहभागिता को भारत में अधिक बल दिया गया है। 1990 के दशक के प्रारंभ में संविधान का 73वां और 74वां संशोधन इस संबंध में विशेष महत्व रखते हैं। साथ ही विकासशील देशों के कई हिस्सों में, जिसमें भारत भी हैं, गैर सरकारी संगठन अब सहभागी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहे हैं।

 इन प्रयासों के मुख्य उद्देश्य निम्नवत हैं। 

 ग्रामीण क्षेत्रों में विशिष्ट लोगों को दबाना, जिससे कि ग्राम विकास की प्रक्रिया को गरीब लोग सक्रिय होकर साकार करें।

 स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा महसूस की जा रही आवश्यकता को महत्व देना और उनकी उर्जा और दृष्टिकोण का उपयुक्त कार्यक्रमों के निर्माण में शामिल करना।

 ग्रामीण समाज में परिवर्तन के लिए लोगों की दृष्टिकोण में शिक्षा का एक उपकरण की तरह उपयोग करना। शिक्षा का इस्तेमाल इस तरह से किया जाए कि यह लोगों को समाज में परिवर्तन लाने के लिए संगठित करने में सफल हो सका 


4. ग्रामीण विकास की प्रमुख योजनाएं

ग्रामीण लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वर्तमान समय में कुछ योजनाएँ चलाई जा रही हैं जो निम्नलिखित

समन्वित ग्राम विकास कार्यक्रम 1976-77

ग्रामीण युवक स्वरोजगार प्रशिक्षण योजना (TRYSEM)- 1979

ग्रामीण क्षेत्रीय महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम (DWACRA)- 1982-83

ग्रामीण कारीगर योजना (SITRA)-1982 दस लाख कूप योजना (MWS)- 1988-89

अंत्योदय कार्यक्रम 1977

स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY)- 1999

संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY)- 2001


ग्रामीण आवास योजनाएँ (RHS) में तीन योजनाएँ

1) इंदिरा आवास योजना 1985

2) वाल्मिकी अंबेडकर आवास योजना 2001

3) सूखा- संभावित क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP)- 1973 5)

4) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)- 2000)

5) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (ग्रामीण आवास) 2000

ग्रामीण विकास का मतलब क्या होता है?

ग्रामीण विकास का अर्थ लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव दोनों ही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है।

भारत में ग्रामीण विकास क्यों महत्व है?

भारत के विकास के लिए जिन क्षेत्रों में नई और सार्थक पहल करने की आवश्यकता बनी हुई है, वे इस प्रकार हैं; मानव संसाधनों का विकास जिसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं: साक्षरता, विशेषकर नारी साक्षरता, शिक्षा और कौशल का विकास | स्वास्थ्य, जिसमें स्वच्छता और जन-स्वास्थ्य दोनों शमिल हैं। जन समुदाय की समस्याओं की पहचान करें।

विकास कार्यक्रम क्या है?

सामाजिक एवं आर्थिक अवसंरचनाओं के विकास, विकास में लोगों की भागीदारिता को प्रोत्साहित करने, लोगों के मन से विरक्ति एवं असुरक्षा की भावना दूर करने के उद्देश्य से निम्नलिखित विशेष पहलों की शुरुआत की गई है ताकि सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए अनुकूल परिस्थितियों का सृजन किया जा सके।

ग्राम कल्याण क्या है भारत में इसके महात्मा को समझाइए?

ग्राम उनके विकास कार्यक्रम का आधार है। भारत के प्रत्येक व्यक्ति को खाना, कपड़ा, रोजगार उपलब्ध कराना गाँधी का एकमात्र लक्ष्य था। गांधीजी के विचारानुसार आदर्श ग्राम पूर्णतया स्वावलम्बी होना चाहिए, घरों में प्रयाप्त प्रकाश एवं हवा की व्यवस्था होनी चाहिए, वे सभी स्थानीय साधन सामग्री से सम्पन्न होने चाहिए।