फैशन डिजाइन का क्या मतलब है? - phaishan dijain ka kya matalab hai?

फैशन डिजाइन का क्या मतलब है? - phaishan dijain ka kya matalab hai?

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फैशन डिज़ाइन कपड़ों और एक्सेसरीज् पर डिज़ाइन और सौंदर्य को साकार करने की कला है। फैशन डिज़ाइन सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवहार से प्रभावित होते हैं और समय और जगह के साथ बदलते रहे हैं। फैशन डिज़ाइनर कपड़े और उपसाधन डिज़ाइन करने में विभिन्न तरीकों से काम करते हैं। कुछ डिज़ाइनर अकेले या कुछ समूह में काम करते हैं। वे सुन्दर तरीके से डिज़ाइन किए कपड़ों के प्रति उपभोक्ता की इच्छा को संतुष्ट करते हैं और चूँकि डिज़ाइन के पश्चात् कपडे को बाजार तक आने में समय लग जाता है इसलिए वे कई बार उपभोक्ता की पसंद का पूर्वानुमान भी करते हैं। वास्तव में कुछ डिज़ाइनर इतने प्रतिष्ठित हैं कि वे ही फैशन का चलन निर्धारित करते हैं।

फैशन डिज़ाइनर प्रयास करते हैं कि उनके बनाये हुए कपड़े सिर्फ उपयोगिता की दृष्टी से ही नहीं बल्कि दिखने में भी अच्छे लगें. उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए, वह कपड़ा कौन पहनेगा और उसे किन मौकों पर पहना जायेगा. उनके पास काम करने के लिए कपड़ों की विस्तृत श्रंखला और सामग्री का संयोजन होता है और इसके साथ ही रंगों, नमूनों और शैलियों की भी विस्तृत श्रंखला होती है। हालांकि ज्यादातर रोज़ाना पहने जाने वाले कपडे पारंपरिक शैली की श्रेणी में आते हैं, पर कुछ अलग तरह की पोशाकें कुछ ख़ास मौकों के लिए होती हैं, जैसे कि शाम को पहने जाने वाली पोशाकें या फिर पार्टी में पहने जाने वाले परिधान.

कुछ कपड़े व्यक्ति विशेष के लिए बनाये जाते हैं, जैसे कि हौट कोचर या ऑफ-द-रैक. आजकल ज्यादातर कपड़े आम जनता के लिए बनाये जाते हैं, खास कर कि आरामदायक और रोज़मर्रा में पहने जाने वाले कपड़े.

संरचना[संपादित करें]

फैशन डिज़ाइनर कई तरीकों से काम कर सकते हैं। फैशन डिज़ाइनर किसी एक फैशन के लिए पूर्ण तौर पर काम कर सकते हैं, जिन्हें 'इन-हाउस-डिज़ाइनरों' के नाम से जाना जाता है जो डिज़ाइन का अधिकार अपने पास रखते हैं। वे अकेले काम कर सकते या फिर किसी समूह के साथ. फ्रीलान्स डिज़ाइनर खुद के लिए काम करते हैं, वो अपनी डिज़ाइन फैशन हाउस को बेचते हैं, सीधे दुकानों को या फिर कपड़ा निर्माताओं को। वस्त्रो पर वस्त्र निर्माताओं का लेबल होता है। कुछ फैशन डिज़ाइनर अपना खुद का लेबल विकसित करते हैं और उसी के तहत वे अपने डिज़ाइनों का विपणन करते हैं। कुछ फैशन डिज़ाइनर स्वरोजगारी होते हैं और व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए डिज़ाइन करते हैं। अन्य उच्च फैशन डिज़ाइनर विशेष स्टोर या हाई-फैशन डिपार्टमेंट स्टोर की ज़रूरतों को पूरा करतें हैं। ये डिज़ाइनर मौलिक वस्त्र तो बनाते ही हैं और साथ ही ऐसे वस्त्र भी जो कि फैशन के चलन के अनुरूप होते हैं। ज्यादातर फैशन डिज़ाइनर परिधान निर्माताओं के लिए काम करते हैं, आम जनता के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के फैशन के डिज़ाइन भी विकसित करते हैं। बड़े नामी डिज़ाइनर ब्रांड जैसे कि केल्विन क्लेन, गुची या चैनल के परिधान, डिज़ाइन निदेशक के दिशा-निर्देश के अंतर्गत व्यक्तिगत डिज़ाइनरों के समूह द्वारा डिज़ाइन किये जातें हैं।

== संग्रह की डिज़ाइनिंग == फैशन संग्रह, डिज़ाइनरों द्वारा हर सीज़न बनाये गए वस्त्रों का संकलन है जिसके माध्यम से वे उच्च श्रेणी के परिधान और सामान्य वर्ग श्रृंखला के नए प्रचलित वस्त्र को साथ में प्रदर्शित करते हैं। यह माना जाता है कि इसके द्वारा वे पिछले एक या दो सीजन के परिधानों को नियोजित रूप से अप्रचलित भी कर देते हैं। एक फैशन सीज़न या तो शरद/सर्दी या वसंत/ग्रीष्म के रूप में परिभाषित किया जाता है।

== वस्त्र डिज़ाइनिंग == फैशन डिज़ाइनर अलग अलग तरीकों से काम करते हैं। कुछ कागज पर अपने विचारों के रेखाचित्र बनाते हैं, जबकि अन्य एक पोशाक के रूप में कपड़े की सजावट करते हैं। जब एक डिज़ाइनर अपने बनाये टॉयल (अथवा मलमल) के कपड़े से बनायी गयी अपनी डिज़ाइन की फिटिंग से पूरी तरह से संतुष्ट हो जाता है/हो जाती है, तब वह एक पेशेवर स्वरुप विकसित करने वाले की सहायता से उस डिज़ाइन का व्याहारिक प्रारूप कपड़े पर बनाता उतारता है। पैटर्न निर्माता का कार्य बहुत सटीक और कठिन है। परिधान की फिटिंग उनकी परिशुद्धि पर निर्भर करती है। अंत में, एक नमूने के तौर पर एक परिधान बनता और एक मॉडल पर उसका परीक्षण किया जाता है।

इतिहास[संपादित करें]

साधारण तौर पर फैशन डिज़ाइन 19 वीं शताब्दी में चार्ल्स फ्रेडरिक वर्थ से शुरू हुआ माना जाता है, जो कि अपने बनाये कपड़ों पर अपने नाम का लेबल लगाने वाला पहला डिज़ाइनर था। ड्रेपर, चार्ल्स फ्रेडरिक वर्थ द्वारा पेरिस में अपना मैसन कोचर (फैशन हाउस) स्थापित करने से पहले, कपड़ों का डिज़ाइन एवं निर्माण ज्यादातर अनाम दरजिनों द्वारा किया जाता था और उच्च फैशन की अवधारणा शाही दरबार के वस्त्रों से आती थी। वर्थ की सफलता ऐसी थी कि वह ग्राहकों द्वारा अपनी पसंद बताये जाने की जगह पर वह खुद उनको बताता था कि उन्हें क्या पहनना चाहिए जब कि उस समय के अन्य डिज़ाइनर ग्राहकों के बताने के अनुसार काम करते थे। वास्तव में शब्द कोशुरियर का प्रयोग पहली बार उसका वर्णन करने के लिए ही किया गया। शैक्षिक उपयोग में किसी भी समय के परिधानों का अध्ययन हम वेष डिज़ाइन के रूप में करते हैं जबकि 1858 के बाद निर्मित किसी भी कपडे को हम फैशन डिज़ाइन के अंतर्गत रखते हैं।

इसी अवधि के दौरान कई अन्य डिज़ाइन हाउस भी चित्रकारों को काम पर रख कर वस्त्रों के डिज़ाइन को चित्रित करवाने लगे। ये चित्र, जो किसी वास्तविक परिधान को तैयार करने से काफी सस्ते थे, ग्राहकों को दिखाए जाने लगे। अगर ग्राहक को उनका डिज़ाइन पसंद है, तो ग्राहक के आदेश पर वे उस परिधान को तैयार करवा देते थे और उस तैयार परिधान से उन्हें मुनाफा होता था। इस प्रकार, ग्राहकों के लिए मॉडलों पर पूरा वस्त्र पेश करने के बजाय डिज़ाइनरों द्वारा तैयार परिधान डिज़ाइन चित्र की परंपरा सस्ती साबित हुई।

फैशन के प्रकार[संपादित करें]

वस्त्र निर्माताओं द्वारा उत्पादित वस्त्र तीन मुख्य श्रेणियों में आते हैं, हालांकि इनको और भी विशिष्ट श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

फ़ैशनेबल वस्त्र-निर्माता या हौट-कोचर[संपादित करें]

1950 के दशक तक, अधिकांश फैशन परिधान या तो नाप-निर्मित या हौट-कोचर (उच्च फैशन का फ्रेंच शब्द) के अनुसार डिज़ाइन किये जाते एवं बनाये जाते थे, एक परिधान एक व्यक्ति-विशेष ग्राहक के लिए डिज़ाइन किया जाता था। एक उच्च-फैशन परिधान अकेले ग्राहक के आदेश पर निर्मित होता है और आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले, महंगे कपड़े से, बारीकियों पर ध्यान देते हुए, अक्सर हस्त-निर्मित व समय लेने वाली विधियों से सिला जाता है। इनकी सामग्री की लागत और बनाने में लगने वाले समय से कहीं ज़्यादा ज़रूरी होती है इनकी दिखावट-बनावट.

पहनने-को-तैयार[संपादित करें]

पहनने-को-तैयार कपड़े जन बाजार और हौट-कोचर के बीच के होते हैं। ये व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए नहीं बनाये जाते, पर कपड़ों के चुनाव और नाप-जोख में बड़ी सावधानी बरती जाती है। ये कपड़े छोटी मात्रा में बनाए जाते हैं जिनसे कि इनकी विशिष्टता की गारंटी रहे, इसीलिए ये महंगे होते हैं। पहनने-को-तैयार संकलन साधारणत: हर साल एक निश्चित अवधि पर चलने वाले फैशन सप्ताह में फैशन हाउस द्वारा प्रदर्शित किये जाते हैं। इसका आयोजन शहरी आधार पर, साल में दो बार होता है।

जन बाजार[संपादित करें]

वर्तमान में फैशन उद्योग की बिक्री जन-बाजार पर बहुत अधिक निर्भर करती है। जन बाजार, ग्राहकों की एक विस्तृत श्रृंखला की आवश्यकताओं को पूरा करता है, मानक मापों के अनुसार, पहनने-को-तैयार कपड़ों का काफी मात्रा में उत्पादन होता है। सृजनात्मक रूप से प्रयोग किया गया सस्ता सामान, वहन करने योग्य फैशन बनाता है। जन बाजार के डिज़ाइनर, नामी डिज़ाइनरों द्वारा स्थापित विचारधाराओं को अपनाते हैं। किसी मौलिक डिज़ाइन के प्रतिरूप को बनाने से पहले, अक्सर वो ये निश्चित करने के लिए कि कोई शैली कितनी चलेगी, एक सीज़न तक प्रतीक्षा करतें हैं पैसा और समय बचाने के लिए, वे सस्ते वस्त्रों और सरल उत्पादन तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिनका कि मशीनों द्वारा आसानी से उत्पादन किया जा सके। इसलिए अंत-उत्पाद बहुत अधिक सस्ते में बेचा जा सकता है।

एक डिज़ाइन होती है जिसे कहा जाता है "किस्च डिज़ाइन" जोकि जर्मन शब्द "किशेन" से निकली है यानी कि बदसूरत या जिसमें कि सौंदर्य बोध न हो। दूसरे तरीके से भी किस्च को समझाया जा सकता है, "पहनने या दिखाने की कोई चीज़ जिसका समय निकल गया है या जो अब फैशन में नहीं है। इसलिए यदि आप एक ऐसी पैंट पहनें है जो एक बार 80 के दशक में पहनी थी, वह "किस्च" फैशन शैली कहलायेगी[1].

आय[संपादित करें]

फैशन डिजाइन का क्या मतलब है? - phaishan dijain ka kya matalab hai?

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वेतनभोगी फैशन डिज़ाइनरों के लिए मध्य वार्षिक मजदूरी मई 2008 में $61,160 थी। मध्य के 50 प्रतिशत 42,150 डॉलर और 87120 डॉलर के बीच अर्जित करते थे। निम्नतम 10 प्रतिशत, 32,150 डॉलर से कम और उच्चतम 10 प्रतिशत 124,780 डॉलर से अधिक अर्जित करते थे। फैशन डिज़ाइनरों को सबसे ज्यादा रोज़गार देने वाले उद्योग- परिधान, फुटकर सामान और संकल्पना में, औसत वार्षिक आय 52860 डॉलर (28,340 पाउंड) थी[2].

फैशन शिक्षा[संपादित करें]

फैशन डिजाइन का क्या मतलब है? - phaishan dijain ka kya matalab hai?

विश्व में बहुत से नामी कला स्कूल और डिज़ाइन संस्थान हैं जो फैशन डिज़ाइन या टेक्नोलॉजी में डिग्री प्रदान करते हैं। उल्लेखनीय डिज़ाइन स्कूलों में हैं - फैशन इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन एंड मर्केंडाईजिंग, फैशन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलाजी, इंस्टिट्यूटो मरंगोनी, सेंट्रल सेंट मार्टिंस कॉलेज ऑफ़ आर्ट एंड डिज़ाइन,नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलाजी, इंडिया ,सवानाह कॉलेज ऑफ़ आर्ट एंड डिज़ाइन, प्रेट इंस्टिट्यूट, लंदन कॉलेज ऑफ़ फैशन और लन्दन यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर लन्दन; फैशन फेडरेशन, न्यूयोर्क का पार्सन्स दी न्यू स्कूल फॉर डिज़ाइन, मिलान का पोलिटेक्निको, शिकागो का कोलम्बिया कॉलेज, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन डिज़ाइन और पकिस्तान का नेशनल कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स (एन सी ऐ) और मेलबोर्न की आर.ऍम.आई.टी यूनिवर्सिटी तथा शिह चैन यूनिवर्सिटी और ताइवान की फू जेन कैथोलिक यूनिवर्सिटी.

फैशन डिज़ाइन के क्षेत्र[संपादित करें]

कई पेशेवर फैशन डिज़ाइनर फैशन के किसी एक विशेष क्षेत्र की विशेषज्ञता से शुरुआत करते हैं। बाजार जितना छोटा और विशिष्ट होगा, कंपनी द्वारा अपने परिधानों को एक सही आकार और भाव दे पाने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। अगर एक कंपनी अलग-अलग उत्पादों की बजाय एक विशेष प्रकार के उत्पाद से जानी जाती है तो उसको इस उद्योग में अपनी पहचान बनाने में आसानी होती है। एक बार एक फैशन कंपनी स्थापित हो जाये (मतलब कि, नियमित ग्राहक हों और व्यापारी वर्ग और जनता के बीच जाने जाते हों), तो फिर वह नए क्षेत्र में विस्तार करने का फैसला कर सकती है। यदि फर्म ने अपने द्वारा बनाये गए कपड़ों से अपना नाम बना लिया है तो उनको नए किस्म के कपड़े बेचने में मदद मिलती है। आमतौर पर कंपनी के लिए सुरक्षित होता है कि वह उन्ही क्षेत्रों में विस्तार करे जिसकी उसे जानकारी है। उदाहरण के लिए, महिलाओं के खेलवस्त्रों का डिज़ाइनर पुरुषों के खेलवस्त्र में विस्तार कर सकता है। नीचे दिया गया चार्ट डिज़ाइनरों की विशेषज्ञता के क्षेत्रों के चयन को दर्शाता है।

क्षेत्र संक्षिप्त बाजार
महिलाओं के दिन में पहनने वाले पोशाक व्यावहारिक आरामदायक, फैशनेबल हौट-कोचर, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार

[1]

महिलाओं की सांयकालीन पोशाक आकर्षक, परिष्कृत, अवसर के लिए उपयुक्त हौट-कोचर, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
महिलाओं के अंतर्वस्त्र आकर्षक, आरामदायक, धोने योग्य हौट-कोचर, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
पुरुषों के दिन में पहनने वाले पोशाक अनौपचारिक, व्यावहारिक, आरामदेह सिलाई, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
पुरुषों की सांयकालीन पोशाक आधुनिक, उत्कृष्ट, व्यावहारिक, धोने योग्य, कार्यात्मक सिलाई, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
बच्चों की पोशाक चलन के अनुसार या अच्छे दर्जे की, व्यावहारिक, धोने योग्य, कार्यात्मक पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
बालिकाओं की पोशाक सुंदर, रंगीन, व्यावहारिक, धोने योग्य, सस्ती पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
किशोर बालिकाओं की पोशाक रंगीन, आरामदायक, आकर्षक, सुंदर पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
खेल पोशाक आरामदायक, व्यावहारिक, हवादार, धोने योग्य, कार्यात्मक पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
बुने हुए वस्त्र मौसम के अनुरूप भार और रंग पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
उधोवस्त्र भव्य, गर्म, मौसम के अनुरूप भार और रंग पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
दुल्हन के लिबास वैभवशाली, आकर्षक, उत्कृष्ट हौट-कोचर, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार
सहायक वस्त्र सामग्री अदुभुत, फैशनेबल हौट -कोचर, पहनने-को-तैयार, जन बाज़ार

विश्व फैशन उद्योग[संपादित करें]

फैशन आज एक वैश्विक उद्योग है और सभी प्रमुख देशों में फैशन उद्योग अस्तित्व में है। कुछ देश प्रमुख उत्पादन केंद्र हैं, खासकर चीन, दक्षिण कोरिया, स्पेन, जर्मनी, ब्राजील और भारत. पांच देशों ने फैशन डिज़ाइन में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त की है। ये देश हैं फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान.

अमेरिकी फैशन डिज़ाइन[संपादित करें]

अधिकांश अमरीकी फैशन हाउस न्यूयॉर्क में हैं, यद्यपि लॉस एंजेल्स में भी काफी फैशन हाउस हैं, जहाँ अमरीका में तैयार कपड़ों का बड़ा भाग उत्पादित होता है। मिआमी और शिकागो, जो किसी समय अमरीकी फैशन के केंद्र थे, में भी कई तेजी से बढ़ते हुए उद्योग हैं। अमेरिकी फैशन डिज़ाइन में एक साफ़-कट एवं अनौपचारिक शैली का प्रभुत्व है, जो अमेरिकी लोगों के चुस्त, स्वास्थ्य के प्रति सजग जीवन शैली को दर्शाता है। 1940 व 50 के दशक में क्लेयर मैक-कार्डेल नामक डिज़ाइनर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में खेल से प्रभावित दैनिक वस्त्रों का चलन शुरू करने में सहायता की। उसके कई डिज़ाइन, हाल के दशकों में पुनर्जीवित किये गए है। अमेरिकी फैशन पर आधुनिक प्रभावों में टॉमी हिलफिगर, केल्विन क्लेन, राल्फ लॉरेन, अन्ना सुई, डोना केरन, कोर्टनी वाशिंगटन, केनेथ कोल, मार्क जेकॉब्स, एली तहारी, किमोरा ली सीमन्स, माइकल क़ोर्स, वेरा वैंग, बेट्सी जॉनसन आदि नाम आते हैं।

ब्रिटिश फैशन डिज़ाइन[संपादित करें]

लंदन लंबे समय से यू॰के॰ फैशन उद्योग की राजधानी रहा है और इसके पास उन विदेशी डिज़ाइनों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो आधुनिक ब्रिटिश शैली के साथ एकीकृत हैं। आदर्श ब्रिटिश डिज़ाइन स्मार्ट लेकिन प्रयोगशील होता है और अभी हाल की आधुनिक तकनीकों के साथ परंपरागत शैलियों के जुड़ने से अधिक से अधिक गैर परंपरागत बन गया है। ब्रिटिश डिज़ाइनरों में सबसे उल्लेखनीय नाम हैं ब्र्बैरी, पॉल स्मिथ, विविएन वेस्टवुड, स्टैला मेकार्टनी, जॉन गैलिआनो, जैस्पर कांरान और अलेक्जेंडर मैक-क्वीन. सेंट-हिल और वोन बेसडो को अंतिम ब्रिटिश हौत-कोचर का दर्जा प्राप्त है।

फ्रेंच फैशन डिज़ाइन[संपादित करें]

ज्यादातर फ्रेंच फैशन हाउस पेरिस में हैं, जो फ्रांसीसी फैशन की राजधानी है। परंपरागत रूप से, फ्रेंच फैशन आधुनिक और स्टाइलिश है और अपने परिष्कृत रूप, साफ़ कट और स्मार्ट एक्सेसरीज् द्वारा परिभाषित होता है। पेरिस के प्रमुख फैशन हाउस बलमेन, लुइ विटन, चेनल, वाईस सैंट लॉरेन, क्रिसचियन डिओर, गिवेंची, बलेंसिआगा एवं क्लो हैं और ये डिज़ाइनर साल में दो बार अपने परिधान प्रदर्शित करते हैं। हालांकि ग्लोबल लेंगुएज मॉनिटर, मिलान और न्यूयॉर्क के बाद इसे मीडिया में तीसरे स्थान पर रखता है, फ्रेंच फैशन दुनिया भर में मशहूर है और पेरिस फैशन के लिए प्रतीकात्मक प्रमुख स्थल है।

इतालवी फैशन डिज़ाइन[संपादित करें]

इटली वर्तमान में दुनिया में फैशन की दिशा निर्धारित करता है और मिलान निस्संदेह फैशन की राजधानी है। अधिकांश वस्त्र निर्माण करने वाले इतालवी रोम में हैं। हालांकि, मिलान और फ्लोरेंस इतालवी फैशन की राजधानियाँ हैं और यह संग्रह प्रदर्शित करने वालो के लिए प्रमुख प्रदर्शनी स्थल भी हैं। इतालवी फैशन अनौपचारिक भव्यता और शानदार कपड़ों के लिए जाना जाता है। पहला भव्य इतालियन ब्रांड फ्लोरेंटाइन सल्वाटॉर फेरागामो था (वे संयुक्त राज्य अमरीका को 1920 से उत्कृष्ट, हाथ से बने जूते निर्यात कर रहे हैं); वे विश्व के प्रसिद्ध फैशन नामों में से हैं और इसी कड़ी में फ्लोरेंटीन गुच्ची भी है जो कि सबसे ज्यादा बिकने वाला इतालियन फैशन ब्रांड है, विश्व भर में इनकी बिक्री 7.158 अरब डालर से भी अधिक है जो विश्व में तीसरी सर्वाधिक बिक्री है[3]. अन्य प्रसिद्ध इतालवी फैशन डिज़ाइनरों में वालेंतीनो गरवानी, डोलचे एंड गब्बाना, एतरो, एमिलियो पुच्ची, रॉबर्टो कवाली, वरसाची, जियोर्जियो अरमानी, फेंडी, बोर्बोनेस, प्रादा, लोरो पिआना, बयब्लोस, अलबेर्टा फेर्रेत्ती, मोस्चीनो, अर्मेनिगिल्दो ज़ेगना, ला पर्ला, एग्नोना, लौरा बियजिओत्ति, लांसेट्टी, आइसबर्ग, कार्लो पिगनातेल्ली, एस. निक बरुआ, मिला शों, रोबर्टा डी कैमेरिनो, सोलीडा, क्रिजिया, मिस्सोनी और त्रुस्सार्दी. हालांकि मिलान फैशन की राष्ट्रीय और वैश्विक राजधानी है, रोम, फ्लोरेंस, ट्यूरिन, नेपल्स और वेनिस में भी कई विशिष्ट फैशन बुटीक हैं और अंतर-राष्ट्रीय राजधानियां हैं।

स्विस फैशन डिज़ाइन[संपादित करें]

अधिकांश स्विस फैशन हाउस ज्यूरिख में हैं। स्विस कपड़े अनौपचारिक सुरुचिपूर्ण और विलासितापूर्ण दिखते हैं। सेंट गेलेन में निर्मित वस्त्र दुनिया भर के मशहूर और महत्वपूर्ण फैशन हाउसों (पेरिस / न्यूयॉर्क / लंदन / मिलान / टोक्यो) को निर्यात होते हैं। पहली स्विस लक्जरी ब्रांड अल्वोनी इतालियन/स्विस डिज़ाइनर मरीएन्न अल्वोनी द्वारा शुरू किया हुआ है।

जापानी फैशन डिज़ाइन[संपादित करें]

[[टोक्यो|अधिकांश जापानी फैशन हाउस टोक्यो]] में हैं। जापानी वस्त्र ढीले और असंरचित होते हैं (अक्सर जटिल कटिंग से बनाये जाते हैं), अधिकांश रंग फीके और हल्के होते हैं और कपड़े की संरचना शानदार होती है। प्रसिद्ध जापानी डिज़ाइनर हैं योह्जी यामामोटो, केन्जो, इस्से मियाके (कुशल फिटिंग और कट), कॉमं दे गार्सोंस का रेई कवाकुबो, जिन्होंने काटने का एक नया तरीका विकसित किया (जो मेडेलीन वीओन्नेट की 1930 के नवरचना के समकक्ष है)।

फैशन डिज़ाइन की शब्दावली[संपादित करें]

  • फैशन डिज़ाइनर अनुपात, रंग और स्पर्श के विभिन्न संयोजनों से परिधान की रचना करता है। जबकि सिलाई और रूप-रेखा बनाने का कौशल फायदेमंद होता है, पर उसका होना फैशन डिज़ाइन के लिए ज़रूरी नहीं है। ज्यादातर फैशन डिज़ाइनर औपचारिक रूप से प्रशिक्षित किये जाते हैं या फिर प्रशिक्षु के तौर पर.
  • पैटर्न मेकर (या पैटर्न कटर) परिधान के टुकड़ों के आकार-प्रकार का रेखाचित्र बनाता है। इसे कागज और माप उपकरण की मदद से हाथ से किया जा सकता है या फिर एक ऑटोकैड कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के उपयोग से किया जा सकता है। एक अन्य तरीका है कि कपड़े को एक पोशाक के तौर पर ओढ़ाया जाए. परिणामस्वरूप उभरे पैटर्न के टुकड़े को परिधान के नियत डिज़ाइन के लिहाज़ से अपेक्षित नाप का उत्पादन किया जा सकता है। पैटर्न मार्कर के रूप में काम के लिए औपचारिक प्रशिक्षण आमतौर पर आवश्यक होता है।
  • टेलर ग्राहक की नाप के अनुसार कपड़ों को डिज़ाइन करता है, विशेष रूप से सूट (कोट और पतलून, जैकेट और स्कर्ट आदी)। दर्जी आमतौर पर एक प्रशिक्षु या अन्य औपचारिक प्रशिक्षण से गुजरता है।
  • वस्त्र डिज़ाइनर कपडे की बुनाई, प्रिंट और साज-सामान के लिए कपडे का चुनाव और डिज़ाइन करता है। ज्यादातर वस्त्र डिज़ाइनर औपचारिक रूप से प्रशिक्षुओं के तौर पर और स्कूल में प्रशिक्षित किये जाते हैं।
  • स्टाइलिस्ट कपड़े, गहने और एक्सेसरीज् का तालमेल बिठाता है जिसका उपयोग फैशन फोटोग्राफी और मॉडलिंग कैटवाक में किया जाता है। एक स्टाइलिस्ट व्यक्तिगत ग्राहक के साथ भी कपड़ों के एक संग्रह का तालमेल बिठाने के लिए कार्य कर सकता है। अधिकांश स्टाइलिस्ट फैशन डिज़ाइन में प्रशिक्षित होते हैं। उन्हें फैशन और पोशाक के इतिहास और ऐतिहासिक रुझान का ज्ञान होता है और मौजूदा फैशन एवं भविष्य के बाजार के रुझान की भी विशेषज्ञता होती है। हालांकि, कुछ को बस अच्छा सौंदर्य बोध होता है जिस से वे एक दर्शनीय रूप दे पाते हैं।
  • खरीददार खुदरा भंडार, डिपार्टमेंट स्टोर्स एवं चेन स्टोर्स से उपलब्ध कपड़ों का संकलन चुनता और खरीदता है। ज्यादातर फैशन खरीददार फैशन अध्ययन में प्रशिक्षित होते हैं।
  • दर्जिन पहनने को तैयार, या अधिक लोगों के लिए बनाये गए कपड़ों को पोशाक की दुकान अथवा कारखाने में हाथ से या मशीन से सीती है। उसे (पुरुष अथवा महिला) कपड़ों को तैयार करने (डिज़ाइन और काटना) या मॉडल पर फिट करने का कौशल होना आवश्यक नहीं है।
  • फैशन डिज़ाइन का शिक्षक छात्रों को फैशन डिज़ाइन की कला और शिल्प को सिखाता है।
  • कस्टम क्लोथियर (कपड़ा बनाने वाला) ग्राहक के आदेश पर विशिष्ट रूप से कपड़ों का निर्माण करता है।
  • ड्रेसमेकर, विशिष्ट रूप से महिलाओं के लिए बनाए कपड़ों में कुशल होते हैं: इनमे दिन के कपड़े, कॉकटेल एवं शाम को पहनने के कपड़े, बिज़नस पोशाक और सूट्स, दुल्हन का साज-सामान और अंतर्वस्त्र आते हैं।
  • चित्रकार वाणिज्यिक उपयोग के लिए, परिधान की डिज़ाइन को बनाता और रंगता है।
  • फैशन भविष्यवक्ता दुकानों में कपड़ों की बिक्री से पहले ही भविष्यवाणी कर देता है कि कौन सा रंग, शैली और आकार प्रचलित होगा।
  • मॉडल, फैशन शो और तस्वीरों में पोशाकें पहन कर दिखाती हैं।
  • फिट मॉडल कपड़ों के निर्माण और डिज़ाइन के दौरान कपड़े पहनकर और कपड़े की फिट के बारे में टिप्पणी करके फैशन डिज़ाइनर की सहायता करता है। इस उद्देश्य की वजह से फिट मॉडल को एक विशेष नाप-जोख का होना चाहिए।
  • फैशन पत्रकार, पत्रिकाओं और अख़बारों के लिए लिखे लेखों में प्रस्तुत परिधान और फैशन-रुझान का वर्णन करता है।
  • फेर-बदल विशेषज्ञ अल्ट्रेश्निस्ट, तैयार किये गए कपड़े को समायोजित करता है, आमतौर पर पहनने के लिए तैयार कपड़ो को और कभी-कभार शैली को ही बदल देता है टिप्पड़ी: दर्जी ग्राहक की नाप के अनुसार वस्त्रों में फेरबदल करता है इसके बावजूद, सभी फेर-बदल विशेषज्ञ दर्जी नहीं हो सकते.
  • अक्स सलाहकार, वस्त्रागार सलाहकार या फैशन सलाहकार ग्राहक को प्रशंसा योग्य शैली और रंग की सलाह देता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. [4] ^ब्यूरो ऑफ़ लेबर स्टेटीस्टिक्स, यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ लेबर, ओक्युपेश्नल आउटलुक हैंडबुक, 2010-11 एडिशन, फैशनडिज़ाइनर्स, इन्टर्नेट पर (http://www.bls.gov/oco/ocos291.हतं[मृत कड़ियाँ] (9 मार्च 2010 को देखा गया)
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 नवंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 सितंबर 2010.
  3. "Best Global Brands: The 100 Most Valuable Brands" Archived 2010-09-22 at the Wayback Machine वेरा ब्रैडली बिजनेस वीक

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • फैशन के बारे में

फैशन डिजाइन का मतलब क्या होता है?

फैशन डिज़ाइन कपड़ों और एक्सेसरीज् पर डिज़ाइन और सौंदर्य को साकार करने की कला है। फैशन डिज़ाइन सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवहार से प्रभावित होते हैं और समय और जगह के साथ बदलते रहे हैं। फैशन डिज़ाइनर कपड़े और उपसाधन डिज़ाइन करने में विभिन्न तरीकों से काम करते हैं। कुछ डिज़ाइनर अकेले या कुछ समूह में काम करते हैं।

फैशन डिज़ाइनर में क्या काम होता है?

फैशन डिजाइनिंग हम उसे कह सकते हैं, जिसमें कई किस्म के कपड़ों, रंगों और ट्रेंड्स का इस्तेमाल कर हम नए स्टाइल्स को तैयार करते हैं। फैशन डिजाइनिंग की आर्ट केवल कपड़ों की डिजाइनिंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हैंडबैग, फुटवियर, ज्‍वैलरी आदि भी आता है।

फैशन डिजाइनर कितने प्रकार के होते हैं?

एक कामयाब फैशन डिज़ाइनर बनने के लिए किसी फॉर्मल एजुकेशन सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन फिर भी इस काम को करना कोई आसान बात भी नहीं है। इसके लिए आपको ड्राइंग, सिलाई और डिज़ाइन करने की स्किल, फैशन इंडस्ट्री की जानकारी और बेमिसाल लगन की ज़रूरत होगी।