Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख . Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams. Show छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 10प्रश्न 1. प्रश्न 2. साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा फूटती है वह रस-धारा क्षण भर में होने वाली रोपाई के परिणामस्वरूप होती है। लेकिन यह रस-धारा अनंत काल तक चलने वाली खेती की कटाई के समान होती है। इस साहित्य के अक्षय पात्र का रस कभी खत्म नहीं होता। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर 1. छोटा मेरा खेत चौकोना शब्दार्थ : चौकोना-चार कोनों वाला, चौकोर। अंधेड़-आँधी, (भावनात्मक आँधी)। पन्ना-पृष्ठ, पेज्ञ। क्षण-पल। प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि उमाशंकर जोशी दवारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कवि-कर्म को खेती के रूपक द्वारा अभिव्यक्त किया है। व्याख्या : कवि कागज़ को खेत का रूपक प्रदान करते हुए कहता है कि मेरा कागज का एक पृष्ठ चौकोर खेत की तरह है। मैं इसी कागत रूपी चौकोर खेत पर कविता को शब्दबद्ध करता हूँ। कवि का कथन है कि कोई भावनात्मक रूपी आंधी कहाँ से आई जिसके प्रभाव से मैंने कागज के पृष्ठ रूपी खेत में रचना-विचार और अभिव्यक्ति रूपी बीज बो दिया। अर्थात मैंने भावनात्मक होकर कागज के पृष्ठ पर किसी अभिव्यक्ति को शब्दबद्ध कर दिया। अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न
2. कल्पना के रसायनों को पी शब्दार्थ : निःशेष-समाप्त, जिसमें कुछ भी शेष न हो। फूटे-पैदा हुए। पुष्पों-फूलों। शब्द के अंकुर-शब्द रूपी अंकुर। पल्लव-पत्ते। नमित-झुका। प्रसंग : ये पंक्तियाँ ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’, नामक कविता से अवतरित हैं। इनमें कवि ने पृष्ठ रूपी खेत में कवि-कर्म को विकसित होता हुआ दिखाया है। व्याख्या : कवि का कथन है कि मैंने कागज के पृष्ठ रूपी खेत में जो अभिव्यक्ति रूपी बीज बोया था, वह बीज कल्पना रूपी रसायन तत्वों को पीकर पूरी तरह से गलकर समाप्त हो गया। तत्पश्चात उसमें से शब्द रूपी अंकुर प्रस्फुटित हुए। अर्थात जिस प्रकार से खेत में बीज बोकर किसान उसमें अनेक प्रकार के रसायन तत्वों का प्रयोग करता है, तब जाकर वह बीज अंकुरित होता है, उसी प्रकार कवि पृष्ठ पर विचारों का बीज बोकर उसमें कल्पना का रसायन डालता है। तत्पश्चात वह बीज शब्दों के रूप में अंकुरित होता है। जैसे खेत में बीज अंकुरित होता है फिर उस पर पत्ते और फूल आते हैं तब उसके बाद वह पूर्णता को प्राप्त करता है, वैसे ही कवि कर्म शब्दों को छंदों में बाँधता हुआ एक संपूर्ण कृति के रूप में प्रकट होता है। अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न
3. झूमने लगे फल, शब्दार्थ : रस-साहित्य या काव्य से प्राप्त आनंद, फल का रस। रोपाई-बीज बोना, पौधे लगाने की क्रिया। जरा-थोड़ा। अलौकिक-अनूठा। अनंतता-जिसका कोई अंत न हो, सदा। अक्षय-जो ख़त्म न हो। प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित है जिसके कवि ‘उमाशंकर जोशी’ हैं। इसमें कवि ने साहित्य के रसानंद की अनंतता का चित्रण किया है। व्याख्या : कवि का कथन है कि साहित्यिक कृति से अलौकिक रस रूपी फल प्रकट होते हैं। एक क्षण की रोपाई के परिणामस्वरूप अमृत रूपी रस की अलौकिक धाराएँ फूटती हैं। कवि कहता है कि यह अमृत रूपी रस-धारा अनंतकाल तक चलने वाली कटाई के समान है। कवि का अभिप्राय यह है कि खेत में पैदा होने वाला अन्न पकने के बाद कट जाता है, लेकिन उत्तम साहित्य की रस-धारा कभी समाप्त नहीं होती। यह रस-धारा पाठकों द्वारा बार-बार पढ़ी जाती है लेकिन फिर भी जरा-सी भी कम नहीं होती है वह अनंतकाल तक भी ख़त्म नहीं होती। कवि कहता है कि मेरा कागज़ का पृष्ठ रूपी छोटा खेत चौकोर है। कवि का अभिप्राय यह है कि मेरा पृष्ठ रूपी खेत बहुत छोटा है लेकिन उससे जो साहित्य की अमृत रस-धारा प्रकट हुई है, वह अनंतकाल तक भी ख़त्म न होने वाली है। अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न
4. नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख, शब्दार्थ : नभ-आकाश। कजरारे-काले-काले। सतेज-तेजस्वी, उज्ज्वल, तेजयुक्त। काया-शरीर। निज माया से-अपनी माया से। पाँखें-पंख। पाँती-बँधे-पंक्ति में बँधे हुए, पंक्तिबद्ध। साँझ-संध्या। श्वेत-सफ़ेद। हौले-हौले-धीरे-धीरे। तनिक-थोड़ा-सा, ज़रा। प्रसंग : प्रस्तुत पद्य हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘बगुलों के पंख’ नामक कविता से अवतरित है। इस पद्य में कवि ने आकाश में उड़ते पक्षियों के सौंदर्य के चित्रात्मक वर्णन के साथ-साथ उसका अपने मन पर पड़ने वाले अटूट प्रभाव का भी सजीव चित्रण किया है। व्याख्या : कवि का कथन है कि असीम आकाश में बगुले पंक्तिबद्ध होकर उड़ रहे हैं। इन बगुलों के सफ़ेद पंख अत्यंत सुंदर एवं मनमोहक हैं। वे सफ़ेद पंखों से युक्त आकाश में उड़ते बगुले मेरी आँखों को चुरा लिए जा रहे हैं। इन काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए बगुलों के पंख काले बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होते हैं। कवि कहता है कि वह दृश्य इतना सुंदर है कि मुझे अपने माया रूपी सौंदर्य से धीरे-धीरे अपने आकर्षण में बाँध रहा है अर्थात मुझे अपनी ओर खींच रहा है। कवि आग्रह करता है कि कोई उस माया को थोड़ा-सा रोके। यह आकाश में उड़ते पंक्तिबद्ध बगुलों के पंखों की सुंदरता निरंतर मेरी आँखों को चुरा लिए जाती है अर्थात उन सफ़ेद बगुलों का पंक्तिबद्ध सौंदर्य मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। कवि ने अपने खेत में कौन सा बीज बोया?2. यहाँ कवि कागज के पन्ने रूपी खेत की बात करता है। 3. कवि ने अपने खेत में शब्द रूपी बीज बोया।
छोटा मेरा खेत कविता में बीज गल गया निःशेष से क्या तात्पर्य है?प्रश्न 1. छोटा मेरा खेत' कविता में 'बीज गल गया निःशेष' से क्या तात्पर्य है? उत्तर: 'बीज गल गया' निःशेष के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि जब कविता का मूल भाव कवि के मन में पूरी तरह से रच-बस जाता है अर्थात् वह उसे आत्मसात कर लेता है, तब वह अहममुक्त हो जाता है।
कविता में खेत की तुलना कागज से क्यों की है स्पष्ट कीजिए?जिस प्रकार छोटा खेत चौकोर होता है, उसी प्रकार कागज़ का पन्ना भी चौकोर होता है। जिस प्रकार खेत में बीज, जल, रसायन डालते हैं और उसमें अंकुर, फूल, फल आदि उगते हैं, उसी प्रकार कागज के पन्ने पर कवि अपने भाव के बीज बोता है तथा उसे कल्पना, भाषा आदि के जरिये रचना के रूप में फसल मिलती है।
बबलू के पंख किसकी रचना है?प्रसंग: प्रस्तुत कविता 'बगुलों के पंख' उमाशंकर जोशी द्वारा रचित है। यह कविता एक सुदंर दृश्य की कविता है। सौदंर्य के प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए कवि कई युक्तियाँ अपनाता है। वह सौदंर्य का चित्रात्मक वर्णन तो करता ही है, साथ ही मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का वर्णन भी करता है।
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