पोंगल त्योहार कब है? इस पर्व की महत्ता क्या है? पोंगल पर्व की उत्पत्ति कैसे हुई? पोंगल कैसे मनाया जाता है? Show
पोंगल त्योहार क्या है? पोंगल एक तमिल शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है “उबालना”। यह चार दिवसीय हिंदू फसल उत्सव है। तमिल सौर कैलेंडर के “ताई” महीने की शुरुआत में इस पर्व को मनाया जाता है, इसलिए इसे “ताई/थाई पोंगल” के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। पोंगल शुभ मुहूर्त चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत 14 जनवरी 2022 से हो रही है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार पोंगल पर पूजा के लिए इस दिन दोपहर 2 बजकर 12 मिनट का शुभ मुहूर्त है. पोंगल की महत्ता क्या है? पोंगल पर्व सूर्य देव को समर्पित है। इस उत्सव के दौरान लोग कृषि की विपुलता के लिए सूर्य देव के साथ प्रकृति की शक्तियों, खेत जानवरों और कृषि का समर्थन करने वाले लोगों को धन्यवाद देते हैं। पोंगल उस क्षण को चिह्नित करता है जब सूर्य मकर राशि (मकर) में प्रवेश करता है। उत्तर भारत में इस पर्व को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। पोंगल पर्व की उत्पत्ति कैसे हुई? यह एक अति प्राचीन त्योहार है, जिसकी उपस्थिति 200 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक यानी संगम युग में देखी जा सकती है। । इतिहासकारों का मानना है की संगम युग में पोंगल के दौरान अविवाहित लड़कियाँ देश की कृषि समृद्धि के लिए प्रार्थना और पूजा-पाठ करती थीं ताकि आने वाले वर्ष में देश में अच्छे और अत्यधिक मात्रा में फसल उत्पादन हो, प्रचुर धन, समृद्धि और खुशहाली हो। चलिए अब पोंगल से जुड़ी कुछ कथाओं को जानें: पोंगल से कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं, पर नीचे दिए गए दो कथाएं सबसे प्रसिद्ध हैं:
पोंगल कैसे मनाया जाता है? यह त्यौहार तमिलनाडु में चार दिनों के लिए मनाया जाता है, पर कुछ लोग तीन दिन के लिए मनाते हैं। दक्षिण एशिया के बाहर तमिल प्रवासी इस पर्व को केवल एक या दो दिन के लिए मनाते हैं।
पोंगल से संबंधित त्योहार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बंगाल, बिहार, गुजरात, असम, उड़ीसा जैसे कई राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाए जाते हैं। केवल भारत ही नहीं, बल्कि मलेशिया, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, अमेरिका, श्री लंका जैसे देशों में स्थित तमिल प्रवासी पूरी निष्ठा और आनंद के साथ इस पर्व को मनाते हैं। नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pongal 2021: पोंगल तमिलनाडु के सबसे ख़ास त्योहारों में से एक है। तमिल में पोंगल का मतलब होता है उफान। उत्तर भारत में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही पोंगल का त्योहार भी फसल और किसानों का त्योहार होता है। पोंगल को 4 दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल महीने 'तइ' की पहली तारीख से शुरू होता है और इसी दिन से तमिल नववर्ष की भी शुरुआत होती है। क्यों मनाते हैं पोंगल दक्षिण भारत में धान की फसल के बाद लोग खुशी व्यतीत करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और भगवान से आगामी फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इन्द्रदेव और खेतिहर मवेशियों की पूजा और आराधना की जाती है। किस तरह मनाया जाता है ये त्योहार? पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन घर की बेकार और खराब चीज़ों को एकत्र कर जलाया जाता है और नई चीज़ों को घर में लाया जाता है। दूसरे दिन लक्ष्मी की और तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है। किसान अपनी गाय-बैलों को स्नान कराकर सजाते भी हैं। चौथे दिन काली पूजा होती है। यानी दिवाली की तरह रंगाई-पुताई, लक्ष्मी की पूजा और फिर गोवर्धन पूजा की तरह मवेशियों की पूजा। घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है, नए कपड़े और बर्तन खरीदे जाते हैं। बैलों और गायों के सींग रंगे जाते हैं। सांडों-बैलों के साथ भाग-दौड़कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी होता है। World Hindi Diwas 2023: विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है हिंदी, जानें इस दिन के बारे में यह भी पढ़ेंक्या है पोंगल की पौराणिक कथा? कथा के अनुसार शिव अपने बैल वसव को कहते हैं कि धरती पर जाकर संदेश दें और मनुष्यों से कहें कि वे प्रतिदिन तेल लगाकर नहाएं और माह में एक दिन ही भोजन करें। वसव धरती पर जाकर उल्टा ही संदेश दे देता है। इससे क्रोधित होकर शिव शाप देते हैं कि जाओ, आज से तुम धरती पर मनुष्यों की कृषि में सहयोग दोगे। पोंगल में किसकी पूजा की जाती है?4फसल के लिए करते हैं वर्षा भोगी पोंगल भगवान इंद्र को समर्पित है। इंद्र को यह दिन इसलिए समर्पित है क्योंकि वह फसल अच्छी रहे इसके वर्षा करते हैं।
पोंगल का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है?पोंगल कब शुरू हो रहा है? तमिल कैलेंडर के अनुसार जब 14 या 15 जनवरी को सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे नए साल की शुरुआत माना जाता है। इस साल पोंगल का त्योहार 15 जनवरी से 18 जनवरी 2023 तक मनाया जाएगा। पोंगल का पर्व चार दिनों तक अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।
पोंगल के पहले दिन क्या मनाते हैं?पोंगल के पहले दिन को भोगी कहा जाता है और इसे भगवान इंद्र के सम्मान में मनाया जाता है। पोंगल का दूसरा दिन सूर्य पोंगल के रूप में जाना जाता है और यह सूर्य देव को समर्पित है। पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है और गायों के नाम पर मनाया जाता है।
पोंगल त्योहार कहां और कैसे मनाया जाता है?दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है पोंगल। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है। पोंगल नई फसल की आवक होने पर खुशियां मनाने का त्योहार है। 4 दिन का यह त्योहार हर साल जनवरी महीने के मध्य में आता है।
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