चाय निर्यात में गिरावट
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मेन्स के लिये:चाय के विकास के लिये आवश्यक दशाएँ, चाय के निर्यात में गिरावट का कारण चर्चा में क्यों?हाल ही में भारत ने चाय के निर्यात में वर्ष 2021 के पहले सात महीनों (जनवरी-जुलाई) में वर्ष 2020 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 14.4% की गिरावट दर्ज की है। प्रमुख बिंदु
चाय
स्रोत: द हिंदू
चीन में सैकड़ों वर्षों से चाय उत्पादन और चाय पीने की परम्परा रही है। चीन में उगायी जाने वाली चाय दुनिया भर में मशहूर है। ऐसे में मन में जिज्ञासा होती है कि चीन में इतने बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन कैसे होता है।चीन के चाय बाग़ानों की स्थिति कैसी होगी। इन सवालों का जवाब जानने सीएमजी के संवाददाताओं की टीम पहुँची हूबेइ प्रांत के स्यांगयांग शहर से क़रीब सौ किमी. दूर कूछंग काउंटी में। जहां हज़ारों एकड़ ज़मीन में चाय की खेती होती है। जिनमें हज़ारों मज़दूर काम करते हैं।यहां की शानदार भौगोलिक स्थिति और सीढ़ीदार खेत चाय उत्पादन के बेहद मुफ़ीद वातावरण तैयार करते हैं। साथ ही मौसम और तापमान भी अच्छी क्वालिटी की चाय के किए उचित होता है। इस इलाक़े में चाय उत्पादन से जुड़े शख़्स लियो च्या के अनुसार चाय उगाने और पत्तियाँ तोड़ने के लिए सबसे अच्छा मौसम मार्च से अक्तूबर महीने के बीच माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस पूरी काउंटी में हर वर्ष बड़ी मात्रा में चाय की खेती होती है।जो कि चीन के विभिन्न शहरों में भेजी जाती है। जबकि अमेरिका, जर्मनी, जापान, मलेशिया, यूएई व कैमरून आदि देशों को इसका निर्यात होता है।पहाड़ों में बसे इन गाँवों में सदियों से चाय उगायी जाती रही है। डिमांड बढ़ने के साथ-साथ तकनीक के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जाने लगा है। टी-गार्डन में स्थानीय श्रमिकों के साथ पत्तियाँ तोड़ने के बाद हमने पत्तियों को सुखाने और पतीलों में फ़्राई करने का तरीक़ा भी देखा। ग़ौरतलब है कि हूबेइ चीन के चार प्रमुख चाय उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। हमें बताया गया कि यहाँ से बाज़ार में जाने वाली चाय की क़ीमत एक हज़ार रुपए प्रति किलो से पंद्रह हज़ार रुपए प्रति किलो तक होती है। हालाँकि चीन में चाय पीने का तरीक़ा भारत से अलग है। वहीं चीनी लोग बिना चीनी वाली ग्रीन-टी, रेड-टी व फ़्लावर-टी पीना पसंद करते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है। चीन में इंडिया की तरह मिल्क-टी और मसाला चाय न के बराबर इस्तेमाल होती है। एक रिपोर्ट की अनुसार साल 2019 में चीन में लगभग 1.8 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन-टी का उत्पादन हुआ। ज़ाहिर है कि चीन विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है, और दूसरे देशों को प्रति वर्ष तीन लाख मीट्रिक टन चाय की सप्लाई करता है। (अनिल आज़ाद पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप,पेइचिंग) Related Topics
विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश कौन है?भारत और चाय उत्पादन
भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। चीन चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है।
चाय उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर कौन सा देश है?ज़ाहिर है कि चीन विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है, और दूसरे देशों को प्रति वर्ष तीन लाख मीट्रिक टन चाय की सप्लाई करता है।
चाय के उत्पादन में भारत का कौन सा नंबर है?चीन के बाद भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। असम और पश्चिम बंगाल चाय उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई उत्पादन करते हैं। असम कुल उत्पादन का लगभग 52% उत्पादन करता है।
चाय का मूल स्थान कौन सा देश है?कहते हैं कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग के सामने रखे गर्म पानी के प्याले में, कुछ सूखी पत्तियाँ आकर गिरीं जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया. बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र. ये बात ईसा से 2737 साल पहले की है.
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