Budhwar (बुधवार) Wednesday Vrat Udyapan (उद्यापन) Vidhi And Samagri (सामग्री) : हिंदू धर्म के अनुसार व्रत करना जितना महत्वपूर्ण होता है उतना ही महत्वपूर्ण होता है उसका उद्यापन। इसलिए व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि उद्यापन पूरे विधि-विधान से नियमानुसार ही हो। तो आज हम बात करेंगे बुधवार के व्रत उद्यापन की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी देवी या देवता को समर्पित होता है जिस दिन उनकी विशेष पूजा होती है और व्रत रखा जाता है। Show
बुधवार व्रत उद्यापन विधि (Budhwar Vrat Udyapan Vidhi) -बुधवार का दिन बुध भगवान और भगवान श्री गणेश को समर्पित होता है। जब आप व्रत शुरू करते हैं तो आप संकल्प लेते हैं कि कितने व्रत कितने समय तक जारी रहेगा। तो जब वो निश्चित समय पूर्ण ही जाए तो आपको विधि अनुसार उस व्रत का उद्यापन करना चाहिए। इसके लिए आपको कुछ समाग्री की ज़रूरत पड़ेगी। सर्वप्रथम तो बुद्ध भगवान या गणेश भगवान की एक मूर्ति ले लें। इसके अलावा 1 कांस्य का पात्र, चावल, अक्षत, धूप, दीप, गंगाजल, गुड़, लाल चंदन, पुष्प, रोली, यज्ञोपवीत, हरा वस्त्र, कपूर, ऋतुफल, इलायची, सुपारी, लौंग, पान, पंचामृत, गुलाल, मूंग दाल से बनी हुई नैवेद्य, जल पात्र, आरती के लिए पात्र और हवन की बाकी समाग्री एकत्रित कर लें। आज हम जानेगें कैसे करे बुधवार व्रत का उद्यापन और उसकी सामग्री विधि -अगर आपको मंत्रों का अच्छा ज्ञान है तो आप ये स्वयं ही कर सकते हैं पर अगर ऐसा नहीं है तो किसी ब्राह्मण को बुला लें। किसी कारणवश अगर आप किसी ब्राह्मण को नहीं बुला सकते या फिर किसी सामग्री का इंतज़ाम नहीं कर सकते तो घबराने की बात नहीं है। आप सामान्य रूप से पूजा करके जो भी समाग्री आपके पास उपलब्ध हो वो चढ़ा सकते हैं और बाकी सामान को मन में याद करके ऐसी कल्पना करें कि आप वो सच में ईश्वर को चढ़ा रहे हों। इससे भी आपकी पूजा सफल मानी जाएगी। ध्यान रहे ये तभी काम करता है जब आपके मन का भाव बिल्कुल सच्चा हो और आपका मन साफ हो। ईश्वर के लिए आपकी आस्था सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आपकी आस्था सच्ची है तो को आपकी काल्पनिक समाग्री को भी हर्ष के साथ स्वीकार करेंगे। आप मानसिक रूप से उनकी पूजा करें वो ज़्यादा आवश्यक है। व्रत का उद्यापन करने के लिए सबसे पहले तो सुबह-सुबह उठकर स्नान कर लें और हरे रंग का वस्त्र पहनें। इसके पश्चात पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई कर लें। पुज की सारी समाग्री पूजा स्थल पर एक जगह रख लें जिससे कि आपको बीच में उठना ना पड़े। एक लकड़ी की चौकी लें, हरा कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर कांस्य का पात्र रखें। इसके बाद पात्र के ऊपर बुध भगवान और गणेश जी की मूर्ति को स्थापित कर दें। अब सामने में आसान बिछाकर बैठ जाएं और पूजा प्रारंभ करें। बुधवार व्रत उद्यापन के लिये पूजा सामग्री:-सबसे पहले तो हाथ में जल लेकर खुद पर, पूजा समाग्री पर और आसन पर छिड़ककर सबको शुद्ध कर लें। जल छिड़कते वक़्त इस मंत्र का उच्चारण करें- बुधवार व्रत मंत्र खुद के शुद्धि के लिए: ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा। समाग्री और आसन की शुद्धि के लिए:पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ इसके बाद फूल की मदद से एक एक बूंद जल अपने मुंह में डालकर “ॐ केश्वाय नमः”, “ॐ नारायणाय नमः” और “ॐ वासुदेवाय नमः” बोलें। इसके बाद “ॐ हृषिकेशाय नमः” बोलकर हाथों को खोलकर अंगूठे के मूल से अपने होंठ पोंछे। इसके बाद अपने हाथ धोकर साफ कर लें। इसके बाद गणेश जी की पूजा करनी होती है तो पंचोपचार विधि से उनकी पूजा कर लें। उनकी पूजा के बाद हाथों में पान का पत्ता, सुपारी, जल, अक्षत और कुछ सिक्के ले लें। उसके बाद निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण कर उद्यापन करें: ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्री मद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे (जिस माह में उद्यापन कर रहे हों, उसका नाम) अमुकपक्षे (जिस पक्ष में उद्यापन कर रहे हों, उसका नाम) अमुकतिथौ (जिस तिथि में उद्यापन कर रहे हों, उसका नाम) बुधवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे (उद्यापन के दिन, जिस नक्षत्र में सुर्य हो उसका नाम) अमुकराशिस्थिते सूर्ये (उद्यापन के दिन, जिस राशिमें सुर्य हो उसका नाम) अमुकामुकराशिस्थितेषु (उद्यापन के दिन, जिस –जिस राशि में चंद्र, मंगल,बुध, गुरु शुक, शनि हो उसका नाम) चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः (अपने गोत्र का नाम) अमुक नाम (अपना नाम) अहं बुधवार व्रत उद्यापन करिष्ये । कब-कैसे और कितना आएगा आपके पास धन? प्रसिद्ध ज्योतिषियों से पूछें अभी इसके पश्चात हाथ जोड़कर बुध देव का ध्यान करें और ये मंत्र पढ़ें: बुधं त्वं बोधजनो बोधव: सर्वदानृणाम्। हाथों में अक्षत और पुष्प लें और इस मंत्र का उच्चारण करते हुए बुध देव का आवाहन करें: मंत्र का उच्चारण करते हुए अन्य सभी
वस्तुओं के साथ उन्हें आसन अर्पित करें। अब अर्घ्य देने के लिए जल अर्पण करते वक़्त इस मंत्र का प्रयोग करें: फूल की सहायता से आचमन करने के लिए जब जल अर्पित करें तो इस मंत्र का उपयोग करें: फूल से जल अर्पण करते हुए बुध देव को स्नान कराएं और साथ ही इस मंत्र का पाठ करें: इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराते वक़्त ये मंत्र पढ़ें: पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें गंगाजल से उन्हें पुनः स्नान कराएं और जल
अर्पण करते वक़्त इस मंत्र का उच्चारण करें: इसके बाद निम्न मंत्र का प्रयोग करते हुए बुध भगवान को यज्ञोपवीत चढ़ाएं: बुध देव को वस्त्र चढ़ाते वक़्त इस मंत्र का प्रयोग करें: इसेक बाद बुध देव को अक्षत अर्पित करते हुए इस मंत्र को पढ़ें:
फिर फूल अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें: इसके पश्चात फूल की माला चढ़ाते समय इस मंत्र का उपयोग करें: इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें धूप अर्पित करें: दीप दिखाते समय इस मंत्र का उपयोग करें: फिर बुध देव को नैवेद्य अर्पित करते हुए ये मंत्र पढ़ें: फूल की सहायता से आचमन करने के लिए जब बुध भगवान को जल अर्पित करें तब इस मंत्र का पाठ करें: इसके
पश्चात चंदन चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें: इसके बाद पान के पत्ते लें और उसे पलटने के बाद उसपे लौंग, सुपारी, कोई मिठाई, और इलायची रखें और दी तांबूल बनाएं। तांबूल अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें: इन सब के बाद बुध देव को दक्षिणा देते समय उस मंत्र का प्रयोग करें: इसके बाद हवन कुंड को तैयार करें और पवित्र अग्नि में 108 बार आहुति दें और साथ साथ इस मंत्र का उपयोग करें: अब आरती की थाल लेकर उसमें दीप और कपूर जलाएं और गणेश जी और बुध जी की आरती करें।
आरती संपन्न होने के बाद अपने स्थान पर ही खड़े होकर बाएं से दाएं की ओर चक्कर लगाएं और इस मंत्र का उच्चारण करें: इसके बाद बुध भगवान से प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें: अब विसर्जन के लिए अक्षत और फूल अपने हाथों में लें और निम्लिखित मंत्र का उच्चारण करें: ये व्रत उद्यापन विधि भी पढ़े:बुधवार के व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है?भगवान गणेश के किसी भी स्तोत्र अथवा पाठ की एक एक पुस्तक हरे वस्त्र सहित दक्षिण में दे सकते हैं। तत्पश्चात् बंधु-बांधवों सहित स्वयं भोजन कर व्रत का उद्यापन करें।. बुधवार के दिन प्रात:काल उठकर नित -क्रम कर स्नान कर लें।. हरा वस्त्र धारण करें। ... . सभी सामग्री एकत्रित कर लें। ... . कांस्य का पात्र रखें । ... . सामने आसन पर बैठ जाएं।. गणेश जी का उद्यापन कैसे किया जाता है?ऐसे करें करवा चौथ का उद्यापन
इसके लिए थाली तैयार कर लें। एक साफ सुथरी थाली लें और उसमें चार-चार पूरी और हलवा 13 अलग-अलग जगह पर रख लें। इसके बाद रोली, सिंदूर और चावल छिड़के। इसके बाद भगवान गणेश जी को विधिवत भोग लगाएं।
उद्यापन कैसे किया जाता है?धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस दिन सोमवार व्रत का उद्यापन (Somvar Vrat Udyapan) करना होता है, उस दिन भक्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं. शौच आदि कर्म से निवृत होकर सफेद वस्त्र धारण करते हैं. पूजा स्थल को जल या गंगाजल से पवित्र किया जाता है. इसके बाद केले के पत्ते से चौकोर मंडपनुमा बनाया जाता है.
उद्यापन कब करना चाहिए?देवताओं के प्रबोध समय में ही एकादशी का उद्यापन करे। विशेष कर मार्गशीर्ष के महीने, माघ माह में या भीम तिथि (माघ शुक्ल एकादशी) के दिन उद्यापन करना चाहिये |" भगवान के उपरोक्त कथन से तात्पर्य है कि चातुर्मास (आषाढ़ शुक्ला एकादशी से लेकर कार्तिक कृष्ण एकादशी) में एकादशी उद्यापन नहीं करे।
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