यह लेख 'दलित' नामक एक जाति के बारे में है। 'चमार' नामक पर्वत के लिये चमार (पर्वत) देखें। Show (चमार)
चमार दक्षिण एशिया का एक दलित समुदाय है। इस जाति के लोग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं, मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों तथा पाकिस्तान और नेपाल आदि देशों में निवास करते हैं। चमार समुदाय को आधुनिक भारत की सकारात्मक कार्रवाई प्रणाली के तहत अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। चमार अनेक उपजातियों का समूह है। 'चमार' शब्द से प्रतीत होता है कि वे केवल चर्म (चमड़े) से संबंधित व्यवसाय करते थे, परन्तु इसके विपरित समुदाय की अनेक उपजातियों में कृषि व बुनकरी का कार्य भी प्रचलित था। आज के आधुनिक समय में इस मेहनती समुदाय ने काफी प्रगति की है। किन्तु 'चमार' शब्द को एक अपशब्द के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। अतः इसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जातिवादी गाली और अपमानजनक शब्द के रूप में वर्णित किया गया है। इस समुदाय के साथ होने वाले दुराचारों को रोकने के लिए कानून द्वारा उन्हें कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जैसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 ।[1][2][3] पेशा[संपादित करें]'चमार' शब्द को संस्कृत भाषा के 'चर्मकार' का अपभ्रंश माना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ 'चमड़े से सम्बन्धित काम करने वाला' होता है। चमार जाति का मुख्य पेशा चमड़े की जीवन उपयोगी वस्तुएं बनाना था जैसे कि जूते, मशक, नगाड़ा, बेल्ट, बख्तर, लेकिन कुछ चमारों ने कपड़ा बुनने का धंधा भी अपना लिया एवं ख़ुद को जुलाहा चमार बुलाने लगे। चमारों का मानना है कि कपड़ा बुनने का काम चमड़े के काम से काफी उच्च दर्जे का काम है।[4] चमार रेजिमेंट[संपादित करें]प्रथम चमार रेजिमेंट द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा गठित एक पैदल सेना रेजिमेंट थी। आधिकारिक तौर पर, यह 1 मार्च 1943 को बनाई गई थी, क्योंकि 27वीं बटालियन दूसरी पंजाब रेजिमेंट को परिवर्तित किया गया था।[5] चमार रेजिमेंट उन सेना इकाइयों में से एक थी, जिन्हें कोहिमा की लड़ाई में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया था।[6] 1946 में रेजिमेंट को भंग कर दिया गया था। 2011 में, कई राजनेताओं ने मांग की कि इसे पुनर्जीवित किया जाए।[7] प्रमुख व्यक्ति[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
चमार रेजीमेंट की स्थापना कब हुई?चमार रेजिमेंट स्थापना दिवस : देखिए 1 मार्च 1943 को बनी
चमार का असली नाम क्या है?चमार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द 'चर्मकार' से हुई है. ऐतिहासिक रूप से जाटव जाति को चमार या चर्मकार के नाम से जाना जाता है.
चमार राजा कौन थे?जब भारत देश पर तुर्कों का शासन हुआ करता था तब उस समय चमार कहकर पुकारे जाने वाले वंश का भी भारत के पश्चिमी भाग पर शासन था! और उस समय इस वंश के राजा चंवरसेन थे!
चमार को क्या बोलते हैं?तुच्छ । चमार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चर्मकार] [स्त्री॰ चमारिन, चमारी] एक नीच जाति जो चमड़े का काम बनाती है । २. उक्त जाति का व्यक्ति ।
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