सबसे अच्छा एंटीबायोटिक कौन सा है? - sabase achchha enteebaayotik kaun sa hai?

विषयसूची

  • 1 सबसे अच्छी एंटीबायोटिक दवा कौन सी है?
  • 2 कौन से एंटीबायोटिक दवा के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं?
  • 3 एंटीबायोटिक टेबलेट कितने प्रकार के होते हैं?
  • 4 सर्दी जुकाम में कौन सी एंटीबायोटिक देनी चाहिए?

सबसे अच्छी एंटीबायोटिक दवा कौन सी है?

इसे सुनेंरोकें1 अमोक्सिसिलिन ( Amoxicillin ) एमोक्सिसिलिन एक पेनिसिलिन एंटीबायोटिक साल्ट है, जो बैक्टीरिया से लड़ने में सहायता करता है। यह बैक्टीरिया से होने वाले अलग-अलग प्रकार के इंफेक्शन के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। जिसमें टॉन्सिलिटिस, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और कान, नाक, गले, त्वचा या यूरिनरी ट्रैक का संक्रमण शामिल है।

सबसे अच्छा एंटीबायोटिक इंजेक्शन कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंअगर आप निम्न में से कोई भी दवा ले रहे हैं, तो फ्लोरोक्विनोलोन (fluoroquinolone) लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लेनी चाहिए: थियोफिलाइन (theophylline) – इसका उपयोग अस्थमा के इलाज के लिए किया जाता है; यह कुछ खांसी और सर्दी की दवाओं में भी पाया जाता है

निम्न में से कौन सी औषधि एक एंटीबायोटिक है?

इसे सुनेंरोकेंपेनिसिलिन एंटीबायोटिक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे पहली दवाएं हैं जो सिफिलिस एवं स्टाफीलोकोकस संक्रमण जैसी बहुत सी पूर्ववर्ती गंभीर बीमारियों के विरुद्ध प्रभावी थीं। पेनिसिलिन आज भी व्यापक रूप से प्रयोग में लाई जा रही हैं, हालांकि कई प्रकार के जीवाणु अब प्रतिरोधी बन चुके हैं।

कौन से एंटीबायोटिक दवा के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंएनपीएस एंजाइम पेनिसिलिन जैसे प्राकृतिक एंटीबायोटिक दवाओं के बहुत बड़े उत्पादक हैं। हालांकि, अब तक, नए और अधिक प्रभावी एंटीबायोटिक बनाने के लिए इन जटिल एंजाइमों में हेरफेर करना एक बड़ी चुनौती रही है। दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) संक्रमण के चलते हर साल लगभग 7 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

Fever में कौन सा एंटीबायोटिक लेना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंयही नहीं सामान्य कैटेगरी के एंटीबायोटिक का असर भी मरीजों पर नहीं हो पा रहा है। जबकि देखा जाए तो संयुक्त जिला चिकित्सालय में बुखार के लिए नीमोसिलाइड के साथ ही कुछ सामान्य कैटेगरी की एंटीबायोटिक दवाएं उपलब्ध हैं।

टाइफाइड में कौन सा एंटीबायोटिक दिया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंटाइफाइड से प्रभावित हो रहा लिवर, SGPGI के विशेषज्ञ बोले; इंट्रावेनस एंटीबायोटिक से इसका इलाज संभव

एंटीबायोटिक टेबलेट कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंएंटीबायोटिक मेडिसिन दो तरह से काम करती हैं- एक बैक्टीरिया को शरीर के विभिन्न ऑर्गन्स में बढ़ने या मल्टीप्लाई होने से रोकती हैं और दूसरी उन्हें खत्म करती हैं। रोगी इन एंटीबायोटिक मेडिसिन को तीन तरह से ले सकता है ओरल यानी टैबलेट, कैप्सूल या सिरप फार्म में, दूसरा इन्जेक्शन के रूप में और तीसरा इंट्रा वेनस ड्रिप के जरिये।

पैरासिटामोल के साथ कौन सी एंटीबायोटिक लेनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंहल्के लक्षण वाले मरीजों में बुखार है तो पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स दवा दी जा रही है। वहीं निमोनिया के लिए इंजेक्टेबल व ऑरल एंटीबायोटिक दी जाती हैं। खांसी है तो खांसी को रोकने के लिए एंटी एलर्जिक दवा और कफ सीरप के साथ विटामिन, सी, डी व जिंक दवा इन मरीजों को भी दी जाती है।

एंटीबायोटिक कब देना चाहिए?

यदि पांच रोज बाद भी स्थिति बरकरार रहे या सांस तेज चलने लगे, सांस लेने में दिक्कत हो या फिर बच्चा कहरने लगे तो एंटीबायोटिक की जरूरत होती है। दो-तीन दिन की सर्दी-खांसी में एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती है। यह कहना है पीएमसीएच के वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ….

  • Bihar.
  • Patna.
  • बच्चों को सर्दी, खांसी होने पर तुरंत एंटीबायोटिक दें

सर्दी जुकाम में कौन सी एंटीबायोटिक देनी चाहिए?

सर्दी ज़ुकाम के लक्षणों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य दवाएँ हैं:

  • दर्द निवारक – जैसे कि पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन, जो दर्द और बुखार को दूर करने में मदद कर सकते हैं
  • डिकंजेस्टेन्ट (decongestants) – जो बंद नाक को राहत देने में मदद कर सकता है

एंटीबायोटिक दवाओं का बैक्टीरिया पर नहीं हो रहा असर, दुनिया भर में लाखों की मौत- रिपोर्ट

20 जनवरी 2022

अपडेटेड 21 जनवरी 2022

सबसे अच्छा एंटीबायोटिक कौन सा है? - sabase achchha enteebaayotik kaun sa hai?

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बहुत से बैक्टीरिया पर बेअसर होती जा रही हैं एंटीबायोटिक दवाएं

एंटीबायोटिक दवाओं के असर के बारे में हुए अब तक के सबसे बड़े अध्ययन के अनुसार वर्ष 2019 में दुनिया भर में 12 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु ऐसे बैक्टीरिया से हुए संक्रमण की वजह से हो गई जिनपर दवाओं का असर नहीं हुआ. यह आँकड़ा मलेरिया या एड्स से हर साल मारे जाने वाले लोगों की संख्या से ज़्यादा है.

मेडिकल जर्नल द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे तो इसका ख़तरा हर किसी को है मगर ग़रीब देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

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मेडिकल शब्दावली में दवाओं के बेअसर होने की इस स्थिति को एंटी-माइक्रोबियल रेसिस्टेन्स (एएमआर) कहा जाता है. ये तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और उनपर दवाओं की प्रतिक्रिया नहीं होती. इससे किसी संक्रमण का इलाज कठिन हो जाता है और गंभीर बीमारी के फैलने और उससे मृत्यु का ख़तरा बढ़ जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे बचाव के लिए ज़रूरी है कि नई दवाओं के लिए तत्काल निवेश किया जाए. साथ ही, मौजूदा दवाओं का अधिक समझदारी से उपयोग हो.

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बहुत से बैक्टीरिया पर बेअसर हो चुके हैं एंटीबायोटिक्स

बीते कुछ वर्षों में मामूली संक्रमणों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के अति प्रयोग के कारण गंभीर संक्रमणों के ख़िलाफ़ एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी हो रहे हैं.

सामान्य रोग और संक्रमण से लोगों की मौत हो जा रही है जिनका पहले इलाज हो जाता था. और ये इसलिए हो रहा है क्योंकि जिन बैक्टीरिया से ये संक्रमण हो रहे थे वह अब प्रतिरोधी बन गए हैं यानी उनपर इलाज का असर नहीं हो रहा.

एंटीबायोटिक दवाओं के निष्प्रभावी होते जाने को लेकर पहले भी चिंता जताई जाती रही है. हाल ही में ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि एएमआर एक "छिपी हुई महामारी" थी जिनका यदि ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल नहीं किया गया तो वो कोरोना महामारी के कारण फिर से उभर सकती है.

रिपोर्ट के अनुसार, कोविड -19 के कारण बड़ी तादाद में लोग अस्पतालों में भर्ती होने लगे और एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बढ़ा जिसकी वजह से एएमआर का ख़तरा बढ़ गया है.

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बैक्टीरिया टेस्ट

घातक

लैंसेट में छपी एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर रहने से होनेवाली मौतों का अनुमान लगाने वाली ये रिपोर्ट 204 देशों में किए गए विश्लेषण के बाद तैयार की गई. अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम की ओर से किए गए इस विश्लेषण का नेतृत्व अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय ने किया.

इस टीम ने अनुमान लगाया कि वर्ष 2019 में दुनिया भर में ऐसी बीमारियों से 50 लाख तक लोगों की मृत्यु हुई जिनमें एएमआर की भूमिका रही. ये उन 12 लाख मौतों के अलावा है जिनके लिए सीधे-सीधे एएमआर वजह था. यानी लगभग 60 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत के पीछे एएमआर की भूमिका हो सकती है.

इसकी तुलना यदि दूसरी बीमारियों से की जाए तो समझा जाता है कि उसी वर्ष एड्स से 860,000 और मलेरिया से 640,000 लोगों की मौत हुई.

एएमआर से होने वाली ज़्यादातर मौतें निमोनिया जैसे लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन यानी फेफड़ों से जुड़े संक्रमण या ब्लडस्ट्रीम इन्फेक्शन से हुईं जिससे कि सेप्सिस हो सकता है.

एमआरएसए (मेथिसिलिन प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस) विशेष रूप से घातक था. वहीं ई. कोलाई और कई अन्य बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारियों के लिए भी दवाओं के बेअसर रहने को वजह माना गया.

शोध के लिए अस्पतालों से मरीज़ों के रिकार्ड्स, अध्ययनों और अन्य डेटा स्रोतों के आधार पर बताया गया कि छोटे बच्चों को सबसे अधिक ख़तरा था. एएमआर से जुड़ी मौतों में हर पाँचवाँ मामला किसी पाँच साल से कम उम्र के बच्चे का था.

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बच्चों को बहुत जरूरी होने पर ही एंटीबायोटिक देने की सलाह दी जा रही है

दक्षिण एशिया पर प्रभाव

इस रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया के देशों में वर्ष 2019 में एएमआर से 389,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई.

इस रिपोर्ट के निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद या आईसीएमआर में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर कामिनी वालिया ने कहा कि एएमआर एक वैश्विक आपातकाल जैसा है.

उन्होंने कहा,"बैक्टीरिया का प्रतिरोधी बन जाना एक ऐसी वैश्विक स्वास्थ्य इमर्जेंसी बन चुकी है जिसे दुनिया की कोई भी सरकार अनदेखा नहीं कर सकती. हमें एंटीबायोटिक के उपयोग पर निगरानी करनी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे भविष्य के लिए प्रभावी रहें."

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लैब में बैक्टीरिया के प्रतिरोध की टेस्टिंग

वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के प्रोफेसर क्रिस मरे ने कहा कि नए डेटा ने दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के वास्तविक पैमाने को उजागर किया है.

प्रोफेसर मरे के अनुसार यह डाटा एक स्पष्ट संकेत था कि "अगर हम रोगाणुरोधी प्रतिरोध से दौड़ में आगे रहना चाहते हैं" तो तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.

वहीं वॉशिंगटन डीसी के सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने कहा कि एएमआर को नियंत्रित करने के लिए दवाओं के समझदारी से इस्तेमाल की ज़रूरत है.

डॉक्टर लक्ष्मीनारायण ने कहा," सबसे पहले तो ख़र्च इस बात पर होना चाहिए कि संक्रमण ना हो, और मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं का उचित और समझदारी भरा इस्तेमाल हो, और साथ ही नए एंटीबायोटिक्स भी लाए जाएँ."

बुखार में कौन सी एंटीबायोटिक दवा लेनी चाहिए?

बुखार होने पर पारासिटामोल का उपयोग करें। कोई एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत नहीं है।

एंटीबायोटिक कितने दिन तक लेनी चाहिए?

बैक्टीरियल संक्रमण के आधार पर रोगी को एंटीबायोटिक दवाओं का 3 से 5 दिन का कोर्स कराया जाता है। रोगी को अधिकतर 8-12 घंटे के अंतराल पर ये दवाएं लेनी पड़ती हैं। लेकिन चेस्ट इंफेक्शन जैसी कुछ बीमारियों में ये दवाएं 24 घंटे में एक या दो बार लेने की सिफारिश की जाती है।

बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए सबसे मजबूत एंटीबायोटिक क्या है?

शहद को सबसे अच्छा घरेलू एंटीबायोटिक माना गया है। इसमें एंटीसेप्टिक, सूक्ष्मजीवीरोधी और प्रज्वलनरोधी तत्व शामिल हैं। 2014 की एक रिसर्च के मुताबिक, शहद में अलग-अलग स्तर पर इंफेक्‍शन से लड़ने के गुण मौजूद होते हैं। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

एंटीबायोटिक दवा की पहचान कैसे करें?

एंटीबॉयोटिक के कैमिकल जब नाइड्रोसेफिन से मिलते हैं तो रंग में परिवर्तन होता है। डीवाइस में जब एंटीबॉयोटिक घोल को डालते हैं तो रंग में बदलाव असली नकली की पहचान कर देता है। अगर रंग में थोड़ा परिवर्तन होता है तो दवा असली होती है। अगर गहरा लाल रंग हो जाता है तो एंटीबायोटिक नकली होती है।