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संक्षेपण का अर्थ एवं उसके गुण | Meaning and Properties of Abbreviation in Hindiसंक्षेपण से क्या आशय है?संक्षेपण से आशय- किसी विस्तृत विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्रव्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को ‘सक्षेपण कहते हैं, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत, अनावश्यक बातों का त्याग और सभी अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तथ्यों का प्रवाहपूर्ण संक्षिप्त संकलन हो। इस परिभाषा के अनुसार, संक्षेपण एक स्वत:पूर्ण रचना है। उसे पढ़ लेने के बाद मूल सन्दर्भ को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। सामान्यत: संक्षेपण में लम्बे-चौड़े विवरण, पत्राचार, आदि की सारी बातों को अत्यन्त संक्षिप्त और क्रमबद्ध रूप में रखा जाता है। इसमें हम कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक विचारों, भावों और तथ्यों को प्रस्तुत करते हैं। वस्तुतः, संक्षेपण किसी बड़े ग्रंथ का संक्षिप्त संस्करण, बड़ी मूर्ति का लघु अंकन और बड़े चित्र का छोटा चित्रण है। इसमें मूल की कोई भी आवश्यक बात छूटने नहीं पाती। अनावश्यक बातें छाँटकर निकाल दी जाती हैं और मूल बातें रख ली जाती हैं। यह काम सरल नहीं। इसके लिए निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता है। एक अच्छे संक्षेपण के गुणसंक्षेपण एक प्रकार का मानसिक प्रशिक्षण है, मानसिक व्यायाम भी। उत्कृष्ट संक्षेपण के निम्नलिखित गुण हैं- 1. पूर्णता- संक्षेपण स्वतः पूर्ण होना चाहिए। संक्षेपण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कहीं कोई महत्त्वपूर्ण बात छूट तो नहीं गयी। आवश्यक और अनावश्यक अंशों का चुनाव खूब सोच-समझकर करना चाहिए। यह अभ्यास से ही सम्भव है। संक्षेपण में उतनी ही बातें लिखी जायँ, जो मूल अवतरण या सन्दर्भ में हों, न तो अपनी ओर से कहीं बढ़ाई जाय और न घटाई जाय तथा न मुख्य बात कम की जाय। मूल में जिस विषय या विचार पर जितना जोर दिया गया है, उसे उसी अनुपात में, संक्षिप्त रूप में लिखा जाना चाहिए। ऐसा न हो कि कुछ विस्तार से लिख दिया जाय और कुछ कम । संक्षेपण व्याख्या, आशय, भावार्थ, सारांश इत्यादि से बिल्कुल भिन्न है। 2. संक्षिप्तता- संक्षिप्तता संक्षेपण का एक प्रधान गुण है। यद्यपि इसके आकार का निर्धारण और नियम नहीं, तथापि संक्षेपण को सामान्तया मूल का तृतीयांश होना चाहिए। इसमें व्यर्थ विशेषण, दृष्टान्त, उद्धरण, व्याख्या और वर्णन नहीं होने चाहिए। लम्बे-लम्बे शब्दों और वाक्यों के स्थान पर सामासिक चिह्न लगाकर उन्हें छोटा बनाना चाहिए। यदि शब्दसंख्या निर्धारित हो, तो संक्षेपण उसी सीमा में होना चाहिए। किन्तु, इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाय कि मूल की कोई भी आवश्यक बात छूटने न पाये। 3.स्पष्टता- संक्षेपण की अर्थव्यंजना स्पष्ट होनी चाहिए। मूल अवतरण का संक्षेपण ऐसा लिखा जाय, जिसके पढ़ने से मूल सन्दर्भ का अर्थ पूर्णता और सरलता से स्पष्ट हो जाय। ऐसा न हो कि संक्षेपण का अर्थ स्पष्ट करने के लिए मूल सन्दर्भ को ही पढ़ना पड़े। इसलिए, स्पष्टता के लिए पूरी सावधानी रखने की जरूरत होगी। संक्षेपक (Precis writer) को यह बात याद रखनी चाहिए कि संक्षेपण के पाठक के सामने मूल सन्दर्भ नहीं रहता। इसलिए उसमें (संक्षेपण में) जो कुछ लिखा जाय, वह बिलकुल स्पष्ट हो । 4. भाषा की सरलता- संक्षेपण के लिए यह बहुत जरूरी है कि उसकी भाषा सरल और परिष्कृत हो। क्लिष्ट और समासबहुल भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए। भाषा को किसी भी हालत में अलंकृत नहीं होना चाहिए। जो कुछ लिखा जाय, वह साफ-साफ हो; उसमें किसी तरह का चमत्कार या घुमाव-फिराव लाने की कोशिश न की जाय। इसलिए, संक्षेपण की भाषा सुस्पष्ट और आडम्बरहीन होनी चाहिए तभी उसमें सरलता आ सकेगी। 5. शुद्धता- संक्षेपण में भाव और भाषा की शुद्धता होनी चाहिए। शुद्धता से हमारा मतलब यह है कि संक्षेपण में वे ही तथ्य तथा विषय लिखे जाय, जो मूल सन्दर्भ में हों। कोई भी बात अशुद्ध, अस्पष्ट या ऐसी न हो, जिसके अलग-अलग अर्थ लगायें जा सकें। इसमें मूल के आशय को विकृत या परिवर्तित करने का अधिकार नहीं होता और न अपनी ओर से किसी तरह की टीका-टिप्पणी होनी चाहिए। भाषा व्याकरणोचित होनी चाहिए, टेलिग्राफिक नहीं। 6. प्रवाह और क्रमबद्धता- संक्षेपण में भाव और भाषा का प्रवाह एक आवश्यक गुण है। भाव क्रमबद्ध हों और भाषा प्रवाहपूर्ण । क्रम और प्रवाह के सन्तुलन से ही संक्षेपण का स्वरूप निखरता है। वाक्य सुसम्बद्ध और गठित हों। प्रवाह बनाये रखने के लिए वाक्यरचना में जहाँ-तहाँ अत:’, ‘अतएव’, तथापि’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है। एक भाव दूसरे भाव से सम्बद्ध हो। उनमें तार्किक क्रमबद्धता (logical sequence) रहनी चाहिए। सारांश यह कि संक्षेपण में तीन गुणों का होना बहुत जरूरी है- (1) संक्षिप्तता (brevity), (2) स्पष्टता (clearness), और (3) क्रमबद्धता (coherence)। Important Links
Disclaimer Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorसंक्षेपण क्या है इसकी प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए?संक्षेपण अथवा सार-लेखन (अंग्रेज़ी: Précis) का आशय है किसी अनुच्छेद, परिच्छेद, विस्तृत टिप्पणी अथवा प्रतिवेदन को संक्षिप्त कर देना। किसी बड़े पाठ (निबन्ध, लेख, शोध प्रबन्ध आदि) में मुख्य विचारों, तर्कों आदि को लघुतर आकार में प्रस्तुत करना संक्षेपण (critical précis writing) कहलाता है।
संक्षेपण क्या है इसके गुणों पर प्रकाश डालिए?संक्षेपण से आशय- किसी विस्तृत विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्रव्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को 'सक्षेपण कहते हैं, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत, अनावश्यक बातों का त्याग और सभी अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तथ्यों का प्रवाहपूर्ण संक्षिप्त संकलन हो।
संक्षेपण क्या होता है संक्षेपण के प्रकार संक्षेपण का भाषा तथा संक्षेपण की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?सार लिखते समय लेखक सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत करने की अपेक्षा केवल उस मूल तथ्य केन्द्रक को प्रस्तुत करता है जिसके चारों ओर मूल विवरण अथवा पत्र का विकास होता है जबकि संक्षेपण में पत्र अथवा विवरण के प्रत्येक महत्वपूर्ण तथ्य को क्रमबद्ध एवं सुनियोजित ढंग से अपनी भाषा में संक्षिप्त करके लिखा जाता है जिससे संबद्ध ...
अ संक्षेपण को परिभाषित करते हुए इसके प्रकारों का उल्लेख कीजिए ब अनुवाद से क्या आशय है परिभाषा दीजिए?इसमें किसी उक्ति, वाक्य, - सूक्ति, कहावत, लोकोक्ति आदि के अर्थ को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है। विस्तार की आवश्यकता तभी होती है, जब मूल भाव संक्षिप्त, सघन या जटिल हो । भाषा के प्रयोग में कई बार ऐसी स्थितियाँ आती हैं, जब हमें किसी उक्ति में निहित भावों को स्पष्ट करना पड़ता है। इसी को भाव-पल्लवन कहते हैं ।
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