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| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 1, 2022, 9:01 AM
सावन का महीना आते ही श्रद्धालु महादेव शंकर को प्रसन्न करने की कोशिश में जुट जाते हैं. शिवलिंग पर गंगाजल के साथ-साथ बेलपत्र भी चढ़ाने का विधान है. शिव को बेलपत्र अर्पित करते वक्त और इसे तोड़ते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है. बेलपत्र को संस्कृत में 'बिल्वपत्र' कहा जाता है. यह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है. पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. हमारे धर्मशास्त्रों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिससे धर्म का पालन करते हुए पूरी तरह प्रकृति की रक्षा भी हो सके. यही वजह है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फूल और पत्र को तोड़ने से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं. बेलपत्र तोड़ने के नियम: 1. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र न तोड़ें. 2. बेलपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है, इसलिए इन तिथियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए. 3. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है. अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:। शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण) 4. टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे. 5. बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए. शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बेलपत्र: 1. महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए. 2. बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए. 3. बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं. ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं. 4. अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो बेल के वृक्ष के दर्शन ही कर लेना चाहिए. उससे भी पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं. 5. शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए. भगवान शिव के पूजन में बिल्वपत्र का बहुत महत्व है। कहा जाता है, कि बिल्वपत्र शिवजी को अतिप्रिय है। इसलिए भोलेनाथ को बिल्वपत्र अर्पित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं बिल्वपत्र के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें ? यदि नहीं जानते, तो जरूर पढ़िए - 1 बिल्वपत्र 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एक बार शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है। कई जगह शिवालयों में बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पाने पर इसके चूर्ण को चढ़ाने का विधान भी है। बेलपत्र को कितने दिन तक बासी नहीं होता?छः माह तक बासी नहीं होता बेलपत्र
शास्त्रों के अनुसार, अगर आपके पास शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र नहीं है तो आप मंदिर से ही दूसरों के चढ़ाए हुए बेलपत्र को उठाकर धो लें और फिर उसको भगवान शिव पर चढ़ा दें। यह उतना ही पूजनीय माना जाएगा। साथ ही बेलपत्र छः महीने तक बासी नहीं होता है।
शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए?कई बार देखने में आता है कि बेलपत्र एक, 3 या फिर 5 पत्र वाला भी होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि बेलपत्र जितने अधिक पत्र वाला होता है उतना ही अच्छा होता है। इसलिए शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने में कम से कम यह 3 पत्र वाला होना चाहिए। जब यह 3 पत्र पूरे होते हैं तो इसे एक बेलपत्र माना जाता है।
बेलपत्र कौन कौन से दिन नहीं तोड़ना चाहिए?बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें. साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए.
बेलपत्र कितने बजे तक तोड़ सकते हैं?कहा जाता है जिस दिन शिव की पूजा बेलपत्र से करनी हो, उसके एक दिन पूर्व ही बेलपत्र को वृक्ष से तोड़ना चाहिए। अर्थात व्रत वाले दिन बेलपत्र को बिल्कुल ना तोड़ें। व्रत के दिन आप बेलपत्र भगवान को चढ़ा सकते हैं, लेकिन वृक्ष से तोड़ नहीं सकते।
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